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पीएम मोदी ने केदारनाथ, बद्रीनाथ में किए दर्शन-पूजन, देशवासियों से स्थानीय उत्पाद खरीदने का आग्रह कर जीता दिल, ‘वोकल फॉर लोकल’ इस तरह बन रहा है जन आंदोलन

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उत्तराखंड के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (21 अक्टूबर 2022) को केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना की और विकास कार्यों का जायजा लिया। केदारनाथ में पीएम मोदी ने आदिगुरु शंकराचार्य समाधि स्थल के दर्शन किए। उन्होंने केदारनाथ, बद्रीनाथ व माणा में 3400 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया। इनमें केदारनाथ व हेमकुंड साहिब रोपवे और चीन सीमा से लगे माणा क्षेत्र में दो राजमार्गों से संबंधित योजनाएं शामिल हैं। बाबा केदार के भक्त प्रधानमंत्री ने सबसे पहले केदारनाथ पहुंचकर लगभग 946 करोड़ की लागत से बनने वाले अपने ड्रीम प्रोजेक्ट 13 किमी लंबे सोनप्रयाग-केदारनाथ रोपवे का शिलान्यास किया। साथ ही पुनर्निर्माण के तहत हो रहे कार्यों का जायजा लिया। परियोजना से जुड़े नेशनल हाईवे लॉजिस्टक मैनेजमेंट लिमिटेड के अभियंता ने बताया कि प्रधानमंत्री को वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी के माध्यम से परियोजना के बारे में जानकारी दी गई। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज बाबा केदार और बद्री विशाल के दर्शन करके मन प्रसन्न हो गया। जीवन धन्य हो गया। उन्होंने कहा कि माणा गांव, भारत के अंतिम गांव के रूप में जाना जाता है। लेकिन मेरे लिए सीमा पर बसा हर गांव, देश का पहला गांव है। पीएम मोदी ने कहा कि देश की सीमा पर बसे ये गांव हमारे देश के सशक्त प्रहरी हैं। इसके साथ ही उन्होंने वोकल फॉर लोकल का आह्वान करते हुए देशवासियों से स्थानीय उत्पाद खरीदने का आग्रह किया। वोकल फॉर लोकल आज देश में एक जन आंदोलन बन चुका है।

माणा के ‘सरस मेले’ में शामिल हुए मोदी, खास अंदाज में लोगों से की बात

उत्तराखंड के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (21 अक्टूबर 2022) को केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना की और विकास कार्यों का जायजा लिया। प्रधानमंत्री मोदी चीन सीमा पर स्थित भारत के अंतिम गांव माणा में सरस मेले में शामिल हुए। जहां उन्होंने लोकल उत्पाद के साथ-साथ स्थानीय संभावनाओं का भी जायजा लिया। यहां उन्होंने खास अंदाज में मेले में दुकान लगाने वालों से बात की। प्रधानमंत्री मेले में लगी दुकानों पर उत्पादों के बारे में जानकारी ली। इससे पहले लोगों ने पीएम का स्वागत रम्माण और पौणा नृत्य के साथ किया। प्रधानमंत्री को देखकर लोग काफी उत्साह में दिखे।

पीएम मोदी की देशवासियों से अपील, स्थानीय उत्पाद जरूर खरीदें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की सीमा से लगते देश के अंतिम गांव माणा में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं यहां की माताओं और बहनों को प्रणाम करता हूं जिस तरह के उत्पाद वह बना रही हैं, उसके लिए वह बधाई की पात्र हैं। मैं उन्हें देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ। इसके साथ ही उन्होंने इन स्थलों की यात्रा करने वाले लोगों से अपील की। उन्होंने कहा कि आज मैं देशवासियों से खासतौर पर यात्रियों से आग्रह करना चाहता हूं कि जब भी आप कहीं भी यात्रा पर जाएं वहां के उत्पाद जरूर खरीदें। अपनी यात्रा पर जितना पैसा खर्च करते हैं उसमें से पांच प्रतिशत भी अगर स्थानीय उत्पादों पर खर्च करेंगे तो ये स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम होगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पाद खरीदने से आपको संतोष होगा।

