प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार किसानों के हित के लिए समर्पित है। किसानों की आय में वृद्धि करने, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और कृषि क्षेत्र को लाभकारी बनाने के लिए मोदी सरकार लगातार प्रयास कर रही है। मोदी सरकार ने वर्ष 2022 में भी किसान और कृषि क्षेत्र के लिए कई ऐसे कदम उठाए जो तात्कालिक और दीर्घकालिक रूप से लाभकारी साबित होंगे। इस वर्ष मोदी सरकार ने किसानों को खुश होने के कई मौके दिए। किसानों के खाते में पीएम किसान की किस्त जारी करने से लेकर फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी को मंजूरी दी। आइए एक नजर डालते हैं इस साल मोदी सरकार किसानों के हित में किस तरह काम करती रही…
2023-24 में छह रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी
18 अक्टूबर, 2022
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 18 अक्टूबर, 2022 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल की समिति (सीसीईए) की बैठक हुई। इस बैठक में एमएसपी बढ़ाने का फैसला किया गया। सीसीईए ने फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) और विपणन सत्र 2023-24 में छह रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी। मोदी सरकार ने किसानों के उत्पादन और आय को बढ़ावा देने के लिए यह फैसला किया। फसल वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं का एमएसपी 110 रुपये बढ़ाकर 2,125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया, जो फसल वर्ष 2021-22 में 2,015 रुपये प्रति क्विंटल था। बयान में कहा गया है कि गेहूं की उत्पादन लागत 1,065 रुपये प्रति क्विंटल रहने का अनुमान है। इसके अलावा सरकार ने सरसों की एमएसपी में 400 रुपये प्रति कुंतल की बढ़ोतरी की। मसूर की एमएसपी में 500 रुपये प्रति कुंतल, जौ की एमएसपी में 100 रुपये प्रति कुंतल, कुसुम की एमएसपी में 209 रुपये प्रति कुंतल और चना की एमएसपी में 105 रुपये प्रति कुंतल का इजाफा किया गया।
उर्वरक उत्पाद के क्षेत्र में ‘एक देश-एक फर्टिलाइजर योजना’ लागू
मोदी सरकार ने उर्वरक उत्पाद के क्षेत्र में ‘एक देश-एक फर्टिलाइजर योजना’ लागू की। इसी योजना के तहत देश में 2 अक्टूबर, 2022 से सभी तरह के उर्वरक एक ही ब्रांड नाम ‘भारत’ से बिकने शुरू हो गए। इस योजना के तहत अब यूरिया, डाई अमोनियम फास्फेट (DAP), म्यूररेट ऑफ ऊटश (MOP), एनपीके “भारत” ब्रांड के नाम जैसे-भारत यूरिया, भारत डीएपी, भारत एमओपी और भारत एनपीके के नाम से बाजार में बेचे जाएंगे। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने सभी फर्टिलाइजर कारखानों, स्टेट ट्रेडिंग कंपनियों और फर्टिलाइजर की विपणन कंपनियों को निर्देश जारी कर दिए कि वह केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी देने वाले सभी उर्वरक की बोरियों पर सिंगल ब्रांड नाम एवं प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना का Logo लगाए। यानी अब देश के किसानों को एक जैसी फर्टिलाइजर खाद प्राप्त होगा। इसी परियोजना के तहत सरकार उर्वरक पर सब्सिडी मुहैया कराती है। इस स्कीम के माध्यम से किसानों को फ़र्टिलाइज़र की बोरियों पर भारत ब्रांड का लोगो होने से यह स्पष्ट हो जाएगा कि यह खाद केंद्रीय सब्सिडी वाला खाद है और किसान ब्रांड के चक्कर में नहीं पड़ेंगे।
गरीब किसानों के लिए वरदान बनी ‘किसान सम्मान निधि’
