अफगानिस्तान में आए भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। चारों तरफ बर्बादी और तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है। अफगानिस्तान के एक अधिकारी के मुताबिक, इस भूकंप में 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। वहीं 1500 से ज्यादा लोगों के घायल होने की भी सूचना है। ऐसी मुश्किल घड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संकटमोचक रूप में सामने आए हैं। भारत ने अफगानिस्तान की मदद के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। अफगानिस्तान के लोगों के लिए सबसे पहले भारतीय वायुसेना के दो विमानों से करीब 27 टन आपात राहत सामग्री भेजी गई।
Press Release on Earthquake Relief Assistance for the people of Afghanistan ➡️ https://t.co/ZLyMFJPPMC pic.twitter.com/sZlg5z4ezm
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) June 24, 2022
भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया कि भारत सरकार ने सबसे पहले सहायता प्रदान करते हुए आपात राहत सामग्री काबुल भेज दी है, जिसमें तंबू, स्लीपिंग बैग, कंबल, चटाई आदि शामिल हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक राहत सामग्री को वहां के भारतीय दल को सौंप दिया गया है। भारत से अभी और मदद भेजी जा रही है।
First consignment of India’s earthquake relief assistance for the people of Afghanistan reaches Kabul. Being handed over by the Indian team there.
Further consignment follows. pic.twitter.com/6v1oYSRZLO
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) June 23, 2022
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी. एस. तिरुमूर्ति ने गुरुवार को अफगानिस्तान पर सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि मैं पीड़ितों और उनके परिवारों और अफगानिस्तान में आए भीषण भूकंप से प्रभावित हरेक इंसान के प्रति संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं। भारत, अफगानिस्तान के लोगों के दुख को समझता है। इस मुश्किल घड़ी में सहायता प्रदान करने को तैयार है।
At UNSC briefing on Afghanistan India expresses grief over tragic earthquake, vows to provide support
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— ANI Digital (@ani_digital) June 23, 2022
गौरतलब है कि 22 जून को अफगानिस्तान के मध्य क्षेत्र में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र खोस्त शहर से करीब 44 किलोमीटर दूर था और 51 किलोमीटर की गहराई में था। पक्तिका प्रांत के चार जिलों गयान, बरमाला, नाका और जिरुक के साथ-साथ खोस्त प्रांत के स्पेरा जिले में भी इसका असर दिखा। ये भूकंप इतना तेज था कि पड़ोसी देश पाकिस्तान के लाहौर, मुल्तान, क्वेटा में भी लोगों को झटके महसूस हुए। इसके अलावा भारत में भी झटके महसूस किए जाने की खबर है।
अफगानिस्तान संकट, कोरोना महामारी समेत ऐसे कितने ही मौके आए, जबकि पीएम मोदी संकटमोचक के रूप में सामने आए।
संकट में श्रीलंका का मददगार बना भारत
श्रीलंका इस समय गंभीर आर्थिक संकट, ऐतिहासिक मंदी और भयानक महंगाई का सामना कर रहा है। लोगों को अब ईंधन और रोजाना की जरूरत की चीजों के लिए संघर्ष करना पड़ रह है। लोगों को खाने-पीने का सामान नहीं मिल रहा है, जिसकी वजह से पेट भरना भी मुश्किल हो गया है। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संकटमोचक रूप में सामने आए हैं। श्रीलंका की सरकार और विपक्ष, दोनों मदद के लिए प्रधानमंत्री मोदी की ओर देख रहे थे। संकट काल में भारत ने अपने पड़ोसी देश की मदद कर रहा है। भारत की ओर से 40 मिट्रिक टन डीजल और 50 हजार टन चावल श्रीलंका भेजा गया। भारत ने श्रीलंका को 1 अरब डॉलर की सहायता का वादा किया।
अफगानिस्तान संकट: तालिबान के कारण देश छोड़ने वालों को मिली मदद
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे बाद वहां भारी अफरातफरी का माहौल बन गया था। हवाई अड्डे पर लोगों की भारी भीड़ के कारण लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया था। ऐसे में मोदी सरकार संकटमोचक बनकर अफगानिस्तान में फंसे अपने देश के नागरिकों को वहां से सुरक्षिक निकाल आई। वीजा नीति में बदलाव किया गया। e-Emergency X-Misc Visa कैटेगरी की शुरुआत की गई। इससे तालिबान से अपनी जान बचाने के लिए वहां से तुरंत निकलने की कोशिश में लगे लोगों को काफी मदद मिली।
