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बुरे फंसे मनीष सिसोदिया, सीबीआई ने खोली पोल! घोटाले के जरिये कमाना था रुपये, खुद को दिखाना चाहते थे ईमानदार

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दिल्ली की एक अदालत ने शराब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने यह कहते हुए सिसोदिया को राहत देने से इनकार कर दिया कि यह उन्हें जमानत देने के लिए उपयुक्त समय नहीं है। ईडी ने जमानत याचिका का विरोध किया था और कहा था कि जांच ‘महत्वपूर्ण’ चरण में है। कोर्ट ने सिसोदिया को मामले का ‘सूत्रधार’ भी बताया। इससे पहले सिसोदिया ने जमानत के लिए हाईकोर्ट का भी रुख किया था लेकिन वहां से भी कोई राहत नहीं मिली। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर एसवी राजू ने कहा कि सिसोदिया पैसा कमाना चाहते थे और वह दिखाना चाहते थे कि वे ईमानदार हैं और पारदर्शिता बरतते हैं, लेकिन उन्होंने पारदर्शिता नहीं बरती। शराब बनाने वाले, होलसेलर और रिटेलर सभी जुड़े हुए थे। इस तरह 100 करोड़ रुपये घूस लिए गए। मनीष सिसोदिया इन सभी चीजों में शामिल थे। चूंकि पुरानी शराब नीति में रिश्वत लेना संभव नहीं था इसीलिए नई नीति बनाई गई और इसके लिए उपराज्यपाल से मंजूरी भी नहीं ली गई। इससे साफ होता है कि निकट भविष्य में मनीष सिसोदिया को कोर्ट से राहत मिलने की संभावना कम ही है और उन्हें फिलहाल जेल में ही अपने दिन गुजारने होंगे। 

सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ी

राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई की ओर से जांच की जा रही आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 12 मई तक बढ़ा दी। सिसोदिया के वकील ने दावा किया कि जांच एजेंसी ने मामले में अधूरी जांच दायर की थी, अदालत से उनके मुवक्किल को डिफॉल्ट जमानत देने का आग्रह किया, लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिली। सीबीआई जांच के मामले में जहां सिसोदिया को 12 मई तक जेल हुआ है वहीं ईडी की जांच मामले में भी वह 8 मई तक न्यायिक हिरासत में भेजे गए हैं।

सीबीआई की चार्जशीट में आया सिसोदिया का नाम

मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। कथित शराब घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई ने कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में सिसोदिया का भी नाम लिया है। इससे उन्हें जमानत मिलने की संभावना भी कम हो गई है। दरअसल, भ्रष्टाचार के मामले में जांच एजेंसी को आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होती है वरना आरोपी स्वाभाविक जमानत का हकदार हो जाता है। सीबीआई ने सिसोदिया को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था और 58वें दिन चार्जशीट दाखिल कर दी। एजेंसी ने सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की कुछ धाराओं के अलावा सेक्शन 201 (सबूत नष्ट करने) और 420 (धोखाधड़ी) भी जोड़ा है।

सिसोदिया साजिश के सूत्रधार, इसीलिए जमानत अर्जी खारिज

कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि वह न केवल साजिश के सूत्रधार थे, बल्कि थोक विक्रेताओं के लिए 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन के सेक्शन को शामिल करने और थोक विक्रेताओं के लिए पात्रता मानदंड को 100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये करने के पीछे भी उनका ही दिमाग था। जज एमके नागपाल की अदालत ने 83 पन्नों के आदेश में कहा कि वह इस आर्थिक अपराध के मामले में आवेदक को जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है क्योंकि ऐसे मामलों में “आम जनता और बड़े पैमाने पर समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ता है”। उन्होंने देखा कि जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूत अपराध के कमीशन में सिसोदिया की संलिप्तता की बात करते हैं। इससे पहले संघीय एजेंसी ने यह भी कहा था कि उसे कथित अपराध में उनकी मिलीभगत के नए सबूत मिले हैं।

