प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 अगस्त को ‘बायोफ्यूल डे’ के मौके पर बायोफ्यूल की अहमियत बताते हुए इससे जुड़ा किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया कि एक शहर में नाले किनारे ठेला लगाने वाला आदमी कैसे नाले से निकलने वाली गैस का इस्तेमाल कर ठेले पर चाय बनाने लगा। दरअसल पीएम मोदी ने इस किस्से के जरिये उन छोटे-छोटे प्रयासों की सराहना की जिसके आधार पर अपनी सूझ-बूझ से एक गरीब व्यक्ति ने अपने जीवन को आसान बनाया। हालांकि अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों को यह बात समझ नहीं आई, और इस वाकये का का उपहास करने लगे। इस वाकये के दो दिन बाद पूरी प्लानिंग के साथ इस मुद्दे को उछाला गया।
सबसे पहले 12 अगस्त की सुबह 7.12 बजे Nikhil @nikhil_thatte ने ट्वीट किया-
”ये व्यक्ति बिना स्क्रिप्ट के कुछ नहीं बोल पाता है और वह खुद का पोगो चैनल शुरू कर सकता है।”
इसके बाद shahid siddiqui@shahid_siddiqui ने 12 अगस्त की रात 8.28 बजे ट्वीट किया–
”ओह गॉड, क्या शानदार विचार है। अब मुझे पता चला है कि वह इतना महान नेता क्यों हैं। देश के लिए गटर अर्थव्यवस्था/गटर नौकरियां/गटर विचार।”
फिर Sagarika GhoseVerified account@sagarikaghose जो कि राजदीप सरदेसाई की पत्नी हैं और मोदी विरोध का एजेंडा चलाती हैं, उन्होंने 12 अगस्त की रात 8.54 बजे ट्वीट किया-
”क्या शानदार वैज्ञानिक खोज! क्या पश्चिम के वैज्ञानिकों ने अभी तक इस चमत्कार की खोज की है?’’
इसके 8 मिनट बाद ही Arvind KejriwalVerified account@ArvindKejriwal ने 9.02 बजे ट्वीट कर अपना ‘ज्ञान’ जाहिर करते हुए ट्वीट किया-
”इसीलिए कहते हैं कि देश का प्रधानमंत्री पढ़ा लिखा ही होना चाहिए।”
जाहिर है यह अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों का मानसिक दिवालियापन ही है जो उस गरीब व्यक्ति की बुद्धिमानी की तारीफ नहीं कर उनपर तंज कस रहे हैं।
बहरहाल हमने इसके बाद उस खबर की पड़ताल की तो यह सच्चाई भी सामने आ गई। प्नधानमंत्री मोदी ने जिनका जिक्र किया था वह सच्ची खबर है।
17 दिसंबर, 2014 को छत्तीसगढ़ खबर.com नाम की वेबसाइट पर प्रकाशित है।
15 जून, 2013 की भी एक THE HINDU अखबार के पोर्टल पर भी एक खबर प्रकाशित है।
2 जून, 2012 का एक वीडियो भी यू ट्वूब पर है जिसमें बताया गया है कि कैसे बायोगैस डिजेस्टर बनाया जा सकता है।