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Year Ender 2022: ‘मोदी मैजिक’ के चलते UP से लेकर Gujrat तक खूब खिला कमल, डबल इंजन सरकारों की लोकप्रियता रंग लाई, जानिए पांच राज्यों में दमदार जीत ने कैसे आसान किया ‘मिशन 2024’ का रास्ता

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का डबल इंजन सरकारों का मंत्र जनता के सिर चढ़कर बोल रहा है। पीएम मोदी के अद्भुत विजन से कई राज्यों की जनता इतनी अभिभूत है कि बीजेपी को जिताने में कई पुराने रिकॉर्ड और रिवाजों को तोड़ रही है और नए ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना रही है। पीएम की लोकप्रियता और जनता के प्यार का नतीजा है कि केंद्र और देश के कई राज्यों की सत्ता में शासित भारतीय जनता पार्टी के लिए गुजरता साल बेहतरीन रहा। इस वर्ष बीजेपी ने एक के बाद एक पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत के झंडे गाड़े। पीएम मोदी की अथाह मेहनत का ही सुफल है कि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश और गुजरात में तो ऐसी विजयी पताका फहराई, जिससे विपक्षियों के तोते ही उड़ गए। गुजरात में 27 साल के शासन में इतनी शानदार जीत और उत्तर प्रदेश में आजादी के बाद पहली बार बीजेपी की पूर्ण बहुमत में वापसी हुई। इस साल पांच राज्यों में शानदार जीत से बीजेपी के लिए 2024 का दमदार रोडमैप तैयार हो गया है।भगवा के रंग में रंगकर लाखों मतदाताओं ने पीएम मोदी को दिया जीत का तोहफा
इस साल पांच राज्यों में बीजेपी की जीत कई मायनों में पार्टी के लिए अहम हैं। इस साल के शुरुआत में ही 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए, जिनमें 4 में बीजेपी शान के साथ सरकार बनाने में सफल रही। साल के आखिर में गुजरात में बीजेपी को ऐसी प्रचंड जीत मिली कि राहुल गांधी और केजरीवाल को बगलें झांकने को मजबूर होना पड़ा। हिमाचल में बीजेपी को हार जरूर मिली, लेकिन वोट प्रतिशत की बात करें तो हार का अंतर इतना कम था कि एक फीसदी वोट स्विंग से ही बाजी पलट सकती थी। इससे पहले साल के शुरुआत में हुए विधानसभा चुनावों में ही लाखों मतदाताओं ने उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर को भगवा के रंग में रंगकर पीएम मोदी को जीत का तोहफा दिया। बीजेपी 2022 के अपने राजनीतिक सफर पर नजर डाले तो ये साल उसके लिए सुखद अनुभवों वाला रहा। खास बात यह भी है कि राज्यों में बीजेपी की जीत का प्रतिशत भी बहुत शानदार रहा। इस वर्ष 7 राज्यों में से 5 में जीत किसी भी दल के लिए गौरव की बात है।

पीएम मोदी का नारा- ‘यूपी के लिए योगी ही उपयोगी’, जनता के मन को खूब भाया
बीजेपी ने जिन राज्यों में सरकारें बनाई वो हैं- उत्तर प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर। यूपी देश का सबसे बड़ा राज्य है। इस प्रदेश के लिए कहा जाता है दिल्ली की सत्ता का रास्ता यहीं से होकर गुजरता है। उस प्रदेश में ‘प्रचंड बहुमत’ हासिल करना पीएम मोदी और योगी की शानदार जुगलबंदी का सुफल है। पीएम ने चुनाव प्रचार में नारा दिया था- यूपी के लिए योगी ही उपयोगी। जनता को यह नारा इतना मन भाया कि 2017 की तरह 2022 में भी यूपी में ‘भगवा लहर’ देखने को मिली। इस साल भी बीजेपी 273 विधायकों को यूपी विधानसभा भेजने में सफल रही। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 की मतगणना में बीजेपी को 41.29 प्रतिशत मत हासिल हुए। ये आंकड़े बीजेपी की भविष्य की राजनीति की ओर इशारा करते हैं। बीजेपी की प्रचंड बहुमत ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व पर तो मुहर लगाई ही, पार्टी के ‘मिशन 2024’ का रास्ता भी प्रशस्त किया।