सिसोदिया रिश्वत के रूप में लगभग 100 करोड़ रुपये लेने में लिप्त

जज ने कहा कि आम तौर पर अदालतों और जांच एजेंसियों को ऐसी नीतियों को बनाने के लिए विधायिका की शक्ति में हस्तक्षेप या अतिक्रमण नहीं करना चाहिए, लेकिन एक बार ऐसी नीति बनाने या उसके कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लग जाते हैं, तो यह निश्चित रूप से कानून के दायरे में है। अदालत ने कहा कि उसके सामने पेश किए गए सबूतों से यह स्पष्ट रूप से सामने आया है कि सिसोदिया एडवांस में रिश्वत के रूप में लगभग 100 करोड़ रुपये की अपराध की आय के सृजन से जुड़े थे। यह दक्षिण लॉबी की तरफ से सह-अभियुक्त विजय नायर को भुगतान किया गया था। सह-आरोपी अभिषेक बोइनपल्ली, जो शराब कारोबार में विभिन्न साजिशकर्ताओं और हितधारकों के साथ आयोजित बैठकों में भाग ले रहे थे।

सीबीआई की चार्जशीट में सिसोदिया पर लगाए गए गंभीर आरोप

1. चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि आबकारी नीति को लेकर एक्सपर्ट समिति की सिफारिशों को जीओएम (मंत्रियों के समूह) ने पलट दिया था। इस GoM के हेड सिसोदिया ही थे।

2. इसी जीओएम ने कमीशन 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का फैसला लिया था।

3. गैरकानूनी तरीके से मिले पैसे के बदले ‘साउथ लॉबी’ के इशारे पर जीओएम ने 12 प्रतिशत कमीशन का प्रावधान जोड़ा। यह साउथ ग्रुप दिल्ली में ही डटा हुआ था, जब जीओएम रिपोर्ट फाइनल की गई। ऐसे में आखिरी मिनट में कई नियम जोड़े गए।

4. चार्जशीट में आईपीसी की धारा 420 (चीटिंग) और 201 (सबूत नष्ट करना) जोड़ी गई है।

5. आबकारी नीति से संबंधित कानूनी सलाह पर एक नोट गायब है। कानूनी सलाह दी गई थी कि पुरानी नीति ठीक है और इसमें कोई बदलाव की जरूरत नहीं है।

6. साउथ ग्रुप के लिए होलसेल डिस्ट्रिब्यूटर के लाइसेंस सिसोदिया के निर्देश पर दिए गए जबकि खिलाफ में कई शिकायतें मिली थीं।

7. मोबाइल फोन गायब होने के कारण सीबीआई का मानना है कि बड़े पैमाने पर सबूत नष्ट किए गए हैं।

8. सीबीआई ने कोर्ट को बताया है कि सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सक्षम अधिकारियों से मंजूरी ले ली गई है।

सिसोदिया और शराब कारोबारी अमनदीप सिंह ढल जेल में

सीबीआई की चार्जशीट में हैदराबाद निवासी चार्टर्ड अकाउंटेंट बच्ची बाबू गोरांतला, शराब कारोबारी अमनदीप सिंह ढल और अर्जुन पांडेय के भी नाम हैं। इनमें से सिसोदिया और ढल जेल में हैं। सीबीआई ने पिछली चार्जशीट 25 नवंबर 2022 को दायर की थी।

दिल्ली शराब घोटाले से पर्दा उठ रहा है और सिसोदिया के बाद संजय सिंह और केजरीवाल का नाम भी इसमें आ चुका है। इस पर एक नजर-

शराब घोटाले में दिनेश अरोड़ा के बयान से फंसे संजय सिंह

शराब घोटाले में दिल्ली सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस समय जेल में हैं। अब आम आदमी पार्टी के एक और कद्दावर नेता संजय सिंह पर भी इसकी गाज गिर सकती है। ईडी ने इस मामले में अदालत में पेश अपनी चार्जशीट में संजय सिंह को भी आरोपी बना लिया है। संजय सिंह को आरोपी बनाने के लिए दिनेश अरोड़ा के बयान को आधार बनाया गया है।

