सत्ता की चाह में कांग्रेसी नेता केंद्र की मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए देश की लोकतांत्रिक और संवैधानिक संस्थाओं पर हमला करने से बाज नहीं आते। मोदी सरनेम मामले में सजा सुनाए जाने और उसके बाद संसद सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के बाद राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेसी नेताओं ने संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ एक तरह से मोर्चा खोल दिया है। सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी को अपनी गलती के कारण कोर्ट से सजा सुनाई है। कोर्ट ने उन्हें माफी मांगने का मौका भी दिया लेकिन इसके पहले तीन बार माफी मांग चुके राहुल गांधी ने इस बार राजनीतिक फायदे के लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया। ऐसे में सजा सुनाए जाने पर देश भर में धरना प्रदर्शन किए जाने पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी सोचते हैं कि चूंकि वह एक खास परिवार में पैदा हुए हैं, इसलिए वह संविधान, अदालत और संसद से ऊपर है। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि राहुल गांधी ने ओबीसी समाज का जो अपमान किया उसपर अगर कोर्ट ने फैसला किया तो वे कहते हैं कि कोर्ट ही गलत हैं। उन्हें लगता है कि एक परिवार में पैदा हो गए तो इस देश पर राज करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। वे खुद को संसद और कोर्ट से ऊपर मानते हैं।
राहुल गांधी ने OBC समाज का जो अपमान किया उसपर अगर कोर्ट ने फैसला किया तो वे कहते हैं कि कोर्ट ही गलत हैं। उन्हें लगता है कि एक परिवार में पैदा हो गए तो इस देश पर राज करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। वे खुद को संसद और कोर्ट से ऊपर मानते हैं: अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री pic.twitter.com/pIeN7qFpYm
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) March 29, 2023
केंद्रीय रेल मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि राहुल गांधी को लगता है कि कोई भी अदालत उनके खिलाफ फैसला नहीं दे सकती।
राहुल गांधी को लगता है कि कोई भी अदालत उनके खिलाफ फैसला नहीं दे सकती। उन्हें लगता है कि इस देश पर शासन करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। – केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव @AshwiniVaishnaw pic.twitter.com/wzkphDB7QI
— Hindusthan Samachar News Agency (@hsnews1948) March 29, 2023
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी को लगता है कि अगर संविधान में सदस्यता रद्द करने का प्रावधान है तो उनपर लागू नहीं होना चाहिए क्योंकि देश पर राज करना उनका अधिकार है और बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान के तहत जितने लोकतांत्रिक संस्थान बनाए हैं वे सब उनसे नीचे है।
राहुल गांधी को लगता है कि अगर संविधान में सदस्यता रद्द करने का प्रावधान है तो उनपर लागू नहीं होना चाहिए क्योंकि देश पर राज करना उनका अधिकार है और बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान के तहत जितने लोकतांत्रिक संस्थान बनाए हैं वे सब उनसे नीचे है: केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, दिल्ली pic.twitter.com/Q3ur59bV6H
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 29, 2023
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि संस्थानों की बात करने वाले देश को बताएं कि क्या जब प्रधानमंत्री विदेश में थे तो एक ऑर्डिनेंस को फाड़ना संस्थाओं का सम्मान करना था। राहुल गांधी अपने अहंकार के कारण संसद से डिसक्वालिफाई हुए हैं।
संस्थानों की बात करने वाले देश को बताएं कि क्या जब प्रधानमंत्री विदेश में थे तो एक ordinance को फाड़ना संस्थाओं का सम्मान करना था।
श्री राहुल गांधी अपने अहंकार के कारण संसद से disqualify हुए हैं।
– श्री @AshwiniVaishnaw pic.twitter.com/lFXf12mweJ
— BJP (@BJP4India) March 29, 2023
सत्ता से दूर रहने की हताशा में कांग्रेस संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर ही प्रश्नचिह्न लगाती रही है। आइये एक नजर डालते हैं कि कांग्रेस ने कब-कब संवैधानिक संस्थाओं पर प्रश्न खड़े किए।
राहुल गांधी ने की संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी मार्च 2021 में देश की चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए। कांग्रेसी सांसद राहुल गांधी ने अमेरिकी की ब्राउन यूनिवर्सिटी के साथ वर्चुअल चर्चा में चुनाव प्रक्रिया पर तो सवाल खड़े किए ही, मोदी सरकार की तुलना सद्दाम हुसैन और गद्दाफी से करने पर भी नहीं चूके। राहुल गांधी ने कहा कि इराक में सद्दाम हुसैन और लीबिया में गद्दाफी भी चुनाव करवाते थे, इसका मतलब यह तो नहीं कि वहां लोकतंत्र था। राहुल ने कहा, “सद्दाम हुसैन और गद्दाफी भी चुनाव करवाते थे। तब लोग वोट तो डालते थे, लेकिन सच में अपना मत नहीं देते थे क्योंकि उनके हितों का संरक्षण सुनिश्चित करने वाली कोई संस्था वहां काम नहीं कर रही थी। मुझे लगता है कि भारत को यह तलाश करना चाहिए कि कहीं यह इस सीमा रेखा से भी बहुत नीचे तो नहीं चला गया है?”
