मोदी सरकार की बदौलत केंद्रीय विश्वविद्यालयों और उसमें पढ़ाने वाले शिक्षकों को दिवाली से पहले ही दिवाली का उपहार मिल गया है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को सरकार द्वारा मंजूरी दे दी गई है। इस फैसले का बहुत बड़े पैमाने पर स्वागत किया जा रहा है।
हजारों शिक्षक होंगे लाभान्वित
केंद्र द्वारा सहायता प्राप्त 213 संस्थान इससे लाभान्वित होंगे। साथ ही 329 विश्वविद्यालयों और 12,912 ऐसे कॉलेजों को भी इसका लाभ मिलेगा, जो राज्य सरकारों द्वारा आर्थिक रुप से पोषित हैं। 7 लाख, 58 हजार शिक्षकों को सीधे तौर पर इसका लाभ पहुंचेगा। सातवें वेतन आयोग की इन सिफारिशों की गणना 1 जनवरी, 2016 से मान्य होगी।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य सरकार के विश्वविद्यालयों और सहायता प्राप्त कॉलेजों तथा डीम्ड विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय प्रबंधन संस्थान, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थानों पर भी यह निर्णय लागू होगा। इस निर्णय से शिक्षकों के वेतन में 10,400 रुपये से लेकर 49,800 तक की बढ़त होगी, जिसके कारण केंद्रीय वित्तीय देनदारी 9800 करोड़ हो जाएगी।
‘सौभाग्य’ का उजाला
दिसंबर 2018 तक हर घर तक बिजली पहुंचाने के लक्ष्य के साथ मोदी सरकार अभी हाल ही में सौभाग्य योजना का शुभारंभ किया गया था। इस घोषणा का महत्त्व कितना बड़ा है, इस बात का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वतंत्रता के दशकों बीत जाने के बावजूद चार करोड़ गरीब परिवार आज तक बिजली की सुविधा से वंचित हैं, मगर यह पहले की सत्तासीन सरकारों के लिए कभी चिंता का विषय रहा ही नहीं है। अब मोदी सरकार के नेतृत्व में दिसंबर 2018 तक इन सभी परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन मिलने के साथ ही इनके जीवन का अंधायुग समाप्त हो जाएगा।
इस योजना पर आने वाली लागत 16,320 करोड़ रुपये है। इसके अंतर्गत हर घर को केंद्र की ही ओर से 200 से 300 WP का सोलर पैक दिया जाएगा, जिसमें 5 एलइडी बल्ब, एक पंखा और एक बैटरी देने की योजना है, जिनकी देखरेख का दायित्व भी अगले 5 वर्षों तक सरकार ही वहन करेगी। इस योजना के लिए सरकार ने 12,320 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। योजना का मुख्य लक्ष्य उन घरों तक बिजली पहुंचाना है, जो अभी तक बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं।
सौभाग्य योजना के अंतर्गत बिजली कनेक्शन पाने के लिए वर्ष 2011 की सामाजिक, आर्थिक और जातीय गणना को आधार माना जाएगा। ऐसे लोग, जो इस गणना के दायरे में नहीं आते, उन्हें केवल 500 रुपये में कनेक्शन दे दिया जाएगा और यह 500 रुपये भी एक साथ न लेकर, 10 किश्तों में दिय़े जा सकते हैं।
सबसे अधिक प्रभावी बात यह है कि इस योजना का लाभ गांवों में रहने वाले गरीबों के साथ-साथ शहरी गरीब-वर्ग भी ले सकेगा, जबकि अब से पहले की सरकारें शहरी गरीबों के हितों की खुलकर उपेक्षा करती रही हैं।
खादी से जुड़ी गरीब की दिवाली
मोदी सरकार की नीतियों का लक्ष्य, उनका केंद्र हमेशा से वह गरीब रहा है, जो सदियों से उपेक्षित रहा है, जिसके हितों की अनदेखी दूसरी सरकारें हमेशा से करती आई हैं, मानो इस वर्ग का उनके लिए कोई अस्तित्व ही न हो। इस बात पर नजर रखते हुए ही मोदी सरकार समय-समय पर समस्त देशवासियों का आह्वान करती रही है कि वे त्योहारों, विशेषकर दिवाली जैसे बड़े त्योहार पर एक-दूसरे को उपहार में कोई और वस्तु देने की बजाय खादी अथवा हस्तशिल्प से जुड़ी कोई वस्तु दें, ताकि इस प्रकार से इस उद्योग से जुड़े कामगारों की मदद हो सके।
त्योहार सामाजिक सरोकार, सामाजिक समन्वय के प्रतीक होते हैं। यह ध्येय इसी प्रकार से पूरा होता है, जब एक के घर की खुशियां दूसरे के घर का उजाला भी जुटा दें। यही मोदी सरकार की नीतियों का भी मूल-मंत्र है।