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पीएम मोदी कर रहे किसानों का सशक्तिकरण, 9 साल में मसूर की एमएसपी दोगुनी से ज्यादा, कई फसल से किसानों की आय हुई दोगुनी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही थी और पिछले नौ साल में जिस तरह से फसलों की एमएसपी में वृद्धि की गई है उससे आज ज्यादातर फसलों का खरीद मूल्य दोगुना होने के करीब पहुंच गया है। मसूर की एमएसपी दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। मानसून से पहले जून 2023 में कई फसलों की एमएसपी बढ़ाई गई थी, उसके बाद सितंबर में कुछ फसलों की एमएसपी बढाई गई और अब छह रबी फसलों की एमएसपी बढ़ाई गई है। जिन फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है, उनमें सबसे ज्यादा मसूर, दूसरे नंबर पर सरसों, तीसरे नंबर पर गेहूं और सनफ्लावर चौथे नंबर पर है। इसके साथ ही जौ और चने की एमएसपी में बढ़ोतरी की गई है। दो से सात फ़ीसदी की बढ़ोतरी के साथ कई फसलें ऐसी हैं, जिनका न्यूनतम समर्थन मूल्य छह हजार रुपये को पार कर गया है, जबकि कुछ उसके आसपास पहुंच गईं हैं। तिलहन और सरसों में 200 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। इसके साथ ही मोटा अनाज की पैदावार को बढ़ाने के लिए फैसला लिया गया है। मसूर पर 425 रुपये प्रति क्विंटल, गेहूं के लिए 150 रुपये प्रति क्विंटल और जौ के लिए 115 रुपये प्रति क्विंटल, चना के लिए 105 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। इन सभी फसलों की एमएसपी बढ़ाई जाने से देश के किसानों में समृद्धि बढ़ेगी। इस तरह मोदी सरकार किसानों की आय को दोगुना करने का संकल्प पूरा कर रही है।

किसानों के बेहतर भविष्य के लिए एमएसपी हो रही दोगुनी, मसूर की एमएसपी दोगुनी से भी ज्यादा
मोदी सरकार किसानों के बेहतर भविष्य के लिए लगातार एमएसपी में वृद्धि कर रही है। 2014 के बाद से लगातार की गई वृद्धि से कई फसलों की एमएसपी दोगुनी के करीब पहुंच रही है। मसूर की एमएसपी दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। 2014 में गेहूं की एमएसपी 1400 रुपये थी वहीं 2024 में यह 2275, जौ की एमएसपी 2014 में 1100 से बढ़कर 2024 में 1850 रुपये, चना की एमएसपी 2014 में 3100 से बढ़कर 2024 में 5440 रुपये, रेपसीड और सरसों की एमएसपी 2014 में 3050 से बढ़कर 5650 रुपये, कुसुम की एमएसपी 2014 में 3000 से बढ़कर 2024 में 5800 रुपये हो गई है। वहीं मसूर की एमएसपी 2014 में 2950 थी जो 2024 में बढ़कर 6425 हो गई है। यह दोगुनी से भी ज्यादा है।

मसूर पर 425 रुपये की वृद्धि देश के किसानों को बड़ी सौगात
मसूर पर केंद्र सरकार ने 425 रुपये की बढ़ोतरी कर देश के किसानों को बड़ी सौगात दी है। अगले साल के लिए मसूर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य 6425 रुपये का तय किया गया है। इसी तरह केंद्र सरकार ने सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रुपये की बढ़ोतरी की है। अगले साल किसानों को इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 5660 रुपये के हिसाब से मिलना तय किया गया है। सनफ्लावर और गेहूं की फसल के लिए केंद्र सरकार ने डेढ़ सौ रुपये की बढ़ोतरी एमएसपी में की है। बढ़ी हुई एमएसपी के मुताबिक गेहूं के लिए अगले साल से किसानों को 2275 रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा। जबकि सनफ्लावर के लिए 5800 रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है। केंद्र सरकार ने जौ पर 115 रुपये की बढ़ोतरी की और चने पर 105 रुपये की बढ़ोतरी की है। जौ का समर्थन मूल्य 1850 रुपये, जबकि चने का समर्थन मूल्य 5440 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य के तौर पर केंद्र सरकार ने तय किया है।