उन्होंने कहा, “चुनाव सिर्फ यह नहीं है कि लोग गए और वोटिंग मशीन का बटन दबा दिया। कौन सा नैरेटिव गढ़ा जा रहा है, देश के शासन-प्रशासन के सभी तंत्र ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं, न्यायपालिका निष्पक्ष है कि नहीं और संसद में किन मुद्दों पर बहस हो रही है, चुनाव का संबंध इन सबसे होता है।”
#Breaking on INDIA UPFRONT with Rahul Shivshankar | @RahulGandhi stokes fresh controversy in an interview to an academic. Says, ‘Gaddafi & Saddam Hussein won elections too’.
Remark sparks faceoff as BJP hits back saying, ‘Don’t insult Indian democracy’. pic.twitter.com/0QMyy0RL0D
— TIMES NOW (@TimesNow) March 16, 2021
चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठाते रहे है सवाल
कांग्रेस जब भी कोई चुनाव हारती है तो हार का ठीकरा ईवीएम मशीन पर लगा देती है और जीतने पर चुप्पी साध लेती है। सत्ता से बाहर होने के बाद कांग्रेस ने हर हार के लिए ईवीएम में छेड़छाड़ के आरोप लगाए, लेकिन जब चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को साबित करने की चुनौती दी तो राहुल गांधी समेत कोई भी कांग्रेसी नेता पहुंचा ही नहीं। कांग्रेस ने पक्षपात के आरोप लगाए, हालांकि वह कभी साबित नहीं कर पाई। पिछले छह साल में कई वाकये ऐसे आए जब कांग्रेस ने हारने के बाद चुनाव आयोग पर ठीकरा फोड़ दिया,लेकिन जीत पर चुप्पी साध ली।
जस्टिस लोया मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर सवाल
जस्टिस लोया मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाते हुए सख्त टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ”याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे, इंदिरा जयसिंह और प्रशांत भूषण ने न्यायपालिका पर एक फौजदारी हमला शुरू कर दिया और एससी के तीन न्यायिक अधिकारियों को अविश्वसनीय बताया, जो लोया के साथ नागपुर गए थे, उनके साथ एक गेस्ट हाउस में रहे और कहा गया कि लोया दिल का दौरा पड़ने से मर गए। तर्कों के दौरान वकीलों ने एससी के न्यायाधीशों की ओर संस्थागत सभ्यता नहीं बनाए रखा और गलत आरोप लगाया। ऐसे मामलों में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करना आदर्श होगा, जहां न्यायपालिका को बदनाम करने के लिए एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता अदालत में लाई जाती है।”
जाहिर है देश की सुप्रीम अदालत इस बात से आहत है कि उसे राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
मक्का ब्लास्ट मामले में हाई कोर्ट के निर्णय पर सवाल
हिन्दू आतंकवाद का शब्द गढ़कर समूचे हिन्दू धर्म को बदनाम करने वाली कांग्रेस ने मक्का ब्लास्ट पर भी हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठा दिए। कांग्रेस ने इस तथ्य को छिपाने की कोशिश की कि उसके द्वारा ‘क्रिएटेड’ गवाह ही अपने बयानों से मुकर गए।
रिजर्व बैंक पर सवाल उठाए
वर्ष 2016 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और वित्त मंत्रालय के तालमेल से देश में डिमोनिटाइजेशन का निर्णय लिया गया। देश में भ्रष्टाचार पर प्रहार के लिए लिया गया निर्णय कांग्रेस को रास नहीं आया और इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पर ही सवाल खड़ा कर दिया, जबकि ये एक संवैधानिक संस्था है, जो स्वायत्त है। आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल खत्म हुआ तो भी कांग्रेस ने उनकी सेवा को बरकरार रखने के लिए सरकार पर अनैतिक दबाव बनाने का भी काम किया।
सीएजी को कठघरे में खड़ा किया