मोदी सरकार ने गरीब किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने और दूसरों पर निर्भरता खत्म करने के लिए ‘किसान सम्मान निधि’ योजना की शुरुआत की। इसका आर्थिक लाभ सीधे आम किसानों को मिलता है। इस योजना के तहत जनवरी, 2022 में 11.74 करोड़ से अधिक किसानों को 1.82 लाख करोड़ रुपये जारी किए गए, जबकि दिसम्बर, 2022 तक 11 करोड़ से अधिक पात्र किसानों को अब तक 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक जारी किए जा चुके हैं। गौरतलब है कि दिसंबर 2018 में शुरू हुई ‘पीएम किसान सम्मान निधि योजना’ के तहत किसानों को प्रति वर्ष 6,000 रुपये का भत्ता मिलता है, जो चार महीने के अंतराल में साल में तीन बार वितरित किया जाता है।
किसानों के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 अप्रैल, 2022 को बनासकांठा जिले के दियोदर में एक नया डेयरी कॉम्प्लेक्स और आलू प्रसंस्करण संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया, जिसे 600 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तैयार किया गया है। नया डेयरी कॉम्प्लेक्स एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है। यह प्रतिदिन लगभग 30 लाख लीटर दूध के प्रसंस्करण, लगभग 80 टन मक्खन, एक लाख लीटर आइसक्रीम, 20 टन संघनित दूध (खोया) और 6 टन चॉकलेट का उत्पादन करने में सक्षम होगा। आलू प्रसंस्करण संयंत्र विभिन्न प्रकार के प्रसंस्कृत आलू उत्पादों जैसे फ्रेंच फ्राइज, आलू चिप्स, आलू टिक्की, पैटी आदि का उत्पादन करेगा, जिनमें से कई उत्पाद अन्य देशों में निर्यात किए जाएंगे। ये संयंत्र स्थानीय किसानों को सशक्त बनाएंगे और क्षेत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे।
बनास सामुदायिक रेडियो स्टेशन राष्ट्र को समर्पित
प्रधानमंत्री मोदी ने 19 अप्रैल, 2022 को गुजरात के बनासकांठा जिले में बनास सामुदायिक रेडियो स्टेशन राष्ट्र को समर्पित किया। यह सामुदायिक रेडियो स्टेशन किसानों को कृषि और पशुपालन से संबंधित प्रमुख वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है। उम्मीद है कि रेडियो स्टेशन लगभग 1700 गांवों के 5 लाख से अधिक किसानों से जुड़ेगा। प्रधानमंत्री ने पालनपुर में बनास डेयरी संयंत्र में पनीर उत्पादों और मट्ठा पाउडर के उत्पादन के लिए विस्तारित सुविधाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। साथ ही, प्रधानमंत्री ने गुजरात के दामा में स्थापित जैविक खाद और बायोगैस संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने खिमना, रतनपुरा-भीलडी, राधनपुर और थावर में स्थापित होने वाले 100 टन क्षमता के चार गोबर गैस संयंत्रों की आधारशिला भी रखी।
आम बजट में किसानों और कृषि क्षेत्र का पूरा ख्याल
मोदी सरकार ने आम बजट में किसानों का पूरा ध्यान रखा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2022 को लोकसभा में वित्तीय वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश किया। इस बजट से जहां पूरे देश के लोगों को कुछ ना कुछ मिला है, वहीं इस बजट में किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए कई घोषणाएं की गई, जिनसे खासकर उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड के किसानों को ज्यादा लाभ मिलेगा। वहीं मणिपुर जैसे पूर्वोतर राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ ही पीएम पूर्वोत्तर विकास पहल नामक एक नयी योजना की भी घोषणा की गई।
यूपी,उत्तराखंड, पंजाब और मणिपुर के किसानों के लिए बड़ी पहल
- साल 2023 को मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया।
- 1208 मीट्रिक टन गेहूं और धान खरीदा जाएगा।
- 2.37 लाख करोड़ रुपये डीबीटी के जरिए दिए जाएंगे।
- तिलहन और दलहन की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
- प्राकृतिक खेती के लिए व्यापक पैकेज दिया जाएगा।
- गंगा किनारे ऑर्गेनिक खेती के लिए कोरिडोर्स बनेंगे।
- केन-बेतवा लिंक परियोजना को शुरू करने का ऐलान।
