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किसानों के लिए समर्पित मोदी सरकार, मोदी राज में किसानों में पैदा हुआ एक नया आत्मविश्वास

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार किसानों के लिए पूरी तरह से समर्पित है।  मोदी सरकार 21वीं सदी की जरूरतों के मुताबिक कृषि सुधार करने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश में लगी हुई है। इससे किसानों में नया आत्मविश्वास पैदा हुआ है। उनके जीवन स्तर में भी सुधार हो रहा है। आइए देखते हैं मोदी सरकार में किसान किस तरह खुलकर नए अवसरों और विकल्पों का लाभ उठा रहे हैं।

उद्यमी बनते अन्नदाता
किसानों की आय बढ़ाने के साथ उद्यमी बनाने के लिए अवसर तैयार किए जा रहे हैं। देश में हजारों कृषक उत्पादक समूह (एफपीओ) बनाए जा रहे हैं, कोल्ड चेन, मेगा फ़ूड पार्क और एग्रो प्रोसेसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी अभूतपूर्व काम हो रहा है।  

  • देश में 10 हजार नए एफपीओ बनाने का काम भी प्रारंभ हो गया है। इन एफपीओ पर सरकार अगले 5 साल में 6,850 करोड़ रुपये खर्च करने वाली है। इनके माध्यम से किसानी की लागत कम होगी। किसान टेक्नोलॉजी का उपयोग करेंगे। किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित होंगे, जिससे उनका जीवन स्तर ऊंचा उठेगा और इसका फायदा अंततः देश को ही मिलेगा।
  • जो किसान अब तक सिर्फ उत्पादक थे, वे अब एफपीओ के माध्‍यम से कृषि से जुड़ा बिजनेस भी करेंगे। एफपीओ के जरिए उससे जुड़े किसान अपनी उपज का सही दाम पा सकेंगे।
  • किसान उत्पादक संगठनों को 2 करोड़ रुपये तक की परियोजना में कर्ज के लिए सरकार क्रेडिट गारंटी देगी। हर संगठन को 15 लाख रुपये तक की इक्विटी ग्रांट दी जाएगी।
  • किसानों का एक ग्रुप होना चाहिए जिसमें कम से कम 11 सदस्य हों। इसका कंपनी एक्ट रजिस्ट्रेशन होगा। मोदी सरकार जो 15 लाख रुपये देने की बात कर रही है उसका फायदा कंपनी का काम देखकर तीन साल में दिया जाएगा।

डिजिटल मंडी

  • लॉकडाउन के दौरान 17 अप्रैल, 2020 को सब्जियों और फसलों की खरीद-बिक्री के लिए किसान रथ मोबाइल एप लॉन्च किया गया।
  • इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर किसान आसानी से अपने सामान को बेच सकते हैं और व्यापारी उसे खरीद सकते हैं।
  • इस एप के द्वारा किसानों और व्यापारियों को ट्रक या अन्य सामान ढोने वाले वाहन के आने का समय और स्थान के बारे में जानकारी मिलती है।
  • किसान एक तय समय और स्थान पर जाकर फल, सब्जियों और अनाज को बेच सकते हैं।
  • एप देशभर के 5 लाख ट्रकों और 20,000 ट्रैक्टरों को भी अवसर प्रदान करता है। ट्रांसपोटर्स भी अपनी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।
  • ये एप अंग्रेजी, हिन्दी, गुजरातीी, मराठी, पंजाबी, तमिल, कन्नड और तेलुगु भाषा में उपलब्ध है।
  • एप खेतों से मंडियों और एक मंडी से दूसरी मंडी तक कृषि और बागवानी उत्पादों के परिवहन में मददगार साबित हो रहा है।
  • बाजारों-खरीदारों तक किसानों की डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पीएम मोदी ने 14 अप्रैल, 2016 को e-NAM पोर्टल की शुरुआत की थी।
  • किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने के लिए 1000 कृषि मंडियों को सीधे राष्‍ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM पोर्टल) से जोड़ा गया है।
  • e-NAM से 18 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 68 करोड़ किसान, 1.51 लाख व्यापारी, 86,889 कमिशन एजेंट और 1937 एफपीओ जुड़े हुए हैं।
  • वर्तमान में, खाद्यान्न, तिलहन, रेशे, सब्जियों और फलों सहित 150 वस्तुओं का व्यापार e-NAM किया जा रहा है।
  • e-NAM पोर्टल एपीएमसी से संबंधित सभी सूचनाओं और सेवाओं के लिए एक एकल खिड़की सेवा प्रदान करता है।
  • e-NAM पोर्टल पर देश के किसी भी क्षेत्र में रहने वाला किसान देश के दूसरे क्षेत्र में अपनी उपज को बेच सकते हैं।
  • e-NAM पर बोली लगाने के बाद किसानों को उपज सही ढंग से तौलने के लिए इलेक्ट्रॉनिक तराजू प्रदान किए गए हैं।
  • व्यापारियों द्वारा किसानों को भुगतान BHIM एप का उपयोग करके मोबाइल फोन के माध्यम से किया जा रहा है।

कृषि को लाभप्रद बनाने का प्रयास
मोदी सरकार किसानों का उत्पादन लागत कम करने और कृषि को लाभप्रद बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल पर जोर दे रही है। इसमें जैव प्रौद्योगिकी, रिमोट सेंसिंग, जीआईएस, डाटा एनालिसिस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोट तकनीकों का इस्तेमाल शामिल है।  

  • पोस्ट हार्वेस्ट तकनीक का प्रयोग करके किसानों को मिलने वाली सुविधाओं के आधुनिकीकरण पर जोर दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश में कृषि अधोसंरचना के विकास के लिए अलग से आत्मनिर्भर कृषि मिशन का गठन गया है। इससे ना केवल कृषकों की आय बढ़ेगी बल्कि कृषि आधारित उद्योगों से लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
  • 1 लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की शुरुआत की गई है। जैसे-जैसे फंड नीचे, गांवों तक पहुंचेगा तो निश्चित रूप से इसका बहुत फायदा किसानों को मिलेगा। निजी निवेश बढ़ेगा और कोल्ड स्टोरेज गांव-गांव होंगे तो किसान अपनी उपज कुछ समय रोककर भी बेच सकेंगे।
  • मेगा फूड पार्क की योजना पर बल दिया जा रहा है, कठिनाइयां दूर की जा रही हैं। सरकार खाद्य प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन में बड़े पैमाने पर निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है।
  • खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) में 6 हजार करोड़ रुपये के आवंटन के साथ एक मजबूत आधुनिक बुनियादी ढांचा नेटवर्क तैयार करने का लक्ष्य रखा है।
  • पीएमकेएसवाई के तहत मंत्रालय ने वर्ष 2014 से 640 से अधिक परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें से लगभग ढाई सौ पूरी हो चुकी हैं। इनमें 21 मेगा फूड पार्क, लगभग पौने दो सौ कोल्ड चेन व मूल्यवर्धन बुनियादी ढांचा, करीब 50 प्रसंस्करण इकाइयां और अन्य परियोजनाएं शामिल हैं। 55 से ज्यादा कृषि-प्रसंस्‍करण क्लस्टर्स को भी मंजूरी दी गई है।

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