2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला और कोयला घोटाला का जब से खुलासा हुआ तब से ही कांग्रेस ने संवैधानिक संस्था सीएजी पर ही हमला करना शुरू कर दिया। हालांकि जब जांच के दायरे में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस के कई सांसद और मंत्री आ गए तो कांग्रेस की बोलती बंद हो गई। दरअसल कांग्रेस ने सीएजी पर तब ये आरोप लगाए थे, जब केंद्र की सत्ता में खुद कांग्रेस की सरकार थी।
कांग्रेस ने सेना को भी नहीं बख्शा
कांग्रेस ने एक ओर जहां तत्कालीन आर्मी चीफ बिपिन रावत को ‘सड़क का गुंडा’ कहा तो वहीं दूसरी ओर सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाकर सेना का मनोबल तोड़ने की कोशिश की। इसी तरह जब सेना के मेजर गोगोई ने पत्थरबाज को जीप पर बांधकर सेना के दर्जनों जवानों की जान बचाई तो कांग्रेस ने इस पर भी राजनीति की। कांग्रेस ने अपनी ही सरकार के दौरान तत्कालीन आर्मी चीफ वीके सिंह की उम्र को लेकर विवाद खड़ा करने की कोशिश की। यहां तक कि उनपर देश में आर्मी रूल लगाए जाने की साजिश रचने तक के आरोप लगा दिए।
नीति आयोग के गठन पर भी उठाए सवाल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब योजना आयोग की जगह नीति आयोग बनाने का निर्णय लिया तो कांग्रेस ने इसका पुरजोर विरोध किया। हालांकि बदलते वक्त के साथ देश को नीति आयोग जैसी संस्था की जरूरत है, क्योंकि देश में ‘कांपिटिटिव कॉपरेटिव फेडरलिज्म’ के सिस्टम को अमल में लाया गया है। इसमें राज्यों की सहभागिता बढ़ी है और योजनाओं के निर्माण और उसके बजट में भी राज्य सरकारों का सीधा संबंध स्थापित हो सका है।
आइए अब एक नजर डालते हैं कांग्रेसी नेताओं की देश विरोधी मानसिकता पर-
राहुल ने ट्वीट में जम्मू-कश्मीर को दिखाया पाकिस्तान का हिस्सा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक ट्वीट में जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से को पाकिस्तान के हिस्से के तौर पर दिखा दिया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के कोरोना वायरस को लेकर किए गए ट्वीट में जम्मू-कश्मीर को पाक का हिस्सा दिखाए जाने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें लताड़ लगानी शुरू कर दी, जिसके बाद उन्होंने वह ट्वीट डिलीट कर दिया।
राहुल गांधी के बयान को पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में बनाया था हथियार
पाकिस्तान ने 27 अगस्त, 2019 को कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र (UN) में दिए अपने प्रस्ताव में राहुल गांधी के बयान का जिक्र किया। पाकिस्तान ने कश्मीर मामले में संयुक्त राष्ट्र को चिट्ठी लिखकर भारत की शिकायत की। इस चिठ्ठी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयानों का हवाला दिया। इस चिट्ठी में भारत पर कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन और हिंसा को बढ़ाने का आरोप लगाया। इमरान खान सरकार में मंत्री डॉ शिरीन मजारी ने यूएन को लिखी अपनी आठ पेज की चिट्ठी में पेज छह और आठ पर राहुल गांधी का जिक्र किया।
जम्मू-कश्मीर के डीडीसी चुनावों में अनुच्छेद 370 की बहाली का वादा
कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर की इकाई जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव में अनुच्छेद 370 की बहाली का वादा किया। जम्मू-कश्मीर में एक नया गठबंधन बना है- गुपकार गठबंधन। कांग्रेस भी गुपकार गठबंधन के समर्थन में है। इस गठबंधन में फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती की पार्टी समेत कश्मीर के कई दल शामिल हैं। गुपकार का मुख्य एजेंडा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 और 35-A बहाली है। गठबंधन के नेताओं का कहना है कि वो इस बहाली के लिए चीन से भी मदद लेने को तैयार हैं।