- 9 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि की सिंचाई होगी।
- देश में कृषि यूनिवर्सिटी का विस्तार किया जाएगा।
- कृषि सेक्टर में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
- रेलवे छोटे किसानों के लिए बेहतर लॉजिस्टिक मुहैया करायेगा।
- तीन वर्षों में 100 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल विकसित होंगे।
- एक उत्पाद, एक रेलवे स्टेशन को लोकप्रिय बनाया जाएगा।
- मणिपुर सहित पूर्वोतर में वैज्ञानिक जैविक कृषि को बढ़ावा
कृषि क्षेत्र को आधुनिक और स्मार्ट बनाने पर जोर
बजट 2022-23 में कृषि क्षेत्र को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए मुख्य रूप से सात रास्ते सुझाए गए। ‘पहला- गंगा के दोनों किनारों पर 5 किलोमीटर के दायरे में नेचुरल फार्मिंग को मिशन मोड पर कराने का लक्ष्य है। उसमें हर्बल मेडिसिन पर भी बल दिया जा रहा है। दूसरा- एग्रीकल्चर और हॉर्टीकल्चर में आधुनिक टेक्नॉलॉजी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी। तीसरा- खाद्य तेल के इंपोर्ट को कम करने के लिए मिशन ऑयल पाम के साथ-साथ तिलहन को सशक्त करने का प्रयास किया जा रहा है। चौथा लक्ष्य है कि खेती से जुड़े उत्पादों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए पीएम गति-शक्ति प्लान द्वारा लॉजिस्टिक्स की नई व्यवस्थाएं बनाई जाएंगी। बजट में पांचवां समाधान दिया गया है कि एग्री-वेस्ट मेनेजमेंट को अधिक ऑर्गेनाइज किया जाएगा। छठा सॉल्यूशन है कि देश के डेढ़ लाख से भी ज्यादा पोस्ट ऑफिस में रेगुलर बैंकों जैसी सुविधाएं मिलेंगी। और सातवां ये कि – एग्री रिसर्च और एजुकेशन से जुड़े सिलेबस में स्किल डेवलपमेंट, ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट में आज के आधुनिक समय के अनुसार बदलाव किया जाएगा।
देश में खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2021-22 के लिए प्रमुख कृषि फसलों के उत्पादन का तीसरा अग्रिम अनुमान जारी किया गया है। देश में खाद्यान्न का उत्पादन रिकॉर्ड 31.451 करोड़ टन होने का अनुमान है जो 2020-21 की अवधि के खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 37.7 लाख टन अधिक है। 2021-22 के दौरान उत्पादन पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के औसत खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 2.38 करोड़ टन अधिक है। चावल, मक्का, दालें, तिलहन, चना, रेपसीड एवं सरसों और गन्ने का रिकॉर्ड उत्पादन अनुमानित है। कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा है कि इतनी सारी फसलों का यह रिकार्ड उत्पादन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में केन्द्र सरकार की किसान हितैषी नीतियों के साथ ही किसानों के अथक परिश्रम और वैज्ञानिकों की लगन का परिणाम है।
2022-23 की रबी फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी
फसल | 2021-22
(रुपये/क्विंटल) |
2022-23
(रुपये/क्विंटल) |
उत्पादन की लागत 2022-23
(रुपये/क्विंटल) |
एमएसपी में वृद्धि
(रुपये/क्विंटल) |
लागत के ऊपर मुनाफा
(प्रतिशत में) |
गेहूं | 1975 | 2015 | 1008 | 40 | 100% |
जौं | 1600 | 1635 | 1019 | 35 | 60% |
चना | 5100 | 5230 | 3004 | 130 | 74% |
मसूर | 5100 | 5500 | 3079 | 400 | 79% |
सरसो | 4650 | 5050 | 2523 | 400 | 10% |
कुसुंभ | 5327 | 5441 | 3627 | 114 | 50% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
मोदी सरकार में खरीफ फसल की एमएसपी में वृद्धि
फसल | 2020-21 (रुपये/क्विंटल) | 2021-22 (रुपये/क्विंटल) | प्रतिशत (%) वृद्धि |
धान | 1868 | 1940 | 50% |
ज्वार | 2620 | 2738 | 50% |
बाजरा | 2150 | 2250 | 85% |
मक्का | 1850 | 1870 | 50% |
