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पंजाब में चन्नी को सीएम फेस बनाने से कांग्रेस को चुनाव में होंगे ये 7 बड़े नुकसान, राहुल गांधी ने सिद्धू को बनाया लाफ्टर का दर्शनी घोड़ा, पलट सकती है बाजी

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पंजाब में राजनीति की बिसात पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने ही पासों में फंसते नजर आ रहे हैं। पंजाब में कांग्रेस का सीएम फेस घोषित करने का दावं उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। इस फैसले के बाद सिद्धू की बाडी लैंग्वेज में तूफान से पहले की शांति नजर आ रही है। वे अपने बड़बोले स्वभाव के विपरीत एकदम चुप्पी साध कर बैठ गए हैं। पंजाब विधानसभा चुनाव से दस-12 दिन पहले कांग्रेस प्रदेश प्रधान की चुप्पी पार्टी को नुकसान पहंचा सकती है। वैसे भी राहुल गांधी के फैसले का संदेश सिद्धू समर्थकों में अच्छा नहीं गया है। राहुल के फैसले के बाद सिद्धू और उनके समर्थक यह भी नहीं कह सकते-ठोको ताली। सिद्धू अपने भाषणों में कई बार कह चुके हैं कि वह राजनीति में दर्शनी घोड़ा नहीं बनना चाहते और राहुल गांधी ने फिलहाल तो उनको वही बनाकर छोड़ दिया है।

आइये, आपको बताते हैं कि राहुल गांधी के फैसले का असर पंजाब विधानसभा चुनाव और कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति पर कैसे पड़ेगा…

1.नवजोत सिद्धू की बगावत सिर्फ सीएम बनने के लिए थी
अब यह कोई छिपा तथ्य नहीं है कि सिद्धू की कैप्टन अमरिंदर से बगावत सिर्फ और सिर्फ सीएम बनने के लिए थी। इसलिए सिद्धू ने कैप्टन के तत्कालीन विरोधियों को एकत्रित किया, जिसमें चन्नी, रंधावा, जाखड़ समेत कांग्रेस के बड़े नेता शामिल थे। सिद्धू ने इस विरोधी गुट को लीड करते हुए कैप्टन को तो हटवा दिया, लेकिन जब उनकी जगह सीएम बनाने की बारी आई तो बड़बोले सिद्धू के बजाए सुनील जाखड़ को नाम लगभग तय हो गया। तब कांग्रेस नेता अंबिका सोनी ने पंजाब को सिख स्टेट मानते हुए हिंदू की बजाए सिख को ही सीएम बनाने का हाईकमान को तर्क दिया। सिद्धू को लगा कि उनकी किस्मत चमकने वाली है, लेकिन लॉटरी चरणजीत सिंह चन्नी की लग गई।

2. सेनापति ही शिद्दत से नहीं लड़ेंगे तो जीत कैसे पाएंगे
हाईकमान ने सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बनाकर साधा था, लेकिन सीएम का ओहदा न मिल पाने से सिद्धू अक्सर चन्नी के कामों, योजनाओं में नुक्स निकालते रहे। सिद्धू को फिर भी आस थी कि विधानसभा चुनाव में तो सीएम का फेस उन्हें ही बनाया जाएगा, क्योंकि वे न सिर्फ चर्चित चेहरा हैं, बल्कि कांग्रेस के प्रधान भी हैं। लेकिन राहुल गांधी ने अपनी समझ के मुताबिक सिद्धू की बजाए चन्नी तो तवज्जो दे दी है। इससे सिद्धू का नाराज होना स्वाभाविक है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि यदि पार्टी का सेनापति ही आधे-अधूरे मन से युद्ध (चुनाव) लड़ेगा तो उसमें जीत पाना बेहद मुश्किल ही होगा।

