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मोदीराज में सशक्त हुआ किसान: 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध मोदी सरकार

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार किसान कल्याण में जुटी हुई है। मोदी सरकार बनने के बाद से किसानों के हित में इतने कदम उठाए हैं, जितने पहले किसी सरकार ने नहीं उठाए। मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए तेजी से काम कर रही है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र सरकार ने किसान हितैषी कई योजनाओं पर प्रभावी तरीके से अमल करके दिखाया है। मोदी सरकार के लिए किसान कल्याण सर्वोपरि है। यही वजह है कि कृषि के क्षेत्र में देश लगातार नए मकाम हासिल कर रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार हमेशा किसानों के उन्नति के बारे में ही सोचती है। एक नजर डालते हैं उन योजनाओं पर जो किसानों के हित में चलाई जा रही हैं-

गैर-यूरिया उर्वरक की कीमत में 50 रुपये प्रति बैग की कमी
देश की अग्रणी उर्वरक सहकारी संस्‍था इफको ने गैर यूरिया उर्वरक की कीमत में 50 रुपये प्रति बैग की कमी की है। इफको ने डाई-अमोनियम फॉस्‍फेट (डीएपी) सहित अपने कॉम्‍प्‍लेक्‍स उर्वरक की खुदरा कीमत 50 रुपए प्रति बैग घटाने की घोषणा की है। इफको के डीएपी का नया मूल्‍य अब 1250 रुपये प्रति 50 किग्रा बैग होगा, जो इससे पहले 1300 रुपये प्रति बैग था। एनपीके-1 कॉम्‍प्‍लेक्‍स की कीमत घटकर अब 1200 रुपये प्रति बैग होगी, जो इससे पहले 1250 रुपये प्रति बैग थी। एनपीके-2 कॉम्‍प्‍लेक्‍स की कीमत घटकर अब 1210 रुपये प्रति बैग होगी, जो इससे पहले 1260 रुपये प्रति बैग थी। इसी प्रकार एनपी कॉम्‍प्‍लेक्‍स की खुदरा कीमत 50 रुपये घटने के बाद 950 रुपये प्रति बैग हो गई है। इफको ने इससे पहले जुलाई, 2019 में डीएपी और कॉम्‍प्‍लेक्‍स उर्वरकों की कीमतों में कटौती की थी।

e-NAM योजना ने बनाया रिकॉर्ड
प्रधानमंत्री मोदी नेकिसानों की इनकम बढ़ाने और उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए कई प्रयास किए हैं। इन्हीं में से एक योजना है e-NAM यानि राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना। मोदी सरकार ने इसकी शुरुआत 14 अप्रैल, 2016 को की थी। किसानों को बाजार उपलब्ध कराने की e-NAM योजना यानि ऑनलाइन मंडी की योजना हिट हो गई है। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक देश के करीब पौने दो करोड़ किसान इस ऑनलाइन मंडी से रजिस्टर्ड हो चुके हैं। साल 2017 तक e-NAM से सिर्फ 17,000 किसान ही जुड़े थे। ई-नाम एक इलेक्ट्रॉनिक कृषि पोर्टल है। जो पूरे भारत में मौजूद एग्री प्रोडक्ट मार्केटिंग कमेटी को एक नेटवर्क में जोड़ने का काम करती है। इसका मकसद एग्रीकल्चर प्रोडक्ट के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक बाजार उपलब्ध करवाना है। इससे फायदे को देखते हुए किसान तेजी से इसके साथ जुड़ रहे हैं। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने में ये योजना लाभकारी सिद्ध हो रही है।