गोवा में लगातार तीसरी बार-बीजेपी सरकार, डबल इंजन सरकार के काम पर मुहर,
पीएम मोदी के कुशल दिशा-निर्देशन में यूपी में बीजेपी जहां लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल रही, वहीं गोवा में यह करिश्मा तीसरी बार हुआ। भारतीय जनता पार्टी गोवा में भी कथित ‘सत्ता विरोधी’ लहर को पार पाते हुए सरकार बनाई। गोवा विधानसभा चुनाव में 20 सीटें जीतकर बीजेपी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। बहुमत के आंकड़े से एक सीट पीछे रहने वाली भाजपा ने क्षेत्रीय दल महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (MGP) और 3 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से राज्य में लगातार तीसरी बार सरकार बनाई। प्रमोद सावंत को फिर सत्ता संभालने का मौका मिला। गौरतलब है कि गोवा विधानसभा 40 सीटें है। बीजेपी ने गोवा में 2017 की तुलना में अपने प्रदर्शन में सुधार किया। पिछली बार पार्टी 13 सीटें ही जीत सकी थी। इस बार सत्ता में रहते हुए सात अतिरिक्त सीटें और आईं।उत्तराखंड: भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ राज्य की सत्ता में वापसी की
बीजेपी ने देवभूमि उत्तराखंड में भी जीत दर्ज कर यूपी-गोवा के विजय रथ को और आगे बढ़ाया। विधानसभा चुनाव में ‘देवभूमि’ उत्तराखंड में बीजेपी की जीत कई मायनों में अहम रही। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी ने यहां हारी बाजी को जीत में तब्दील किया। विपक्षी दल कांग्रेस जीत को लेकर आश्वस्त थी, मगर परिणामों ने उसकी पोल खोलकर रख दी। यहां भी भाजपा ने प्रचंड बहुमत के साथ राज्य की सत्ता में वापसी की। उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद से कभी किसी एक दल की सरकार लगातार दो बार सत्ता में नहीं आई थी, मगर इस बार वो मिथक भी टूट गया। 70 विधानसभा सीटों वाले उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी को 47 सीटें हासिल हुई। पुष्कर सिंह धामी के हाथों में दोबारा सत्ता की कमान सौंपी गई।

मणिपुर: राज्य छोटा मगर जीत बड़ी, बीजेपी ने अपने दम पर बढ़ाई ताकत
पीएम मोदी के केंद्र की राजनीति में आने के बाद से बीजेपी ने देश के पूर्वी राज्यों में भी अपना विस्तार किया है। मणिपुर इसका जीता-जागता उदाहरण है। इस साल के शुरुआत में बीजेपी ने एक बार फिर स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार में वापसी की। मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 32 विधायक जीतकर पहुंचे। भाजपा साल 2017 विधानसभा चुनाव में 21 सीटें जीतने में सफल रही थी। क्षेत्रीय क्षत्रपों NPP और NPF ने बीजेपी का साथ देकर बीजेपी की सरकार बनाई। अब भाजपा ने अपने दम पर ही मणिपुर राज्य को ‘भगवामय’ कर दिया है। पिछली जीत के बाद से ही बीजेपी पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिशों में जुटी रही। भाजपा की ताकत बाद में बढ़कर 28 हो गई थी। इस पूर्वी राज्य में बीजेपी को विजयी बनाने में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका उन्हें इनाम भी मिला। मणिपुर राज्य भले ही छोटा है, मगर बीजेपी के लिए ये जीत बेहद बड़ी है।गुजरात में बीजेपी की ‘सुनामी’, जनता ने अपने ‘नरेन्द्र भाई’ पर खूब लुटाया प्यार
इस साल के अंत में दो राज्यों के चुनाव परिणाम आए। पीएम मोदी के गुजरात में बीजेपी को मतदाताओं की ऐसी मोहब्बत मिली की, विधानसभा चुनाव में पार्टी ने ‘सुनामी’ का ही अहसास करवा दिया। कुल 182 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश में बीजेपी ने 156 जीतने में सफल रही। ये जीत एकतरफा थी। इस राज्य में एक बार फिर ‘मोदी मैजिक’ चला। गुजरात की जीत कई मायनों में बीजेपी के बेहद खास रही। भाजपा यहां लगातार 7वीं बार सत्ता में आई है। विधानसभा चुनाव में इस तरह का प्रदर्शन ‘सामान्य’ बात नहीं है। भारतीय राजनीति में ऐसे बिरले ही उदाहरण होंगे। भूपेंद्र पटेल के हाथों में गुजरात की कमान सौंपी गई। गुजरात की ये जीत इसलिए भी मायने रखती है कि, वहां एक के बाद एक बीजेपी को 3 बार अपने मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे। बावजूद मोदी का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोला। इस जीत के साथ बीजेपी गुजरात में लगातार 32 साल शासन करने वाली पहली पार्टी बनकर उभरी। इस चुनाव में बीजेपी को कुल वोट प्रतिशत का करीब 53 प्रतिशत हासिल हुआ। ये मत प्रतिशत लोगों के भरोसे का प्रतीक हैं। इससे पहले राज्य में बीजेपी ने 2002 में 127 सीटें जीतकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। तब तो स्वयं नरेन्द्र मोदी ही राज्य में मुख्यमंत्री थे।

