प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। देश में कारोबारी माहौल भी बेहतर हुआ है। यही वजह है कि देश में रिकॉर्डतोड़ विदेशी निवेश हो रहा है। मोदी सरकार की नीतियों की वजह से प्रभावित होकर अनुकूल आर्थिक परिस्थितियों और पर्याप्त तरलता के कारण निवेशकों ने 2019 में भारतीय पूंजी बाजार में बड़े पैमाने पर निवेश किया है। संयुक्त राष्ट्र की अंकटाड की ओर से जारी वैश्विक निवेश रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2019 में भारत में एफडीआई 16 प्रतिशत बढ़कर 49 अरब डॉलर रहा, इससे भारत एफडीआई पाने वाले शीर्ष 10 देशों में शामिल रहा। इस कारण दक्षिण एशिया में एफडीआई वृद्धि में तेजी आई और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 2019 में 10 प्रतिशत बढ़कर 60 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
एक नजर डालते हैं उन संकेतों पर, जिनसे साफ जाहिर होता कि मोदी सरकार में अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से बढ़ रही है।
विदेशी निवेशकों ने 2019 में किया रिकॉर्ड निवेश
भारतीय शेयर बाजार में संस्थागत निवेशकों ने साल 2019 में रिकॉर्ड निवेश किया है। नवभारत टाइम्स के अनुसार घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 2019 में कुल मिलाकर 1.43 लाख करोड़ रुपये निवेश किए। यह पिछले 15 वर्षों सालों में सबसे ज्यादा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस रकम में से करीब दो तिहाई हिस्सा निवेश किया। पिछले 15 वर्षों में संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में सालाना औसतन 75076 करोड़ रुपये का निवेश किया है। 2019 में संस्थागत निवेशकों ने इस औसत का लगभग दोगुना पैसा निवेश किया।
एफपीआई ने 2019 में किए 1.3 लाख करोड़ रुपए निवेश
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2019 में भारतीय पूंजी बाजार में 1.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने 2019 में घरेलू पूंजी बाजार में अब तक 1,33,074 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया है। एफपीआई ने इक्विटी में 2019 में 97,251 करोड़ रुपए का निवेश किया, जबकि 26,828 करोड़ रुपए के ऋणपत्रों की शुद्ध खरीदारी की। एफपीआई ने हाइब्रिड प्रतिभूतियों में 999 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीदारी की।
नवंबर में हुआ 22,872 करोड़ का एफपीआई निवेश
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने नवंबर महीने में घरेलू पूंजी बाजार में 22,872 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया। यह लगातार तीसरा महीना है जब एफपीआई शुद्ध लिवाल रहे हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने एक नवंबर से 29 नवंबर के दौरान ऋणपत्रों से 2,358.2 करोड़ रुपये निकाले, जबकि इक्विटी में उन्होंने 25,230 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस तरह वे 22,871.8 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार रहे। इससे पहले एफपीआई ने घरेलू पूंजी बाजार में अक्टूबर में 16,037.6 करोड़ रुपये और सितंबर में 6,557.8 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था।
अक्टूबर, 2019 में 3.31 अरब डॉलर रहा पीई-वीसी निवेश
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से देश का कारोबारी माहौल लगातार मजबूत होता जा रहा है। यही वजह है कि पीई-वीसी निवेश यानी प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल निवेश में स्थिरता बनी हुई है। मूल्य और मात्रा के हिसाब से अक्टूबर में उद्यम-पूंजी निवेश 91 सौदों में 3.31 अरब डॉलर रहा है। सौदों पर परामर्श देने वाली कंपनी ईवाई के अनुसार सितंबर में 98 सौदों में निजी इक्विटी और उद्यम पूंजी कोषों का निवेश 3.74 अरब डॉलर रहा था। अक्टूबर, 2018 में यह आंकड़ा 64 सौदों में 3.33 अरब डॉलर का रहा था। ईवाई के मुताबिक मोदी सरकार की नीतियों की वजह से ही पीई-वीसी गतिविधियों ने लगातार तीन अरब डॉलर के मासिक ‘रन रेट’ को कायम रखा है। यह चालू चाल के पहले दस महीनो में 16.5 अरब डॉलर बढ़कर 43.7 अरब डॉलर पर पहुंच गई हैं।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक वेतन वृद्धि भारत में होगी