लोकल उत्पादों को मिलेगी ग्लोबल पहचानः पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इससे पहले भी स्थानीय उत्पाद खरीदने के लिए देशवासियों को प्रेरित करते रहे हैं। उन्होंने दो साल पहले 2020 में स्थानीय उत्पादों के इस्तेमाल के साथ ही उन्हें अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने पर भी जोर दिया था। इसके लिए उन्होंने ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ का मंत्र दिया। उन्होंने स्वदेशी उत्पाद खरीदने के साथ ही उनका गर्व से प्रचार करने की भी अपील की। उन्होंने हर वो चीज, जिसे आयात करने के लिए देश मजबूर है, वो भारत में ही कैसे बने और भविष्य में भारत उसका निर्यातक कैसे बने, इस दिशा में तेजी से काम करने पर बल दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “आज हमारे पास साधन है, हमारे पास सामर्थ्य है, हमारे पास दुनिया का सबसे बेहतरीन टैलेंट है, हम बेस्ट प्रोडक्ट बनाएंगे, अपनी क्वालिटी और बेहतर करेंगे, सप्लाई चेन को और आधुनिक बनाएंगे, ये हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे।“

पीएम मोदी के वोकल फॉर लोकल अभियान के आह्वान के बाद खादी, खिलौना से लेकर कई सेक्टर को पंख लग गए और लाखों लोगों को रोजगार मिला है…

वोकल फार लोकल से खादी कारोबार को लगे पंख

खादी के कुर्ता-धोती व गमछा गुजरे जमाने की बात हो गई है। फैशन के इस दौर में भी खादी नेताओं तक सीमित नहीं है। अब माडल भी खादी की धोती व सूट में रैंप पर कैटवाक करते देखी जा सकती हैं। कलरफुल शर्ट व पैंट के अलावा मोदी कट जैकेट भी बाजार में है। खादी के फेब्रिक की भी बड़ी रेंज उपलब्ध है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की खादी खरीदने की लगातार अपील के कारण खादी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। देश भर में बड़े पैमाने पर खादी की बिक्री हो रही है। लोकप्रियता का असर यह है कि खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) ने एक अहम उपलब्धि हासिल करते हुए देश की सभी एफएमसीजी कंपनियों को पीछे छोड़ दिया है। केवीआईसी ने पहली बार 1.15 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया है। वित्त वर्ष 2021-22 में केवीआईसी ने 1,15,415.22 करोड़ रुपये का कारोबार किया है जो पिछले वर्ष यानी 2020-21 में 95,741.74 करोड़ रुपये की तुलना में 20.54 प्रतिशत ज्यादा है। इसके साथ ही वर्ष 2014-15 की तुलना में 2021-22 में खादी और ग्रामोद्योग क्षेत्रों में कुल उत्पादन में 172 प्रतिशत की भारी वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि इस अवधि के दौरान सकल बिक्री में 248 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। अकेले ग्रामोद्योग क्षेत्र में कारोबार 2021-22 में 1,10,364 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जबकि पिछले वर्ष यह 92,214 करोड़ रुपये था। पिछले 8 वर्षों में, 2021-22 में ग्रामोद्योग क्षेत्र में उत्पादन में 172 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि बिक्री में 245 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। खादी ई-पोर्टल, खादी मास्क, खादी फुटवियर, खादी प्राकृतिक पेंट और खादी हैंड सैनिटाइज़र आदि का शुभारंभ, नई प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) इकाइयों की रिकॉर्ड संख्या की स्थापना, नए स्फूर्ति क्लस्टर, स्वदेशी’ के लिए सरकार की पहल और खादी आयोग का अर्धसैनिक बलों के सामाग्री की आपूर्ति करने के ऐतिहासिक समझौते से महामारी के इस दौर में केवीआईसी के कारोबार में वृद्धि हुई।

