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‘एक देश, एक परीक्षा’ की तरफ बढ़ती मोदी सरकार, सरकारी भर्तियों के लिए एकल परीक्षा का प्रस्ताव

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पहले और दूसरे कार्यकाल में कई सुधारवादी और परिवर्तनकारी योजनाएं शुरू की, जो देश की तस्वीर बदलने वाली साबित हो रही है। इन योजनाओं का लाभ जहां आम लोगों को मिल रहा है, वहीं यह हमारे देश के छात्रों के लिए भी काफी प्रेरणादायी है।


ग्रुप ‘बी’ और ‘सी’ के पदों के लिए हो एक ही परीक्षा

अब मोदी सरकार सरकारी परीक्षा को कराने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। मोदी सरकार ने ग्रुप ‘बी’ और ‘सी’ के पदों के लिए होने वाली सभी भर्तियों को एक ही परीक्षा के जरिए करवाने का प्रस्ताव रखा है।

सरकार का कहना है कि यह काम सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी) के जरिए एक विशिष्ट एजेंसी के जरिए हो सकता है। मौजूदा समय में ये भर्तियां संघ लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन आयोग जैसी एजेंसियां करती हैं।

प्रस्ताव पर सभी से मांगी गई राय

कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने अपने एक बयान में बताया कि ग्रुप ‘बी’, ग्रुप ‘सी’ के कुछ पद और सहायक सरकारी संगठनों में इन्हीं पदों पर नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा कराने के लिए एक विशिष्ट एजेंसी बनाने का प्रस्ताव दिया है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कदम किसी भी पृष्ठभूमि से आने वाले लोगों को समान अवसर देगा, साथ ही परीक्षा कराने वाली सरकारी एजेंसियों और परीक्षा में शामिल होने वालों के लिए भी ये किफायती होगा। वहीं मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर दूसरे मंत्रालयों, भारत सरकार के विभागों, राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन और अन्य पक्षों खासकर सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों के लिए आवेदन करने के इच्छुक उम्मीदवारों से भी जवाब मांगा है।

क्या कहता है सरकारी डाटा

सरकार के हाल के डाटा के अनुसार एक मार्च, 2018 तक केंद्र सरकार के विभागों में कुल 6,83,823 रिक्त पदों में से, 5,74,289 पद ग्रुप सी, 89,638 ग्रुप ‘बी’ और 19,896 पद ग्रुप ‘ए’ के हैं। हर साल करीब 1.25 लाख पदों के लिए लगभग 2.5 करोड़ छात्र अलग-अलग परीक्षाओं में बैठते हैं, जिन्हें अलग-अलग एजेंसियां आयोजित करती हैं। 

आइए, एक नजर डालते हैं कि छात्रों के लिए मोदी सरकार द्वारा किए गए कुछ उल्लेखनीय कार्यों पर –

स्किल इंडिया योजना से छात्रों को मिला प्रोत्साहन

स्किल इंडिया योजना से स्कूली शिक्षा पूरी करने वाले छात्रों को काफी प्रोत्साहन मिला है। छात्रों को तकनीकी प्रशिक्षण लेना काफी आसान हुआ है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के युवाओं के औद्योगिक और उद्यमशीलता कौशल को विकसित करने के लिए स्किल इंडिया योजना की शुरुआत की।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के युवाओं की प्रतिभाओं के लिए विकास के अवसर प्रदान करना है ताकि उन्हें रोजगार मिल सके इसके साथ ही उद्यमिता में सुधार हो सके। इस योजना के तहत साल 2022 तक देश में करीब 400 मिलियन से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

दिव्यांगों के लिए कौशल विकास योजना

21 मार्च, 2015 को दिव्यांगों के कौशल विकास के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना शुरू की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने 38 लाख दिव्यांगों को लक्ष्य बनाकर राष्ट्रीय कौशल नीति पेश की। दिव्यांगों के लिए कौशल परिषद (ScPWD) बनायी गयी है, जो कौशल नीति तैयार करती है।

31 अक्टूबर, 2019 तक दिव्यांगों को कौशल प्रशिक्षण देने के लिए 266 संगठनों को सूचीबद्ध किया गया। कौशल प्रशिक्षण से दिव्यांगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। पिछले 5 वर्षों में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में दिव्यांगों के लिए रोजगार के मौकों में सुधार आया है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना

पीएम मोदी की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना से बालिकाओं के स्कूल ड्रॉपआउट में गिरावट आई है। बता दें कि इस योजना की रूपरेखा गिरते शिशु लिंगानुपात के समाधान के लिए बनाई गई। इस योजना के बाद लिंगानुपात में बढ़ोतरी देखी गई है।

इस योजना से कुछ अन्य उपलब्धियां भी हासिल हुईं हैं, जिनमें 100 प्रतिशत संस्थागत प्रसव, हर गांव में गुड्डा-गुड़िया बोर्ड का गठन, लड़कियों/महिलाओं की सुरक्षा एवं स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालयों की व्यवस्था भी शामिल है।

स्वप्रमाणित सर्टिफिकेट

मोदी सरकार ने सरकारी नौकरियों या शिक्षण संस्थाओं में एडमीशन के वक्त किसी गैजटेड अधिकारी से सत्यापित प्रमाणपत्रों के नियम को खत्म किया। सरकार के गठन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने स्वप्रमाणित यानी सेल्फ अटेस्टेड सर्टिफिकेट को मान्यता देने का नियम बनाया। केंद्र सरकार के इस फैसले से युवाओं और छात्रों की बहुत बड़ी परेशानी खत्म हो गई।

ग्रुप सी और ग्रुप डी में इंटरव्यू खत्म किया

मोदी सरकार ने ग्रुप सी और ग्रुप डी की नौकरियों में साक्षात्कार की बाध्यता को खत्म करने का ऐतिहासिक फैसला किया। इस निर्णय के बाद ग्रुप सी और ग्रुप डी की सरकारी नौकरियों में सिर्फ लिखित परीक्षा के आधार पर अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया और इंटरव्यू के दौरान भ्रष्टाचार की संभावनाएं भी खत्म हो गईं।

 

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