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पीएम मोदी का सपना होगा साकार, 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य हासिल करेगा भारत, प्रदूषण से मिलेगी राहत

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दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण से लोग काफी परेशान है और फिलहाल इससे राहत मिलती भी नजर नहीं आ रही है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसके स्थायी समाधान का सपना देखा है। उनके नेतृत्व में भारत जलवायु परिवर्तन और बढ़ते प्रदूषण से लोगों को राहत देने के लिए अक्ष्य ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में दुनिया में प्रभावी भूमिका निभा रहा है। अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी के एक अध्ययन से इसकी पुष्टि हुई है। यह अध्ययन हाल ही में ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा को मान्यता देता है कि भारत 2030 तक 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता स्थापित कर लेगा। इससे भारत अपनी दोगुनी बिजली की मांग को पूरा करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सक्षम होगा।

अक्षय ऊर्जा से बिजली की लागत में 8 से 10 प्रतिशत तक कमी आ सकती है और यह 2020 के स्तर पर 2030 तक अपनी बिजली आपूर्ति की कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को 43 से 50 प्रतिशत तक कम करने में सक्षम होगा। अध्ययन में पाया गया है कि पिछले एक दशक में सौर ऊर्जा के साथ-साथ लचीले संसाधनों, जैसे बैटरी भंडारण की लागत में कमी आई है, इससे भारत को अगले दशक में अपनी बढ़ती बिजली आवश्यकताओं को मज़बूती से पूरा करने में आसानी होगी। हालांकि अध्ययन में कहा गया है कि इसके लिए बैटरी भंडारण, पवन और सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की लागत में गिरावट जारी रखनी होगी। एलबीएनएल का कहना है कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत के लक्ष्य महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है।

कार्बन मुक्त स्रोतों से 50% बिजली आपूर्ति  

मोदी सरकार ने 2022 तक 175 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया है, जो वर्तमान में 100 गीगावॉट से बढ़कर 2030 तक 500 गीगावॉट हो जाएगा। अध्ययन से पता चलता है कि यदि भारत 2030 के लक्ष्य को प्राप्त करता है, तो उसकी बिजली आपूर्ति का 50 प्रतिशत कार्बन मुक्त स्रोतों से आ सकता है, जबकि 2020 में यह केवल 25 प्रतिशत था। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के गठन में भारत की अहम भूमिका है। इसमें सम्मिलित करीब 121 देश जीवाश्म ईंधनों से इतर अक्ष्य ऊर्जा के विकल्पों को अपनाने के लिए एकजुट हुए हैं।

प्रदूषण का समाधान और रोजगार सृजन

भारत अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य की तरफ तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है। अक्षय ऊर्जा से वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी। कोयले और गैस से बनने वाली बिजली से जो प्रदूषण होता है अक्षय ऊर्जा उसका समाधान है और इसमें रोज़गार के अवसर भी हैं। ऐसे समय में जब सरकार के सामने रोज़गार की चुनौती है। मोदी सरकार अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दे कर बिजली क्षेत्र में रोज़गार पैदा कर रही है। एक अध्ययन के अनुसार अक्षय ऊर्जा में पारंपरिक ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की तुलना में अधिक श्रम की ज़रूरत होती है। पनबिजली, सोलर और बायोमास से बनने वाली प्रत्येक मेगावॉट बिजली में नौकरी के अवसर अधिक हैं।

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