कश्मीर पर पाकिस्तान का समर्थन करने वाले देश तुर्की में खोला दफ्तर
देश में सिमट रही कांग्रेस ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देने वाले देश तुर्की में अपना दफ्तर खोला। अनादोलू एजेंसी की खबर के अनुसार तुर्की में यह दफ्तर को इस्ताम्बुल में खोला गया। मोहम्मद युसूफ खान को इस दफ्तर की जिम्मेदारी सौंपी गई। पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि मोहम्मद युसुफ खान तुर्की में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे। तुर्की ने यूएन में ना सिर्फ कश्मीर मुद्दा उठाकर भारत के आंतरिक मामले में दखल दिया था बल्कि कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन की बात भी कही थी।
मुस्लिम बहुल है इसलिए हटाया 370- चिदंबरम
पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने एक विवादित बयान देकर कश्मीर मामले को धार्मिक रंग देने की कोशिश की। साल 2014 में सत्ता से बाहर होने के बाद से ही कांग्रेसी नेता बौखलाए रहते हैं और हर बात को तुष्टिकरण की दृष्टि से देखते हैं। जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील मामले पर गैरजिम्मेदाराना बयान देते हुए उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करके हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेला है। यदि जम्मू-कश्मीर हिंदू बहुल राज्य होता तो भाजपा इस राज्य का विशेष दर्जा नहीं छीनती। ऐसा केवल इसलिए किया क्योंकि यह मुस्लिम बहुल है।
मोदी-शाह ने कश्मीर को बना दिया फिलीस्तीन- अय्यर
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने फिर पाकिस्तान समर्थित बयान दिया। मणिशंकर अय्यर ने एक आलेख में लिखा कि नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने देश के उत्तरी बॉर्डर पर एक फिलीस्तीन बना दिया है। मोदी-शाह ने ये पढ़ाई अपने गुरु बेंजामिन नेतान्याहू और यहूदियों से ली है। मोदी और शाह ने इनसे सीखा है कि कश्मीरियों की आजादी, गरिमा और आत्मसम्मान को कैसे रौंदना है? उन्होंने लिखा है कि अच्छे दिन की बजाय, संसद ने जो तय किया है वह घाटी में एक लंबी और अंधेरी रात है, और शायद देश के बाकी हिस्सों में भी ऐसा होगा।
हाथ से निकल जाएगा कश्मीर- दिग्विजय सिंह
सीनियर कांग्रेस लीडर और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ने भी देश विरोधी बयान देते हुए कहा कि कश्मीर देश के हाथों से फिसल सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और अजीत डोवाल ने अपने हाथ आग में झुलसा लिए हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा कि कश्मीर बचाना हमारी प्राथमिकता है। मैं अनुरोध करता हूं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और अजीत डोवाल से कि सोच समझकर काम करें अन्यथा कश्मीर अपने हाथ से निकल जाएगा।
पाकिस्तानी मीडिया में कांग्रेसी नेताओं की चर्चा
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेसी सांसदों के भाषण पाकिस्तानी मीडिया में छाए रहे। पाकिस्तानी न्यूज चैनल डिबेट में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद और पी चिदंबरम के भाषणों पर चर्चा होती रही। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने चर्चा के दौरान कहा कि जम्मू-कश्मीर के मसले पर यूएन निगरानी कर रहा है, ऐसे में ये आंतरिक मामला कैसे हो सकता है।
इसके अलावा भी कई और ऐसी घटनाएं हैं, जिनसे साबित होता है कि कांग्रेस पार्टी की मानसिकता राष्ट्रविरोधी रही है-
पाकिस्तानी मीडिया ने पुलवामा हमले पर राहुल के झूठ का लिया सहारा
