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क्या वाजिब है युवाओं का विरोध? ‘अग्निपथ’ योजना पर जानें मिथ और फैक्ट

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प्रधानमंत्री नेरन्द्र मोदी की प्राथमिकता देश की सेना को आधुनिक और ताकतवर बनाना है, जो दुश्मन से मिली किसी भी चुनौती का तीव्रता और प्रचंड प्रहार के साथ जवाब दे सके। मोदी सरकार ने युवा जोश से भरपूर सेना बनाने और युवाओं को पहले से ज्यादा मौका देने के लिए एक महात्वाकांक्षी ‘अग्निपथ’ योजना लॉन्च की है। इस योजना के तहत देश के युवाओं को थल सेना, वायु और नौसेना में चार साल तक सेवा देने का सुनहरा अवसर प्राप्त होगा। चार साल तक तीनों सेनाओं में सेवा देने वाले ऐसे जवानों को ‘अग्निवीर’ नाम से जाना जाएगा।

मोदी सरकार का कहना है कि चार साल की सेवा के बाद 25 प्रतिशत जवानों को सेना में स्थायी नौकरी दी जाएगी जबकि 75 प्रतिशत जवानों को सरकार के विभिन्न विभागों एवं उपक्रमों की भर्ती में वरीयता दी जाएगी। पढ़ने और कारोबार करने के इच्छुक ‘अग्निवीरों’ को सरकार सर्टिफिकेट एवं वित्तीय मदद उपलब्ध कराएगी।

जहां केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अर्ध सैनिक बलों में अग्निवीरों को प्राथमिकता देने की बात कही है, वहीं कई राज्यों ने कहा है कि पुलिस भर्ती में ‘अग्निवीरों’ को वरीयता देंगे। इसके बावजूद इस योजना के खिलाफ कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। बिहार सहित कई राज्यों में छात्र सड़क पर उतरे हैं और हिंसक प्रदर्शन किया है। छात्रों को भड़काने के लिए योजना को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। छात्रों को बताया जा रहा है कि सेना में भर्ती होने का अवसर अब खत्म हो गया है। ऐसे में छात्रों और युवाओं को किसी के बहकावे में न आकर योजना को पूरी तरह समझने की जरूत है। इस योजना से होने वाले फायदों के बारे में धैर्य के साथ जानना होगा।

आइए एक-एक कर उन मिथकों का पर्दाफाश करते हैं, जिनके जरिए छात्रों को भड़काने की कोशिश की जा रही है। साथ ही जानें फौज में भर्ती से जुड़े ये जरूरी फैक्ट्स…

मिथ- 4 साल बाद ‘अग्निवीरों’ का भविष्य असुरक्षित है ?

फैक्टसेना से रिटायर होने के बाद ऐसे ‘अग्निवीर’ जो कारोबार शुरू करना चाहेंगे उन्हें वित्तीय मदद दी जाएगी। उन्हें बैंक लोन भी मिलेगा। ऐसे ‘अग्निवीर’ जो आगे पढ़ाई करना चाहेंगे उन्हें 12वीं कक्षा के बराबर का सर्टिफिकेट एवं ब्रिजिंग कोर्स जाएगा। इन्हें पैरामिलिट्री फोर्स और राज्यों की पुलिस की भर्ती में वरीयता दी जाएगी। सरकार के अन्य उपक्रमों में भी इन्हें समायोजित किया जाएगा।

मिथ-‘अग्निपथ’ योजना की वजह से युवाओं के लिए सेना में अवसर कम होंगे

फैक्ट- दरअसल इस योजना से सेना में युवाओं के लिए अवसर कम नहीं बल्कि बढ़ेंगे। आने वाले वर्षों में सेना में ‘अग्निवीरों’ की भर्ती मौजूदा समय से करीब तीन गुना बढ़ जाएगी।

मिथ- रेजिमेंट व्यवस्था को खत्म कर दिया जाएगा

फैक्ट – रेजिमेंटल व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। इस व्यवस्था को और अधिक बढ़ावा मिलेगा। सर्वश्रेष्ठ अग्निवीरों का चयन यूनिट की एकजुटता को बढ़ावा देगा।

मिथ-‘अग्निवीरों’ से सशस्त्र बलों की क्षमता प्रभावित होगी

फैक्ट- सेना में इस तरह की सीमित सेवा की व्यवस्था ज्यादातर देशों में है। इस व्यवस्था को पहले से ही परखा जा चुका है। बूढ़ी होती सेना एवं युवाओं के लिए इसे सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था माना जाता है। पहले साल भर्ती होने वाले ‘अग्निवीरों’ की संख्या सशस्त्र सेनाओं की संख्या की मात्र 3 फीसदी होगी। 25 प्रतिशत अग्निवीरों को कड़ी जांच के बाद ही सेना में लिया जाएगा। सेना को सुपरवाइजरी रैंक के लिए जांचे व परखे जवान मिलेंगे।

मिथ-21 साल के जवान नादान एवं सेना के लिए भरोसेमंद नहीं होंगे

फैक्ट-दुनिया की ज्यादातर सेनाएं अपने युवा जवानों पर निर्भर हैं। सेना में युवा जवानों की संख्या अनुभवी सैनिकों से ज्यादा हो जाए, ऐसा कभी समय नहीं आएगा। इस योजना के तहत धीरे-धीरे ‘अग्निवीरों’ की संख्या बढ़ाई जाएगी वह भी अनुभवी सैनिकों की तादाद को देखते हुए। युवाओं और अनुभवी सुपरवाइजरी रैंक का अनुपात 50% -50% का रहेगा।

मिथ- समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं ‘अग्निवीर’, आतंकवादी बन सकते हैं।

फैक्ट- ऐसी सोच भारतीय सेना के मूल्यों एवं परंपरा के खिलाफ है। एक बार सेना की वर्दी पहन चुके युवा हमेशा देश और समाज के प्रति वफादार रहेंगे। सशस्त्र सेनाओं से हर साल हजारो लोग रिटायर होते हैं, उनके पास कौशल होता है, वह देशविरोधी गतिविधियों में शामिल हुए हों, ऐसा एक भी मामला नहीं आया है।

मिथ-‘अग्निपथ’ योजना के बारे में सशस्त्र सेनाओं के पूर्व अधिकारियों से सलाह-मशविरा नहीं किया गया।

फैक्ट- बीते दो सालों में सशस्त्र सेनाओं में सेवारत अधिकारियों से इस योजना पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ है। इस योजना का प्रस्ताव डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री ऑफिसर्स के अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया है। इस विभाग को सरकार ने ही बनाया है। सशस्त्र बलों के पूर्व अधिकारियों ने इस योजना के लाभों को स्वीकार और इसका स्वागत किया है।

 

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