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गोवा पहले ही आजाद हो जाता, अगर सरदार पटेल लंबे समय तक जीवित रहते : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

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गोवा मुक्ति दिवस हर साल 19 दिसंबर को मनाया जाता है, गोवा को भारतीय सशस्त्र बलों ने वर्ष 1961 में पुर्तगाली शासन से मुक्त कराया था। इस मौके पर पणजी में हुए कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गोवा की आजादी के लिए लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की दिल खोलकर सराहना की।

पीएम मोदी ने कहा कि गोवा को पुर्तगालियों के चंगुल से मुक्ति दिलाने में गोवा के बाहर के लोगों ने भी भरपूर सहयोग दिया। पीएम मोदी ने कहा कि “जब गोवा की आजादी के लिए संघर्ष हुआ, तो सब मिलकर एक साथ लड़े, एक साथ संघर्ष किया था। यही भारत की पहचान है। यहां मत मतांतर का एक ही मतलब है- मानवता की सेवा। मानव मात्र की सेवा।‘

भारत की आजादी के बाद भी नहीं थमा गोवा मुक्ति का आंदोलन

गोवा को विदेशी अत्याचारियों से मुक्त कराने का आंदोलन भारत की आजादी के बाद भी तब तक नहीं थमा । जब तक गोवा के लोगों को पुर्तगालियों के दमन से मुक्ति नहीं मिल गई । इसकी सराहना करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ‘अमृत महोत्सव में देश ने हर एक देशवासी से ‘सबका प्रयास’ का आह्वान किया है। गोवा का मुक्ति संग्राम इस मंत्र का एक बड़ा उदाहरण है।‘

सरदार पटेल रहते तो पहले ही आजाद हो गया होता गोवा

गोवा मुक्ति दिवस के 60वें वार्षिकोत्सव के मौके पर गोवा के लिबरेशन में हुई देरी का मुद्दा भी उठा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि देश की विभिन्न रियासतों को एकजुट करने में तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल की बड़ी भूमिका थी और अगर वे कुछ दिनों तक और जीवित रहते तो गोवा पुर्तगाली शासन से बहुत पहले मुक्त हो गया होता।

हर काम में अव्वल रहने वाला, टॉप करने वाला राज्य है गोवा

केंद्र में नरेन्द्र मोदी और गोवा में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की अगुवाई में प्रदेश जिस तेजी से विकास कर रहा है उसकी पीएम मोदी ने दिल खोल कर सराहना की है और कहा है कि गोवा की प्राकृतिक सुंदरता हमेशा से उसकी पहचान रही है। लेकिन अब यहां जो सरकार है, वो गोवा की एक और पहचान सशक्त कर रही है। ये नई पहचान है- हर काम में अव्वल रहने वाले, टॉप करने वाले राज्य की।

गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर को पीएम ने किया याद

गोवा मुक्ति दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर को याद करते हुए कहा कि गोवा की इन उपलब्धियों को, इस नई पहचान को जब मैं मजबूत होते देखता हूं तो मुझे मेरे अभिन्न साथी मनोहर पर्रिकर जी की भी याद आती है… गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मनोहर पर्रिकर का कार्यों की सराहना करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने राज्य की क्षमता को समझा और लोगों के कल्याण के लिए इसका पोषण किया।

न तो गोवा अपनी भारतीयता भूला और न ही भारत गोवा को भूला

पीएम मोदी ने कहा कि सदियों के बाद भी न तो गोवा अपनी भारतीयता भूला और न ही भारत गोवा को भूला। गोवा का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने याद दिलाया कि ‘भारत एक ऐसा भाव है, जहां राष्ट्र ‘स्व’से ऊपर होता है, सर्वोपरि होता है। जहां एक ही मंत्र होता है- राष्ट्र प्रथम। जहां एक ही संकल्प होता है- एक भारत, श्रेष्ठ भारत।‘ गोवा मुक्ति दिवस कार्यक्रम के दौरान मोदी ने गोवा को आजाद कराने के लिए भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन विजय के में शामिल भूतपूर्व सैनिकों के साथ स्वतंत्रता सेनानियों  को भी सम्मानित किया। गोवा की पुर्तगाली शासन से मुक्ति के 60 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में हिस्सा लेने के लिए दोपहर बाद पीएम मोदी पणजी पहुंचे थे। जहां उन्होंने मीरामर में एक फ्लाई पास्ट और सेल परेड भी देखा।

गोवा का गौरवशाली इतिहास

गोवा पर पुर्तगालियों ने 450 सालों तक राज किया। लेकिन भारतीय सेना के जांबाज सिपाहियों ने महज 36 घंटों के भीतर गोवा को आजाद करा दिया। हलांकि इसके लिए देश को 14 साल इंतजार करना पड़ा। मुगल राज के दौरान मार्च 1510 में अलफांसो-द-अल्बुकर्क के नेतृत्व में पुर्तगालियों ने इस शहर पर आक्रमण किया था इसके बाद गोवा बिना किसी संघर्ष के पुर्तगालियों के कब्जे में आ गया। देश की आजादी के बाद भी गोवा पुर्तगालियों से आजादी के लिए संघर्ष करता रहा। हलांकि जब गोवा के राष्ट्रवादियों ने 1928 में मुंबई में ‘गोवा कांग्रेस समिति’ का गठन किया था तब से ही गोवा की आजादी का बिगुल बज गया था। 1946 में प्रमुख समाजवादी नेता डॉ.राम मनोहर लोहिया ने गोवा के आंदोलन में नई जान फूंकी, जिससे आंदोलन को नई दिशा मिली। गोवा में भी आजादी की मांग जोर पकड़ी रही थी, आंदोलनकारियों ने 1954 के मध्य में दादर और नगर हवेली पर कब्जा कर लिया और वहां भारत समर्थक प्रशासन की स्थापना की।

19 दिसंबर, 1961 को आजाद हुआ गोवा

आजादी की इस मांग का समर्थन करते हुए भारतीय सेना ने 1961 में पहली बार गोवा पर हमला बोला। भारतीय सेना ने 2 दिसंबर को ‘गोवा मुक्ति’ अभियान शुरू कर दिया। 18 दिसंबर, 1961 से जमीनी कार्रवाई शुरू की गई। इस सैन्य अभियान को ‘ऑपरेशन विजय’ नाम दिया गया। जिसके बाद महज 36 घंटों में गोवा में पुर्तगाली शासन को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया गया। 19 दिसंबर, 1961 को तत्कालीन पुर्तगाली गवर्नर ने भारत के सामने समर्पण समझौते पर दस्तखत कर दिए और गोवा का पूरी तरह से भारत में विलय हो गया।

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