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दिसंबर में एक साथ तीन वैश्विक संगठनों G-20, SEO, UNSC की अध्यक्षता करेगा भारत, मोदी मैजिक से जियो पॉलिटिक्स में बढ़ रहा दबदबा

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रूस-यूक्रेन युद्ध ने विश्व को दो गुटों में बांट दिया है। जहां एक ओर अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो देश है, तो दूसरी तरफ रूस और चीन से जुड़े कुछ अन्य देश हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत बिना किसी देश के दबाव में आए और किसी गुट में शामिल हुए स्वतंत्र विदेशी नीति का पालन कर रहा है। मोदी सरकार ने तटस्थ रुख़ अपनाते हुए रूस और अमेरिका, दोनों विरोधी देशों के साथ अपने रिश्‍तों में निकटता बनाए रखा है। वहीं भारत, विश्व के लगभग सभी मंचों पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है। G-20, SEO और UNSC जैसे विश्व के तीन बड़े वैश्विक संगठनों की कमान भारत के हाथ में आने से जहां भारत के सामने बेहतर मौके होंगे, वहीं चुनौतियां भी होंगी। इसमें भारतीय विदेश नीति के कौशल की परीक्षा होने वाली है। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक नेता के रूप में छवि बहुत मददगार साबित होने वाली है।

भारत को मिली G-20 की अध्यक्षता

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने बाली शिखर सम्मेलन में 16 नवंबर, 2022 को G-20 की अध्यक्षता आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंप दी। भारत एक साल के लिए इसकी अध्यक्षता संभालेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस समूह की अध्यक्षता स्वीकार करना भारत के हर नागरिक के लिए गर्व की बात है। हम G-20 के हर सदस्य देश के प्रयासों के साथ इसे वैश्विक कल्याण के लिए लाभाकरी बनाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने G-20 सदस्य देशों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत यह जिम्मा ऐसे समय पर उठा रहा है, जब विश्व जियो पॉलिटिकल तनाव, आर्थिक मंदी, खाद्यान्नों और ऊर्जा की बढ़ रही कीमतों और कोरोना के दीर्घकालीन दुष्प्रभावों से एक-साथ जूझ रहा है। ऐसे समय में विश्व G-20 की ओर आशा की नजर से देखता है। 

शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता

इससे पहले 16 सितंबर, 2022 को भारत को शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता सौंपी गई थी। इस संगठन में 8 देश भारत, चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान शामिल हैं। जबकि ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया चार पर्यवेक्षक देश हैं। इस समय SCO को दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है। इस संगठन में यूरेशिया यानि यूरोप और एशिया का 60 प्रतिशत से ज्यादा क्षेत्रफल है। भारत 2023 तक इसका अध्यक्ष बना रहेगा। भारत एससीओ में चीन-पाकिस्तान धुरी से भिड़ने और उसे निष्प्रभावी बनाने के लिए ईरान, रूस और सीएआर के साथ अपने पुराने रिश्तों का इस्तेमाल कर सकता है। भारत का बढ़ता आर्थिक प्रभाव और उसकी युवा आबादी एससीओ में उसकी स्थिति मज़बूत बनाने में मदद कर सकते हैं। 

दिसंबर में भारत को मिलेगी UNSC की अध्यक्षता

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने मौजूदा कार्यकाल में दूसरी बार अध्यक्ष बनने जा रहा है। 1 दिसंबर 2022 से एक महीने के लिए UNSC की अध्यक्षता करेगा। गौरतलब है कि भारत इसका अस्थायी सदस्य है। हर महीने UNSC की अध्यक्षता बदलती रहती है। इसी के अनुरूप अब 1 दिसंबर से भारत इसकी अध्यक्षता करेगा। भारत ने जनवरी 2021 में UNSC के एक अस्थायी सदस्य के रूप में अपना दो वर्ष का कार्यकाल शुरू किया। UNSC में यह भारत का आठवाँ कार्यकाल है।

ताकत और क्षमता दिखाने का बड़ा मौका

इस तरह अब दिसंबर 2022 से भारत एक साथ तीन वैश्विक संगठनों की अध्यक्षता करेगा। ऐसे में भारत को दुनिया में अपनी ताकत और क्षमता दिखाने का बड़ा मौका होगा, तो दूसरी ओर कई चुनौतियां भी होंगी। हालांकि भारत अगर इन समस्याओं का समाधान करने के लिए अपनी तरफ से अच्छी पहल करता है तो दुनिया भर में अलग छाप छोड़ सकता है। यह अध्यक्षता भारत के लिए एक बड़ा अवसर है। विदेश नीति के जानकारों का कहना है कि जी-20 की यह अध्‍यक्षता मिलना वैश्विक फलक पर जहां भारत के बढ़ते कद को दर्शाता है, वहीं अगला एक साल भारत के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण और अवसरों से भरा दोनों ही होने जा रहा है। भारत तमाम देशों के साथ मिलकर एक नई विश्व व्यवस्था की परिकल्पना तैयार कर सकता है।

