प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार का एक ही मंत्र है सबका साथ, सबका विकास। प्रधानमंत्री हर जगह, हर मौके पर सबके साथ और सबके विकास की बात करते हैं। इसीलिए उनके लिए हर राज्य, हर क्षेत्र महत्वपूर्ण है। पूर्वोत्तर राज्य के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अलग से एक डेडिकेटेड मंत्रालय ही बना दिया है पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय। यह मोदी सरकार के एक्ट इस्ट पॉलिसी के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र को समर्पित मोदी सरकार की योजनाओं की एक झलक –
बांस को पेड़ बताने वाला कानून रद्द
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर राष्ट्रपति ने भारतीय वन (संशोधन) विधेयक को स्वीकार कर लिया। इस विधेयक के लागू होते ही जंगल से बाहर के क्षेत्रों के बांस को ‘वृक्ष’ की परिभाषा के दायरे से बाहर कर दिया। अब गैर वन क्षेत्रों में बांस को काटने के लिए वन विभाग से अनुमति लेने की जरूरत नहीं रह गई है। इससे बांस का आर्थिक रूप से इस्तेमाल करना आसान हो गया। इससे पहले भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत बांस को वैधानिक रूप से ‘वृक्ष’ के रूप में परिभाषित किया गया था। इसके कारण गैर किसानों द्वारा गैर वन जमीन पर बांस की खेती में बाधा आती थी।
जल प्रबंधन के लिए उच्च स्तरीय समिति
पूर्वात्तर क्षेत्र को बाढ़ आपदा से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर अक्टूबर में सरकार ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में पूर्वोत्तर क्षेत्र में जल प्रबंधन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। समिति पन बिजली, कृषि, जैव विविधता संरक्षण, बाढ़ से होने वाले मिट्टी के क्षरण में कमी लाने, अंतर्देशीय जल यातायात, वन, मछली पालन और ईको-पर्यटन के रूप में जल प्रंबधन के लाभों को बढ़ाने का काम करेगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय इसका समन्वय करेगा। समिति को अपनी रिपोर्ट जून, 2018 तक देने के लिए कहा गया है। प्रधानमंत्री इसी साल अगस्त में बाढ़ का जायजा लेने पूर्वोत्तर राज्य आए थे, तब उन्होंने 2000 करोड़ रुपये के बाढ़ राहत पैकेज की घोषणा की थी।
पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र के लिए समर्पित योजना
3 दिसंबर को डॉ. जितेन्द्र सिंह ने ‘पूर्वोत्तर पर्वतीय क्षेत्र विकास’ के लिए 90 करोड़ रुपये की घोषणा की। इस योजना की शुरुआत पायलेट आधार पर 2 साल के लिए पहले चरण में तामंगलांग जिले से हुई। नई दिल्ली में ‘पूर्वोत्तर हस्तशिल्प-सह-हथकरघा प्रदर्शनी-सह-बिक्री उत्सव’ का उद्घाटन करते हुए डॉ. सिंह ने कहा था कि पूर्वोत्तर जनकल्याण संबंधी समस्त लक्ष्यों के लिए पूर्वोत्तर राज्यों की पर्वतीय क्षेत्र विकास की मौजूदा योजनाओं में इस संबंध में प्रावधान किया जाना चाहिए। इससे पहले 5 जून, 2017 को इम्फाल (मणिपुर) में पूर्वोत्तर के लिए ‘पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम’ की घोषणा की थी। यह घोषणा पूर्वोत्तर विकास वित्त निगम लिमिटेड द्वारा आयोजित निवेशकों और उद्यमियों की बैठक के दौरान की गई थी। इसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय और मणिपुर सरकार ने भागीदारी की थी। इस योजना से मणिपुर, त्रिपुरा और असम के पर्वतीय क्षेत्रों को लाभ होगा।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए व्यापार शिखर सम्मेलन
पूर्वोत्तर क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने 16 नवंबर को नई दिल्ली में ‘12वां पूर्वोत्तर व्यापार शिखर सम्मेलन’ का आयोजन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में व्यापार अवसरों की संभावनाओं की पहचान करना था। इसके तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ संरचना और सम्पर्कता, कौशल विकास, वित्तीय समावेश, पर्यटन, सत्कार एवं खाद्य प्रसंस्करण संबंधी सेवा क्षेत्र विकास पर विशेष ध्यान दिया जाना है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र देश की पहली एयर डिस्पेंसरी
पूर्वोत्तर का पूरा क्षेत्र सुगम्य नहीं है। दूरदराज क्षेत्र में तुरंत पहुंचना सुलभ नहीं है। इसको देखते हुए भारत की पहली ‘एयर डिस्पेंसरी’ पूर्वोत्तर राज्य को मिला है। इसके तहत हेलीकॉप्टर के जरिये चिकित्सा सेवा दी जाएगी। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने इस पहल के लिए 25 करोड़ रुपये की आरंभिक धनराशि जारी कर दी है। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि मंत्रालय का प्रस्ताव मंजूर हो गया है। अब यह नागरिक विमानन मंत्रालय के पास है और इसकी प्रक्रिया अंतिम चरणों में है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र की संस्कृति के प्रसार के लिए दिल्ली में केंद्र
