कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके परिवार द्वारा संचालित राजीव गांधी फाउंडेशन का एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। उत्तर प्रदेश के रायबरेली और बाराबंकी के पुस्तकालयों में किताबें मुहैया कराने और दूसरी सुविधाएं बढ़ाने के लिए अमेरिका के मेलिंडा गेट्स ट्रस्ट ने 2013 में राजीव गांधी फाउंडेशन को एक लाख डॉलर रुपए यानि करीब 63 लाख रुपये दान में दिए थे, लेकिन इस फंड में हेराफेरी की गई है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार बाराबंकी के लाइब्रेरियन का कहना है कि उन्हें कोई फंड नहीं मिला है, जबकि रायबरेली स्थित लाइब्रेरियन का कहना है कि उसे सिर्फ एक लाख रुपए प्राप्त हुए हैं।
Another donation to Rajiv Gandhi Trust under lens of probe agencies.
Rajiv Gandhi Trust received almost $1 lakh from Gates Foundation in 2013 to develop public libraries in Rae Bareli & Barabanki.
Siddhant, Madhavdas & Amir with details. pic.twitter.com/rPdtS6C1IG
— TIMES NOW (@TimesNow) July 16, 2020
Rajiv Gandhi Trust received almost $1 lakh from Gates Foundation in 2013 to develop public libraries in Rae Bareli & Barabanki.
Barabanki librarian told that ‘RGF hasn’t donated any funds’ & Rae Bareli librarian confirmed ‘only Rs 1 lakh donated by RGF so far’.Listen in. pic.twitter.com/E7INQBSwYC
— TIMES NOW (@TimesNow) July 16, 2020
आपको बता दें कि राजीव गांधी फाउंडेशन पर चीनी सरकार से फंड लेकर चीन के पक्ष में लॉबिग करने का मामला प्रकाश में आ चुका है। इसके अलावा प्रधानमंत्री राहत कोष फंड को राजीव गांधी फाउंडेशन में ट्रांसफर करने भी खुलासा हो चुका है। इन सब खुलासे के बाद गृह मंत्रालय ने एक अंतरमंत्रालय कमेटी बना दी है। अंतरमंत्रालय समिति राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट की भी जांच करेगी। कमेटी इन फाउंडेशन की फंडिंग और इनके द्वारा किए गए उल्लंघनों की जांच करेगी। इस जांच में पीएमएलए एक्ट, इनकम टैक्स एक्ट, एफआरसीए एक्ट के नियमों के उल्लंघन की जांच शामिल है। इस कमेटी की अगुवाई प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के स्पेशल डायरेक्टर करेंगे।
आपको बता दें कि देश के आजाद होने के बाद कांग्रेस और गांधी परिवार ने 60 सालों तक देश को जमकर लूटा है। अगस्ता वेस्टलैंड स्कैम, बोफोर्स घोटाला, नेशनल हेराल्ड घोटाला, जमीन घोटाला… न जाने कितने ऐसे स्कैम हैं, जो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े हैं। एक नजर डालते हैं नेहरू-गांधी परिवार के घोटालों पर।
अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला
वर्ष 2013 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सचिव अहमद पटेल पर इटली की चॉपर कंपनी ‘अगस्ता वेस्टलैंड’ से कमीशन लेने के आरोप लगे। दरअसल अगस्ता वेस्टलैंड से भारत को 36 अरब रुपये के सौदे के तहत 12 हेलिकॉप्टर ख़रीदने थे, जिसमें 360 करोड़ रुपए की रिश्वतखोरी की बात सामने आई। इतालवी कोर्ट ने माना कि इस मामले में भारतीय अफसरों और राजनेताओं को 15 मिलियन डॉलर रिश्वत दी गई। इतालवी कोर्ट ने एक नोट में इशारा किया था कि सोनिया गांधी सौदे में पीछे से अहम भूमिका निभा रही थीं। कोर्ट ने 225 पेज के फैसले में चार बार सोनिया का जिक्र किया।
बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स कंपनी ने 1437 करोड़ रुपये के होवित्जर तोप का सौदा हासिल करने के लिए भारत के बड़े राजनेताओं और सेना के अधिकारियों को 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी। आरोप है कि इसमें दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ सोनिया गांधी और कांग्रेस के अन्य नेताओं को को स्वीडन की तोप बनाने वाली कंपनी बोफ़ोर्स ने कमीशन के बतौर 64 करोड़ रुपये दिये थे। इस सौदे में गांधी परिवार के करीबी और इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के अर्जेंटीना चले जाने पर सोनिया गांधी पर भी आरोप लगे।
वाड्रा-डीएलएफ घोटाला
वर्ष 2012 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी और उनके दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ घोटाले का आरोप लगा। उनपर शिकोहपुर गांव में कम दाम पर जमीन खरीदकर भारी मुनाफे में रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ को बेचने का आरोप लगा। रॉबर्ट वाड्रा पर डीएलएफ से 65 करोड़ का ब्याज-मुक्त लोन लेने का आरोप लगा। बिना ब्याज पैसे की अदायगी के पीछे कंपनी को राजनीतिक लाभ पहुंचाना मूल उद्देश्य था। यह तथ्य भी सामने आया है कि केंद्र में कांग्रेस सरकार के रहते रॉबर्ट वाड्रा ने देश के कई और हिस्सों में भी बेहद कम कीमतों पर जमीनें खरीदीं। इस मामले में हाल ही में हरियाणा सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
बीकानेर में जमीन घोटाले का मामला
राजस्थान के बीकानेर में हुए जमीन घोटालों में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों के जमीन सौदे भी शामिल हैं। अंग्रेजी न्यूज पोर्टल इकोनॉमिक्स टाइम्स के अनुसार गलत जमीन सौदों के सिलसिले में 18 एफआईआर दर्ज हैं, जिनमें से 4 वाड्रा की कंपनियों से जुड़े हैं। ये सारी एफआईआर 1400 बीघा जमीन जाली नामों से खरीदे जाने से जुड़ी हैं, जिनमें से 275 बीघा जमीन वाड्रा की कंपनियों के लिए जाली नामों से खरीदे जाने के आरोप हैं।
मारुति घोटाला
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी को यात्री कार बनाने का लाइसेंस मिला था। वर्ष 1973 में सोनिया गांधी को मारुति टेक्निकल सर्विसेज प्राइवेट लि. का एमडी बनाया गया, हालांकि सोनिया के पास इसके लिए जरूरी तकनीकी योग्यता नहीं थी। बताया जा रहा है कि कंपनी को सरकार की ओर से टैक्स, फंड और कई छूटें मिलीं थी।
मूंदड़ा स्कैंडल
कलकत्ता के उद्योगपति हरिदास मूंदड़ा को स्वतंत्र भारत के पहले ऐसे घोटाले के तौर पर याद किया जाता है। इसके छींटें प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी पड़े। दरअसल 1957 में मूंदड़ा ने एलआईसी के माध्यम से अपनी छह कंपनियों में 12 करोड़ 40 लाख रुपये का निवेश कराया था। यह निवेश सरकारी दबाव में एलआईसी की इंवेस्टमेंट कमेटी की अनदेखी करके किया गया। तब तक एलआईसी को पता चला उसे कई करोड़ का नुक़सान हो चुका था। इस केस को फिरोज गांधी ने उजागर किया, जिसे नेहरू ख़ामोशी से निपटाना चाहते थे। उन्होंने तत्कालीन वित्तमंत्री टीटी कृष्णामाचारी को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्हें अंतत: पद छोड़ना पड़ा।
एक नजर कांग्रेस की सरकारों में हुए कुछ प्रमुख घोटालों पर-
2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2008)
भारत में सबसे बड़ा घोटाला 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला था, जिसमें दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर निजी दूरसंचार कंपनियों को 2008 में बहुत सस्ते दरों पर 2 जी लाइसेंस जारी करने का आरोप लगाया गया था। नियमों का पालन नहीं किया गया था, लाइसेंस जारी करते समय केवल पक्षपात किया गया था। इसमें 1.96 लाख करोड़ रुपये का घोटाला हुआ था। दरअसल सरकार ने 2001 में स्पेक्ट्रम लाइसेंस के लिए प्रवेश शुल्क रखा था। इसमें दूरसंचार के बारे अनुभवहीन कंपनियों को लाइसेंस जारी किया गया था। भारत में 2001 में मोबाइल उपभोक्ता 4 मिलियन थे जो 2008 में बढ़ोतरी करके 350 मिलियन तक पहुंच गये।