प्रधानमंत्री मोदी की अपील पर फिदा हो जाते हैं देशवासी

प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार दो अक्टूबर, 2014 को मन की बात में देशवासियों से खादी खरीदने की अपील की थी। उसके बाद से अब तक खादी के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हो चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार, 25 जुलाई, 2021 को मन की बात में एक बार फिर खादी का जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में कहा, ”साल 2014 के बाद से ही ‘मन की बात’ में हम अक्सर खादी की बात करते हैं। ये आपका ही प्रयास है कि आज देश में खादी की बिक्री कई गुना बढ़ गई है। क्या कोई सोच सकता था कि खादी के किसी स्टोर से एक दिन में एक करोड़ रुपए से अधिक की बिक्री हो सकती है! लेकिन आपने ये भी कर दिखाया है। आप जब भी कहीं पर खादी का कुछ खरीदते हैं, तो इसका लाभ, हमारे गरीब बुनकर भाइयो-बहनों को ही होता है। इसलिए खादी खरीदना एक तरह से जन-सेवा भी है, देश-सेवा भी है।”

पीएम मोदी की अपील कर गई काम, खिलौना निर्यात में हुई 61 % वृद्धि

तीन-चार वर्ष पहले तक भारत खिलौने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था। खासतौर पर देश के खिलौना क्षेत्र पर चीन का बड़ा कब्जा था। भारत में 80 फीसदी से अधिक खिलौने चीन से आया करते थे। परंतु अब इसमें बहुत ही बड़ा बदलाव देखने को मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘वोकल फॉर लोकल’ का आह्वान भारत के खिलौना क्षेत्र को बदल रहा है। देश में खिलौना उद्योग तेजी से फलने-फूलने लगा है। महज तीन सालों के अंदर भारत में खिलौने के आयात में 70 फीसदी की कमी आई है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक तीन सालों में खिलौना आयात में 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। केवल इतना ही नहीं भारत अब दूसरे देशों को भी अपने बनाए गए खिलौने निर्यात कर रहा है। तीन सालों में खिलौने के निर्यात में 61 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है।

पीएम मोदी की भारतीय खिलौना की रीब्रांडिंग की अपील से बदला माहौल

अगस्त 2020 में ‘मन की बात’ के अपने संबोधन में पीएम मोदी ने ‘भारतीय खिलौना स्टोरी की रीब्रांडिंग’ की अपील की थी और घरेलू डिजाइनिंग को सुदृढ़ बनाने तथा भारत को खिलौनों के लिए एक वैश्विक विनिर्माण हब के रूप में बनाने के लिए बच्चों के लिए सही प्रकार के खिलौनों की उपलब्धता, खिलौनों का उपयोग सीखने के संसाधन के रूप में करने, भारतीय मूल्य प्रणाली, भारतीय इतिहास और संस्कृति पर आधारित खिलौनों की डिजाइनिंग करने पर जोर दिया था। तत्पश्चात भारतीय खिलौना उद्योग को सरकार की कई सारी प्रोत्साहन नीतियों से लाभ पहुंचा है और इसके परिणाम ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम की सफलता प्रदर्शित करती है। यही वजह है अब आयात मुख्य रूप से खिलौनों के कुछ कंपोनेंट तक सीमित रह गए।

हर घर तिरंगा: 500 करोड़ रुपये का हुआ बिजनेस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू किए गए हर घर तिरंगा अभियान ने वोकल फोर लोकल और आत्मनिर्भर भारत की मुहिम को बड़ा बूस्‍ट दिया। हर घर तिरंगा अभियान से देश भर में इस बार 30 करोड़ से अधिक राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री से करीब 500 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने कहा कि राष्ट्रभक्ति और स्व-रोजगार से जुड़े इस अभियान ने पूरे देश में लोगों के बीच देशभक्ति की भावना के साथ-साथ को-ऑपरेटिव व्यापार की बड़ी संभावनाएं खोल दी हैं। CAIT के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से फ्लैग कोड में पॉलिएस्टर और मशीनों से झंडे बनाने की अनुमति में किए गए बदलाव ने भी देश भर में झंडों की आसान उपलब्धता में बहुत योगदान दिया है। पहले भारतीय तिरंगे को केवल खादी या कपड़े में बनाने की अनुमति थी। ध्वज संहिता में इस संशोधन ने देश में 10 लाख से ज्‍यादा लोगों को रोजगार दिया, जिन्होंने अपने घर में या छोटे स्थानों पर स्थानीय दर्जी की सहायता से बड़े पैमाने पर तिरंगा झंडा बनाया।