मोबाइल से किराए पर मंगा सकेंगे आधुनिक कृषि मशीनरी
देश के छोटे किसानों की सबसे बड़ी दिक्कत होती है कि वे खेती-बाड़ी में काम आने वाले अत्याधुनिक कृषि यंत्रों को खरीद नहीं सकते हैं। इसलिए मोदी सरकार ने छोटे किसानों के एक मोबाइल एप लॉन्च किया। ‘सीएचसी फार्म मशीनरी’ मोबाइल एप के जरिए किसान अपने खेत के 50 किलोमीटर दायरे में उपलब्ध खेती के उपकरण को मंगा सकेंगे। इस एप को बहुभाषी बनाया गया है। यह एप हिंदी और अंग्रेजी समेत 12 भाषाओं में उपलब्ध है। इस मोबाइल एप्लीकेशन पर अभी तक 40 हजार से भी अधिक कस्टम हायरिंग सेंटर पंजीकृत हो चुके हैं। इनके पास 1.20 लाख से भी अधिक उपकरण उपलब्ध हैं। मोदी सरकार को उम्मीद है कि इससे आम किसानों, कम जोत वाले सीमांत किसानों को अधिक लाभ होगा, क्योंकि वे ज्यादा महंगे उपकरण खरीद नहीं सकते। इन उपकरणों के उपयोग से किसानों की लागत कम होगी, उपज बढ़ेगी और उनकी आमदनी में भी इजाफा होगा।

पीएम-किसान सम्मान निधि
जब से प्रधानमंत्री मोदी ने देश की बागडोर संभाली है किसानों का कल्याण उनकी प्राथमिकता में रहा है। मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने में लगी है। किसानों की आर्थिक हालत सुधारने के लिए मोदी सरकार ने पीएम-किसान सम्मान निधि देने की शुरुआत की है। इसके तहत देश के करोड़ों किसानों को हर वर्ष 6 हजार रुपये की मदद दी जाती है। पहले इस योजना के तहत सिर्फ 2 हेक्टेयर तक जमीन वाले किसानों को ही शामिल किया गया था लेकिन अब सभी किसानों को इसके तहत लाया गया है। कृषि मंत्रालय के अनुसार पीएम किसान पोर्टल पर जाकर कोई भी किसान अपना आधार, मोबाइल और बैंक खाता नंबर दर्ज करके इसके स्टेटस की जानकारी ले सकता है। इतना ही नहीं अब इस योजना में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए किसानों को अधिकारियों के पास नहीं जाना पड़ेगा। कोई भी किसान इसके पोर्टल पर जाकर खुद ही अपना रजिस्ट्रेशन कर सकता है। इसका मकसद सभी किसानों को स्कीम से जोड़ना और रजिस्टर्ड लोगों को समय पर लाभ पहुंचाना है।

‘प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 सितंबर, 2019 को झारखंड की राजधानी रांची से ‘प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना’ का शुभारंभ किया। ‘प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना’ से 5 करोड़ लघु और सीमांत किसानों का जीवन सुरक्षित होगा। ऐसे किसानों को 60 वर्ष की आयु होने पर न्यूनतम 3000 रुपये प्रति माह पेंशन दी जाएगी। इस योजना से 12 सितंबर तक करीब 8.36 लाख किसान खुद को रजिस्ट्रर करवा चुके हैं।

प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना का मकसद किसानों को सामाजिक सुरक्षा कवच उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत 18 से 40 वर्ष के उम्र के किसानों का रजिस्ट्रेशन हो सकेगा। इस योजना की तहत जो राशि किसान जमा करेगा उतनी ही सरकार भी जमा करवाएगी। अगर किसी की उम्र 29 साल के आसपास है तो उसे करीब 100 रुपये देने होंगे। इससे कम उम्र के लोगों को कम पैसा देना होगा और इससे ज्यादा के लोगों को थोड़ा सा ज्यादा देना होगा। इस योजना का लाभ वो किसान ले सकते हैं जिनके पास दो हेक्टेयर तक कृषि भूमि होगी। 18 से 40 वर्ष तक आयु के किसान इससे जुड़ सकते हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए न्यूनतम 55 रुपये हर महीने जमा करवाने होंगे। देश के अन्नदाताओं को फायदा पहुंचाने वाली इस योजना से सरकारी खजाने पर 10,774.5 करोड़ सालाना बोझ पड़ेगा।