 

‘मिशन 2024’ को और धारदार बनाएगी पांच राज्यों में मिली शानदार जीत 
इस साल पांच राज्यों में शानदार जीत ने बीजेपी के ‘मिशन 2024’ के लिए ईंधन का काम किया। पार्टी अब पूरी तरह चार्ज है। उत्तर भारत में जीत का परचम लहराने के बाद बीजेपी अब लगातार दक्षिण के राज्यों में अपना जनाधार बढ़ा रही है। बीजेपी अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी में पूरी तरह से मिशन मोड में है। भारतीय जनता पार्टी के नजरिये से देखें तो गुजरता साल 2022 उसके लिए बहुत ही अच्छा रहा। न सिर्फ उसे राज्यों में फिर से जीत मिली, बल्कि वोट प्रतिशत में बढ़ोत्तरी साफ बताती है कि बीजेपी की स्वाकार्यता लगातार बढ़ रही है। एक के बाद एक पांच राज्यों में जीत ने इस पार्टी के मनोबल को बढ़ाया। अगले साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले पार्टी की इतनी बड़ी जीत उत्साह बढ़ाने का ही काम करेगी। बीजेपी के ‘मिशन 2024’ के लिए ये जीत कई मायनों में अहम है। यदि एक शब्द में कहें तो साल 2022 का वर्षांत बीजेपी के लिए बेहद सुखांत रहा।

 

‘मिशन साउथ’ के तहत बीजेपी हर राज्य में अलग-अलग रणनीति पर कर रही काम
अब पार्टी का फोकस दक्षिण भारत के उन राज्यों पर है, जहां आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी के ‘मिशन साउथ’ के पीछे की वजह को तलाशें तो एक महत्वपूर्ण बात निकलकर सामने आती है। दरअसल, बीजेपी उत्तर भारतीय से दिल जीतकर उनमें गहरे तक पैठ बना चुकी है। अब उसकी नजर दक्षिण के राज्यों पर टिकी है। भाजपा ने इसके लिए कमाल की रणनीति भी बनाई है। ‘मिशन साउथ’ के तहत बीजेपी हर राज्य में अलग-अलग रणनीति पर काम कर रही है। हाल ही में, राज्यसभा के लिए मनोनीत सदस्यों पर नजर डालें तो सभी दक्षिण भारतीय हैं। पीटी ऊषा जहां केरल से हैं तो संगीतकार इलैया राजा तमिलनाडु से, लेखक और फिल्म डायरेक्टर वी विजयेंद्र आंध्र से आते हैं तो समाजसेवी वीरेंद्र हेगड़े कर्नाटक से। ये सभी बातें बीजेपी के ‘मिशन साउथ’ का एक हिस्सा हैं।

काशी तमिल संगमम: दक्षिण के लोगों के दिलों में जगह बनाने में सफल हो रही बीजेपी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल अविनाशी काशी में ‘काशी तमिल संगमम’ का उद्घाटन किया। इसका आयोजन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की ओर से किया गया था। ‘काशी तमिल संगमम’ एक ऐसा प्रोजेक्ट रहा, जिसे तमिलनाडु और वाराणसी के बीच प्राचीन संबंधों को ना केवल जोड़ने बल्कि उसे युवा पीढ़ी तक पहुंचाने की दिशा में काम किया। केंद्र की बीजेपी सरकार की इस कोशिश पर भले ही अलग-अलग मंच पर बहस देखने को मिल रही है। लेकिन, इसे बीजेपी के नजरिये से देखें तो पार्टी ‘मिशन साउथ’ की दिशा में आगे बढ़ रही है। यह हमारी प्राचीन संस्कृति के आदान-प्रदान और पुरातन परंपरा को जोड़ने का अद्भुत प्रयास है। जो भी हो एक बात तो मानना होगा कि इसी बहाने बीजेपी दक्षिण के लोगों के दिलों में भी जगह बनाने में सफल हो रही है।

 

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