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जिसकी देशभक्ति खुद संदेह के घेरे में हो, वो बच्चों के हाथ में उल्टा तिरंगा पकड़ा कर पढ़ा रहा देशभक्ति का पाठ

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बच्चों में देशभक्ति का जज्बा पैदा करने के लिए ‘देशभक्ति पाठ्यक्रम’ की शुरुआत की है। इसके तहत स्वतंत्रता सेनानी से लेकर सामाजिक आंदोलनों से जुड़े लोगों के बारे में पढ़ाया जाएगा। इससे बच्चों को देशभक्ति के मायने समझाने के साथ उनसे प्रेरणा मिलेगी। लेकिन केजरीवाल बच्चों के हाथों में उल्टा तिरंगा पकड़ा कर देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें बच्चे उल्टा तिरंगा पकड़े हुए दिखाई दे रहे हैं। 

देशभक्ति की आड़ में विज्ञापनों पर खर्च

अब सवाल उठ रहे हैं कि जब केजरीवाल सरकार बच्चों को सही तरीक से झंडा पकड़ना नहीं सीखा रही है, तो देशभक्ति का पाठ कैसे पढ़ाएंगी? लोगों का कहना है कि केजरीवाल सरकार का मकसद बच्चों को देशभक्ति सिखाना नहीं है, बल्कि जनता का पैसा विज्ञापनों पर खर्च करना है। बच्चे देशभक्ति सीखे या नहीं सीखे, लेकिन केजरीवाल को पब्लिसिटी करने और अपना चेहरा चमकाने का पूरा मौका मिलेगा। 

गणतंत्र दिवस का बहिष्कार करने वाला पढ़ायेगा देशभक्ति का पाठ

लोगों का कहना है कि बच्चों से ज्यादा केजरीवाल को देशभक्ति सीखने की जरूरत है, क्योंकि उनकी देशभक्ति संदेह के घेरे में हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जिस व्यक्ति की देशभक्ति संदिग्ध हो, वो बच्चों में देशभक्ति का जज्बा कैसे पैदा करेगा? बच्चे एक संदिग्ध आदमी से कैसे प्रेरणा लेंगे, जिसने कई मौकों पर देश की सेना के शौर्य पर सवाल उठाया हो और उसके सबूत मांगे हों। यहां तक कि गणतंत्र दिवस को बहिष्कार किया हो। केजरीवाल की देशभक्ति सिर्फ दिखावा है। 

आइए देखते हैं अरविंद केजरीवाल की देशभक्ति पर उठ रहे सवालों में कितना दम है और केजरीवाल ने कब-कब देश विरोधी हरकतें की हैं…

उरी हमले पर देशविरोधी बोल

18 सितम्बर, 2016 को सुबह 4 बजे बारामूला में उरी के 12 वीं ब्रिगेड के मुख्यालय पर आतंकवादियों के आत्मघाती हमले में 17 जवान मारे गये और 19 जवान घायल हुए। पाकिस्तान की इस कायरतापूर्ण हरकत की जहां देशवासी और दुनियाभर के लोग निंदा कर रहे थे, वहीं केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाक को अलग-थलग करने की नीति की धज्जियां उड़ाने के मूड में राष्ट्रविरोधी वक्तव्य देने से भी नहीं चूके। केजरीवाल के लिए विरोध का मतलब विरोध होता है चाहे उसके लिए किसी भी हद तक उतर जाना पड़े। केजरीवाल ने एक अखबार के उस लेख का हवाला देते हुए 27 सितम्बर, 2016 को ट्विटर पर लिखा कि पाकिस्तान नहीं भारत आतंकवाद के मुद्दे पर अलग पड़ता जा रहा है। इस ट्वीट को लेकर पाकिस्तान में केजरीवाल ने काफी वाहवाही बटोरी और यहां देश में सोशल मिडिया पर उनकी जमकर लताड़ मिली।