सरसों, सनफ्लावर से लेकर चने का एमएसपी भी दोगुने के करीब
रबी की फसलों के बढ़ाए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य के माध्यम से मोदी सरकार अब यह कह सकती है कि किसानों की दोगुनी की गई है। केंद्र सरकार की ओर से जिन 6 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है, उनमें मसूर ऐसी फसल है जिसमें 2014-15 की तुलना में 2024-25 के न्यूनतम समर्थन मूल्य में दोगुने से ज्यादा हो गया है। सिर्फ मसूर ही नहीं बल्कि सरसों और सनफ्लावर से लेकर चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी 2014-15 की तुलना में 2024-25 के न्यूनतम समर्थन मूल्य के दोगुने के आसपास पहुंच रहा है। चना की एमएसपी 2014 में 3100 से बढ़कर 2024 में 5440 रुपये, रेपसीड और सरसों की एमएसपी 2014 में 3050 से बढ़कर 5650 रुपये और कुसुम की एमएसपी 2014 में 3000 से बढ़कर 2024 में 5800 रुपये हो गई है। तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 2022-23 में 7830 रूपये हो गया जोकि वर्ष 2014-15 में 4600 रुपये था। इस तरह इसमें 70 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इससे किसानों को उनकी फसल का अधिक मूल्य प्राप्त हो रहा है और आर्थिक स्थिति भी मज़बूत हो रही है।

दालों का प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए जून में बढ़ाई थी एमएसपी
इससे पहले जून महीने में भी प्रधानमंत्री मोदी ने देश में दालों का प्रोडक्शन बढ़ाने के मकसद से अरहर, मूंग और उड़द दाल की एमएसपी में बढ़ोतरी कर किसानों के नाम पर राजनीति कर रहे विपक्ष को आईना दिखाया था। तब बाजरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 150 रुपए की बढ़ोतरी कर 2500 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था। अरहर दाल के एमएसपी में 400 रुपये की बढ़ोतरी कर 7000 रुपये प्रति क्विंटल, उड़द दाल की एमएसपी में भी 350 रुपये की बढ़ोतरी कर 6950 रुपये प्रति क्विंटल और मूंग के एमएसपी में 10.4 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 7755 रुपये से बढ़ाकर 8558 रुपये प्रति क्विंटल की थी।

किसानों को मिल रहा लोन, सब्सिडी, इंसेंटिव, फसल बीमा का लाभ
मोदी सरकार किसानों की समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही कृषि योजनाएं खेती-किसानी से लेकर उनकी व्यक्तिगत जरूरतों के लिए लोन से लेकर सब्सिडी, इंसेंटिव, फसल बीमा का लाभ देती हैं। मोदी सरकार कई योजनाओं और कार्यक्रमों से देश के किसानों की दिशा व दशा बदल रही है। पिछले सालों में कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि कर किसानों को लाभ पहुंचाया गया वहीं एमएसपी पर गेहूं और धान की खरीद कर बड़े पैमाने पर किसानों को लाभ पहुंचा। किसानों की समृद्धि के लिए कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की गई है।

एमएसपी भुगतान से 1.22 करोड़ से ज्यादा किसान लाभान्वित
देश में खरीफ सीजन 2022-23 में 19 जून 2023 तक 830 लाख मीट्रिक टन (LMT) धान की खरीद की गई है। इस खरीद का सबसे अधिक लाभ देश के किसानों को मिल रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 19 जून 2023 तक 1,71,000 करोड़ रुपये से अधिक का एमएसपी से भुगतान हुआ है और इससे 1.22 करोड़ से ज्यादा किसान लाभान्वित हुए हैं। धान खरीद का फायदा किसानों को सीधा मिल रहा है क्योंकि उनकी उपज का पैसा सरकार उनके खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर करती है। उल्लेखनीय है कि गेहूं और धान की संयुक्त खरीद के लिए एमएसपी भुगतान पिछले साल के लिए कुल भुगतान 2,05,896 करोड़ रुपये के मुकाबले 2,26,829 करोड़ रुपये किया गया है।

मोदी सरकार किसानों की समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है। यही वजह है कि सितंबर 2023 में और उससे पहले मानसून से पहले सरकार ने विभिन्न फसलों की एमएसपी बढ़ाने को मंजूरी दी थी। इस पर एक नजर-

मोदी राज में तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य 70 प्रतिशत बढ़ा
तिल का न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 2014-15 में 4600 रुपये थी जोकि वर्ष 2022-23 में 7830 रूपये हो गया, इस तरह 2014 की तुलना में यह 70 प्रतिशत वृद्धि है। इससे किसानों को उनकी फसल का अधिक मूल्य प्राप्त हो रहा है और उनकी समृद्धि सुनिश्चित हो रही है।

