Home पश्चिम बंगाल विशेष राष्ट्रगान का अपमान, कब तक सहेगा हिंदुस्तान ?

राष्ट्रगान का अपमान, कब तक सहेगा हिंदुस्तान ?

SHARE
प्रतीकात्मक तस्वीर

राष्ट्र विरोधी ताकतें एक बार फिर से देश के टुकड़े-टुकड़े करना चाहती हैं। देश में अस्थिरता पैदा करने की हर संभव कोशिशें शुरू कर दी गई हैं। दुर्भाग्य की बात है कि ऐसे देशद्रोहियों को संवैधानिक पदों पर बैठे कुछ नेता और कुछ राजनीतिक दल ही बढ़ावा दे रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण यूपी के कुछ कठमुल्लों द्वारा राष्ट्रगान के विरोध में जारी किया गया फरमान है।

‘राष्ट्रगान इस्लाम विरोधी, नहीं गायेंगे मुसलमान’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कई मुल्लों ने 15 अगस्त के दिन मुसलमानें को राष्ट्रगान नहीं गाने की हिदायत दी है। उनका कहना है कि ये इस्लाम के खिलाफ है। दरअसल तथाकथित मुल्लों ने ये हरकत स्वतंत्रता दिवस के लिये यूपी सरकार की ओर से दिये गये निर्देशों के बाद की है। खबरों के अनुसार बरेली के शहर काजी ने कहा है कि, ‘रविंद्रनाथ टैगोर ने ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम की तारीफ में राष्ट्रगान लिखा था। जबकि इस्लाम में अधिनायक अल्लाह है, जॉर्ज पंचम नहीं।’ मौलाना के मुताबिक यूपी सरकार का निर्देश शरिया कानून की अवहेलना करने को कहता है। इसीलिये उन्होंने मदरसों से कहा है कि वो 15 अगस्त के दिन राष्ट्रगान की ‘जगह सारे जहां से अच्छा गायें’। गौरतलब है कि ये गाना मोहम्मद इकबाल ने लिखा है। वहीं पीलीभीत के शहर मुफ्ती ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सरकारी आदेश वापस लेने को कहा है। उन्होंने कहा कि अगर यूपी सरकार ने मुसलमानों की बात नहीं मानी तो भी वो राष्ट्रगान नहीं गायेंगे।

प्रतीकात्मक तस्वीर

‘ममता का राष्ट्र विरोधी आदेश’
अंग्रेजी न्यूज पोर्टल IndiaToday के अनुसार 71वें स्वतंत्रता दिवस के कुछ घंटे पहले एक आदेश जारी कर पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के स्कूलों एवं शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा देने वाले निर्धारित कार्यक्रमों को रद्द करने का आदेश दिया है। दरअसल पिछले 25 जुलाई के एक सर्कुलर में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से देश के सभी राज्यों को इसबार के स्वतंत्रता दिवस पर झंडोतोलन के अलावा और तरह-तरह के राष्ट्रभक्ति से जुड़े कार्यक्रम करने को कहा था। लेकिन राजनीतिक खुन्नस में ममता बनर्जी सरकार ने इन कार्यक्रमों से दूर रहने का आदेश देकर अपनी देश विरोधी मानसिकता जाहिर कर दी है।

आप दोनों सर्कुलर को गौर से देखिये और फिर ये सोचिये कि राजनीकि स्वार्थ में ममता जैसी राजनीतिज्ञ देश में कैसी अराजक स्थिति पैदा करने की साजिशें रच रही हैं-

संघीय ढांचे से खिलवाड़ कर रही हैं ममता ?
केंद्रीय योजनाओं को नाम बदलने के अलावा पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने कई अवसरों पर देश के संघीय ढांचे पर प्रहार करने की कोशिश की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर राज्य की मुख्यमंत्री ने एक बार फिर अपना खतरनाक मंसूबा जताया है। इसके अनुसार सीएम ने राज्य के 23 जिलाधिकारियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होने वाले वीडियो कांफ्रेंस में शामिल होने से रोक दिया। खबरों के अनुसार उन्होंने कहा कि सिर्फ एक-दो वरिष्ठ अधिकारी कार्यक्रम में शामिल हो जाएं। यानि उन्होंने किसी तरह खानापूर्ति करने के लिये कहा।

शायद यही वजह है कि लोगों को लगता है कि ममता जैसी राजनेताओं के चलते ही देश में विघटनकारी तत्वों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण यूपी के कुछ कठमुल्लों द्वारा जारी राष्ट्रगान विरोधी फरमान है। क्या दुनिया का कोई देश एक समुदाय की ओर से लगातार होने वाली इन गुस्ताखियों को हजम करने के लिया तैयार हो सकता है ? लेकिन भारत में ऐसे तत्वों को राजनीतिक स्वार्थ के लिये खुलेआम बढ़ावा दिया जाता है।

Leave a Reply