केजरीवाल ने मुख्य आरोपी समीर महेंद्रू से फेसटाइम पर की थी बात

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति केस में सीबीआई ने पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है। एजेंसी ने उन्हें 16 अप्रैल 2023 को CBI दफ्तर बुलाया है। जांच एजेंसी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के खिलाफ सबूत होने का दावा किया है। सीबीआई का कहना है कि सबूत के आधार पर ही समन जारी किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ से हाल ही में दायर चार्जशीट के अनुसार, अरविंद केजरीवाल ने शराब कारोबारी और आबकारी नीति घोटाले के मुख्य आरोपी समीर महेंद्रू से फेसटाइम पर बात की थी। इस बातचीत में उन्होंने पार्टी के संचार प्रभारी विजय नायर पर भरोसा करने को कहा। ईडी का कहना है कि 12 नवंबर और 15 नवंबर 2022 को पूछताछ के दौरान समीर महेंद्रू ने अधिकारियों को बताया था कि विजय नायर ने अरविंद केजरीवाल के साथ उनकी मुलाकात तय की थी, लेकिन बात नहीं बनी।

डिप्टी सीएम के बाद दिल्ली के सीएम केजरीवाल की बारी

कानून के जानकारों के मुताबिक, दिल्ली आबकारी नीति और शराब घोटाला मामले में सीबीआई ने अभी सीधे तौर पर अरविंद केजरीवाल को अभियुक्त नहीं बनाया है, लेकिन सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल की मुसीबतें भी बढ़ सकती हैं। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब घोटाले से जुड़े मामले में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के साथ पहली बार अरविंद केजरीवाल का भी नाम शामिल किया था। 03 फरवरी, 2023 को पीएमएलए कोर्ट ने ईडी की चार्जशीट का संज्ञान लिया और सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की अनुमति दी। चार्जशीट में सीएम केजरीवाल, डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के साथ-साथ उनके करीबी विजय नायर, इंडोस्पिरिट्स के प्रमुख समीर महेंद्रू समेत अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया। ईडी ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के सचिव के रूप में तैनात रहे दानिक्स अधिकारी सी अरविंद के बयान के आधार पर केजरीवाल को इस घोटाले में आरोपी बनाया। ईडी के मुताबिक दानिक्स अधिकारी अरविंद ने कहा कि उन्हें उनके बॉस सिसोदिया द्वारा केजरीवाल के आवास पर बुलाया गया था, जहां एक बैठक में उन्हें आबकारी नीति पर मंत्रियों की रिपोर्ट का एक मसौदा सौंपा गया था।

समीर और विजय नायर ने रची थी साजिश

ईडी के मुताबिक, नायर ने महेंद्रू और केजरीवाल को फेसटाइम वीडियो कॉल पर जोड़ा था। अरविंद केजरीवाल ने समीर से कहा कि विजय नायर उनके आदमी हैं और वह उन पर भरोसा कर सकते हैं। नायर इस मामले के आरोपियों में से एक हैं। जांच एजेंसी का कहना है कि समीर महेंद्रू और विजय नायर ने कथित तौर पर दिल्ली शराब नीति घोटाले में दूसरों के साथ मिलकर साजिश रची थी।

CBI के पास केजरीवाल के खिलाफ सबूत

ईडी के अनुसार, समीर महेंद्रू विजय नायर के साथ मिलकर काम कर रहा था और राजनेताओं और शराब कारोबारियों के साथ कई बैठकों का हिस्सा रहा था। ईडी ने यह भी बताया था कि केजरीवाल ने राष्ट्रीय राजधानी में शराब के कारोबार के सिलसिले में आंध्र प्रदेश के एक सांसद मगुनता श्रीनिवासलु रेड्डी से मुलाकात की थी। वहीं, दो प्रमुख गवाहों ने सीबीआई को बताया कि अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में आबकारी नीति की ड्राफ्ट कॉपी आबकारी अधिकारी को दी गई और बाद में लागू की गई।