सर्जिकल स्ट्राइक पर राष्ट्रविरोधी बयान

29 सितंबर, 2016 की अंधेरी रात भारत के स्पेशल कमांडो दस्ते ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकवादी ठिकानों को तबाह कर दिया, जिसमें कई आतंकवादी मारे गये। यह पूरा आपरेशन इतना खुफिया था कि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई को इसकी जरा भी भनक नहीं लगी। इस आपरेशन से पूरा पाकिस्तान सकते में था और ऐसी किसी सर्जिकल स्ट्राइक को मानने से इंकार ही नहीं कर रहा था, बल्कि सबूत मांग रहा था। 29 सितम्बर को ही दिन में डीजीएमओ ले. जनरल दलबीर सिंह ने पूरे आपरेशन की सफलता की जानकारी देश को दी और सेना की तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक होने की बात को साफ किया। केजरीवाल इस सर्जिकल स्ट्राइक की कामयाबी से इतने असहज हो गये कि वह देश के खिलाफ ही बोलने लगे और सेना की बात पर भरोसा न करते हुए पाकिस्तान की तरह सबूत मांगन लगे। दूसरे दिन अरविन्द केजरीवाल को पाक मीडिया ने अपने ‘हीरो’ की तरह पेश किया। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने लिखा कि भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया के शक के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी अविश्वास जताया।


जेएनयू में कश्मीर की आजादी और देश विरोधी नारे लगाने वालों का समर्थन 

जेएनयू में 9 फरवरी, 2016 को अफजल गुरु पर एक सभा का आयोजन किया गया। अफजल को संसद हमला मामले में 2013 में फांसी दे दी गई थी। इस सभा में देश-विरोधी नारों में कश्मीर की आजादी के नारे लगे। जब इन नारों का विरोध करने के लिए छात्रों का एक गुट सामने आया तो स्थिति बिगड़ गई और पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी। इस पूरे घटनाक्रम में केजरीवाल ने उन छात्रों का साथ दिया जो कश्मीर की आजादी और देश के टुकड़े होने के नारे लगा रहे थे। केजरीवाल के लिए बोलने की आजादी का महत्व देश की एकता और अखंडता से कहीं अधिक था। इन छात्रों का साथ देते हुए 12 फरवरी को उन्होंने एक ट्वीट किया।

इससे साफ पता चलता है कि विरोध के लिए केजरीवाल देश विरोधी शक्तियों का भी साथ दे सकते हैं। केजरीवाल से ही मिलता-जुलता ट्वीट भारत के मोस्ट वाटेंड आतंकवादी हाफिज सईद ने भी किया। एक आतंकवादी और केजरीवाल की जुबान में कोई फर्क नहीं दिखता।

गणतंत्र दिवस का बहिष्कार

क्या आप गणतंत्र दिवस के बहिष्कार की बात सोच सकते हैं? नहीं ना? ऐसा वही सोच सकते हैं जिन्हें भारतीय लोकतंत्र में भरोसा नहीं है। जैसे- आतंकवादी, नक्सलवादी। लेकिन आपकी सोच गलत है। ऐसा खुद को अराजकतावादी कहने वाले अरविंद केजरीवाल भी कर सकते हैं। केजरीवाल ने कहा था कि 26 जनवरी का उत्सव संसाधनों की बर्बादी है। जो इंसान मुख्यमंत्री रहते संविधान दिवस तक की परवाह नहीं करे, वो वाकई अराजकतावादी ही हो सकता है।

देश की गरिमा को तार तार करने में नहीं चूकते

2015 में जब मोदी अमेरिका के दौरे पर थे तो वहां अलग-अलग कंपनियों के सीईओ से मिलना हो रहा था। प्रधानमंत्री उनसे देश में निवेश के लिए कह रहे थे, जो किसी भी देश के प्रधानमंत्री के लिए सामान्य व्यवहार है। ऐसे में केजरीवाल ने ट्वीट करके देश की गरिमा को तार-तार कर दिया।

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