होली के त्योहार पर स्वदेशी सामान का 20 हज़ार करोड़ रुपये से ज्‍यादा का कारोबार

भारत में स्‍वदेशी अपनाने और चाइनीज सामानों के बहिष्‍कार का असर इस साल होली पर देखने को मिला। कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि इस साल देश भर में होली के त्यौहार से संबंधित सामान का 20 हज़ार करोड़ रुपये से ज्‍यादा का कारोबार हुआ। CAIT की ओर से बताया गया कि करोना के सारे प्रतिबंध खत्म होने के बाद इस वर्ष होली के त्यौहार से दिल्ली सहित देश भर के व्यापारियों में एक नई उमंग और उत्साह का संचार हुआ। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष होली के त्योहारी सीजन में देश भर के व्यापार में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है जिसके कारण देश भर में 20 हज़ार करोड़ से ज़्यादा का व्यापार हुआ। इस व्‍यापार की सबसे खास बात रही कि चीनी सामान का न केवल व्यापारियों ने बल्कि आम लोगों ने भी पूर्ण बहिष्कार किया। होली से जुड़े सामान का देश में आयात लगभग 10 हजार करोड़ का होता है जो इस बार बिल्कुल नगण्य रहा। इस बार होली की त्योहारी बिक्री में चीन के बने हुए सामान का व्यापारियों और ग्राहकों ने बहिष्कार किया और केवल भारत में ही निर्मित हर्बल रंग, गुलाल, पिचकारी, ग़ुब्बारे, चंदन, पूजा सामग्री, परिधान सहित अन्य सामानों की जमकर बिक्री हुई।

वोकल फॉर लोकल की नीति से चीन हुआ चित, अब दिवाली पर देसी झालरों और लाइटिंग का बढ़ा दबदबा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी विजन से न सिर्फ देश चौतरफा विकास कर रहा है, बल्कि वोकल फॉर लोकल अभियान से आत्मनिर्भर भारत बनने की ओर बढ़ी तेजी से कदम बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री के इसी अभियान से युवाओं के जुड़ाव का नतीजा है कि दीपोत्सव के मौके पर कभी बाजारों में सौ फीसदी चाइनीज लाइटिंग का दबदबा अब ढलान की ओर है। चीन खुद भौंचक्का है कि आखिर कैसे भारतीयों ने उसके सस्ते और यूज एंड थ्रो उत्पादों को ठुकराना शुरू कर दिया है। इससे चीन की इकॉनामी को झटके लगने शुरू हुए हैं। अकेले दिवाली के मौके पर ही लाइटिंग के एक हजार करोड़ से ज्यादा के बाजार में चीनी दबदबा था। लेकिन पीएम मोदी के आह्वान के बाद अब भारतीय ग्राहक मेड इन इंडिया झालर पसंद कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के अटल इरादों और गलवान में चीन की हिमाकत के बाद से भारतीयों ने चाइनीज सामान की खरीदारी को ठुकराना शुरू कर दिया। इसी का नतीजा है कि दिवाली पर लाइटिंग बाजार में चीन का हालत खस्ता है। दिवाली नजदीक आते ही रोशनी के इस त्योहार के लिए लाइटिंग का बाजार सज गया है। 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के इस बाजार पर कई साल से चाइनीज प्रोडक्ट्स का 100 प्रतिशत कब्जा था। पीएम मोदी के आह्वान और गलवान संघर्ष के बाद चीन के प्रति उठा गुस्सा लोगों में कायम है। इसीलिए ग्राहक सस्ती और सजावटी चाइनीज लाइटिंग को ठुकराकर मेड इन इंडिया झालर पसंद कर रहे हैं। खास बात यह है कि जहां चीनी झालर की वारंटी नहीं होती, वहीं भारतीय झालर पर 3-4 सीजन की वारंटी दी जा रही है। सस्ते चीनी प्रोडक्ट्स का मुकाबला करने के लिए देसी कंपनियां वारंटी के साथ आई हैं। चीनी झालर पर जहां कोई वारंटी नहीं होती, वहीं स्थानीय झालरों पर 3 से 4 सीजन की वारंटी दी जा रही है। लोकल फॉर वोकल के साथ ही यह भी एक वजह है कि चीनी आइटम के ग्राहक भारतीय कंपनियों के प्रोडक्ट पर शिफ्ट हो रहे हैं। इस साल डिजाइनर लाइटिंग की डिमांड ज्यादा है और घरेलू कंपनियां अच्छी क्वालिटी के साथ ही अलग-अलग प्रकार की झालरें लेकर आई हैं। इसके अलावा, कलर चेंजिंग, रिमोट कंट्रोल्ड, मोबाइल और लैपटॉप से नियंत्रित होने वाली लाइटिंग की भी डिमांड है। इन लाइटिंग को देश में ही असेंबल किया जा रहा है।