शराब घोटाले में Package कोड वर्ड का मतलब था 15 करोड़ कैश

शराब घोटाले में दिल्ली की जेल में बंद 200 करोड़ की ठगी के मास्टरमाइंड सुकेश चंद्रशेखर के ‘लेटर-बम’ से नए खुलासे हुए। इस खत में अब सुकेश चंद्रशेखर ने उन कूट शब्दों (कोड वर्ड्स) का भांडा फोड़ा है, जो उसकी दिल्ली सरकार के नेताओं-मंत्रियों से अवैध लेनदेन की कथित बातचीत के दौरान इस्तेमाल किए गए। इन तमाम नेताओं-मंत्रियों और अन्य संबंधित राजनीतिक लोगों के नाम के कोड वर्ड्स का भी खुलासा किया है। इन कोडवर्ड्स को सुकेश चंद्रशेखर के साथ बातचीत में इस्तेमाल किया जाता था। सुकेश चंद्रशेखर के ही इस लैटर बम के मुताबिक, AK मतलब अरविंद केजरीवाल, SJ BRO यानी सतेंद्र जैन, Manish यानी मनीष सिसौदिया, अरुण मतलब अरुण पिल्लई। JH मतलब के. कविता का वह Jublie Hills House गेस्ट हाउस जो कथित रूप से अवैध लेनदेन का अड्डा था। Office कोड वर्ड TRS पार्टी हेडक्वार्टर के लिए था। इसी तरह से Package कोड वर्ड का मतलब था 15 करोड़ कैश।

15 किलो घी मतलब 15 करोड़ रुपए

सुकेश चंद्रशेखर और दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जो खुद भी महीनों से तिहाड़ जेल में बंद है, के बीच बातचीत में कोड वर्ड Bro SJ था। इसी तरह से 15 kg Ghee का मतलब 15 करोड़ और 25g Ghee मतलब 25 करोड़ रुपए। इसी तरह चैट में इस्तेमाल होने वाले कोडवर्ड Hyd का मतलब Hyderabad और Sister कोड वर्ड के. कविता (K Kavita) के लिए फिक्स था। चैट में कुछ स्थानों पर AK Bhai का भी इस्तेमाल देखने को मिलता है। जिसका मतलब अरविंद केजरीवाल था।

ED अदालत में तीन हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की

पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब घोटाला मामले में दिल्ली की अदालत में तीन हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की और कहा कि जांच अभी जारी है। ED ने कोर्ट को बताया कि हम अभी सिर्फ समीर महेंद्रू के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर रहे हैं, जल्द ही दूसरे आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी। अब जैसे-जैसे ED अपनी जांच पूरी कर रही है दिल्ली के शराब घोटाले से एक-एक कर पर्दा उठता जा रहा है। दिल्ली की नई शराब पॉलिसी को बनाने के पीछे इनके बदनीयत इरादे और आकांक्षाएं साफ होती नजर आ रही हैं।

दिल्ली सरकार को 2873 करोड़ रुपये का नुकसान

यह बात भी सामने आई है कि शराब की पॉलिसी मेकिंग में ऐसे लोगों को शामिल किया गया जो अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के करीबी थे। इससे यह बात साफ हो जाती है कि इस घोटाले की जानकारी केजरीवाल और सिसोदिया दोनों को थी। दिल्ली शराब घोटाले के मुख्य किरदार मनीष सिसोदिया के करीबी विजय नायर थे जिसने शराब माफिया से करोड़ों रुपये वसूले और 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन का 6 प्रतिशत हिस्सा अवैध रूप से AAP को वापस किया। इस तरह दिल्ली सरकार को 2873 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

नई शराब नीति में कमीशन ढाई फीसदी से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया

नई शराब नीति में कमीशन ढाई फीसदी से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया जिससे 6 प्रतिशत कमीशन आम आदमी पार्टी को मिल सके। ये सच सामने आने के बाद भी अरविंद केजरीवाल कहते रहे कि कोई घोटाला नहीं हुआ। ये सभी कट्टर ईमानदार हैं। लेकिन यहां सवाल उठता है कि अगर घोटाला नहीं हुआ तो केजरीवाल सरकार ने नई पालिसी को छोड़कर पुरानी पालिसी पर जाने का फैसला क्यों किया। अगर घोटाला नहीं हुआ तो आरोपी नंबर एक मनीष सिसोदिया आबकारी से संबंधित फाइलें क्यों मंगवा रहे थे। अगर घोटाला नहीं हुआ तो सिसोदिया और उनके करीबी डिजिटल साक्ष्य जैसे मोबाइल आदि नष्ट क्यों कर रहे थे। अगर घोटाला नहीं हुआ तो केजरीवाल को बताना चाहिए कि कमीशन ढाई फीसदी से बढ़ाकर 12 प्रतिशत क्यों किया गया।

लाभ मार्जिन का 6 प्रतिशत हिस्सा अवैध रूप से AAP को दिया गया

दिल्ली में हुए शराब घोटाले में केजरीवाल और सिसोदिया के करीबियों ने शराब माफिया से करोड़ों रुपये वसूले और 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन का 6 प्रतिशत हिस्सा अवैध रूप से AAP को वापस दिया। इसके लिए पालिसी में ढाई प्रतिशत मार्जिन को बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। इस काम के लिए दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत के सरकारी बंगले का दुरूपयोग से लेकर रेस्टोरेंट और बार मालिकों से इलेक्शन फण्ड के नाम पर वसूली करना भी शामिल है।

घोटाले से जुड़े डिजिटल एविडेंस के साथ ही फ़ोन नष्ट किए

एक्साइज पॉलिसी में जानबूझकर कुछ न कुछ कमी छोड़ना और फिर उसे ठीक करने के बहाने फंडिंग इकट्ठी करना ही आप का एकमात्र मकसद था। विजय नायर ने पूरी भूमिका निभाई जिससे इस घोटाले को अंजाम दे सके। इस घोटाले की केजरीवाल और सिसोदिया को जानकारी थी। यही वजह है कि घोटाले को अंजाम देने में इस्तेमाल किए गए सभी डिजिटल एविडेंस के साथ ही फ़ोन नष्ट कर दिए गए, जिससे यह साबित न हो कि किसकी जवाबदेही थी।

केजरीवाल करते हैं भ्रष्टाचारियों का महिमामंडन

अरविंद केजरीवाल ने सरकार में आते ही ना सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया, बल्कि भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने और उनका महिमामंडन करने में भी सारी हदें पार कर दी हैं। दरअसल केजरीवाल यह जानते हैं कि जब उनके करीबी पर फंदा कसेगा तो लपटें उन तक भी पहुंचेगी इसीलिए वे अपने मंत्रियों और नेताओं के बचाव में उतर आते हैं। एक तरफ केजरीवाल दिल्ली शराब घोटाले में फंसे उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया को ‘भारत रत्न’ देकर सम्मानित करने की मांग कर डाली तो इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री रहे सत्येंद्र जैन को ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित करने की मांग की थी।

शराब ठेकेदारों की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कराए

आबकारी नीति 2021-22 को तैयार करने और इसके क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार पर अपनी प्राथमिकी में सीबीआई ने कहा है कि इंडोस्पिरिट्स के एमडी समीर महेंद्रू ने नई दिल्ली के राजेंद्र प्लेस में स्थित यूको बैंक की शाखा में राधा इंडस्ट्रीज के खाते में 1 करोड़ रुपये की रकम भेजी थी। राधा इंडस्ट्रीज का प्रबंधन दिनेश अरोड़ा कर रहे हैं, जो दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया के करीबी सहयोगी हैं। इसके अलावा मुख्य सचिव नरेश कुमार की एलजी को सौंपी गोपनीय रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कोरोना की आड़ में शराब ठेकेदारों की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस ही माफ कर दी।