दुनिया को नई राह दिखा सकता है भारत

भारत साइबर अपराध से पार पाने, संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद कन्वेंशन को सफल बनाने, कौशल निर्माण के लिए व्यापक फंड़ जुटाने, क्रिप्टोररेंसी के लाभ-हानि को जांचने, ऊर्जा सुरक्षा, गरीबी दूर करने के कामों में तकनीक का इस्तेलाम करने जैसे मसलों में दुनिया को नई राह दिखा सकता है। भारत वैश्विक दक्षिण और उसकी पीड़ाओं का प्रतिनिधित्व कर सकता है। अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत अफ्रीका, लातीन अमेरिका, एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और विश्व के तमाम देशों से जुड़ सकता है। भारत जी-20 की बैठकों में आमराय बना सकता है, ताकि यह संगठन संयुक्त राष्ट्र की मदद कर सके। संयुक्त राष्ट्र को सशक्त बनाने में जी-20 जैसे महत्वपूर्ण समूहों का सहयोग निहायत जरूरी है। इन संगठनों में आने वाले नए-नए विचार और प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में सुधार के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकेंगे।

भारत के लिए अवसरों के साथ चुनौतियां भी

जहां जी-20 में अमेरिका और रूस, दोनों ही गुटों के समर्थक देश शामिल हैं, वहीं एससीओ में चीन और पाकिस्तान की जोड़ी का सामना करना है। हालांकि भारत एक ऐसी स्थिति में है जो पश्चिमी देशों और रूस दोनों के साथ ही घनिष्‍ठ संबंध रखता है। यही वजह है कि पिछले दिनों पश्चिमी मीडिया ने जोर देकर कहा था कि भारत यूक्रेन युद्ध में शांति कराने की क्षमता रखता है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 का लोगो, थीम और वेबसाइट जारी करते हुए दुनिया के सामने भारत की प्राथमिकताओं की ओर संकेत दिया था। भारत को अध्‍यक्षता संभालने के बाद जी-20 के देशों के बीच के मतभेद को कम करना होगा और आगे आकर नेतृत्‍व करना होगा।

मोदी मैजिक से होगा चुनौतियों का समाधान 

भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दो गुटों में बंटी दुनियो के बीच संतुलन स्थापित करते हुए अपनी प्रभावी और असरदार भूमिका का निर्वाह करना है। ऐसे में भारत एक सेतु के रूप में काम कर सकता है। इसमें प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक नेता के रूप में छवि मददगार साबित हो सकती है। प्रधानमंत्री मोदी ने युद्ध के दौरान रूस और यूक्रेन, दोनों देशों के राष्ट्रपतियों के साथ संपर्क बनाये रखा। उन्होंनें दोनों नेताओं से ये अपील की थी कि रूस-यूक्रेन विवाद को बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए। इसके बाद अमेरिका ने कहा था कि वह भारत के प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल का स्वागत करता है कि विवाद को संवाद के जरिए खत्म किया जाना चाहिए। जी-20 घोषणापत्र में प्रधानमंत्री मोदी के संदेश की गूंज सुनाई दी। घोषणापत्र में नेताओं ने यूक्रेन युद्ध को तत्काल खत्म करने का आह्वान करते हुए कहा कि “आज का युग, युद्ध का नहीं होना चाहिए।”

मोदी मैजिक का कमाल, स्वतंत्र विदेश नीति की तारीफ 

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका ने भारत पर तमाम दबाव बनाने की कोशिश की। लेकिन भारत उसके दबाव में आए बिना यूएन में रूस के खिलाफ प्रस्तावों पर तटस्थ रहा। इसके बावजूद मोदी मैजिक का कमाल है कि एक तरफ जी-20 में प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन के बीच बेहतर कमेस्ट्री देखने को मिली, वहीं शिखर सम्मेलन से बाहर रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भी प्रधानमंत्री मोदी की स्वतंत्र विदेश नीति की सराहना करते हुए कहा था कि भारत में उनके नेतृत्व में बहुत कुछ किया गया है। साथ ही यूक्रेन के विदेश मंत्री ने कहा था कि भारत रूस के संबंधों का सहारा ले और प्रधानममंत्री मोदी, पुतिन को जंग रोकने के लिए मनाएं। ऐसे में अगर भारत वैश्विक संगठनों की अध्यक्षता करते हुए फिर से रूस-यूक्रेन के बीच वार्ता की पहल कर कायमयाब होता है तो भारत के लिए गर्व की बात होगी। 

भारत जियो पॉलिटिक्स में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए  तैयार

आज आलोचक भी मानते हैं कि मोदी सरकार ने पिछले 8 सालों में विदेश नीति पर स्पष्ट छाप छोड़ी है और उसने भारत को दुनिया की बड़ी ताकत बनाने को लेकर अपने इरादे साफ कर दिए हैं। जहां तक देश के सामरिक हितों का सवाल है, मोदी सरकार ने अपना अलग रास्ता बनाया है। प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान यानी 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था। जिसके जवाब में पाकिस्‍तान में एयर स्ट्राइक का मामला हो या अनुच्छेद 370 हटाने का मसला भारत ने अपने कूटनीतिक कौशल का परिचय दिया है। आज की जो दुनिया है उसमें भारत के लिए जो चुनौतियां हैं वो इतिहास में कभी नहीं रही। इसलिए आज के जरूरत और चुनौतियों के हिसाब से जैसी विदेश नीति होनी चाहिए प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति बिल्कुल वैसी ही है। भारत की विदेश नीति में लचीलापन, आक्रामकता और दूरदर्शिता तीनों हैं। आज भारत प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जियो पॉलिटिक्स में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है।

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