मोदी सरकार ने MSP पर 830 लाख मीट्रिक टन धान खरीदे, किसानों को मिले 1,71,000 करोड़ रुपये
देश में खरीफ सीजन 2022-23 में 19 जून 2023 तक 830 लाख मीट्रिक टन (LMT) धान की खरीद की गई है। इस खरीद का सबसे अधिक लाभ देश के किसानों को मिल रहा है। मोदी सरकार ने हाल ही में विभिन्न फसलों पर MSP बढ़ाई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल 19 जून तक 1,71,000 करोड़ रुपये से अधिक का एमएसपी से भुगतान हुआ है और इससे 1.22 करोड़ से ज्यादा किसान लाभान्वित हुए हैं। धान खरीद का फायदा किसानों को सीधा मिल रहा है क्योंकि उनकी उपज का पैसा सरकार उनके खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर करती है। उल्लेखनीय है कि गेहूं और धान की संयुक्त खरीद के लिए एमएसपी भुगतान पिछले साल के लिए कुल भुगतान 2,05,896 करोड़ रुपये के मुकाबले 2,26,829 करोड़ रुपये किया गया है।

गेहूं खरीद से करीब 21.29 लाख किसान लाभान्वित
चालू रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के दौरान गेहूं की खरीद भी सुचारू रूप से चल रही है। मौजूदा सीजन में 19.06.2023 तक गेहूं की प्रोग्रेसिव खरीद 262 एलएमटी है जो पिछले साल की कुल खरीद 188 एलएमटी से 74 एलएमटी अधिक है। पहले ही चल रहे गेहूं खरीद कार्यों से एमएसपी आउट फ्लो लगभग रु. 55,680 करोड़ रुपये के साथ लगभग 21.29 लाख किसान लाभान्वित हो चुके हैं। खरीद में प्रमुख योगदान तीन खरीददार राज्यों पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा से क्रमशः 121.27 एलएमटी, 70.98 एलएमटी और 63.17 एलएमटी की खरीद के साथ आया है।

मानसून से पहले मोदी सरकार ने खरीफ फसलों की MSP बढ़ाई 

मोदी सरकार की ओर से कैबिनेट मीटिंग में लिए गए फैसले के मुताबिक तुअर दाल की एमएसपी में 400 रुपये प्रति क्विटल की बढ़ोतरी की गई है, जबकि धान, मक्के और मूंगफली की एमएसपी में भी बढ़ोतरी की गई है। इससे देश में बड़े स्तरों पर किसानों को लाभ होगा और नई फसल के लिए अच्छे दाम मिल पाएंगे। सरकार ने खेती की बढ़ती हुई लागत को देखते हुए किसानों की हित में ये फैसला लिया है। इसके साथ ही एमएसपी पर दालों के खरीद के सरकार के आश्वासन के बाद किसान खरीफ रबी सीजन में अरहर, उड़द और मूंग दाल की ज्यादा क्षेत्र में बुआई कर सकेंगे।

धान, मूंग, उड़द, मक्का की एमएसपी बढ़ी
कैबिनेट ने 2023-24 के लिए उड़द दाल की एमएसपी को 350 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 6,950 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। वहीं, मक्के की एमएसपी को 128 रुपये प्रति क्विंटल और धान की एमएसपी 143 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 2,183 रुपये प्रति क्विंटल करने की मंजूरी दी है। मोदी कैबिनेट की ओर से मूंग की एमएसपी में सर्वाधिक 803 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है और इसके मूंग पर एमएसपी 8,558 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।

इस साल सबसे अधिक बढ़ी एमएसपी
कैबिनेट हुए फैसलों के बारे में बताते हुए खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कृषि में हम समय-समय पर सीएसीपी (कृषि लागत और मूल्य आयोग) की सिफारिशों के आधार पर एमएसपी तय करते रहे हैं। इस साल खरीफ की फसलों के लिए MSP में की गई बढ़ोतरी पिछले कुछ सालों की तुलना में सबसे ज्यादा है।

सबसे ज्यादा बाजरा किसानों को लाभ होने का अनुमान
मोदी सरकार के इन फैसलों से किसानों को अधिक लाभ होने का अनुमान जताया गया है। इसमें सबसे ज्यादा लाभ बाजरा पर करीब 82 प्रतिशत होने का अनुमान है। उसके बाद तुअर, सोयाबीन और उड़द का नंबर आता है। बाजरा (82 प्रतिशत) के बाद तुअर (58 प्रतिशत), सोयाबीन (52 प्रतिशत) और उड़द (51 प्रतिशत) के मामले में किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित मार्जिन सबसे अधिक होने का अनुमान है। बाकी फसलों के लिए, किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर मार्जिन कम से कम 50 प्रतिशत होने का अनुमान है।