सिसोदिया के करीबी शराब लाइसेंसधारियों से एकत्रित करते थे अनुचित लाभ

सीबीआई की जांच में यह बात सामने आ चुका है कि मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायर, पर्नोड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल तथा इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू सक्रिय रूप से आबकारी नीति का निर्धारण और क्रियान्वयन संबंधी अनियमितताओं में शामिल थे। एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुरुग्राम में बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे, सिसोदिया के ‘करीबी सहयोगी’ हैं और आरोपी लोक सेवकों के लिए ‘शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभ के प्रबंधन और स्थानांतरण करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।

नई एक्साइज पॉलिसी में 100 प्रतिशत दुकानें निजी हाथों में सौंप दीं

दरअसल, दिल्ली सरकार के शराब घोटाले का खेल कोरोना काल में ही शुरू हो गया था। सरकार ने 17 नवंबर 2021 को दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए। हर जोन में 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह कुल मिलाकर 849 दुकानें खोलने की नीति थी। नई नीति लागू होने से पहले तक दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं, लेकिन नई नीति लागू होने के बाद 100 प्रतिशत दुकानें निजी हाथों को सौंप दी गई। आरोप लगे तो दिल्ली सरकार ने खोखला तर्क गढ़ा कि इससे रेवेन्यू 3,500 करोड़ रुपये बढ़ने की उम्मीद है। नई शराब नीति पर ऊंगलियां उठने लगी तो 1 सितंबर 2022 से फिर से पुरानी एक्साइज पॉलिसी लागू कर दी गई। अब शराब की दुकानें सरकारी एजेंसियां ही चलाती हैं।

लाइसेंस शुल्क में छूट, बिना मंजूरी के एल-1 लाइसेंस के विस्तार

सीबीआई की जांच में यह सामने आया है कि आबकारी नीति में संशोधन, लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने, लाइसेंस शुल्क में छूट/कमी, बिना मंजूरी के एल-1 लाइसेंस के विस्तार में अनियमितताएं की गईं। यह भी आरोप लगाया गया था कि इन कृत्यों से अवैध लाभ को निजी पक्षों द्वारा संबंधित लोक सेवकों को उनके खातों की पुस्तकों में गलत प्रविष्टियां देकर बदल दिया गया था। प्राथमिकी में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 के रूप में नामित किया गया है।

मुख्य सचिव की गोपनीय रिपोर्ट पर एलजी ने की सीबीआई जांच की सिफारिश

दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और अन्य के खिलाफ ये पूरी कार्रवाई मुख्य सचिव नरेश कुमार की उस रिपोर्ट पर हो रही है, जिसमें एक्साइज पॉलिसी में गड़बड़ी होने का आरोप लगाया गया। ये रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्‍सेना को सौंपी गई थी। मुख्य सचिव कुमार की रिपोर्ट पर एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इस रिपोर्ट में GNCTD एक्ट 1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के नियमों का उल्लंघन पाया गया था।

सिसोदिया ने टेंडर देने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया

जनमानस की यह जानने में दिलचस्पी जरूर होगी कि आखिर शातिर खिलाड़ी केजरीवाल और सिसोदिया इस सारे खेल में कैसे घिर गए। दरअसल, मुख्य सचिव की रिपोर्ट बताती है कि एक्साइज डिपार्टमेंट के प्रभारी होने के नाते मनीष सिसोदिया ने जानबूझकर ऐसे फैसले लिए। इसके आधार पर एलजी ने पाया कि आबकारी नीति को लागू करने में किस प्रकार की वित्तीय गड़बड़ियां हुईं। सिसोदिया पर एक्साइज पॉलिसी के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। मुख्य सचिव की रिपोर्ट में कहा गया था कि सिसोदिया ने कथित तौर पर टेंडर दिए जाने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। इसी रिपोर्ट में बताया गया कि शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए सिसोदिया के आदेश पर एक्साइज पॉलिसी के जरिए कोरोना के बहाने शराब ठेकेदारों के 144.36 करोड़ रुपये माफ किए गए।