पूर्वोत्तर क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए दिल्ली में एक पूर्वोत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक एवं सूचना केन्द्र स्थापित करने की घोषणा 16 अगस्त 2017 को हुई। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने पूर्वोत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक एवं सूचना केन्द्र की स्थापना के उद्देश्य से पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) को लगभग 6 करोड़ रूपये की लागत से नई दिल्ली के द्वारका सैक्टर 13 में 5341.75 वर्ग मीटर (1.32 एकड) क्षेत्रफल भूमि आवंटित किया है। यह केन्द्र दिल्ली में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक सांस्कृतिक एवं सम्मेलन/सूचना हब के रूप में कार्य करेगा।
जेएनयू और बंगलुरू विवि में पूर्वोत्तर विद्यार्थियों के लिए नया छात्रावास
पूर्वोत्तर क्षेत्र से बाहर किसी भी अन्य राज्य की तुलना में उत्तर-पूर्व के छात्रों की संख्या जेएनयू में सबसे अधिक है। जेएनयू में लगभग 8 हजार से अधिक छात्र हैं। इसे देखते हुए 24 जुलाई 2017 को नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में बराक छात्रावास का शिलान्यास किया गया। पिछले वर्ष बंगलुरू विश्वविद्यालय में भी विशिष्ट रूप से पूर्वोत्तर क्षेत्र की छात्राओं के लिए एक छात्रावास का शिलान्यास किया गया था।
डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए टोका पैसा ई वॉलेट
राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह तथा असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनवाल ने 11 जनवरी, 2017 को गुवाहाटी में डीजी धन मेला का उद्घाटन किया था। तब कैशलेस अर्थव्यवस्था की पहल के तहत ‘’टोका पैसा’’ ई वॉलेट का उद्घाटन किया। इसे पूर्वोत्तर में रहने वाले लोगों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था।
पूर्वोत्तर क्षेत्र स्टार्टअप के लिए वेंचर की स्थापना
पूर्वोत्तर क्षेत्र में उद्यमिता और स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने के लिए ‘’नॉर्थ ईस्ट कॉलिंग’’ उत्सव 9 दिसम्बर, 2017 में नई दिल्ली में आयोजन हुआ। इस अवसर पर 100 करोड़ रुपए की प्रारंभिक पूंजी से ‘’नॉर्थ ईस्ट वेंचर फंड’’ को लॉंच किया गया। इस कोष को पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय और उत्तर पूर्व वित्त विकास कॉर्पोरेशन का संयुक्त उद्यम है। उत्तर पूर्व भारत में सतत पोषणीय पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए उत्तर पूर्व पर्यटन विकास परिषद का भी गठन किया गया।
ट्युरिअल जल विद्युत परियोजना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16 दिसंबर, 2017 को मिजोरम में 60 मेगावॉट की ट्युरिअल जल विद्युत परियोजना राष्ट्र को समर्पित किया। 1302 करोड़ रुपए की लागत की यह परियोजना मिजोरम में स्थापित सबसे बड़ी परियोजना है। इससे राज्य का संपूर्ण विकास और केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी और प्रमुख कार्यक्रम “सभी को सातों दिन चौबीसों घंटे किफायती स्वच्छ ऊर्जा” के लक्ष्य को पूर्ण किया जा सकेगा। परियोजना से अतिरिक्त 60 मेगावाट बिजली प्राप्त होने के साथ ही मिजोरम राज्य अब सिक्किम और त्रिपुरा के बाद पूर्वोत्तर भारत का तीसरा बिजली सरप्लस वाला राज्य बन जाएगा।
पूर्वोत्तर की अर्थक्रांति का आधार भूपेन हजारिका पुल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मई, 2017 को असम के ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक लोहित नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल का उद्घाटन किया। पीएम ने इस पुल का नाम विश्व प्रसिद्ध लोकगायक भूपेन हजारिका सेतु रखने की घोषणा की थी। इस पुल की महत्ता को बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि यह पुल न सिर्फ असम और अरुणाचल को जोड़ने की कड़ी के रूप में काम करेगा बल्कि यह पूरे पूर्वोत्तर की अर्थक्रांति का आधार बनेगा। असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाले 9.15 किलोमीटर लंबे पुल के बन जाने से दोनों प्रदेशों के बीच की यात्रा का समय छह घंटे से कम होकर मात्र एक घंटा रह गया है। इस पुल के चालू होने से असम और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग के लिए संपर्क सुनिश्चित हो गया है। इससे रोजाना लगभग 10 लाख रुपए की पेट्रोल और डीजल की बचत होने लगी है। अभी तक यहां ब्रह्मपुत्र नदी को पार करने के लिए केवल दिन के समय नौका का ही उपयोग किया जाता था और बाढ़ के दौरान यह भी संभव नहीं होता था।
विनाशकारी बाढ़ से मुक्ति के लिए शोध परियोजना
प्रधानमंत्री ने ब्रह्मपुत्र और विनाशकारी बाढ़ में उसकी भूमिका का अध्ययन करने के लिए एक शोध परियोजना के लिए 100 करोड़ रुपये का कोष स्थापित करने की घोषणा की है। इस परियोजना के लिये एक उच्चाधिकार समिति होगी, जिसमें वैज्ञानिक, शोधकर्ता, इंजीनियर शामिल होंगे। वे नदी के बारे में अध्ययन करेंगे और बाढ़ से निपटने के उपाय सुझाएंगे। यह दीर्घकालिक परियोजना होगी।
