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पाक में भोजन-राशन को तरस रहे हिंदू और ईसाई

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कोरोना जैसी भयानक महामारी के इस दौर में भी पाकिस्तान की नापाक हरकत नहीं बदली। इस बदलते परिप्रेक्ष्य में भी वह भारत से दुश्मनी का बदला अपनी ही अल्पसंख्यक जनता ले रहा है। पाकिस्तान ने अपने यहां रहे हिंदू और ईसाई परिवार को भोजन और राशन देने से भेदभाव कर रहा है। एक तरफ पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू और ईसाई परिवार भोजन और राशन को तरस रहे हैं वहीं भारत में रह रहे अल्पसंख्यक समुदाय विशेषकर मुसलमान मजे में है। देश में रह रहे मुसलमान थोड़ा आंख खोलकर देखे कि क्या भारत में भी पाकिस्तान की तरह हो रहा है? इसके बाद यह सोचना चाहिए कि आखिर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वह सरकार का साथ क्यों नहीं दे रहा है। इस संकट की घड़ी में भारत के मुसलमानों के सामने खुद को एक सच्चे और समर्पित हिन्दुस्तानी साबित करने का एक सुनहरा अवसर है।

पाकिस्तान की नापाक फितरत

पाकिस्तान इतना कट्टर है कि इस वैश्विक संकट के समय में भोजन और राशन जैसी बुनियादी चीजों में भी धार्मिक भेदभाव करने से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के कराची में एक एनजीओ द्वारा वितरति राशन और भोजन में धार्मिक रूप से भेदभाव करने की खबरें सामने आई है। कराची में सैलानी वेलफेयर इंटरनेशनल ट्रस्ट राशन और भोजन बांट रहा है, लेकिन वह किसी भी हिंदू और ईसाई को नहीं दे रहा है। यह खुलासा उनसे खुद उस समय किया जब वह हिंदू-ईसाई बहुल इलाके में राशन बांटने पहुंचा। उसने बताया कि यहां सिर्फ मुसलमानों को राशन-भोजन देने का आदेश है। किसी भी हिंदू और ईसाई को राशन देने का आदेश नहीं है।

सिंध में हिंदुओं को नहीं मिल रहा राशन

पाकिस्तान में रहे हिंदू और ईसाई समुदाय के लोगों ने खुद ही अपनी सरकार पर धार्मिक आधार पर अपनी जनता के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। कोरोना जैसे वैश्विक महामारी के खिलाफ पूरा विश्व भले ही एकजुट हो लेकिन पाकिस्तान अपनी फितरत से बाज नहीं आ रहा है। कोरोना के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान सिंध प्रांत में रह रहे हिदुओं और ईसाइयों को तो वहां की सरकार राशन तक नहीं दे रही है। पूछने पर अधिकारी कहते हैं कि राशन केवल मुसलमानों के लिए है। गौर हो कि सिर्फ सिंध प्रात में ही पांच लाख आबाद हिंदुओं की है। पाकिस्तान में तो कुल आबादी का चार प्रतिशत हिंदू है। पाकिस्तान में शुरू से ही हिंदुओं को मानवाधिकारों से वंचित रखा गया है।

भूखे रहने को विवश हिंदू परिवार

वैसे तो पूरे पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति काफी दर्दनाक है, लेकिन लॉकडाउन के इस संकट की घड़ी में भी कई हिंदू परिवार भूखे रहने को अभिशप्त है। हिदू समुदाय से जुड़े एक व्यक्ति का कहना है कि ‘लॉकडाउन के दौरान कोई अधिकारी उनकी मदद करने को आगे नहीं आते। हिदू या ईसाई समुदाय से ताल्लुक रखने वालों को राशन की दुकानों से लौटा दिया जाता है। ‘ हिदू समुदाय दूसरे व्यक्ति का कहना है ‘हम केवल यह सुनते हैं कि हमारे प़़डोस में रहने वाले लोग राशन लाए हैं।’ उनका बेटा रिक्शा चलाता है। लॉकडाउन के कारण सबकुछ बंद है। उनके पास खाने को कुछ नहीं है। इतने पैसे भी नहीं हैं बाहर से राशन खरीद सकें। जब भी वे राशन वितरण केंद्रों पर जाते हैं तो उन्हें दुत्कार कर भगा दिया जाता है।