सुनामी से प्रभावित टोंगा को 2 लाख डॉलर की सहायता
भारत ने सुनामी और ज्वालामुखी विस्फोट से प्रभावित टोंगा को तत्काल राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए 2 लाख डॉलर की आर्थिक सहायता दी। विदेश मंत्रालय ने टोंगा में सुनामी के कारण हुए नुकसान और विनाश के लिए सरकार और लोगों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की। संकट की घड़ी में वहां के लोगों के साथ खड़ा हो कर मोदी सरकार ने फिर अपनी अंतरराष्ट्रीय सहयोग को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। 2018 में चक्रवात गीता से हुई तबाही के समय भी भारत टोंगा के साथ मजबूती से खड़ा था। गौरतलब है कि 15 जनवरी, 2022 को टोंगा साम्राज्य ज्वालामुखी विस्फोट और सुनामी की चपेट में आ गया था। इससे देश की आबादी का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ था और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों को भी नुकसान पहुंचा था।
श्रीलंका को 90 करोड़ डॉलर का आर्थिक पैकेज
भारत ने संकट की घड़ी में श्रीलंका की मदद की। चीन ने पहले तो श्रीलंका को कर्ज देकर जाल में फंसाया फिर उसके हाल पर छोड़ दिया। जब श्रीलंका दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया, तो भारत ने श्रीलंका को 90 करोड़ डॉलर के आर्थिक पैकेज की घोषणा की। श्रीलंका के प्रमुख अर्थशास्त्री और श्रीलंकाई सेंट्रल बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर डब्ल्यू विजेवर्धने ने भारत की इस मदद की तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत के आर्थिक पैकेज ने अभी के लिए श्रीलंका की डूबती नैया को बचाने में बड़ी सहायता की है। उन्होंने कहा कि भारत के आर्थिक पैकेज ने 18 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय सॉवरेन बांड के निपटान के बाद आनेवाले एक तत्काल आर्थिक संकट को टाल दिया। समय पर भारत की सहायता ने श्रीलंकाई सरकार को दो महीने की राहत दी।
चीन के कर्ज के जाल से मालदीव को निकाला
भारत ने संकट की घड़ी में मालदीव की मदद की। चीन ने पहले तो मालदीव को कर्ज देकर जाल में फंसाया फिस कर्ज की वापसी के लिए नोटिस थमा दिया। ऐसे में भारत ने मालदीव को आर्थिक संकट से उबरने के लिए 25 करोड़ डॉलर (1840 करोड़ रपये) की आर्थिक सहायता दी। इस आर्थिक मदद पर वहां के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सालिह ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया। राष्ट्रपति सालिह ने ट्वीट कर कहा कि जब भी मालदीव को किसी मित्र की जरूरत पड़ी, भारत हमेशा इस अवसर पर आगे आया है। वित्तीय सहायता के रूप में 25 करोड़ डॉलर के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सरकार और जनता को मेरी ओर से दिल से धन्यवाद।
तूफान प्रभावित मोजाम्बिक में राहत अभियान
आज दुनिया में कहीं भी कोई आपदा आने पर भारत से मदद की उम्मीद की जाती है। भारत ने खतरनाक चक्रवाती तूफान का सामना कर रहे मोजांबिक में 192 से ज्यादा लोगों को बचाया। तूफान प्रभावित अफ्रीकी देश मोजाम्बिक में नौसेना के जवानों ने देवदूत बनकर वहां के लोगों की मदद की। इसके अलावा 1,381 लोगों का मेडिकल कैंपों में इलाज किया गया। विदेश मंत्रालय के अनुसार इडाई तूफान ने मोजाम्बिक, जिंबाब्वे और मलावी में भारी तबाही मचाई। मोजाम्बिक के अनुरोध पर भारत ने तत्काल नौसेना के तीन जहाजों को मदद के लिए रवाना किया। आईएनएस सुजाता, आसीजीएस सारथी और आईएनएस शार्दुल ने तत्काल तूफान प्रभावित देश में लोगों को मानवीय सहायता मुहैया कराई।
इंडोनेशिया में ऑपरेशन समुद्र मैत्री
अक्तूबर 2019 में इंडोनेशिया में आए भूकंप और सुनामी के कारण भारी तबाही हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विदोदो के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद भारत ने वहां ऑपरेशन ‘समुद्र मैत्री’ शुरू किया था। भारत ने वहां भूकंप और सुनामी पीड़ितों की सहायता के लिए दो विमान और नौसेना के तीन पोत भेजे थें। इन विमानों में सी-130 जे और सी-17 शामिल हैं। सी-130 जे विमान से तंबुओं और उपकरणों के साथ एक मेडिकल टीम भेजी गई थी। सी-17 विमान से तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए दवाएं, जेनरेटर, तंबू और पानी आदि सामग्री भेजी गई थी।