मोदी सरकार ने गैर-यूरिया खादों की बढ़ाई सब्सिडी
मोदी सरकार ने फॉस्‍फोरस और पोटाश (पीएंडके) उर्वरकों के लिए पोषण आधारित सब्सिडी दरों के निर्धारण के लिए उर्वरक विभाग के प्रस्‍ताव को अपनी मंजूरी दी। सल्फर खाद पर 3.56 रुपये, नाइट्रोजन वाली खाद पर 18.90 रुपये, फॉस्फोरस वाली खाद पर 15.21 रुपये, जबकि पोटाश खाद पर 11.12 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी दी गई है। इस फैसले से चालू वित्त वर्ष में खजाने पर कुल 22,875 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। सरकार के इस कदम से किसानों को संतुलित खाद का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।

अब सीधे खाते में जमा होगी खाद सब्सिडी
मोदी सरकार ने अब 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की खाद सब्सिडी को सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर को लेकर बड़ा कदम उठया है। सरकार अब डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत सीधे किसानों के बैंक खातों में खाद सब्सिडी ट्रांसफर करेगी। इससे योजना में पारदर्शिता आएगी और उर्वरक की आपूर्ति में सहूलियत हो जाएगी। डीबीटी डैशबोर्ड का प्रावधान किया गया है, जिससे हर तरह की जानकारी कभी भी हासिल की जा सकती है और खाद की मांग, आपूर्ति व उपलब्धता को जांचा जा सकता है। नई व्यवस्था के तहत खाद के उत्पादन, आयात और उसका भंडारण कहां और कितना किया गया है, उसकी जानकारी ऑनलाइन प्राप्त की जा सकेगी। 

अब किसानों को आसानी से मिलती है खाद
कांग्रेस की सरकारों के दौरान किसानों को खेती के लिए उर्वरक लाने में जान के लाले पड़ जाते थे। सरकारी खाद की दुकानों पर किसानों का अधिक समय लाइन लगाने और खाद लाने में बीत जाता था। इन लाइनों में खाद न मिलने के कारण कई राज्यों में अनेकों बार हिंसक घटनाएं हुईं। लेकिन अब देश में यह बीते दिनों की बातें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने नीम कोटिंग का ऐतिहासिक फैसला लेकर कालाबजारी को पूरी तरह से बंद कर दिया, अब रासायनिक उर्वरकों का उपयोग केवल खेतों में ही हो सकता है, पहले की तरह उद्योगों में  इसका उपयोग होना बंद हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने दूसरा ऐतिहासिक कदम यह उठाया कि सभी बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों को उत्पादन के लायक बनाकर, देश में उर्वरक उत्पादन को बढ़ा दिया। कांग्रेस की सरकारों के समय से बंद पड़े कई उर्वरक संयंत्रों को पुर्नजीवित किया जा रहा है।

हर खेत तक 24 घंटे बिजली पहुंचाने की योजना
हर घर तक बिजली पहुंचाने के बाद मोदी सरकार अब हर खेत तक 24 घंटे बिजली पहुंचाने की योजना पर काम कर रही है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए अगले सात-आठ महीने में कृषि क्षेत्र को पर्याप्त बिजली मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए पूरी तरह से अलग फीडर तय किया है, जिससे उन्हें 24 घंटे बिजली मिल सके। इसके साथ ही सरकार की योजना किसानों की लगात कम करने की भी है। सब्सिडी के साथ बिजली मिलने से भी उनकी आय बढ़ेगी।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से इनकम बढ़ाने की तैयारी
2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए मोदी सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। इसी को देखते हुए अब खेती में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। मोदी सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से देश के किसानों की तकदीर बदलने की तैयारी कर रही है। यह तकनीक किसानों के लिए मुनाफे की खेती साबित हो सकती है। इससे फसल की लागत घटेगी और किसानों की आय बढ़ेगी।