3.कई धड़ों में बांट दी कांग्रेस सिद्दू, जाखड़, चन्नी, कैप्टन
राहुल गांधी भले ही कहें कि यह उनका फैसला नहीं है, लेकिन पार्टी का हर कार्यकर्ता भली-भांति जानता है कि पहले इस बारे में फैसला ले लेने के बाद ही जनता से पूछने और रायशुमारी की नौटंकी की गई है। राहुल गांधी द्वारा सीएम फेस की घोषणा के साथ ही कांग्रेस साफ तौर पर कई गुटों में बंट चुकी है। पार्टी में सिद्धू गुट, चन्नी गुट, जाखड़ गुट, रंधावा गुट, कैप्टन हाईकमान से खफा गुट, टिकट न मिलने या कटने से नाराज विधायकों का गुट….विधानसभा चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस में कितने गुट बन चुके हैं, यह खुद कांग्रेसियों को भी नहीं पता होगा। इस गुटबाजी का चुनाव में नुकसान निश्चित है।

4. राजनीति रास न आई तो अपने काम में लौटेंगे
कांग्रेस पंजाब प्रधान सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू एक इंटरव्यू में साफ तौर पर कह चुकी हैं कि यदि पंजाब कांग्रेस की राजनीति रास नहीं आई तो वह और उनके पति अपने-अपने पुराने काम में लौट जाएंगे, जहां पर वे दोनों लाखों कमाते थे। अब यह तो तय है कि राहुल गांधी का फैसला पति-पत्नी को रास आने वाला नहीं है। अंदरखाते तो वह इस फैसले से नाराज हैं ही, लेकिन बड़बोले सिद्धू कभी भी पब्लिकली भड़क सकते हैं। ऐसे में राहुल के फैसले का नुकसान ही होगा।

5. दलितों को लुभाते-लुभाते जट सिखों को नाराज किया
राहुल गांधा ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम फेस जिस तर्क के साथ बनाया है, वह भी पार्टी के लिए उल्टा पड़ सकता है। दरअसल, चन्नी को दलित होने के कारण सीएम फेस बनाया गया है, ताकि कांग्रेस को पंजाब में दलितों के वोट मिल सकें। पहले तो जनता जानती है कि दलित-प्रेम कांग्रेस की मजबूरी की नौटंकी है, वरना इतने सालों से ये प्रेम कहां था ? दूसरे, बसपा-अकाली के कारण दलित वोटों बंटवारा तय है। तीसरे, चर्चित सिद्धू को नकारकर राहुल गांधी ने जट सिखों को नाराज किया है। यदि वे किसी को सीएम फेस घोषित न करते तो इस संभावित नुकसान से बच सकते थे।6. पंजाब को बचाने और माफिया मुक्त करने का सिद्धू का एजेंडा टांय टांय फिस्स
पंजाब कांग्रेस ने इनते दिन से विधानसभा चुनाव प्रचार की सभाओं में नया पंजाब बनाने के ऐलान के तहत नवजोत सिद्धू के एजेंडे का जमकर प्रचार किया है। इस एजेंडे से पंजाब को आर्थिक रूप से मजबूत करने के साथ-साथ, नशे-माफिया से मुक्ति और युवाओं को रोजगार देंगे। सिद्धू खुद कह चुके हैं कि उनका एजेंडा शत-प्रतिशत तभी लागू हो सकता है, जबकि वे सीएम के तौर पर इसे लागू करवाएं। कोई और नेता उनके एजेंडे को ठीक तरह से लागू नहीं करवा पाएगा। सिद्धू ने तो इस एजेंडे को ही पार्टी के घोषणापत्र तक की संज्ञा दे दी थी। अब राहुल के फैसले के बाद न नवजोत सिंह सिद्धू सीएम बनेंगे और न ही उनके एजेंडे पर कोई बात होगी।

7. राहुल गांधी के फैसले ने बदलाव का मौका खत्म किया
पंजाब की जनता ने चरणजीत चन्नी के 110 दिन के राज में ही देख लिया है कि उनके पास न तो पंजाब के विकास का कोई विजन है और न ही पंजाब को नशे, चिट्टे और माफिया से मुक्त करने का कोई आइडिया है। चन्नी ने अपने अल्प शासन में सिर्फ खजाना लुटाने, पंजाब को आर्थिक रूप से कमजोर करने और कर्जदार बनाने के अलाव कुछ नहीं किया। चन्नी ने केजरीवाल की तरह सिर्फ खोखले वादे और दिन के सपने ही पंजाब की जनता को दिखाए हैं। राहुल ने फिर उनको ही सीएम फेस डिक्लेयर करके बदलाव के मौके को खुद-ब-खुद खत्म कर लिया है।

 

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