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राफेल डील पर ‘झूठ’ फैलाकर देश को गुमराह कर रहे राहुल गांधी, जानिये सच्चाई…

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गत 20 जुलाई को संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल डील पर एक बार फिर ‘झूठ’ बोला और देश को गुमराह करने की कोशिश की। हालांकि उनके इस गलत बयानी को फ्रांस की सरकार ने पकड़ लिया और वक्तव्य जारी कर तुरंत इसका खंडन कर दिया। दरअसल राहुल गांधी इस सौदे को लेकर लगातार भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि मोदी सरकार के दौरान हुई यह डील यूपीए सरकार की तुलना में प्रति विमान 59 करोड़ रुपये सस्ती है। गौरतलब है कि यूपीए सरकार के दौरान 36 राफेल विमान का सौदा 1.69 लाख करोड़ में किया गया था, जबकि मोदी सरकार ने यही सौदा 59, 000 हजार करोड़ रुपये कम में किया है।

मोदी सरकार की डील यूपीए सरकार द्वारा किए गए सौदे से अधिक असरदार और तकनीकी रूप से भी ज्यादा सक्षम भी है। डील के तहत भारत के लिए खास तौर पर 13 नई विशेषताएं बढ़ाई गई हैं, जो दूसरे देश को नहीं दी जाती।

10 प्वाइंट्स में समझिए कैसे यूपीए से सस्ती और बेहतर है राफेल डील

कम कीमत पर खरीदे गए विमान
मोदी सरकार ने एक राफेल विमान का सौदा 1646 करोड़ रुपये में किया है, जबकि मनमोहन सिंह के कार्यकाल में प्रति विमान कीमत 1705 करोड़ थी।

बिचौलियों को नहीं दिया गया मौका
प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने दो सरकारों के बीच राफेल करार किया। इससे कीमतें कम हुईं और बिचौलियों को मौका नहीं मिला।

भारत के रक्षा मानकों पर खरी है डील
राफेल के साथ ही भारत ऐसे हथियारों से लैस हो जायेगा जिसका एशिया महाद्वीप में कोई सानी नहीं। राफेल METEOR , SCALP और MICA  मिसाइल से भी लैस है।

टेकनोलॉजी ट्रांसफर पर भी हुआ करार
रिलायंस के साथ जॉइंट वेंचर के माध्यम से डेसॉल्ट कंपनी भारत में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कर रहा है। ये संयुक्त उद्यम पहले स्पेयर पार्ट्स बनाएगा, फिर एयरक्राफ्ट बनाएगा।

इन्फ्लेशन का लाभ भारत को मिलेगा
यूपीए ने 3.9 प्रतिशत इन्फ्लेशन रखी थी, लेकिन मोदी सरकार ने इसे 3.5 करवा दिया। अब डेसॉल्ट की जिम्मेदारी है कि फ्लीट का 75 प्रतिशत हर हाल में ऑपरेशनल रहे।

वारंटी पर यूपीए से बेहतर पारदर्शिता
‘रेडी टू फ्लाई’ राफेल डील के तहत 5 साल की वारंटी है। इसके साथ ही अगर 36 महीने में राफेल विमान को देने में देरी हुई तो कंपनी पर पेनल्टी भी लगेगी।

समझौते में ऑफसेट का प्रावधान
50 प्रतिशत ‘ऑफसेट’ प्रावधान के कारण छोटी-बड़ी भारतीय कंपनियों के लिए न्यूनतम तीन अरब यूरो का कारोबार के साथ हजारों रोजगार सृजित किए जा सकेंगे।

‘मेक इन इंडिया’ को मिल रहा बढ़ावा
सरकार ने रक्षा क्षेत्र में बिना पूर्व अनुमति के 49 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी है। इस कारण राफेल सौदा ‘मेक इन इंडिया’ को भी गति प्रदान करेगा।

अनुभवी कंपनी को दिया गया ठेका
डेसॉल्ट एविएशन ने रिलायंस डिफेंस) को इसलिए चुना कि वह नौसैनिक गश्ती जहाज बनाने के साथ कोस्टगार्ड के लिए 14 गश्ती पोतों का निर्माण भी कर रहा है।

एफडीआई के तहत समझौते की स्वतंत्रता
एफडीआई में कंपनियों को समझौता करने की स्वतंत्रता है। रिलायंस और डेसॉल्ट ने समझ बूझ कर आपस में ये समझौता किया है और इसमें पूरी पारदर्शिता है।

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