सॉयल हेल्थ कार्ड से खेतों की पैदावार की ताकत बढ़ाई
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कृषि उत्पादकता बढ़ाने और उत्पादन लागत कम करने के लिए केंद्र सरकार सभी किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड उपलब्ध करा रही है। सॉयल हेल्थ कार्ड में सॉयल हेल्थ सुधार और उसकी उर्वरता बढ़ाने के लिए उपयोग किए जाने वाले पोषक तत्वों की उचित मात्रा की जानकारी के साथ खेतों की पोषण स्थिति पर किसानों को सूचना दी जाती है।सॉयल हेल्थ कार्ड खेतों की उपज शक्ति मापने का किसानों के हाथ में जबरदस्त हथियार है। अब तक किसी सरकार ने किसानों के खेतों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने में खेतों की ताकत के बारे में कभी नहीं सोचा था। सॉयल हेल्थ कार्ड, किसान को यह बता देता है कि उसके खेत में किस तरह के उर्वरक की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी का इस छोटी सी लेकिन महत्वपूर्ण समस्या के समाधान के बारे में सोचना और योजना को लागू करना, यह साबित करता है कि 2022 तक किसानों की आय दो गुनी होने से कोई नहीं रोक सकता है।

KUSUM योजना को दी मंजूरी
मोदी सरकार ने हाल ही में किसानों को एक और बड़ा तोहफा दिया है। मोदी सरकार ने किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान यानि KUSUM योजना को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस योजना के तहत किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए सोलर पंप मुहैया कराया जाएगा। मोदी सरकार ने KUSUM योजना बिजली संकट से जूझ रहे इलाकों को ध्यान में रख शुरू की है।

गौरतलब है कि भारत में किसानों को सिंचाई में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है और अधिक या कम बारिश की वजह से किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है। मोदी सरकार की कुसुम योजना के जरिए किसान अपनी जमीन पर सौर ऊर्जा उपकरण और पंप लगाकर अपने खेतों की सिंचाई कर सकते हैं। कुसुम योजना की मदद से किसान अपनी भूमि पर सोलर पैनल लगाकर इससे बनने वाली बिजली का उपयोग खेती के लिए कर सकते हैं। किसान की जमीन पर बनने वाली बिजली से देश के गांव में बिजली की निर्बाध आपूर्ति शुरू की जा सकती है। कुसुम योजना के पहले चरण में किसानों के सिर्फ उन सिंचाई पंप को शामिल किया जाएगा, जो अभी डीजल से चल रहे हैं।

तीन लाख तक कर्ज लेने पर कोई शुल्क नहीं
अब किसानों को 3 लाख रुपये तक के कर्ज लेने की प्रक्रिया में कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। अब किसानों को प्रोसेसिंग, इंस्पेक्शन फीस या सर्विस चार्ज नहीं देना होगा। किसानों को कृषि ऋण और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) पर कर्ज लेने के दौरान किसी भी तरह का शुल्क नहीं देना होगा। पहले ऋण मुहैया कराने से पहले प्रक्रिया या अन्य के नाम पर कुछ प्रतिशत तक किसानों से वसूला जाता था। आईबीए ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि कोई भी शुल्क किसानों से तीन लाख रुपये तक कर्ज लेने में नहीं लिया जाएगा।

गायों के लिए राष्ट्रीय गोकुल योजना
सरकार ने पशुपालन और गो-संरक्षण के लिए बड़ी पहल की है। गांवों की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान निभाने वाली गायों के लिए राष्ट्रीय गोकुल योजना की शुरुआत की जाएगी। इसके तहत 750 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

नई अनाज खरीद नीति को मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हर पल किसानों को मजबूत करने के लिए कार्य किया है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने नई अनाज खरीद नीति को मंजूर कर दिया है। केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (PM-AASHA) के तहत राज्यों को एक से ज्यादा स्कीमों का विकल्प मिला है। अगर, बाजार की कीमतें समर्थन मूल्य से नीचे आती हैं तो सरकार एमएसपी को सुनिश्चित करेगी और किसानों के नुकसान की भरपाई करती है। यह स्कीम राज्यों में तिलहन उत्पादन के 25% हिस्से पर भी लागू है।

मोटे अनाज की पैदावार बढ़ाने पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार जहां एक तरफ किसानों की आय बढ़ाने में लगी है, वहीं दूसरी तरफ जन-जन को पोषक अनाज उपलब्ध कराने के लिए भी काम कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों और देश की सेहत के लिए पोषक मोटे अनाजों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए उपमिशन लागू कर दिया है। ये योजना उन किसानों के लिए फायदेमंद रही जहां ज्यादातर सूखा पड़ता है। मोटे अनाज की खेती में अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है। 