सत्यम घोटाला (2009)
सत्यम कंप्यूटर सर्विसेजस के घोटाले से भारतीय निवेशक और शेयरधारक बुरी तरह प्रभावित हुए। यह घोटाला कॉरपोरेट जगत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, इसमें 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। पूर्व चेयरमैन रामलिंगा राजू इस घोटाले में शामिल थे, जिन्होंने सब कुछ संभाला हुआ था। बाद में उन्होंने 1.47 अरब अमेरिकी डॉलर के खाते को किसी प्रकार के संदेह के कारण खारिज कर दिया। उस साल के अंत में, सत्यम का 46% हिस्सा टेक महिंद्रा ने खरीदा था, जिसने कंपनी को अवशोषित और पुनर्जीवित किया।
कॉमनवेल्थ गेम घोटाला (2010)
राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी और संचालन के लिए लिये लिया गया धन भारी मात्रा में घोटाले में चला गया। इसमें लगभग 70,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया है। इस घोटाले में कई भारतीय राजनेता नौकरशाह और कंपनियों के बड़े लोग शामिल थे। इस घोटाले के प्रमुख पुणे के निर्वाचन क्षेत्र से 15 वीं लोकसभा के लिए कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधि सुरेश कलमाड़ी थे। उस समय, कलमाड़ी दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति के अध्यक्ष थे। इसमें शामिल अन्य बड़े लोगों में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री- शीला दीक्षित और रॉबर्ट वाड्रा हैं। इसका गैर-अस्तित्व वाली पार्टियों के लिए भुगतान किया गया, उपकरण की खरीद करते समय कीमतों में तेजी आई और निष्पादन में देरी हुई थी।
कोयला घोटाला (2012)
कोयला घोटाले के कारण भारत सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सीएजी ने एक रिपोर्ट पेश की और कहा कि 194 कोयला ब्लॉकों की नीलामी में अनियमितताऐं शामिल हैं। सरकार ने 2004 और 2011 के बीच कोयला खदानों की नीलमी नहीं करने का फैसला किया था। कोयला ब्लॉक अलग-अलग पार्टियों और निजी कंपनियों को बेच दिये गये थे। इस निर्णय से राजस्व में भारी नुकसान हुआ था।
टाट्रा ट्रक घोटाला (2012)
वेक्ट्रा के अध्यक्ष रवि ऋषिफॉर्मर और सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग प्रतिबंध अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला पंजीकृत किया था। इसमें सेना के लिए 1,676 टाटा ट्रकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी।
आदर्श घोटाला (2012)
इस घोटाले में मुंबई की कोलाबा सोसायटी में 31 मंजिल इमारत में स्थित फ्लैटों को बाजार की कीमतों से कम कीमत पर बेचा गया था। इस सोसायटी को सैनिकों की विधवाओं और भारत के रक्षा मंत्रालय के कर्मियों के लिए बनाया गया था। समय की अवधि में, फ्लैटों के आवंटन के लिए नियम और विनियमन संशोधित किए गए थे। इसमें महाराष्ट्र के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों- सुशील कुमार शिंदे, विलासराव देशमुख और अशोक चव्हाण के खिलाफ आरोप लगाये गये थे। यह जमीन रक्षा विभाग की थी और सोसायटी के लिये दी गई थी।
प्रमुख घोटालों की सूची और उसकी रकम-
कोयला घोटाला | 1.86 लाख करोड़ रुपये |
2जी घोटाला | 1.76 लाख करोड़ रुपये |
महाराष्ट्र सिंचाई घोटाला | 70,000करोड़ रुपये |
कामनवेल्थ घोटाला | 35,000 करोड़ रुपये |
स्कार्पियन पनडुब्बी घोटाला | 1,100 करोड़ रुपये |
अगस्ता वेस्ट लैंड घोटाला | 3,600 करोड़ रुपये |
टाट्रा ट्रक घोटाला | 14 करोड़ रुपये |
परफार्म इंडिया, आपको बताता है कि गांधी परिवार की तिजोरियों में कितना धन पड़ा है-
सोनिया-राहुल-वाड्रा के पास 5 बिलियन डालर से अधिक की संपत्ति कहां से आई?
