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पीएम मोदी जैसी उदारता 75 साल के इतिहास में कोई नहीं दिखा पाया, मोदीराज में कई विपक्षी नेताओं को भी मिले भारत रत्न और पदम पुरस्कार, कांग्रेस नहीं दिखा पाई यह हिम्मत

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अक्सर कहते हैं कि राजनीति को अलग रखते हुए, पुरस्कारों को उन लोगों को दिया जाना चाहिए, जिन्होंने देश के महान कार्य में योगदान दिया है। मोदी के इसी विजन के तहत उन्होंने भारत रत्न और पद्म पुरस्कारों को नई ऊंचाई दी है। पीएम मोदी ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर विपक्ष के नेताओं को भी ये पुरस्कार देकर उदारता दिखाई। उनकी दूरदृष्टि का प्रभाव इस बात से स्पष्ट होता है कि मोदी सरकार के सात साल के कार्यकाल के दौरान विपक्षी दलों के कई नेताओं को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस नेता प्रणव मुखर्जी को तो पीएम मोदी कार्यकाल में ही भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है।

पीएम मोदी ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर बड़े पुरस्कारों को दी नई ऊंचाई
पीएम मोदी के उदार विजन को आगे बढ़ाते हुए इस बार भी गणतंत्र दिवस के मौके पर कला, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक मामलों, विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में कुछ बड़े नामों से सम्मानित करने के साथ ही विपक्ष के दो बहुत वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद और सीपीआई (एम) के दिग्गज नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य को पद्म पुरस्कार देने की घोषणा हुई। जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण दिया गया। आजाद असंतुष्ट जी-23 समूह के एक प्रमुख सदस्य हैं। कांग्रेस के कई नेताओं ने आजाद को पुरस्कार मिलने की बधाई दी। वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर कांग्रेस पर बड़ा निशाना साधा। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘गुलाम नबी आजाद को पदम भूषण मिला है। बधाई हो भाईजान। विडंबना यह है कि जब देश सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को मान्यता दे रहा है, तब कांग्रेस को उनकी सेवाओं की आवश्यकता नहीं है।

पूर्व राष्ट्रपति रहे कांग्रेस नेता प्रणव मुखर्जी को दिया भारत रत्न
आइये, जानते हैं कि पीएम मोदी के कार्यकाल में विपक्ष के किन नेताओं को दलगत राजनीति की संकुचित सोच से ऊपर उठकर भारत रत्न और पद्म पुरस्कार दिए गए। विपक्षी नेताओं की इस सूची में सबसे बड़ा नाम पूर्व राष्ट्रपति रहे कांग्रेस नेता प्रणव मुखर्जी का है। प्रणव मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे। कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी को 2019 में भारत को सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया गया। भारत के 75 साल के इतिहास में मोदी जैसी उदारता देश का कोई प्रधानमंत्री नहीं दिखा पाया।

पीएम मोदी कार्यकाल में इन नेताओं को मिले पद्म पुरस्कार

  • गुलाम नबी आजाद – जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को 2022 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • तरुण गोगोई – असम के मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस नेता तरुण गोगोई को 2021 में मरणोपरांत पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • एस.सी. जमीर – नगालैंड के मुख्यमंत्री रहे और महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा के गवर्नर रहे कांग्रेस नेता एससी जमीर को 2020 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • तरलोचन सिंह – देश के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के प्रेस सचिव और राज्यसभा सांसद तरलोचन सिंह को 2020 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • मुज्जफर हुसैन बेग – जम्मू-कश्मीर के डिप्टी चीफ मिनिस्टर और पीडीपी नेता मुज्जफर हुसैन बेग को 2020 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

पीएम मोदी के पहले कार्यकाल में इन विपक्षी नेताओं को मिले पद्म पुरस्कार

  • भम्बानी चरण पटनायक – उड़ीसा के कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य भम्बानी चरण पटनायक को 2018 में पद्मश्री अवार्ड के सम्मानित किया गया।
  • शरद पवार- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख और क्रिकेट प्रशासक रहे शरद पवार को 2017 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • पीए संगमा – लोकसभा के पूर्व स्पीकर और मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्रीपीए संगमा को 2017 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
  • तोखेहो सामी – नगालैंड के कांग्रेस नेता और मिनिस्टर ऑफ स्टेट रहे तोखेहो सामी को 2016 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया। 

कांग्रेस ने बीजेपी से सिर्फ अटल बिहारी को दिया पद्म पुरस्कार
कांग्रेस और यूपीए सरकार की बात करें तो इन्होंने देश के सर्वोच्च चार पुरस्कार देने में बेहद संकुचित रवैया अपनाया। कांग्रेस ने देश के लिए उत्कृष्ट कार्य करने के बजाए कई अपने चहेतों को भी पुरस्कृत किया। भारतीय लोकदल के सांसद मोहन धारिया को यूपीए सरकार ने 2005 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया। भारतीय लोकदल ने इंदिरा गांधी के विपक्ष में चुनाव लड़ा था। हालांकि, धारिया भी 1971 में पुणे से कांग्रेस की टिकट पर जीते थे। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को 1992 में पद्म पुरस्कार से नवाजा गया।

 

पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने इसलिए नहीं लिया पद्म पुरस्कार
इस बार पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य को भी पद्म पुरस्कार देने की घोषणा हुई, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इस पर कुछ जयराम नरेश जैसे नेताओं द्वारा ओछी राजनीति की जा रही है। अब सवाल यह है कि बुद्धदेव भट्टाचार्जी ने सरकार से मिले सम्मान को स्वीकार क्यों नहीं किया। दरअसल, कम्युनिस्ट पार्टी के नियमों में किसी भी सरकार से किसी भी तरह का सम्मान पाने की मनाही है। पार्टी के नियमों के अनुसार, कम्युनिस्ट पार्टी का कोई भी सदस्य सरकार से पुरस्कार प्राप्त नहीं कर सकता है। इससे पहले कम्युनिस्ट नेता, लेखक, इतिहासकार और सामाजिक कार्यकर्ता नम्बूदरीपाद को 1992 में नरसिम्हा राव सरकार ने पद्म पुरस्कार दिया था, जिसे उन्होंने भी अस्वीकार कर दिया था।

 

 

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