‘बीज से बाजार’ तक की महत्वपूर्ण पहल
किसानों को सशक्त करने के लिए ‘बीज से बाजार तक’ मोदी सरकार की एक अनुपम पहल है। जैसा कि नाम से भी स्पष्ट है, इस पहल के अंतर्गत पूरे फसल चक्र में किसानों के लिए कृषि कार्य को आसान बनाने की व्यवस्था है। यानि किसानों के लिए बीज हासिल करने से लेकर उपज को बाजार में बेचने तक का प्रावधान है। इस व्यवस्था में सबसे पहले बुआई से पहले किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखा गया है जिसमें कृषि ऋण की उपलब्धता महत्वपूर्ण है।

किसान संपदा योजना से सप्लाई चेन को मजबूती
मोदी सरकार प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के जरिए खेत से लेकर बाजार तक पूरी सप्लाई चेन को मजबूत कर रही है। इसके लिए प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना शुरू की गई जिसका उद्देश्य कृषि उत्पादों की कमियों को पूरा करना, खाद्य प्रसंस्करण का आधुनिकीकरण करना है। इससे देश के 20 लाख किसानों को लाभ होगा और बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी निकलने वाले हैं। गौर करने वाली बात है कि इस योजना को फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में 100 प्रतिशत FDI के सरकार के फैसले से भी नया बल मिला है।

जंगली जानवरों के कारण बर्बाद फसलों की भरपाई
मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत प्रायोगिक तौर पर जंगली जानवरों के कारण बर्बाद फसलों की भरपाई का फैसला किया है। कुछ चुने हुए जिलों में जंगली पशुओं के कारण फसल बर्बादी की भरपाई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्रायोगिक आधार पर करने का फैसला किया गया है।

किसानों की दशकों पुरानी समस्याएं खत्म करने के लिए उठाए कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों की समस्याओं के समाधान को निश्चित समय में लागू करने के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय लिए। कांग्रेस की सरकारों में किसानों के लिए पानी, बिजली, खाद आदि से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए योजनाएं तो बनीं, लेकिन उनके क्रियान्वयन की समयसीमा को निश्चित नहीं किया गया, इसका परिणाम यह हुआ कि समस्या हमेशा बनी ही रही। प्रधानमंत्री मोदी ने इसके विपरीत किसानों की पानी, बिजली, बीज, खाद, कृषि से जुड़े अन्य धंधों, बाजार, बीमा आदि से जुड़ी योजनाओं को निश्चित समय में लागू करने निर्णय लिया। प्रधानमंत्री का संकल्प है कि देश के किसानों की आय को 2022 तक दोगुना कर देंगे। किसानों की समस्याओं का समाधान करते हुए, आय दोगुनी करने का संकल्प मोदी सरकार से पहले इस देश में किसी सरकार ने नहीं लिया।

किसानों को लगभग मुफ्त में फसल बीमा का लाभ 
आज किसानों को खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत और रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत के प्रीमियम पर बीमा मिल रहा है, शेष 98 प्रतिशत प्रीमियम राज्य और केन्द्र सरकारें देती हैं। फसल बीमा से खेती में अचानक हुए किसी भी तरह के नुकसान की भरपाई बैंक कर रहे हैं। फसल बीमा से किसानों को खेती की अनिश्चितता से होने वाली चिंता खत्म हुई है। इससे छोटे -छोटे किसान भी बड़ी तेजी से फसल बीमा कराके चिंताओं से मुक्त हो रहे हैं।

किसानों को खेत से ही फसल बेचने की सुविधा
देश में सभी अनाज और फल-सब्जी मंडियों के कानून में संशोधन करके, इंटरनेट के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। पूरे देश की अनाज और फल की मंडियों के एक हो जाने से किसी भी गांव का किसान देश में उपज कहीं भी बेच सकता है। 2022 तक यह पूरी तरह से व्यवस्थित होकर एक हो जाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। 