आजादी के बाद देश को अपनी व्यक्तिगत संपत्ति समझने वाले गांधी परिवार ने किसानों की जमीन खरीदने-बेचने से लेकर रक्षा सौदे में दलाली से अकूत संपदा अर्जित की है। गांधी खानदान के मौजूदा दोनों नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड केस में कोर्ट से जमानत पर हैं। इन दोनों ने अपनी सरकारों के जरिए देश के विभिन्न शहरों में नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के नाम पर कई एकड़ जमीन आवंटित करा ली। इसकी प्रॉपर्टी की कीमत करीब 5 हजार करोड़ है। दोनों मां-बेटे ने एक कंपनी बनाकर नेशनल हेराल्ड की सारी जमीन को अपने नाम करवा ली। जब कोर्ट में मामला खुला तो दोनों को जमानत लेना पड़ा। अमेरिका की businessinsider और जर्मनी के द वेल्ट के मुताबिक सोनिया दुनिया की चौथी सबसे धनी महिला हैं।उनकी संपत्ति 10 हजार से 45 हजार करोड़ के बीच हो सकती है। राहुल गांधी कुछ नहीं करते लेकिन उनकी घोषित संपत्ति 9.40 करोड़ है।
Celebrity Net Worth के अनुसार कांग्रेस की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के पास लगभग 2 बिलियन डालर की संपदा है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पास भी 100 मीलियन डालर की संपदा है।
कहां से आया कुबेर का खजाना!!
प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा महज 10वीं पास है, लेकिन उनकी संपत्ति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है। 2004-14 के यूपीए शासनकाल में उनकी संपत्ति सबसे ज्यादा बढ़ी। उनकी या उनकी कंपनी की देशभर में घोषित या बेनामी प्रॉपर्टी है। ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के मुताबिक उन्होंने एक लाख रुपये के निवेश से 5 साल में 325 करोड़ रुपये बना लिए। यूपीए सरकार के दौरान हुए रक्षा सौदे समेत हर घोटाले में वाड्रा की भूमिका संदिग्ध रही हैं। वो 12 कंपनियों में डायरेक्टर, एडिशनल डायरेक्टर या मैनेजिंग डायरेक्टर हैं। Celebrity Net Worth के अनुसार रॉबर्ट वाड्रा ने सारी संपत्ति प्रियंका गांधी से शादी करने के बाद अर्जित की है। गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के पास 2.1 बिलियन डालर की संपदा होने का अनुमान है।
स्विस मैगजीन Schweizer Illustriertein ने नवंबर 1991 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें कहा कि राजीव गांधी का स्विस बैंक में खाता है जिसमें 13,200 करोड़ रुपये जमा है। इस रिपोर्ट को गांधी परिवार ने आज तक कभी न तो नकारा है न ही इस पत्रिका के खिलाफ झूठी रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए कोई केस ही किया है-