पीएम मोदी ने 2014 में ही कर दी थी वोकल फॉर लोकल की शुरुआत

आमतौर पर लोग मानते हैं कि कोविड की आपदा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का आगाज किया तब से ही वोकल फॉर लोकल की मुहिम भी शुरू हुई। लेकिन नहीं, पीएम मोदी की सोच में ‘इंडिया फर्स्ट’ पहले दिन से महत्वपूर्ण बनी हुई है। प्रधानमंत्री मोदी ने 3 अक्टूबर 2014 को देश की जनता के साथ संवाद के लिए ‘मन की बात’ का एक अनूठा प्रयोग शुरू किया था। इसी पहले कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, “हम जब महात्मा गांधी की बात करते हैं, तो खादी की बात बहुत स्वाभाविक रूप से ध्यान में आती है। अगर आप खादी का वस्त्र खरीदते हैं तो एक गरीब के घर में दिवाली का दीया जलता है। कोशिश करें कि आपके घर में कम से कम एक चीज खादी की जरूर हो। यह एक छोटी कोशिश है, लेकिन आग्रहपूर्वक इसको करिए और देखिए गरीब के साथ आपको कैसा जुड़ाव का अहसास होता है।” प्रधानमंत्री की इस अपील ने तो ब्रांड खादी का ऐतिहासिक कायाकल्प किया ही, अब देश वोकल फॉर लोकल के मंत्र को आंदोलन बना चुका है। आत्मनिर्भर भारत अभियान ने इसे गति दी है। भारत के स्थानीय उत्पादों की खूबी है कि उनके साथ अक्सर एक पूरा दर्शन जुड़ा होता है। यही वजह है कि कोविड काल में ‘वोकल फॉर लोकल’ का आह्वान आज जन-जन की आवाज बन गई है और देश के लोग लोकल चीजों को खरीदने लगे हैं तो देसी उत्पाद भी ग्लोबल होने लगे हैं क्योंकि दुनिया भी इन स्थानीय उत्पादों की मुरीद हो रही है। स्थानीय वस्तुओं को लेकर जनजागरण का ही परिणाम है कि एक बार फिर खादी युवा पीढ़ी को गौरव दे रही है। आज खादी और हैंडलूम का उत्पादन कई गुना बढ़ा है और उसकी मांग भी बढ़ी है।

