संकट का समय हमारे धैर्य और उदारता की परीक्षा लेता है, लेकिन दुर्भाग्य से हमारे देश के कुछ राजनेता इस विषम परिस्थिति को भी राजनीति का औजार बनाने में जुटे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक ओर लॉकडाउन को लेकर केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं कर रही हैं तो दूसरी ओर राहत सामग्रियों पर अपनी फोटो चिपकाकर बंटवा रही हैं। इधर, राजधानी दिल्ली के कर्ता-धर्ता मुख्यमंत्री केजरीवाल की सियासत और फेक न्यूज का आलम तो यह रहा कि दिल्ली के लाखों मजदूरों को पैदल ही उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए कूच करना पड़ा। दिल्ली के गरीबों को अब भी पर्याप्त भोजन देने में नाकाम रहने वाले केजरीवाल लगभग रोज ही प्रेस से मुखातिब होना नहीं भूलते और सेनेटाइज करने वाली गाड़ियों में अपनी तस्वीरों वाले बड़े बैनर लगाना तो जैसे अनिवार्य ही कर दिया हो। इन सबके बीच, सबसे शर्मनाक तस्वीर तो कांग्रेसशासित राजस्थान के बेगूं से आई, जहां विधायक राजेन्द्र सिंह बिधूड़ी ने उस बुजुर्ग महिला को राहत सामग्री ही देने से इनकार कर दिया, जिसने विधायक के पूछने पर पीएम मोदी को सीएम अशोक गहलोत से बेहतर बताया था।
कोरोना काल के कलंक
- ममता ने अधिकारियों को केंद्र से असहयोग करने का निर्देश दिया
- ‘केंद्र के किसी सवाल का जवाब न दें अधिकारी’
- केंद्र के कहने पर भी जूट मिल, चाय बागान नहीं खोला
- लेकिन, आबादी के बीच पान, मिठाई की दुकानें खुलवा दीं
- पश्चिम बंगाल में कोरोना पीड़ितों की सही जानकारी नहीं दे रहीं ममता
कोरोना काल के कठघरे में नेता
- चार लाख गरीबों को भोजन कराने का केजरीवाल का दावा
- लेकिन, गरीबों को नहीं मिल रहा भोजन
- राजस्थान के सीएम ने चिट्ठी लिखकर कोटा के विद्यार्थियों को ले जाने को कहा
- विद्यार्थियों को अपने राज्यों में भेजने को लेकर राज्यों से की बात
- कांग्रेसी विधायक ने मोदी-प्रशंसक महिला को नहीं दिया राशन
- कहा, आप जाकर दीये जलाओ, राशन यहीं छोड़ दो!