शराब घोटाले में चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार की जांच में मिलीं ये 7 ‘खामियां’

1. मनीष सिसोदिया के निर्देश पर एक्साइज विभाग ने एयरपोर्ट जोन के एल-1 बिडर को 30 करोड़ रुपये रिफंड करने का निर्णय लिया। बिडर एयरपोर्ट अथॉरिटीज से जरूरी एनओसी नहीं ले पाया था। ऐसे में उसके द्वारा जमा कराया गया सिक्योरिटी डिपॉजिट सरकारी खाते में जमा हो जाना चाहिए था, लेकिन बिडर को वह पैसा लौटा दिया गया।

2. सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना एक्साइज विभाग ने 8 नवंबर 2021 को एक आदेश जारी करके विदेशी शराब के रेट कैलकुलेशन का फॉर्मूला बदल दिया और बियर के प्रत्येक केस पर लगने वाली 50 रुपए की इंपोर्ट पास फीस को हटाकर लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे सरकार को रेवेन्यू का भारी नुकसान हुआ।

3. टेंडर दस्‍तावेजों के प्रावधानों को हल्का करके L7Z (रिटेल) लाइसेंसियों को वित्‍तीय फायदा पहुंचाया गया, जबकि लाइसेंस फी, ब्‍याज और पेनाल्‍टी न चुकाने पर ऐक्‍शन होना चाहिए था।

4. सरकार ने दिल्ली के अन्य व्यवसायियों के हितों को दरकिनार करते हुए केवल शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए कोविड काल में हुए नुकसान की भरपाई के नाम पर उनकी 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी, जबकि टेंडर दस्तावेजों में ऐसे किसी आधार पर शराब विक्रेताओं को लाइसेंस फीस में इस तरह की छूट या मुआवजा देने का कहीं कोई प्रावधान नहीं था।

5. सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के और किसी के साथ चर्चा किए बिना नई पॉलिसी के तहत हर वॉर्ड में शराब की कम से कम दो दुकानें खोलने की शर्त टेंडर में रख दी। बाद में एक्साइज विभाग ने सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना नॉन कन्फर्मिंग वॉर्डों के बजाय कन्फर्मिंग वॉर्डों में लाइसेंसधारकों को अतिरिक्त दुकानें खोलने की इजाजत दे दी।

6. सोशल मीडिया, बैनरों और होर्डिंग्‍स के जरिए शराब को बढ़ावा दे रहे लाइसेंसियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह दिल्‍ली एक्‍साइज नियमों, 2010 के नियम 26 और 27 का उल्‍लंघन है।

7. लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी किए बिना लाइसेंसधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए उनका ऑपरेशनल पीरियड पहले 1 अप्रैल 2022 से बढ़ाकर 31 मई 2022 तक किया गया और फिर इसे 1 जून 2022 से बढ़ाकर 31 जुलाई 2022 तक कर दिया गया। इसके लिए सक्षम अथॉरिटी यानी कैबिनेट और एलजी से भी कोई मंजूरी नहीं ली गई। बाद में आनन फानन में 14 जुलाई को कैबिनेट की बैठक बुलाकर ऐसे कई गैरकानूनी फैसलों को कानूनी जामा पहनाने का काम किया गया। शराब की बिक्री में बढ़ोतरी होने के बावजूद रेवेन्यू में बढ़ोतरी होने के बजाय 37.51 पर्सेंट कमी आई।

17 नवंबर 2021 को दी गई थी नई शराब नीति को मंजूरी

दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पिछले साल 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति को मंजूरी दी थी। इसके तहत दिल्ली में शराब की सरकारी दुकानों को बंद कर दिया गया। नई नीति को लागू करने के लिए दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया था। हर जोन में 27 शराब की दुकानें थीं। इन दुकानों का मालिकाना हक जोन को जारी किए गए लाइसेंस के तहत दिया गया था। हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर को शराब बेचने की अनुमति दी गई।

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