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अर्थव्यवस्था के अच्छे दिन: बुनियादी उद्योगों में सुधार छह माह में सबसे तेज

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अर्थव्यवस्था के लिए हर तरफ से अच्छी खबर आ रही है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में तो भारत ने लंबी छलांग लगाई ही है, कोर सेक्टर (बुनियादी उद्योगों) में भी सुधार छह महीने में सबसे तेज हो गई है। सितंबर महीने में आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर 5.2 फीसद हो गई है। कोयला, प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी के क्षेत्र में अच्छे प्रदर्शन की वजह से यह वृद्धि दर बढ़ी है। कोर सेक्टर में स्टील, सीमेंट, बिजली, कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और उर्वरक शामिल हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार समीक्षाधीन माह में कोयला उत्पादन में 10.6 फीसद की बढ़ोतरी हुई। इस दौरान रिफाइनरी प्रोडक्ट और प्राकृतिक गैस के उत्पादन में क्रमश: 8.1 और 6.3 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई।

विनिर्माण में लगातार दूसरे महीने तेजी
देश में सितंबर में लगातार दूसरे माह मैन्युफैक्चरिंग ऐक्टिविटीज में तेजी का रुख रहा। नये ऑर्डर आने और उत्पादन बढ़ने से सितंबर में विनिर्माण गतिविधियां बेहतर रहीं। निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) सितंबर में 51.2 अंक रहा। गौरतलब है कि पीएमआई में 50 से ऊपर का आंकड़ा व्यवसाय में वृद्धि का रुझान दिखाता है।nov core sector data released and 8 core sector growth at 4.9 percent

आने वाले दशक में भारत विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है। आइये हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत है।

भारत विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था होगी
देश की अर्थव्यवस्था में हो रहे ढांचागत बदलाव और नीतिगत सुधार के मद्देनजर बुधवार को एक ऐसी खबर आई जिसने भारतीय इकोनॉमी को लेकर उठ रहे सभी आशंकाओं और सवालों के जवाब दे दिए हैं। वैश्विक वित्तीय सेवा फर्म मॉर्गन स्टैनली ने कहा है कि आगामी 10 सालों में भारतीय की अर्थव्यवस्था 6 खरब डॉलर यानि लगभग 393 खरब रुपये की हो जाएगी। स्टैनली ने यह भी उम्मीद जताई है कि अगले दशक में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की होगी।

अगले दशक में दोगुनी होगी भारत की इकोनॉमी
मॉर्गन स्टैनली के अनुसंधान (भारत) के प्रमुख रिद्धम देसाई के अनुसार भारत में हो रहा डिजिटलीकरण जीडीपी की वृद्धि दर को 0.5-0.75 प्रतिशत बढ़ाएगा। 2026-27 तक भारत की अर्थव्यवस्था 6 खरब डॉलर की ओर बढ़ेगी और उच्च मध्यम आय की स्थिति हासिल कर लेगी। अगले 10 सालों में भारत का उपभोक्ता क्षेत्र भी बढ़कर करीब 1.5 खरब डॉलर पहुंच सकता है।

दहाई अंकों में पहुंच जाएगी भारत की विकास दर
मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट के अनुसार आने वाले दशक में भारत की वास्तविक और सांकेतिक जीडीपी की सालाना वृद्धि दर क्रमश: 7.1 प्रतिशत और 11.2 प्रतिशत हो जाएगी। यह भारत को 6.1 खरब डॉलर के बाजार पूंजीकरण के साथ दुनिया के पांच शीर्ष इक्विटी बाजार में शामिल करने की दिशा में अग्रसर करेगा। इसी के साथ 2027 तक भारत 1.8 खरब डॉलर की बाजार पूंजी के साथ सूचीबद्ध वित्तीय सेवा क्षेत्र में दुनिया का तीसरी सबसे बड़ा देश होगा।

तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था में भारत चौथे नंबर पर
10 जुलाई 2017 को जारी विश्व बैंक की सूची के अनुसार, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाली सूची में भारत का स्थान चौथा है। विश्व बैंक के पूर्वानुमान के अनुसार साल 2017 में भारत की जीडीपी 7.2 प्रतिशत रहेगी। विश्व बैंक के अनुसार इसका सबसे बड़ा कारण, नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद स्टैंडअप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया जैसे प्रोजेक्ट के कारण देश के बुनियादी ढांचे में भारी निवेश को माना जा रहा है।

7.5 का ग्रोथ रेट हासिल करेगा भारत
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुमान के अनुसार भारत 7.5 की विकास दर हासिल करेगा। मूडीज के इंवेस्टर सर्विस सर्वे में पता चला है कि भारत की विकास दर अगले 12 से 18 महीने के दौरान 6.5 से 7.5 प्रतिशत के दायरे में रहेगी। सर्वेक्षण में 200 से ज्यादा मार्केट पार्टिसिपेंट्स ने भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि संभावना को लेकर विश्वास व्यक्त किया। सर्वे में शामिल सभी लोगों का मानना था कि जीएसटी के लागू होने से 12 से 18 माह में आर्थिक वृद्धि बढ़ेगी और आर्थिक वृद्धि की रफ्तार अगले 3-4 साल में बढ़कर 8 प्रतिशत के आसपास पहुंच जाएगी।

IMF ने कहा अर्थव्यवस्था में आएगी तेजी
जुलाई के आखिरी हफ्ते ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत की विकास दर में 2017-2018 तक तेजी आने की उम्मीद जताई। आईएमएफ ने 2018 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.8 फीसदी की दर से विकास करने का अनुमान व्यक्त किया है। आईएमएफ ने अपनी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा है कि भारत की विकास दर में 2017 और 2018 तक तेजी आने की उम्मीद है, जो अप्रैल, 2017 में जताए गए अनुमान के अनुकूल है।

औसत 7.3 की दर से तीन साल में जीडीपी
पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है। पश्चिमी दुनिया के अधिकतर देशों में जीडीपी ग्रोथ रेट 2 प्रतिशत के आसपास ही है। वहीं नोटबंदी के बावजूद भारत का ग्रोथ रेट 2016-17 में 7.1 रही। हालांकि पिछले साल की 7.6 प्रतिशत की तुलना में कुछ कमी हुई पर बीते तीन सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो भारत की विकास की औसत रफ्तार अभी भी स्थिर बनी हुई है। मोदी सरकार में पिछले तीन सालों सकल घरेलू उत्पाद की औसत वृद्धि दर 7.3 रही है।

यूपीए सरकार से काफी ज्यादा है ग्रोथ रेट
यूपीए सरकार के अंतिम तीन सालों की अर्थव्यवस्था की गति पर गौर करें तो ये 2011-12 में 6.7, 2012-13 में 4.5 और 2013-14 में 4.7 प्रतिशत थी। वहीं बीते तीन साल के मोदी सरकार के कार्यकाल पर गौर करें तो 2014-15 में 7.2, 2015-16 में 7.6 थी, वहीं 2016-17 में 7.1 है। जाहिर है बीते तीन सालों में जीडीपी ग्रोथ रेट 7 से ज्यादा रही है। जबकि यूपीए के अंतिम तीन सालों के औसत जीडीपी ग्रोथ रेट 5.3 ही रही है।

चीन से तेज भारत की अर्थव्यवस्था
2015 में जहां चीन की विकास दर 6.9 थी, जबकि भारत की 7.2 थी। 2016 में यह आंकड़ा चीन के लिए 6.7 प्रतिशत था जबकि भारत ने इस दौरान 7.6 प्रतिशत की गति से वृद्धि की। इस वर्ष चीन ने 6.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि का अनुमान जताया है। जाहिर भारत जहां पिछले तीन सालों में सात प्रतिशत से ज्यादा की गति से वृद्धि कर रहा है वहीं चीन की विकास दर अभी भी सात से कम है।

रिकॉर्ड स्तर पर विदेशी मुद्रा भंडार
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.60 अरब डॉलर बढ़कर 400.72 अरब डॉलर हो गया है जो अब तक का रिकॉर्ड उच्च स्तर है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 8 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह के आधार पर ये आंकड़े जारी किए हैं। इससे पिछले हफ्ते में यह 3.57 अरब डॉलर बढ़कर 398.12 अरब डॉलर था। देश का स्वर्ण भंडार इसी अवधि में 20.69 अरब डॉलर रहा।