भारत से भेजे गए हैवी फ्लडपंप से निकाला गया था गुफा का पानी
थाईलैंड में थैल लुआंग गुफा में अंडर-16 फुटबाल टीम के 12 बच्चे और कोच के फंसने के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। दुनिया में अब तक के सबसे जोखिम भरे राहत और बचाव अभियान में ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, अमेरिका समेत तमाम देशों ने अपने विशेषज्ञ भेजे, पर इनसे कोई बात नहीं बनी तो थाईलैंड की सरकार ने भारत की मोदी सरकार से मदद की गुहार की। मोदी सरकार ने बगैर समय गंवाए भारतीय इंजीनियरों को मदद करने का निर्देश दिया। भारत सरकार के आदेश पर केबीएस का हैवी फ्लडपंप महाराष्ट्र के सांगली जिले स्थित किर्लोस्कर समूह की कंपनी से भेजा गया। भारत से हैवी कैबीएस फ्लडपंप थाईलैंड पहुंचने के बाद, गुफा में पानी का स्तर कम किया गया। पानी का स्तर कम होने के बाद ही गोताखोरों का काम आसान हुआ और तीन दिनों के कठिन ऑपरेशन के बाद सभी बच्चों और उनके कोच को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया।
यमन संकट के दौरान विश्व ने माना भारत का लोहा
जुलाई 2015 में यमन गृहयुद्ध की चपेट में था और सुलगते यमन में पांच हजार से ज्यादा भारतीय फंसे हुए थे। बम गोलों और गोलियों के बीच हिंसाग्रस्त देश से भारतीयों को सुरक्षित निकालना मुश्किल लग रहा था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कुशल नेतृत्व और विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह के सम्यक प्रबंधन और अगुआई ने कमाल कर दिया। भारतीय नौसेना, वायुसेना और विदेश मंत्रालय के बेहतर समन्वय से भारत के करीब पांच हजार नागरिकों को सुरक्षित निकाला गया वहीं 25 देशों के 232 नागरिकों की भी जान बचाने में भारत को कामयाबी मिली। इस सफलता ने विश्वमंच पर भारत का लोहा मानने के लिए सबको मजबूर कर दिया।
मालदीव के लोगों की प्यास बुझाई
दिसंबर 2014 में मालदीव का वाटर प्लांट जल गया और पूरे देश में पीने के पानी की किल्लत हो गई। वहां त्राहिमाम मच गया और आपातकाल की घोषणा कर दी गई। तब भारत ने पड़ोसी का फर्ज अदा किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने त्वरित फैसला लिया। मालदीव को पानी भेजने का निर्णय कर लिया गया और इंडियन एयर फोर्स के 5 विमान और नेवी शिप के जरिये पानी पहुंचाया जाने लगा।
नेपाल भूकंप में राहत का अद्भुत उदाहरण
27 अप्रैल, 2015 को नेपाल की धरती में हलचल हुई और आठ हजार से ज्यादा जानें एक साथ काल के गाल में समा गईं। जान के साथ अरबों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ सो अलग। हलचल नेपाल में हुई लेकिन दर्द भारत को हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और नेपाल के लिए भारत की मदद के द्वार खोल दिए। नेपाल में जिस तेजी से मदद पहुंचाई गई वो अद्भुत था। भारतीय आपदा प्रबंधन की टीम ने हजारों जानें बचाईं। सबसे खास रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय का नेपाल सरकार से बेहतरीन समन्वय रहा। प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल की पूरे विश्व ने सराहना की।
अफगानिस्तान में भूकंप में राहत
अक्टूबर 2015 को अफगानिस्तान-पाकिस्तान में 7.5 तीव्रता के भूकंप के चलते 300 लोगों के मौत हो गई। पीएम मोदी ने तत्काल दोनों देशों को मदद की पेशकश की। अफगानिस्तान में भारतीय राहत टीम को बिना देर किए रवाना किया गया और मलबे में फंसे सैकड़ों लोगों को निकालने में सफलता पायी।
बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए भेजी राहत
सितंबर 2017 में भारत ने बांग्लादेश में म्यांमार से आए रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए राहत सामग्री भेजी थी। बांग्लादेश के मदद मांगने पर बिना देर किए भारत ने चावल, गेहूं, दाल, चीनी, नमक, खाद्य तेल, नूड्ल्स, बिस्किट, मच्छरदानी वगैरह की पहली खेप के साथ वायु सेना का विमान भेज दिया। विदेश मंत्रालय की निगरानी में ‘ऑपरेशन इंसानियत’ नाम से वहां राहत कार्यक्रम चलाया गया।