‘वोकल फॉर लोकल’ से रोजगार बढ़ेंगे, देश का पैसा देश में ही रहेगा

पीएम मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ का मंत्र देश की अर्थव्यवस्था और स्वदेशी से स्वावलम्बन का प्रभावी तंत्र साबित हुआ है। स्वदेशी आह्वान के माध्यम से हैंडलूम-हैंडीक्राफ्ट के क्षेत्र में भारत की पुश्तैनी विरासत को प्रोत्साहन मिला है और ‘हुनर हाट’ के जरिये दस्तकारों, शिल्पकारों, कारीगरों ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को शक्ति दी है। इसका सबसे अधिक प्रभाव कोरोना काल में विश्व की आर्थिक तंगी के दौरान पड़ा, जब स्वदेशी उत्पादनों ने भारतीय जरूरतों और अर्थव्यवस्था के लिए ‘सुरक्षा कवच’ का काम किया। साथ ही इसके माध्यम से दस्तकारों, शिल्पकारों और उनसे जुड़े लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर मुहैया कराने में सफलता मिली है। ‘वोकल फॉर लोकल’ से उत्पादन केंद्र पर ही उपभोग होने से, रोजगार बढ़ेंगे, आधारभूत संसाधनों सड़क, परिवहन अन्य पर दबाव कम होगा, उत्पादित माल खराब कम होगा और विकास केंद्रित न होकर सभी क्षेत्रों में समान रूप से होगा। परिणामतः देश में सरकार को अन्य विकास कार्यों के लिए अधिक धन, आधारभूत संसाधन व समय भी मिलेगा। ‘वोकल फॉर लोकल’ से लघु एवं छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे गरीब व मध्यम वर्ग तथा मजदूर वर्ग के लोगों को आगे बढ़ने में प्रोत्साहन मिलेगा। यह अर्थव्यवस्था के लिए कारगर सिद्ध होगा। जिस तरह देश में आज बहुत से स्टार्टअप और लोकल वस्तुओं का चलन हो रहा है इसका असर भविष्य में देखने को मिलेगा। अगर सभी भारतीय लोकल वस्तुओं का इस्तेमाल करने लग जाएं तो जो विदेशी कंपनियां कमाई का एक हिस्सा ले जाती हैं वह हिस्सा अपने देश में रह जाएगा। इससे आने वाले समय में देश की अर्थव्यवस्था को काफी फायदा होगा।

लोकल से ग्लोबलः देश के इन उत्पादों का पहली बार हुआ निर्यात

प्रधानमंत्री मोदी की योजना- एक जिला, एक उत्पाद ने स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। देश में पहली बार कई कलस्टरों से भी कृषि निर्यात हुए हैं। वाराणसी से ताजा सब्जियों और चंदौली से काले चावल का पहली बार निर्यात हुआ है। जिससे उस क्षेत्र के किसानों को सीधे लाभ मिला है। इसके अलावा देश के अन्य कलस्टरों जैसे नागपुर से संतरे, अनंतपुर से केले, लखनऊ से आम आदि भी निर्यात हुए हैं। भारतीय कृषि उत्पादों की इस सफलता में पहली बार निर्यात किए जाने वाले उत्पादों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये ऐसे उत्पाद हैं जिन्हें पहली बार देश से बाहर भेजा गया और अपनी गुणवत्ता की वजह से विदेशी बाजारों में धूम मचा दी है। पहली बार 4 हजार किलो आर्गेनिक- सांवा चावल और जौ डेनमार्क भेजे गए। असम से 40 मीट्रिक टन लाल चावल पहली बार अमेरिका को निर्यात किया गया। इसी तरह पूर्वोत्तर का बर्मी अंगूर और त्रिपुरा से दो खेपों में कटहल लंदन भेजे गए। इसी तरह पहली बार नगालैंड की 200 किलो ताजी किंग चिली लंदन भेजी गई। कानपुर के जामुन ने पहली बार में ही विदेशों में धूम मचा दी। जून-जुलाई 2021 में जामुन के 10 कंसाइनमेंट ब्रिटेन, ओमान और संयुक्त अरब अमीरात को निर्यात किया गया। इसी तरह भागलपुर से जर्दालु आम को भी पहली बार लंदन निर्यात किया गया। पहली बार कश्मीर की मिश्री चेरी दुबई को और हिमाचल प्रदेश के सेब को भी पहली बार बहरीन का बाजार मिला। छत्तीसगढ़ से 9 मीट्रिक टन सूखा महुआ पहली बार फ्रांस भेजा गया। अगर इन शुरुआत को देखा जाए तो भारत का किसान अब सिर्फ देश का ही नहीं, विश्व का भी पेट भर रहे हैं।

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