पाकिस्तानी अखबार Tribune express ने राहुल गांधी के पुलवामा से संबंधित दिए गए बेमतलब के बयान को आधार बनाकर खबर प्रकाशित की कि पुलवामा पर राहुल गांधी के तीन सवाल जायज हैं। अगर भारतीय अधिकारी राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों का ईमानदार जवाब देते हैं, तो पुलवामा हमले के आसपास के रहस्य को निश्चित रूप से सुलझाया जा सकता है। PTV News ने भी राहुल गांधी के उस ट्वीट को रिट्वीट किया है, जिसमें राहुल गांधी खुद झूठ की वकालत करते हुए भारत को बदनाम कर रहे हैं।
पुलवामा और मुंबई हमले पर किया पाकिस्तान का बचाव
कांग्रेसी और उसके सहयोगी नेता आतंकियों और संदिग्ध संगठनों से साठगांठ और सहानुभूति रखने के लिए हमेशा से ही चर्चित रहे हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद राहुल गांधी के करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने बालाकोट हवाई हमले पर सवाल खड़े कर दिए। पित्रोदा ने पुलवामा हमले के साथ मुंबई हमले पर पाकिस्तान का बचाव करते हुए कहा कि इसके लिए आप पूरे देश को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं।
राहुल ने आतंकी सरगना मसूद अजहर को कहा ‘जी’
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुलवामा अटैक की जिम्मेदारी लेने वाले पाक समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को आदर के साथ जी कहकर संबोधित किया। दिल्ली में कांग्रेस के बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में राहुल गांधी ने आतंकी सरगना अजहर को जी कहकर संबोधित किया। इससे पहले कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह दुनिया के सबसे कुख्यात आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी कह चुके हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी जैश ए मोहम्मद के एरिया कमांडर अफजल गुरु को जी कह कर संबोधित किया था।
राहुल गांधी का देशद्रोही बयान!, कहा भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान पर आक्रमण किया
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उड़ीसा की एक जनसभा में ऐसा बयान दिया, जिसे देशद्रोह की श्रेणी में ही रखा जा सकता है। उड़ीसा के कारोपुट में जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पिछले दिनों भारत की वायुसेना ने पाकिस्तान पर आक्रमण किया था और इसमें हमारे लोग शहीद हुए थे। राहुल गांधी के बयान से साफ है कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह साबित करने पर तुले हुए हैं कि भारत की सरकार ने पाकिस्तान पर हमला किया था और वो अनुचित था। कांग्रेस के नेता बी के हरिप्रसाद तो यहां तक कह चुके हैं कि पुलवामा आतंकी अटैक पीएम मोदी और पाक पीएम इमरान की सांठगांठ का नतीजा था। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने पुलवामा अटैक को दुर्घटना करार दिया था और सरकार से बालाकोट हमले के सुबूत मांगे थे।
पाकिस्तान से अय्यर ने कहा – हमें ले आइए, मोदी को हटाइए
साल 2014 पहली बार मोदी सरकार बनने के कुछ ही महीने बाद कांग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में एक मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान जाकर पीएम मोदी को हटाने के लिए उसकी मदद मांगी थी। एक पाकिस्तानी चैनल के सामने उन्होंने इसके लिए लगभग पाकिस्तानी शासकों से गुहार तक लगाई थी।
पूर्व पीएम मनमोहन ने पाकिस्तान उच्चायुक्त से की गुप्त मंत्रणा
कांग्रेसा नेता मणिशंकर अय्यर ने जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘नीच आदमी’ कहा। उसके एक दिन पहले मणिशंकर अय्यर के घर पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और पाकिस्तान उच्चायुक्त के हाई कमिश्नर ने हाई लेवल की गुप्त बैठकें कीं। इस गुप्त मंत्रणा के अगले ही दिन मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को गाली दे दी। इस पूरे वाकये में मनमोहन सिंह ने प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा दीं।
सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध
28-29 सितंबर, 2016 की रात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सेना द्वारा किया गया सर्जिकल स्ट्राइक देश के लिए गौरव का विषय था, लेकिन देशद्रोह पर उतर आई कांग्रेसी नेताओं ने इस पर भी सवाल खड़े कर दिए।कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सेना और प्रधानमंत्री पर सवाल खड़े करते हैं प्रधानमंत्री मोदी पर ‘खून की दलाली’ करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे। दिग्विजय सिंह ने भी सेना की इस घोषणा पर सवाल खड़े किए। संजय निरूपम ने तो भारतीय सेना की पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की कार्रवाई को फर्जी बता दिया था।
डोकलाम मामले पर सरकार के स्टैंड का विरोध
भारत-चीन के बीच 73 दिनों तक सिक्किम से सटे डोकलाम क्षेत्र जबरदस्त तनातनी का माहौल रहा। इस कूटनीतिक और सैन्य तनाव पर दुनिया भर की नजरें गड़ी थीं। ऐसे में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी चोरी-छिपे भारत में मौजूद चीन के राजदूत लिओ झाओहुई से मिलने पहुंच गए। राहुल गांधी ने भारत की सेना या प्रधानमंत्री पर विश्वास करने की जगह चीनी राजदूत पर भरोसा किया।
राष्ट्रगान का विरोध
पिछले साल आजादी के 70वीं वर्षगांठ में जब यूपी सरकार ने सरकार से अनुदानित सभी संस्थाओं में राष्ट्रगान को अनिवार्य किया, तो कांग्रेस ने इसका विरोध किया। कांग्रेस से विधायक रहे माविया अली ने कहा हम पहले हम मुसलमान हैं, भारतीय बाद में है। कांग्रेस की राजनीति तो कोर्ट के उस आदेश पर भी निकल कर आई जिसमें सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान अनिवार्य कर दिया गया था।
JNU में राहुल ने दिया देशद्रोहियों का साथ
दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी JNU में भारत विरोधी नारे और देश को तोड़ने वाले नारे लगाते हुए पूरे देश ने देखा था, लेकिन देशविरोधी इन ताकतों की आलोचना करने के बजाए राहुल गांधी इनका समर्थन करने JNU पहुंच गए थे।
पत्थरबाजों का समर्थन करती है कांग्रेस
जब सेना के मेजर गोगोई ने पत्थरबाज को जीप पर बांधकर सेना के दर्जनों जवानों की जान बचाई तो कांग्रेस ने इस पर भी राजनीति की। जिस आतंकी बुरहान वानी को भारतीय सेना ने एनकाउंटर कर ढेर कर दिया उसे कांग्रेस पार्टी जिंदा रखने की बात कहती है। कश्मीर में पार्टी के नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि उनका बस चलता तो वह आतंकी बुरहान वानी को जिंदा रखते।
अफजल-याकूब का समर्थन करती है कांग्रेस
संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर भी कांग्रेस ने पॉलटिक्स की थी। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा था कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देना गलत था और उसे गलत तरीके से दिया गया। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने अफजल गुरु को अफजल गुरुजी कहकर पुकारा था। इतना ही नहीं यही कांग्रेस है जिनके नेताओं ने याकूब मेनन की फांसी पर भी आपत्ति जताई थी। काग्रेस नेताओं के समर्थन पर ही प्रशांत भूषण ने रात में भी सुप्रीम कोर्ट खुलवा दिया था।
कश्मीर के अलगावादियों से कांग्रेस के हैं रिश्ते
