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ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और उद्यम पर बल

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और उद्यम पर विशेष बल दिया जा रहा है। ग्रामीण विकास विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य उपलब्धता में सुधार के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। विभाग मनरेगा के अंतर्गत दिहाड़ी रोजगार के अतिरिक्त, कुशल, अर्द्धकुशल दिहाड़ी मजदूर को पीएनएवाई-ग्रामीण तथा पीएनजीएसवाई के अंतर्गत सड़क निर्माण क्षेत्र में प्रोत्साहन दे रहा है। 2012-13 से ग्रामीण विकास विभाग का बजट दोगुना से अधिक हो गया है। सभी कार्यक्रमों और ग्रामीण संरचना संबंधी 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत बड़े अंतरण में राज्य के योगदान को जोड़ने से कुल उपलब्ध धन 5 वर्षों की तुलना में तिगुना से अधिक हो जाता है। 51 लाख मकान निर्माणाधीन हैं, एक लाख किलोमीटर सड़कें निर्माण के विभिन्न चरणों में है और कृषि तथा संबंधित गतिविधियों के लिए मनरेगा के अंतर्गत बड़े स्तर पर दिहाड़ी रोजगार के अधिक अवसर सुनिश्चित हुए हैं।

महिला स्वयं सहायता समूहों को मदद
विभाग दीन दयाल अंत्योदय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएन) के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए बैंक ऋण संपर्क पर बल दे रहा है ताकि उद्यम को बढ़ावा मिले। अभी 47,000 करोड़ रुपये से अधिक का संपर्क है, जिसका इस्तेमाल कस्टम हायरिंग सेंटर, ग्रामीण परिवहन, कृषि तथा संबंधित कार्य पशुपालन, बागवानी, हथकरघा तथा हस्तशिल्प, खुदरा व्यापार आदि जैसे उपयोगी उद्यमों को बढ़ावा में किया जा रहा है। पिछले तीन वर्ष में महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए बैंक संपर्क दोगुने से अधिक हो गया है। डीडीयू-जेकेवाई तथा आरएसईटीआई के माध्यम से स्वरोजगार कार्यक्रम में प्लेसमेंट आधारित दिहाड़ी रोजगार से परिवारों को आजीविका को बढ़ाने में मदद मिल रही है।

मनरेगा मांग आधारित कार्यक्रम है। राज्यों को भारत सरकार द्वारा 40,000 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश जैसे सूखा प्रभावित राज्यों के लिए पर्याप्त धन जारी किए गए हैं। सूखे के कारण केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में पहली तिमाही में अधिक धन जारी किए गए हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा पुदुचेरी के श्रमिक बजट में वृद्धि की गई है ताकि दिहाड़ी रोजगार की अतिरिक्त मांग पूरी की जा सके। अब समय से दिहाड़ी जारी करना सुनिश्चित किया जाता है और 85 प्रतिशत मामलों में 15 दिनों के अंदर दिहाड़ी जारी कर दी जाता है।

मोदी सरकार ने प्रत्यक्ष रोजगार सृजन के साथ स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई स्तरों पर नीतियां बनाईं हैं और उन्हें जमीन पर उतारा भी है।

मुद्रा योजना से बढ़े स्वरोजगार के अवसर
मुद्रा योजना के तहत अगस्त के आखिरी हफ्ते तक 8.19 करोड़ लोगों ने ऋण लिया है। यदि कम से कम एक व्यक्ति के रोजगार मिलने का भी औसत मान लिया जाये तो 8.19 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है। इस योजना के तहत अब तक 3.42 लाख करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं जिनमें ज्यादातर लघु उद्यमी हैं। इनमें से बड़ी संख्या उन लोगों की है जो इससे पहले किसी भी प्रकार के व्यवसाय से नहीं जुड़े थे। मुद्रा ऋण 10 लाख रुपए तक के गैर-कृषि कार्यकलापों के लिए उपलब्ध है।

मुद्रा योजना महिला सशक्तिकरण का भी एक बेहतरीन उदाहरण है। इस योजना के तहत 30 अगस्त तक 8,63,78,23 लोग लाभ ले चुके हैं, इनमें 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। यानि लगभग छह करोड़ से अधिक महिलाओं ने इसका लाभ उठाया है।