… जबकि खुद भुखमरी से जूझ रहा पाक

जरा सोचिए ये हरकत वह पाकिस्तान कर रहा है जो खुद भुखमरी से जूझ रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक संदेश जारी कर दुनिया से पाकिस्तान को भुखमरी से बचाने की अपील की है। ऐसी स्थिति में इमरान खान की सरकार अपने ही देश की जनता के साथ इस प्रकार का भेदभाव कैसे कर सकती है। इमरान खान ने वैश्विक वित्ती संस्थाओं से इस संकट की घड़ी में पाकिस्तान को ऋण से उबारने में मदद करने की गुहार लगाई है।

अल्पसंख्यकों का किया जा रहा उत्पीड़न

यूएससीआईआरएफ ने साल 2019 की अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया था कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का खुलेआम उत्पीड़न हो रहा है. सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि ईसाइयों के साथ भी पाकिस्तान में न सिर्फ भेदभाव हो रहा है बल्कि वे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं. प्रशासनिक भेदभाव के साथ-साथ अल्पसंख्यकों को सामजिक बहिष्कार भी झेलना पड़ता है. पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई सुरक्षित नहीं हैं और पाकिस्तानी सरकार का रवैया भी इस बारे में नकारात्मक है.

अमेरिकी एजेंसी ने की पाक की निंदा

पाकिस्तान की इस नापाक हरकत पर अमेरिकी एजेंसी यूएससीआईआरएफ के कमिश्नर जॉनी मूरे ने निंदा की है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी जनता के साथ किसी प्रकार का भेदभाव न करने की अपील की है. दुनियाभर के धार्मिक मसलों पर राय देने वाले अमेरिकी आयोग ने पाकिस्तान से आ रही उन खबरों की निंदा की है, जहां हिंदुओं और ईसाईयों को खाना नहीं देने की बात सामने आई है।.

भारत में मुसलमान मंगा रहे अतिरिक्त राशन

एक तरफ पाकिस्तान है जहां अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सरकार के धार्मिक भेदभाव की नीति के कारण भूखे रहना पड़ता है, वहीं दूसरी तरफ भारत है जहां कई ऐसे मुसलमान परिवार हैं जिन्होंने घर में राशन भरे होने के बाद भी फोन कर राशन मंगवाने में जुटे हैं। मीडिया रिपोर्ट में कई जगह इस प्रकार की घटनाओं का खुलासा किया गया है।

… फिर भी मुसलमान हैं कि मानते नहीं

भारत में समानता का अधिकार रखने वाले मुसलमान हैं कि मानते नहीं। इस वैश्विक महामारी के दौरान भी सरकारी कर्मचारी उनके घर तक राशन पहुंचाते हैं।  सरकार से इतनी सुविधा मिलने के बावजूद यहां के मुसलमान सरकार और देश के खिलाफ काम करने में लगे रहते हैं। कोरोना जैसे संकट को ही लें। जिस वैश्विक संकट से पूरा विश्व कराह रहा है, उस संकट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत लगाम लगाने ही वाला था, लेकिन दिल्ली स्थित निजामुद्दीन मरकज में जमा हुए तबलीगी जमात ने पूरे भारत में कोरोना का विस्तार कर दिया। अगर जमातियों ने ये करतूत नहीं की होती तो शायद देश की जनता को दूसरी बार लॉक़डाउन भी नहीं झेलना पड़ता। जिस प्रकार पीएम मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा के दौरान देश की जनता से सिर्फ 21 दिन मांगा था वे उतने ही दिन में भारत को कोरोना से मुक्त कर दिए होते। देश के मुसलमानों के सामने यह एक सुनहरा मौका है। वे देश हित को ध्यान में रखते हुए कोरोना से लड़ाई में सरकार का साथ निभा सकते हैं और खुद को सच्चे व समर्पित हिंदुस्तानी साबित कर सकते हैं।

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