श्रीलंका ईंधन संकट: संकटमोचक बनी मोदी सरकार
श्रीलंका को नवंबर 2017 में पेट्रोल और डीजल की जबरदस्त किल्लत का सामना करना पड़ा। श्रीलंका में ईंधन की कमी के बीच राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें बताया कि भारत, श्रीलंका को अतिरिक्त ईंधन भेज रहा है और विकास में सहयोग के लिए भारत के सतत समर्थन का भरोसा भी दिलाया। इसके पहले मई 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने संकटग्रस्त श्रीलंका के लिए राहत भेजी थी। यहां दक्षिण-पश्चिम मॉनसून ने भारी तबाही मचायी थी, जिसमें 50 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे और 90 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई।
श्रीलंका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए घर
भारत ने हाल ही में श्रीलंका के चाय बागान में काम कर रहे भारतीय मूल के लोगों के लिए बनाए गए 404 घर उनको सौंप दिए। इसपर करीब 350 मिलियन अमेरीकी डॉलर की लागत आई है। भारत द्वारा किसी भी देश में यह सबसे बड़ी घर परियोजना था श्रीलंका में रहने वाले भारतीय मूल के तमिल अधिकतर चाय और रबड़ बागानों में काम करते हैं और उनके पास उचित घरों का अभाव है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने हमेशा से शांत, सुरक्षित और समृद्ध श्रीलंका का सपना देखा है जहां सब की प्रगति और विकास की आंकक्षाएं पूरी हों। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत अपनी नेबरहुड फर्स्ट नीति में श्रीलंका को एक विशेष स्थान पर बनाए रखेगा।
इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी कोरोना संकट काल में भी पूरी दुनिया के लिए संकटमोचक बने हैं। आइए डालते हैं एक नजर-
6 पड़ोसियों सहित 100 से अधिक देशों को वैक्सीन सप्लाई
कोरोना संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री मोदी संकटमोचक बन कर सामने आए हैं। भारत ने भूटान, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और सेशेल्स को अनुदान सहायता के तहत 20 जनवरी, 2021 से कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति शुरू क थी। कोविशील्ड वैक्सीन की 1.5 लाख डोज वाली पहली खेप भूटान के लिए रवाना हुई। मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भूटान की राजधानी थिम्पू के लिए वैक्सीन की पहली खेप रवाना हुई। इसके बाद 100 से अधिक देशों को कोरोना वैक्सीन की 6 करोड़ से अधिक की डोज भेजी गई।
पीटरसन ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की
अफ्रीकी देशों में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के सामने आने के बाद कई देशों में यहां आने-जाने वाली फ्लाइट्स पर रोक लगा दी। ऐसे में भारत ने आगे आकर अफ्रीकी देशों की मदद की। इसी को लेकर अफ्रीकी मूल के पीटरसन ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। इससे पहले केविन पीटरसन ने फरवरी, 2021 में अफ्रीका को वैक्सीन भेजने पर भारत की तारीफ करते हुए लिखा था कि भारत की उदारता और दयालुता लगातार बढ़ती जा रही है। प्यारा देश। विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत अफ्रीकी देशों में मेड इन इंडिया वैक्सीन, जरूरी दवाइयां, टेस्ट किट, पीपीई किट्स और वेंटिलेटर सहित दूसरे मेडिकल सामान सप्लाई करने को तैयार है। भारत ने अभी तक अफ्रीका में 41 देशों को 2.5 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की सप्लाई की है। जिसमें करीब 16 देशों को 1 करोड़ डोज मदद के रूप में और 33 देशों को कोवैक्स के जरिए 1.6 करोड़ डोज शामिल है।
वैक्सीन भेजने पर बारबाडोस की पीएम ने की पीएम मोदी की तारीफ
बारबाडोस की प्रधानमंत्री मिया मोटली ने कोरोना वैक्सीन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की। मिया मोटली ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वैक्सीन मैत्री के तहत कोविशिल्ड का पहला डोज भेजकर उदारता का वास्तविक प्रदर्शन किया है। आपके कारण बारबाडोस में 40 हजार और अन्य जगहों पर हजारों लोगों का टीकाकरण संभव हो पाया है। धन्यवाद के साथ हम आपके बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा- आपकी वजह से 60 देशों में टीकाकरण
कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में भारत की भूमिका को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रोस अदनोम गेब्रेयसस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ की। गेब्रेयसस ने प्रधानमंत्री मोदी को वैक्सीन इक्विटी को सपोर्ट करने के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि COVAX के प्रति आपकी प्रतिबद्धता और कोरोना वैक्सीन की खुराक को साझा करने से 60 से अधिक देशों को अपने स्वास्थ्य कर्मचारियों और अन्य प्राथमिकता समूह का टीकाकरण शुरू करने में मदद मिल रही है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि बाकी देश भी आपके इस उदाहरण को फॉलो करेंगे।
यूएन ने भारत को बताया ग्लोबल लीडर
कोरोना संकट काल में दुनिया भर को वैक्सीन उपलब्ध कराने में अग्रणी भूमिका निभाने पर संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत की जमकर तारीफ की। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि कोरोना संकटकाल में भारत एक ग्लोबल लीडर के तौर पर सामने आया है। भारतीय नेतृत्व के मानवीय दृष्टिकोण और वैक्सीन की सहायता पर आभार जताते हुए संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने कहा कि कोरोना की जंग में भारत ने ग्लोबल लीडर की भूमिका निभाई है।
ब्राजील के राष्ट्रपति ने की प्रभु हनुमान से की पीएम मोदी की तुलना
ब्राजील के राष्ट्रपति जायर एम बोल्सोनारो ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना भगवान हनुमान से की करते हुए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को संजीवनी बूटी बताया। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से दी गई इस हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से लोगों के प्राण बचेंगे और इस संकट की घड़ी में भारत और ब्राजील मिलकर कामयाब होंगे। प्रधानमंत्री मोदी को भेजे पत्र में राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने लिखा कि जिस तरह हनुमान जी ने हिमालय से पवित्र दवा (संजीवनी बूटी) लाकर भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण की जान बचाई थी, उसी तरह भारत और ब्राजील एक साथ मिलकर इस वैश्विक संकट का सामना कर लोगों के प्राण को बचा सकते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी की पीएम मोदी की तारीफ
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा से बैन हटाने पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ने प्रधानमंत्री मोदी को महान बताया और कहा कि वो भारत का शुक्रिया अदा करते हैं। फॉक्स न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो भारतीय पीएम मोदी की तारीफ करते हैं। निर्यात पर ढील देने के बाद अमेरिका को अब यह दवा मिल सकेगी।
नेपाल ने दवाएं भेजने के लिए कहा शुक्रिया
भारत ने कोरोना से मुकाबले के लिए अप्रैल में नेपाल को मदद के तौर पर 23 टन आवश्यक दवाएं दी। दवा की यह खेप भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्र ने नेपाल के स्वास्थ्य मंत्री भानुभक्त धाकल को सौंपी। इसमें कोरोना के खिलाफ अहम मानी जा रही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के अलावा पैरासिटामॉल व अन्य दवाएं शामिल हैं। संकट के समय भारत सरकार की इस मदद पर नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। कोरोना संक्रमण से निपटने को लेकर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच इस महीने टेलीफोन पर बात हुई थी। इससे पहले कोरोना के खिलाफ मिलकर प्रयास करने की पीएम मोदी की अपील पर 15 मार्च को सार्क देशों की बैठक में भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी।
मॉरीशस के पीएम ने जताया प्रधानमंत्री मोदी का आभार
कोरोना संकट के बीच भारत से मिली मदद के लिए मॉरिशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताया। प्रधानमंत्री जगन्नाथ ने अपने ट्वीट संदेश में कहा कि मैं एयर इंडिया की एक विशेष उड़ान से कल बुधवार15 अप्रैल को मॉरिशस पहुंची भारत सरकार की चिकित्सा मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बहुत आभारी हूं। यह भारत और मॉरिशस के बीच के धनिष्ठ संबंध को दर्शाता है।