घर से रोजगार कर रहीं 20 लाख महिलाएं
एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में घर से बैठकर कम से कम 20 लाख महिलाएं 8 से 9 अरब डॉलर का व्यापार कर रही हैं, जिसमें आने वाले समय में और वृद्धि होने की संभावना है। डिजिटल लेनदेन के सरकार के प्रयासों में अब होममेकर्स भी बढ़-चढ़कर हाथ बंटा रही हैं। व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए वो अपने द्वारा बनाये गए सामान को लोगों तक पहुंचा रही हैं। ऑनलाइन रीसेलिंग का व्यापार करने वाली महिलाओं की संख्या में अगले पांच सालों में हर वर्ष 50 से 60 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। इसके साथ ही 2022 तक ये व्यापार 48 से 60 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है।

ग्रामीण रोजगार के लिए ‘आजीविका एक्सप्रेस’
आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू की गई है, इस योजना के तहत पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं परिचालित करने के सुविधा प्रदान करवाना है। यह उप-योजना 2017-18 से 2019-20 तक 3 वर्षों की अवधि के लिए एक पायलट आधार पर देश के 250 ब्लॉकों में लागू की गई है।

इस योजना के मुख्य उद्देश्य डीएवाई-एनआरएलएम के तहत स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के सदस्यों को आजीविका के वैकल्पिक स्रोत उपलब्‍ध कराना है। इसके तहत उन्‍हें पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन सेवाएं परिचालित करने की सुविधा प्रदान की जाएगी। इससे ई-रिक्शा, 3 और 4 व्हीलर मोटर परिवहन वाहनों जैसी सुरक्षित और सस्‍ती सामुदायिक निगरानी वाली ग्रामीण परिवहन सेवाएं उपलब्ध होंगी।

स्किल डेवलपमेंट से बढ़े रोजगार के अवसर
कौशल विकास के तहत अब तक 56 लाख से ज्यादा युवा प्रशिक्षित किये जा चुके हैं जिनमें से करीब 24 लाख अपने हुनर से जुड़े क्षेत्र में रोजगार पा चुके हैं। दरअसल देश में पहली बार मोदी सरकार ने ही स्किल डेवलपमेंट को लेकर एक समग्र और राष्ट्रीय नीति तैयार की। इसके लिए 21 मंत्रालयों और 50 विभागों में फैले कौशल विकास के कार्य को विशेष तौर पर गठित हुए कौशल विकास मंत्रालय के अधीन लाया गया है। 12,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ शुरू हुई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत चार साल में एक करोड़ युवकों को प्रशिक्षित करना है। आंकड़े बताते हैं कि रियल एस्टेट और रिटेल समेत देश के कम से कम 24 सेक्टरों में आने वाले पांच सालों में करीब 12 करोड़ स्किल्ड कामगारों की आवश्यकता होगी, जहां सरकार की योजनाओं के तहत प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के अवसर होंगे।

सबसे पिछड़े जिलों के उत्थान की सोच
पिछड़ों और गरीबों के कल्याण के लिये मोदी सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगता है कि सरकार ने सबसे पहले देश के सबसे पिछड़े 100 जिलों में ही पहले विकास की योजना बनाई है। इस योजना पर नीति आयोग बाकी संबंधित मंत्रालयों के सहयोग से काम करेगा। ये बात किसी से छिपी नहीं कि सबसे पिछड़े जिलों का मतलब क्या है? ये वो जिले होते हैं जहां आम तौर पर दलित और आदिवासियों की तादाद अधिक होती है। यानी मोदी सरकार की नजर जरूरतमंदों के उत्थान पर है, अपनी लोकप्रियता पर नहीं।

स्टैंड अप इंडिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कदम से देशभर में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत 10 लाख रुपये से 100 लाख रुपये तक की सीमा में ऋणों के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। हर बैंक को कहा गया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि दलित, पिछड़े और महिलाओ को खोज कर इस स्कीम से उन्हें जोड़ें। 20 जुलाई, 2017 तक इस स्कीम के तहत 26,542 आवेदनों के लिये 4,369 करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं।

2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। इसके तहत नई तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने, फसल चक्र में परिवर्तन करने और कम लागत में खेती की जाए की जानकारी किसानों को दी जा रही है। सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी की जाए। इस संकल्प के साथ कई आधारभूत योजनाओं को जमीन पर उतारा गया है जो खेती-किसानी में सहायक सिद्ध हो रहा है।

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