अब छोटे पैक में यूरिया
किसानों की सहूलियत का ख्याल रखते हुए सरकार यूरिया के छोटे बैग मुहैया कराने जा रही है। वर्तमान में किसानों को यूरिया 50 किलो के बैग में मिलता है। सरकार का प्रयास देश भर में बैग के आकार को छोटा कर 45 किलो करने का है। सरकार मानना है कि इससे यूरिया की बचत होगी। दरअसल किसान अपने फसल में यूरिया की मात्रा तौल कर नहीं डालते हैं। बैग में यूरिया की मात्रा कम करने से इसकी खपत कम होगी।

यूरिया उत्पादन में आत्म निर्भर हो रहा भारत
एक वक्त था जब यूरिया की कालाबाजारी से किसान परेशान रहते थे। लेकिन मोदी सरकार की नीतियों से इसपर रोक लग गई है। दूसरी ओर सरकार ने देश को यूरिया उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का निर्णय लिया है। इस प्रयास में पुराने कारखानों को शुरू करने के साथ नए कारखानों की भी शुरुआत हुई है। कई राज्यों में बन रहे यूरिया कारखानों के निर्माण में भी कार्य तेज गति से चल रहा है। भारत सरकार गोरखपुर, सिंदरी, बरौनी, तालचर और रामागुण्डम स्थित पांच उर्वरक संयत्रों का पुनरूद्धार कर रही है। गोरखपुर में निर्माणाधीन फैक्ट्री में यूरिया का उत्पादन वर्ष 2022 से शुरू हो जाएगा। 

नीम कोटिंग यूरिया से खेती बढ़ी, खाद का उपयोग घटा
नीम कोटेड यूरिया की पहल जमीन पर रंग ला रही है। इससे यूरिया की खपत में तो कमी आई ही है साथ में किसानों को खेती की लागत में कमी आई है। नीम कोटेड यूरिया के चलते खाद की बिक्री में कमी देखने को मिली है लेकिन अनाज की पैदावार में बढ़ोत्‍तरी दर्ज की गई है। यूरिया के अलावा केंद्र सरकार ने कई ऐसी योजनाएं बनाईं हैं जो किसानों के हित के लिए हैं। आइये देखते हैं इन्हीं में से कुछ महत्वपूर्ण कदम।  

गोबर-धन योजना से गांवों का हो रहा विकास
सरकार ने ग्रामीणों के जीवन को बेहतर बनाने के अपने प्रयासों के तहत बजट 2018-19  में गोबर-धन यानि गैलवनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्स योजना की घोषणा की। इस योजना के तहत गोबर और खेतों के ठोस अपशिष्ट पदार्थों को कम्पोस्ट, बायो-गैस और बायो-सीएनजी में परिवर्तित किया जा रहा है। समावेशी समाज निर्माण के दृष्टिकोण के तहत सरकार ने विकास के लिए 115 जिलों की पहचान की है। इन जिलों में स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, सिंचाई, ग्रामीण विद्युतीकरण, पेयजल, शौचालय जैसे क्षेत्रों में निवेश करके निश्चित समयावधि में विकास की गति को तेज किया जाएगा और ये 115 जिले विकास के मॉडल साबित होंगे।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य ही यह है कि ‘हर खेत में पानी।‘ शायद ही इस कारण की जटिलता को पहले किसी और सरकार ने इस गंभीरता से समझा हो, जितना मोदी सरकार ने कि भारतीय खेती की सिंचाई संबंधी निर्भरता बहुत बड़े स्तर पर वर्षा पर है। वर्षा की अनिश्चितता सीधे तौर पर फसलों के उत्पादन को प्रभावित करती है, जिससे किसान का हित प्रभावित होता है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सिंचाई योजना इसी समस्या का सशक्त समाधान है।