कश्मीर में अलगाववादी नेताओं को लगातार उनके पाकिस्तानी आकाओं से मदद मिलती रही है और वह यहां कश्मीरी लड़कों को भड़काते हैं। NIA की की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से लेकर 2011 के बीच अलगाववादियों को ISI की ओर से लगातार मदद मिल रही थी। 2011 में NIA की दायर चार्जशीट के अनुसार हिज्बुल के फंड मैनेजर इस्लाबाद निवासी मोहम्मद मकबूल पंडित लगातार अलगाववादियों को पैसा पहुंचा रहा था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस पर कोई कठोर निर्णय नहीं लिया था।
रोहिंग्या मुसलमान पर विरोध
रोहिंग्या मुसलमान पूरी दुनिया के लिए समस्या हैं। म्यांमार इन्हें आतंकवादी बताकर अपने देश में रखने को तैयार नहीं है। बांग्लादेश भी रखने से इनकार कर चुका है, लेकिन जहां कांग्रेस कश्मीर के हिन्दू पंडितों को उसका अधिकार देने के लिए तैयार नहीं हुई, वहीं इन आतंकवादियों को भारत में रखने की वकालत की। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तरुण गोगोई ने कहा था कि धर्म के आधार पर शरणार्थियों के साथ भेदभाव हो रहा है और यह वह लोग हैं जिन पर अत्याचार हो रहा है। गोगोई ने कहा कि उनके देश में उनके मानवाधिकार का हनन हो रहा है तो वह डर के वहां से भाग कर भारत आ रहे हैं।
कांग्रेसी नेताओं का ‘जहरीले’ जाकिर नाइक से नाता
इस्लामी कट्टरपंथी धर्म प्रचारक जाकिर नाइक से कांग्रेसी नेताओं के ताल्लुकात रहे हैं। जाकिर नाइक ने कई देशविरोधी कार्य किए, कई देशविरोधी भाषण दिए। वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने 15 जुलाई, 2016 को कहा कि वह इस्लाम का सही अर्थ और उद्देश्य का प्रचार कर रहे हैं जबकि भाजपा इस्लाम को आतंकवाद से जोड़कर पेश कर रही है। नाइक के साथ दिग्विजय सिंह 2012 में मंच साझा कर चुके हैं। इस इवेंट में दिग्विजय को जाकिर नाइक की तारीफों के पुल बांधते हुए सुना जा सकता है।
अहमद पटेल पर भी आतंकियों से रिश्तों के आरोप
गुजरात कांग्रेस के सबसे बड़े नेता और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे अहमद पटेल के तार भी आईएसआईएस आतंकियों से जुड़े होने के आरोप लगे थे। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने खुद कहा था कि जांच एजेंसियों के हत्थे चढ़ा आईएसआईएस का एक संदिग्ध आतंकी मोहम्मद कासिम अहमद पटेल से जुड़ी एक संस्था के लिए काम करता था।
कुख्यात आतंकियों के लिए आंसू और सम्मान
कांग्रेस के नेता कभी ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी कहते रहे हैं, तो कभी हाफिज सईद को हाफिज जी और अफजल गुरु को अफजल गुरु जी कहकर पुकारा है। दिग्विजय सिंह ने ओसामा बिन लादेन और हाफिज सईद को जी कहा तो रणदीप सुरजेवाला ने अफजल गुरु को जी कहा। बाटला हाउस एनकाउंटर में जब आतंकियों को मार गिराया गया तो कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया ने कथित रूप से आंसू तक बहाया।
आतंकी इशरत जहां के नाम पर भी कांग्रेस ने की राजनीति
15 जून 2004 को अहमदाबाद में एक मुठभेड़ में आतंकी इशरत जहां और उसके तीन साथी जावेद शेख, अमजद अली और जीशान जौहर मारे गए। गुजरात पुलिस के मुताबिक उनके निशाने पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी थे। लेकिन केंद्र की सत्ताधारी कांग्रेस सरकार को इसमें भी सियासत दिखी। सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जाने लगी। लेकिन गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि ने कांग्रेस की साजिशों की परतें खोल दीं। उन्होंने साफ कहा कि इशरत और उसके साथियों को आतंकी ना बताने का उन पर दबाव डाला गया था।
इससे पहले मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और कुछ दिनों के लिए इशरत जहां एनकाउंटर पर बनी एसआइटी की टीम मुखिया सत्यपाल सिंह ने भी कहा कि उन्हें इशरत जहां के एनकाउंटर झूठा साबित करने के लिए ही एसआइटी की कमान सौंपी गई थी। इतना ही नहीं उन्हें इस एनकाउंटर के तार नरेंद्र मोदी तक पहुंचने को कहा गया था।