विदेशी ऋण में 2.7 प्रतिशत की कमी
केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत का विदेशी ऋण 13.1 अरब डॉलर यानि 2.7% घटकर 471.9 अरब डॉलर रह गया है। यह आंकड़ा मार्च, 2017 तक का है। इसके पीछे प्रमुख वजह प्रवासी भारतीय जमा और वाणिज्यिक कर्ज उठाव में गिरावट आना है। रिपोर्ट के अनुसार मार्च, 2017 के अंत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और विदेशी ऋण का अनुपात घटकर 20.2% रह गय, जो मार्च 2016 की समाप्ति पर 23.5% था। इसके साथ ही लॉन्ग टर्म विदेशी कर्ज 383.9 अरब डॉलर रहा है जो पिछले साल के मुकाबले 4.4% कम है।

शेयर बाजार 33 हजार के पार
1, नवंबर, 2017 को मोदी सरकार में एक और रिकॉर्ड तब बना जब शेयर बाजार के इतिहास में सेंसेक्स पहली बार 33600 और निफ्टी 10,437 के पार पहुंच गया। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास था और निफ्टी करीब साढ़े छह हजार अंकों के करीब रहता था।

बेहतर हुआ व्यापार संतुलन
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जुलाई 2013-14 में अनुमानित व्‍यापार घाटा 62448.16 मिलियन अमरीकी डॉलर का था, वहीं अप्रैल-जनवरी, 2016-17 के दौरान 38073.08 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। जबकि अप्रैल-जनवरी 2015-16 में यह 54187.74 मिलियन अमेरिकी डॉलर के व्‍यापार घाटे से भी 29.7 प्रतिशत कम है। यानी व्यापार संतुलन की दृष्टि से भी मोदी सरकार में स्थिति उतरोत्तर बेहतर होती जा रही है और 2013-14 की तुलना में लगभग 35 प्रतिशत तक सुधार आया है।

टैक्स पेयर्स की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी
5 अगस्‍त, 2017 तक ई-रिटर्न भरने की संख्‍या पिछले वर्ष इसी अवधि तक भरे गए 2.22 करोड़ ई-रिटर्न की तुलना में बढ़कर 2.79 करोड़ हो गई यानि 57 लाख की वृद्धि। एक साल के भीतर टैक्स पेयर्स की संख्या में 25.3 प्रतिशत की वृद्धि बड़ी बात कही जा सकती है। इसके अतिरिक्त पूरे वित्‍त वर्ष 2016-17 के दौरान दायर सभी रिटर्न की कुल संख्‍या 5.43 करोड़ थी जो वित्‍त वर्ष 2015-16 के दौरान दायर रिटर्नों से 17.3 प्रतिशत अधिक है।

लक्ष्य से भी अधिक कर संग्रह
जीएसटी लागू होने के बाद पहले महीने (जुलाई) में टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है। कुल जीएसटी कलेक्शन 92,283 करोड़ रुपये रहा। यानी यह कलेक्शन 91,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य को भी पार कर गया है, जबकि 64 प्रतिशत करदाताओं ने ही रिटर्न भरे हैं। अनुमान है कि 100 प्रतिशत भुगतान होने पर यह आंकड़ा एक लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा। 

महंगाई पर लगा लगाम
महंगाई दर 18 साल के सबसे निचले स्तर पर है। जून में रिटेल महंगाई दर 1.54 रही जबकि मई में ये 2.18 प्रतिशत थी। वर्ष 2014 की 11 प्रतिशत की तुलना में आज महंगाई दर औसतन चार प्रतिशत है। पिछले जून महीने में खुदरा महंगाई दर 18 साल के सबसे निचले स्तर पर था। खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में 2.4 प्रतिशत पर पहुंच गई लेकिन थोक महंगाई दर 1.88 थी। जाहिर है पिछली सरकारों में जमीन आसमान का अंतर है।

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