प्रधानमंत्री कृषि कौशल योजना
किसी भी कार्य का व्यावसायिक तथा व्यावहारिक प्रशिक्षण उस कार्य में प्रगति की संभावनाओं को कई गुना बढ़ा देता है। प्रधानमंत्री कृषि कौशल योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि से संबंधित विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान करवाना है। विशेषकर ऐसे युवाओं को, जो बीच में पढ़ाई छोड़ चुके हैं अथवा खेती से विमुख हो रहे हैं। इस प्रशिक्षण द्वारा कुशल कामगारों को विकसित किया जाता है। इसके अंतर्गत पाठ्यक्रमों में सुधार करना, बेहतर शिक्षण और प्रशिक्षित शिक्षकों पर विशेष जोर दिया गया है। प्रशिक्षण में अन्‍य पहलुओं के साथ व्‍यवहार कुशलता और व्‍यवहार में परिवर्तन भी शामिल है।

कृषि एप का लाभ
मौसम से जुड़ी सही-सही जानकारी को समय पर किसानों को उपलब्ध कराना इस योजना का उद्देश्य है। मौसम में बदलाव, वर्षा अथवा इस विषय से संबंधित सभी महत्वपूर्ण सूचनाएं इस एप पर उपलब्ध हैं।

परंपरागत कृषि विकास योजना
परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) को लागू किया जा रहा है ताकि देश में जैव कृषि को बढ़ावा मिल सके। इससे मिट्टी की सेहत और जैव पदार्थ तत्वों को सुधारने तथा किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।

भंडार गृह की सुविधा
किसानों द्वारा मजबूरी में अपने उत्पाद बेचने को हतोत्साहित करने और उन्हें अपने उत्पाद भंडार गृहों की रसीद के साथ भंडार गृहों में रखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे छोटे और मझौले किसानों को ब्याज रियायत का लाभ मिलेगा, जिनके पास फसल कटाई के बाद के 6 महीनों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड होंगे।

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) को सरकार उनकी जरूरतों के मुताबिक राज्यों में लागू कर सकेगी, जिसके लिए राज्य में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। राज्यों को उऩकी जरूरतों, प्राथमिकताओं और कृषि-जलवायु जरूरतों के अनुसार योजना के अंतर्गत परियोजनाओँ/कार्यक्रमों के चयन, योजना की मंजूरी और उऩ्हें अमल में लाने के लिए लचीलापन और स्वयत्ता प्रदान की गई है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम), केन्द्र प्रायोजित योजना के अंतर्गत 29 राज्यों के 638 जिलों में एनएफएसएम दाल, 25 राज्यों के 194 जिलों में एनएफएसएम चावल, 11 राज्यों के 126 जिलों में एनएफएसएम गेहूं और देश के 28 राज्यों के 265 जिलों में एनएफएसएम मोटा अनाज लागू की गई है ताकि चावल, गेहूं, दालों, मोटे अऩाजों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाया जा सके। एनएफएसएम के अंतर्गत किसानों को बीजों के वितरण (एचवाईवी/हाईब्रिड), बीजों के उत्पादन (केवल दालों के), आईएनएम और आईपीएम तकनीकों, संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकीयों/उपकणों, प्रभावी जल प्रयोग साधन, फसल प्रणाली जो किसानों को प्रशिक्षण देने पर आधारित है।

राष्ट्रीय तिलहन और तेल मिशन कार्यक्रम
राष्ट्रीय तिलहन और तेल (एनएमओओपी) मिशन कार्यक्रम 2014-15 से लागू है। इसका उद्देश्य खाद्य तेलों की घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए तिलहनों का उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है। इस मिशन की विभिन्न कार्यक्रमों को राज्य कृषि/बागवानी विभाग के जरिये लागू किया जा रहा है।

बागवानी के समन्वित विकास के लिए मिशन
बागवानी के समन्वित विकास के लिए मिशन (एमआईडीएच), केन्द्र प्रायोजित योजना फलों, सब्जियों के जड़ और कन्द फसलों, मशरूम, मसालों, फूलों, सुगंध वाले वनस्पति,नारियल, काजू, कोको और बांस सहित बागवानी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए 2014-15 से लागू है। इस मिशन में ऱाष्ट्रीय बागवानी मिशन, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, नारियल विकास बोर्ड और बागवानी के लिए केन्द्रीय संस्थान, नागालैंड को शामिल कर दिया गया है।

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