जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए ठोस कार्रवाई पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि यह कार्रवाई वैश्विक स्तर पर, बडे पैमाने पर और तेज गति से होनी चाहिए। लीडर्स जलवायु शिखर सम्मेलन को वीडियो कॉफ्रेंस के जरिए सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा हासिल करने का भारत का लक्ष्य हमारी प्रतिबद्धता दर्शाता है। उन्होंने कहा कि विकास संबंधी चुनौतियों के बावजूद हमने स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा सक्षमता, वन लगाने और जैव-विविधता की रक्षा के लिए अनेक ठोस उपाय किए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर अमरीका-भारत साझेदारी की घोषणा की है। श्री मोदी ने भारत-अमरीका जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 साझेदारी के शुभारंभ की घोषणा की। यह साझेदारी सुलभ, हरित वित्त यानी पर्यावरणीय सुधार पर निवेश और स्वच्छ प्रौद्योगिकी तक विकासशील देशों की पहुंच के लिए प्रतिमान बन सकती है। उन्होंने कहा कि साथ मिलकर हम निवेश और स्वच्छ प्रौद्योगिकी को बढावा देंगे और हरित पर्यावरण सहयोग बढाएंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वर्तमान में मानवता एक वैश्विक महामारी से जूझ रही है और ऐसे समय में यह कार्यक्रम हमें याद दिलाता है कि जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई हैं। वास्तव में, दुनियाभर के लाखों लोग जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रहे हैं। उनका जीवन और आजीविका पहले से ही इसके प्रतिकूल परिणामों का सामना कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन वैश्विक औसत से 60 प्रतिशत कम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारी जीवन शैली अब भी पारंपरिक प्रथाओं में निहित है। इसलिए, मैं जलवायु परिवर्तन से संबंधित कदम उठाने में जीवन शैली में बदलाव के महत्व पर जोर देना चाहता हूं। सतत जीवन शैली और “मूल की ओर लौटो” का मार्गदर्शक दर्शन कोविड के बाद के समय में हमारी आर्थिक रणनीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मैं महान भारतीय संत स्वामी विवेकानंद के शब्दों को दोहराना चाहता हूं। उन्होंने हमसे कहा था “उठो,जागो और तब तक न रुको जब तक कि लक्ष्य को हासिल न कर लो”। आइए मिलकर इस दशक में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ ठोस कदम उठाएं।
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