अरहर | 6000 | 6300 | 62% |
मूंग | 7196 | 7275 | 50% |
उड़द | 6000 | 6300 | 65% |
कपास | 5515 | 5726 | 50% |
स्रोत : कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू होने के से 29.39 करोड़ आवेदक किसानों का नाम दर्ज किया गया और 9.01 करोड़ (अस्थायी) से अधिक आवेदक किसानों को जनवरी, 2022 तक 1,04,196 करोड़ रुपये से अधिक के दावे प्राप्त हुए, जिनकी संख्या दिसम्बर 2022 में बढ़कर 38 करोड़ नामांकित आवेदक किसानों तक पहुंच गई और आवेदन करने वाले 12.24 करोड़ (अस्थायी) से अधिक किसानों को 1,28,522 करोड़ रुपये से अधिक के दावे प्राप्त हुए। जनवरी, 2022 तक किसानों द्वारा प्रीमियम के हिस्से के रूप में लगभग 21532 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, जिसके एवज में उन्हें 104196 करोड़ रुपये (अस्थायी) से अधिक के दावों का भुगतान किया गया था, इस प्रकार किसानों द्वारा भुगतान किए गए प्रीमियम के प्रत्येक 100 रुपये के लिए, उन्हें दिसम्बर, 2022 तक दावों के रूप में 484 रुपये प्राप्त हुए। किसानों द्वारा प्रीमियम के हिस्से के रूप में लगभग 25,192 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, जिसके बदले उन्हें 1,28,522 करोड़ रुपये (अस्थायी) से अधिक के दावों का भुगतान किया गया, इस प्रकार किसान द्वारा किए गए प्रत्येक 100 रुपये के प्रीमियम के भुगतान पर उन्हें दावे के रूप में करीब 510 रुपये मिले हैं।
कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण
कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण जनवरी, 2022 में 16.5 लाख करोड़ रुपये था, जिसे दिसम्बर, 2022 में बढ़ाकर 18.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। अल्पकालिक कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए 4 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज पर केसीसी के माध्यम से रियायती संस्थागत ऋण का लाभ पशुपालन और मत्स्य पालन करने वाले किसानों को भी दिया गया है। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से सभी पीएम-किसान लाभार्थियों को शामिल करने पर ध्यान देने के साथ रियायती संस्थागत ऋण प्रदान करने के लिए फरवरी 2020 से एक विशेष अभियान चलाया गया है। जनवरी, 2022 तक, 3,19,902 करोड़ रुपये की स्वीकृत क्रेडिट सीमा के साथ 291.67 लाख नए केसीसी आवेदन स्वीकृत किए गए थे जो दिसम्बर, 2022 में 4,33,426 करोड़ रुपये की स्वीकृत क्रेडिट सीमा के साथ अभियान के हिस्से के रूप में बढ़कर 376.97 लाख स्वीकृत केसीसी आवेदन हो गए।
देश में जैविक खेती को बढ़ावा देना
देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 2015-16 में परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की गई। जनवरी, 2022 तक 30934 क्लस्टर बनाए गए और 6.19 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया जिससे 15.47 लाख किसान लाभान्वित हुए, जो दिसम्बर, 2022 में बढ़कर 32384 क्लस्टर हो गए जिससे 16.19 लाख किसानों को लाभान्वित करते हुए 6.53 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है। इसके अलावा, नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 123620 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है और प्राकृतिक खेती के तहत 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और झारखंड में किसान, नदी जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के साथ-साथ किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त करने के लिए गंगा नदी के दोनों किनारों पर जैविक खेती की है।
वर्ष 2022 में 13,681 करोड़ रुपये का एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड
एआईएफ की स्थापना के बाद से जनवरी, 2022 तक इस योजना ने देश में 16,000 से अधिक परियोजनाओं के लिए 11,891 करोड़ रुपये के कृषि बुनियादी ढांचे को मंजूरी दी, जबकि दिसम्बर, 2022 तक देश में 18,133 से अधिक परियोजनाओं के लिए 13,681 करोड़ रुपये के कृषि बुनियादी ढांचे को मंजूरी दी गई। योजना के समर्थन से विभिन्न कृषि बुनियादी ढांचों का निर्माण किया गया और कुछ बुनियादी ढांचे पूर्ण होने के अंतिम चरण में है। जनवरी 2022 तक, 4748 गोदामों, 591 कस्टम हायरिंग केन्द्रों, 155 परख इकाइयों, 550 प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों, 306 छँटाई और ग्रेडिंग इकाइयों, 267 कोल्ड स्टोर परियोजनाओं और लगभग 2420 अन्य प्रकार की फसल कटाई के बाद की प्रबंधन परियोजनाओं और सामुदायिक कृषि संपत्तियों की स्थापना की गई थी जो दिसम्बर, 2022 में बढ़कर 8076 गोदामों, 2788 प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों, 1860 कस्टम हायरिंग केन्द्रों, 937 छँटाई और ग्रेडिंग इकाइयों, 696 कोल्ड स्टोर परियोजनाओं, 163 परख इकाइयों और लगभग 3613 अन्य प्रकार की फसल कटाई के बाद की प्रबंधन परियोजनाओं और सामुदायिक कृषि संपत्तियों तक बढ़ गई।
दिसम्बर, 2022 तक 4016 एफपीओ पंजीकृत
प्रधानमंत्री मोदी ने 29 फरवरी, 2020 को वर्ष 2027-28 तक 6865 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ 10,000 नए एफपीओ के गठन और प्रसार के लिए एक नई केन्द्रीय क्षेत्र की योजना शुरू की। नई एफपीओ योजना के तहत जनवरी, 2022 तक कुल 2110 एफपीओ पंजीकृत किए गए थे, जो दिसम्बर, 2022 तक बढ़कर 4016 एफपीओ हो गए। पीएम मोदी ने 351 एफपीओ को 14 करोड़ रुपये से अधिक का अनुदान जारी किया। इससे 1.24 लाख से अधिक किसानों को लाभ होगा। इससे 1.24 लाख से अधिक किसानों को लाभ होगा। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने एफपीओ से बातचीत की। एफ़पीओ योजना के तहत किसान समूहों को 15 लाख रुपये की आर्थिक मदद मिल रही है। किसानों को उद्यमी बनने के अवसर मिल रहे हैं। ऋण गारंटी कोष के जरिये प्रति एफपीओ 2 करोड़ रुपये तक कोलैटरल फ्री गारंटी सुविधा दी जा रही है।
एनबीएचएम के तहत 114 परियोजनाएं वित्त पोषण के लिए मंजूर
आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में 2020 में एक राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) शुरू किया गया है। मधुमक्खी पालन क्षेत्र के लिए 2020-2021 से 2022-2023 की अवधि के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मधुमक्खी पालन क्षेत्र के लिए 70 परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। एनबीएचएम के तहत वित्त पोषण के लिए लगभग 118.00 करोड़ रुपये की सहायता से 70 परियोजनाओं को मंजूरी/स्वीकृति दी गई जबकि दिसम्बर, 2022 तक लगभग 139.23 करोड़ रुपये की सहायता से 114 परियोजनाओं को एनबीएचएम के तहत वित्त पोषण के लिए मंजूर/स्वीकृत किया गया है।
कृषि यंत्रीकरण
कृषि का आधुनिकीकरण करने और खेती के कार्यों की नीरसता को कम करने के लिए कृषि यंत्रीकरण अत्यंत महत्वपूर्ण है। 2014-15 से मार्च, 2022 की अवधि के दौरान कृषि यंत्रीकरण के लिए 5490.82 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। जनवरी, 2022 तक किसानों को सब्सिडी पर उपलब्ध कराई गई मशीनों और उपकरणों की संख्या 13,78,755 थी, जो दिसम्बर, 2022 में बढ़कर 13,88,314 हो गई है। किसानों को किराये पर मशीनें और उपकरण उपलब्ध कराने के लिए दिसम्बर, 2022 में 18,824 कस्टम हायरिंग सेंटर, 403 हाई-टेक हब और 16,791 फार्म मशीनरी बैंक काम कर रहे हैं, जबकि जनवरी, 2022 तक 16,007 कस्टम हायरिंग सेंटर, 378 हाई-टेक हब और 16309 कृषि मशीनरी बैंक उपलब्ध थे।