पूर्वोत्तर राज्य को विशेष पैकेज
केंद्र सरकार स्वयं सहायता समूहों, विशेषकर महिला स्वयं सहायता समूहों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। दिसंबर 2015 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एक विशेष पैकेज की मंजूरी दी। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के क्रियान्वयन को रफ्तार देना है, जिसके अंतर्गत 2023-24 तक पूर्वोत्तर राज्यों के दो-तिहाई ग्रामीण परिवारों को कवर करने का लक्ष्य है।
मेघालय में फुटबॉल स्टेडियम
मेघालय में मिशन फुटबॉल का उद्देश्य जमीनी स्तर की प्रतिभाओं को सामने लाना और उन्हें निखारने व बच्चों और युवाओं को पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी के तौर पर सामने लाना है। इसमें केंद्र सरकार का पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय मदद कर रहा है। इस मंत्रालय के सहयोग से मेघालय में 38 करोड़ रुपये की लागत से फुटबॉल स्टेडियम बनाया गया है।
डॉपलर वेदर रडार से पूर्वोत्तर क्षेत्र को विशेष रूप से फायदा
दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश चेरापूंजी में होती है। चेरापूंजी में 27 मई, 2017 को पीएम मोदी ने डॉपलर वेदर रडार को राष्ट्र के नाम समर्पित किया। इस रडार प्रणाली से विशेषकर पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए बेहतर मौसम अनुमान जारी करना संभव होगा। इससे खराब मौसम से होने वाले नुकसान को न्यूनतम करने में मदद मिलेगी, क्योंकि सौंदर्य और रोमांच की इस धरती को भारी बारिश और भूस्खलन के कारण तमाम प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है।
रेल नेटवर्क से जुड़े पूर्वोत्तर राज्य
मोदी सरकार अब तक पूर्वोत्तर में रेल नेटवर्क के विकास पर 10 हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। इस वित्तीय वर्ष में रेलवे मंत्रालय की योजना 5 हजार करोड़ रुपए खर्च करने की है। नवंबर, 2014 में मेघालय और अरुणाचल प्रदेश भारत के रेल मानचित्र पर आ चुके थे। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला को इसी साल ब्रॉड गेज रेलवे लाइन से जोड़ा गया। अब मणिपुर और मिजोरम जैसे राज्यों को भी ब्रॉड गेज यात्री ट्रेनों से जोड़ने का काम तेजी से हो रहा है।
पूर्वोत्तर के राजमार्ग के विकास के लिए विशेष निगम
पूर्वोत्तर क्षेत्र में राजमार्गों के विकास के लिए एक विशेष निगम ‘राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम’ की स्थापना की गई है। इसका उद्देश्य क्षत्र के हर जिले को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ना है। यह निगम ब्रह्मपुत्र नदी पर तीन नए पुलों का निर्माण कर रहा है। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में 34 सड़क परियोजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है, जिसमें 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से 1,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हो रहा है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र को मिलेगा 19 राष्ट्रीय जलमार्ग
केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर में 19 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में विकसित करने की घोषणा की है।
सिक्किम जैविक राज्य घोषित
पूर्वोत्तर क्षेत्र में भारत की जैविक फूड बास्केट बनने की तमाम संभावनाएं हैं। इससे किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। इसको देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने सिक्किम को देश का पहला जैविक राज्य घोषित किया है। दूसरे पूर्वोत्तर राज्य को सिक्किम से सीखने की आवश्यकता है।
ऊर्जा के लिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए कटिबद्ध
पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी राज्य को 24 घंटे बिजली मिले। इसके लिए नरेन्द्र मोदी की सरकार आगे बढ़कर काम कर रही है। इसके लिए केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र में भारी निवेश कर रही है। पूरे आठ पूर्वोत्तर राज्यों में बिजली के लिए दो बड़ी परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जिन पर 10 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी।
दूरसंचार के लिए केंद्र की विशेष योजना
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मोदी सरकार 5,300 करोड़ रुपये की लागत से एक व्यापक दूरसंचार योजना लागू कर रही है। अगरतला बांग्लादेश के कॉक्स बाजार के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय गेटवे से जुड़ने वाला देश का तीसरा शहर है। इससे जहां दूरसंचार संपर्क में सुधार हुआ है, वहीं क्षेत्र के आर्थिक विकास को रफ्तार मिलेगी।