प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक नीतियों से देश की इकोनॉमी और कारोबारी माहौल लगातार बेहतर हो रहा है। यही वजह है कि जहां कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं, वहीं कर्मचारियों की सैलरी भी निरंतर बढ़ रही है। प्रमुख वैश्विक एडवाइजरी, ब्रोकिंग और सोल्यूशंस कंपनी विलिस टॉवर्स वॉटसन की ताजा तिमाही रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2020 में कर्मचारियों के वेतन में रिकॉर्ड 10 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी होगी। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि ये वेतन वृद्धि पूरे एशिया-पैसिफिक में सबसे अधिक होगी। विलिस टॉवर्स वॉटसन ने अपनी यह रिपोर्ट विभन्न औद्योगिक क्षेत्रों और कंपनियों की प्रगति का अध्ययन और सर्वे करने के बाद तैयार की है। रिपोर्ट के मुताबिक इंडोनेशिया में वेतन वृद्धि 8 प्रतिशत, चीन में 6.5 प्रतिशत, फिलीपींस में 6 प्रतिशत और हांगकांग व सिंगापुर में 4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। जाहिर है कि मोदी सरकार की सफल आर्थिक नीतियों की वजह से ही इस वर्ष भारत में औसत वेतन वृद्धि 9 प्रतिशत से अधिक रही।
आईएमएफ को भरोसा, वैश्विक अर्थव्यवस्था की अगुवाई करेगा भारत
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक-तिहाई योगदान हो सकता है। आईएमएफ के हालिया शोध दस्तावेज में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है। आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ ने कहा कि हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं।
अगले साल 7 प्रतिशत हो जाएगी विकास दर- आईएमएफ
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने पिछले दिनों देश की अर्थव्यवस्था पर भरोसा जताते हुए कहा कि अगले साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर सुधरकर 7 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है। आईएमएफ के एशिया प्रशांत विभाग के उप-निदेशक जोनाथन ओस्ट्री ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष (2020-21) में सात प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है। मौद्रिक नीति प्रोत्साहन जैसे उपायों से आर्थिक वृद्धि को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि हाल में कर कटौती, सरकार के वित्तीय क्षेत्र में समस्याओं को दूर करने के लिये उठाये गये कदमों तथा विभिन्न क्षेत्रों को समर्थन देने के उपायों से निकट भविष्य में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में सुधार की उम्मीद है।
सबसे तेजी से बढ़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था- आईएमएफ
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने हाल ही में कहा कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ रही है। आईएमएफ की एमडी क्रिस्टालिना जियोर्गिवा ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले साल काफी मजबूत वृद्धि दर्ज की गई थी। आईएमएफ ने कहा है कि भारत ने अर्थव्यवस्था को लेकर बुनियादी मुद्दों पर काम किया है, लेकिन लंबे समय तक विकास को लेकर कुछ परेशानियां हैं, जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। भारतीय महिलाएं काफी प्रतिभाशाली हैं और श्रम शक्ति में उन्हें शामिल किया जाए।
विदेशी मुद्रा भंडार 448.24 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
मोदी सरकार की नीतियों के कारण आज भारत का विदेशी का मुद्रा भंडार नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार 10 जनवरी को खत्म हफ्ते में 5.8 अरब डॉलर बढ़कर 461.21 अरब डॉलर के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार इस दौरान स्वर्ण भंडार 43.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 28.492 अरब डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार ने आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था।
5 साल में भारत में 5 अरब डॉलर का निवेश करेगी फेयरफैक्स
प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों का ही असर है कि आज भारत में विदेशी कंपनियां खूब निवेश कर रही हैं। कनाडा की कंपनी फेयरफैक्स अगले पांच साल में भारत में 5 अरब डॉलर का निवेश करने जा रही है। कंपनी पिछले पांच साल में भारत में 5 अरब डॉलर का निवेश कर चुकी है और इतनी ही रकम वह अगले पांच साल में लगाने जा रही है। कंपनी के प्रमुख और अरबपति निवेशक प्रेम वत्स ने इकनॉमिक टाइम्स के साथ इंटरव्यू में भारत में आर्थिक सुस्ती की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि यहां ‘शानदार मौके’ हैं। उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से भारत दुनिया का नंबर वन देश है। प्रेम वत्स ने कहा, ‘दुनिया की जीडीपी में भारत का योगदान 3 प्रतिशत है, लेकिन कुल वैश्विक निवेश में इसकी हिस्सेदारी 1 प्रतिशत ही है। अगर इसे बढ़ाकर 2 प्रतिशत भी कर दिया जाए तो भारत में 3 लाख करोड़ डॉलर का निवेश बढ़ेगा।’ उन्होंने कहा कि आज चीन और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर कुछ मतभेद चल रहे हैं। ऐसे में लोग भारत में पैसा नहीं लगाएंगे तो कहां लगाएंगे? वे किसी बड़े बाजार में निवेश करना चाहते हैं, जहां लोकतंत्र हो। जहां कानून का राज हो। प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि भारत खुशकिस्मत है कि उसे मोदीजी जैसे बिजनस-फ्रेंडली नेता मिला है। उनका पूरा ध्यान देश के लिए अच्छा करने पर है। वत्स ने कहा कि इस तरह का तजुर्बा ग्लोबल लीडर में कम ही होता है।
इसी साल दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा भारत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की इकोनॉमी दिन दूनी- रात चौगुनी तरक्की कर रही है। आज पूरी दुनिया में इंडियन इकोनॉमी का बोलबाला है। अर्थव्यवस्था के मामले में भारत आज विश्व की चोटी के देशों को चुनौती दे रहा है। आईएचएस मार्किट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत इस साल ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2025 तक भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश हो जाएगा।
FDI के मोर्चे पर 20 वर्ष में पहली बार भारत ने चीन को पछाड़ा
भारत 20 साल में पहली बार एफडीआई हासिल करने के मामले में चीन से आगे निकल गया। वर्ष 2018 में वालमार्ट, Schneider Electric और यूनीलीवर जैसी कंपनियों से भारत में आए निवेश के चलते ये संभव हो सका। इस दौरान भारत में 38 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ, जबकि चीन सिर्फ 32 अरब डॉलर ही जुटा सका। पीएम मोदी के नेतृत्व में मजबूत सरकार और नए क्षेत्रों में भारी अवसरों के कारण भारत विदेशी निवेशकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पिछले साल भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के 235 सौदे हुए। पिछले 20 वर्षों से चीन विदेशी निवेशकों की पसंदीदा जगह बना हुआ था। पिछले साल चीन के बाजारों में आंशिक मंदी और अमेरिका के साथ ट्रेड वार के चलते विदेशी निवेशकों का रुख भारत की ओर बढ़ा है।
NPA के मामलों में सरकार को मिली बड़ी कामयाबी
रिजर्व बैंक आफ इंडिया की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों का ग्रॉस एनपीए घटकर 9.1 फीसदी पर आ गया है। यह एक साल पहले 11.2 फीसदी पर था। रिपोर्ट के अनुसार बैंकों के फंसे कर्ज के बारे में जल्द पता चलने और उसका जल्द समाधान होने से एनपीए को नियंत्रित करने में मदद मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शुरूआती कठिनाइयों के बाद इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) बैंकिंग सिस्टम का पूरा माहौल बदलने वाला कदम साबित हो रहा है। पुराने फंसे कर्ज की रिकवरी में सुधार आ रहा है और इसके परिणामस्वरूप, संभावित निवेश चक्र में जो स्थिरता बनी हुई थी, उसमें सुगमता आने लगी है।
बेहतर हुआ कारोबारी माहौल
पीएम मोदी ने सत्ता संभालते ही विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति तेज की और देश में बेहतर कारोबारी माहौल बनाने की दिशा में भी काम करना शुरू किया। इसी प्रयास के अंतर्गत ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति देश में कारोबार को गति देने के लिए एक बड़ी पहल है। इसके तहत बड़े, छोटे, मझोले और सूक्ष्म सुधारों सहित कुल 7,000 उपाय (सुधार) किए गए हैं। सबसे खास यह है कि केंद्र और राज्य सहकारी संघवाद की संकल्पना को साकार रूप दिया गया है।
पारदर्शी नीतियां, परिवर्तनकारी परिणाम
कोयला ब्लॉक और दूरसंचार स्पेक्ट्रम की सफल नीलामी प्रक्रिया अपनाई गई। इस प्रक्रिया से कोयला खदानों (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के तहत 82 कोयला ब्लॉकों के पारदर्शी आवंटन के तहत 3.94 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आय हुई।
जीएसटी ने बदली दुनिया की सोच
जीएसटी, बैंक्रप्सी कोड, ऑनलाइन ईएसआइसी और ईपीएफओ पंजीकरण जैसे कदमों कारोबारी माहौल को और भी बेहतर किया है। खास तौर पर ‘वन नेशन, वन टैक्स’ यानि GST ने सभी आशंकाओं को खारिज कर दिया है। व्यापारियों और उपभोक्ताओं को दर्जनों करों के मकड़जाल से मुक्त कर एक कर के दायरे में लाया गया।