उड़द, तुअर की खेती कर रहे किसानों के लिए खुशखबरी
उड़द, तुअर समेत अन्य खरीफ फसलों की खेती कर रहे किसानों के लिए यह खुशखबरी है। सरकार की तरफ से मूंग दाल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। सरकार की तरफ से इस फैसले के बारे में मीडिया से बात करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि महंगाई कम होने के बाद भी किसानों के हित में सरकार की तरफ से ये फैसला लिया गया है।

पीएम मोदी की प्राथमिकता महंगाई को नियंत्रित करना
गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता महंगाई को नियंत्रित करना रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया में महंगाई के मुकाबले देश में यह काफी कम समय के लिए बढ़ी और फिर नियंत्रण में आ गई। पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को मंजूरी मिली।

मूंग की एमएसपी में सबसे ज्यादा वृद्धि
धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 2183 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। इसके साथ ही ए ग्रेड धान के लिए एमएसपी 2203 रुपए तय की गई है। वहीं ज्वार के लिए 3180 रुपए प्रति क्विंटल की दर तय किए गए हैं। सरकार की तरफ से किसानों के फायदे के लिए फैसला लिया गया है। ए ग्रेड धान की एमएसपी 163 रुपए बढ़ाई गई है। वहीं सबसे ज्यादा एमएसपी में वृद्धि मूंग की कीमत में की गई है। इसे 10.4 प्रतिशत बढ़ाया गया है। मूंग की एमएसपी 8,558 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। यह पिछले साल 7755 रुपए था।

मोदी सरकार का देश में दालों के उत्पादन पर जोर
देश में दालों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सरकार ने प्राइस सपोर्ट स्कीम (Price Support Scheme) के तहत अरहर, उड़द और मसूर दाल खरीदने की 40 फीसदी सीमा को 2023-24 वर्ष के लिए खत्म कर दिया है। अब किसान जितना चाहे उतनी दाल सरकार को प्राइस सपोर्ट स्कीम (PSS) के तहत बेच सकते हैं। सरकार के इस फैसले के बाद उम्मीद की जा रही है कि इस खरीफ सीजन और आने वाले रबी सीजन में इन दालों की बुआई में बढ़ोतरी आएगी।

दालों की एमएसपी पर होगी खरीद, किसानों में जगेगा भरोसा
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने दालों के उत्पादन को बढ़ाने देने के लिए इस दिशा में निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय ने कहा कि दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्राइस सपोर्ट सिस्टम के तहत अरहर, उड़द और मूंग की खरीद सीमा को 2023-24 सीजन के लिए खत्म कर दिया गया है। इससे किसानों को ये भरोसा हो सकेगा कि उनकी उपज बगैर किसी लिमिट के एमएसपी यानि न्यूनत्तम समर्थम मुल्य (MSP) पर खरीदी जाएगी।

एमएसपी पर दालों की खरीद से किसान ज्यादा बुआई करेंगे
एमएसपी पर दालों के खरीद के सरकार के इस आश्वासन के बाद किसान खरीफ रबी सीजन में अरहर, उड़द और मूंग दाल की ज्यादा क्षेत्र में बुआई करने के प्रेरित होंगे। इससे पहले सरकार ने 2 जून 2023 को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत एक आदेश जारी कर दालों की होर्डिंग पर रोक लगाने और दालों की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए स्टॉक लिमिट लगाने का फैसला किया था। ये स्टॉक लिमिट, होलसेलर, रिटेलर्स, बड़े चेन रिटेलर्स, मिलर्स और इंपोटर्स सभी पर लागू होगा।

दाल इंपोर्टर 30 दिन से ज्यादा स्टॉक अपने पास नहीं रख सकेंगे
सरकार ने मई 2023 में दाल आयात करने वाले इंपोर्टरों को कस्टम क्लीरेंस मिलने के बाद 30 दिनों के भीतर बाजार में दाल उतारने की हिदायत दी है। दाल इंपोर्ट करने वाली कंपनियों के एसोसिएशन को लिखे पत्र में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने सभी सदस्यों को एडवाइजरी का पालन करने को कहा था। एडवाइजरी में मंत्रालय ने इन इंपोर्टरों से कहा है कि कस्टम क्लीरेंस मिलने के बाद 30 दिनों से ज्यादा स्टॉक को अपने पास होल्ड कर ना करें। साथ ही हर शुक्रवार को सभी इंपोर्टरों को विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर अरहर और उड़द दाल के होल्डिंग स्टॉक की जानकारी देने को कहा गया है।

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