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अर्थव्यवस्था के मोर्चे दोहरी खुशखबरी: खुदरा महंगाई में आई कमी जबकि औद्योगिक उत्पादन बढ़ा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर देश के लिए दोहरी खुशखबरी है। महंगाई के मामले में आम लोगों को राहत मिली है। फरवरी में खुदरा महंगाई दर कम होकर 5.09 प्रतिशत हो गई है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक यह पिछले चार महीने का सबसे निचले स्तर पर है। मुद्रास्फीति की बात करें तो मासिक आधार पर सब्जियों, फल, तेल, वसा, दाल और उसके उत्पादों की महंगाई में कमी आई है। महंगाई दर में कमी आने से आम आदमी को राहत मिली है।

आम आदमी को राहत,अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई दर कम होने का सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। इससे आम जरूरत की चीजें सस्ती होने लगती हैं। जो आम जनता के जेब पर पड़ रहे बोझ को कम करती है। यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है। महंगाई से मिली राहत के लिए मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ की जा रही है। कोरोना महामारी, हमास- इजरायल संघर्ष और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस समय पूरा विश्व मंदी और महंगाई से जूझ रहा है। अमेरिका जैसे सबसे विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश भी महंगाई को रोक पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। ऐसे में भारत ने महंगाई पर लगाम लगाकर आर्थिक मोर्चे पर बड़ी सफलता हासिल की है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों, अर्थव्यवस्था में आई तेजी और खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई कमी से महंगाई दर में खासी गिरावट देखने को मिली है। इससे मोदी सरकार और देश की जनता को बड़ी राहत मिली है।

जनवरी 2024 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक बढ़कर 3.8 प्रतिशत हुआ
आर्थिक मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन से जनवरी में औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) की वृद्धि दर बढ़कर 3.8 प्रतिशत रही है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी औद्योगिक उत्पादन दर के मुताबिक जनवरी 2024 में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के आउटपुट ने 3.2 प्रतिशत का ग्रोथ रेट दर्ज किया है। बिजली उत्पादन का ग्रोथ रेट 5.6 प्रतिशत रहा है, जबकि माइनिंग एक्टिविटी का का ग्रोथ रेट 5.9 प्रतिशत रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश-प्रतिदिन नई उपलब्धियों को हासिल कर रहा है। आइए एक नजर डालते हैं प्रमुख उपलब्धियों पर…

शेयर बाजार ने फिर रचा इतिहास
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। 6 फरवरी, 2024 का दिन भारतीय शेयर बाजार के लिए ऐतिहासिक रहा। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी अपने ऑल टाइम हाई लेवल पर बंद हुआ। 6 फरवरी को पहली बार सेंसेक्स 408.86 अंकों की बढ़त के साथ 74,085.99 के स्तर पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 117.75 अंक उछलकर 22,474.05 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ।

इसके पहले 15 जनवरी, 2024 को बीएसई का सेंसेक्स पहली बार 73,000 के पार 73,327 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 22,082 के लेवल पर पहुंच गया। इससे पहले 27 दिसंबर, 2023 को सेंसेक्स 72,000 के पार निकल 72,038 अंक पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 21654 अंक पर बंद हुआ। 15 दिसंबर, 2023 को सेंसेक्स 71,483 के लेवल पर, जबकि निफ्टी 21456 के लेवल पर बंद हुआ। एक दिन पहले ही 14 दिसंबर को सेंसेक्स 70000 का लेवल पार करते हुए 70514 पर बंद हुआ और निफ्टी भी 21000 से ऊपर जाकर 21,182 पर बंद हुआ। इसके पहले 5 दिसंबर, 2023 को सेंसेक्स 69,000 के लेवल को पार कर 69,168 के स्तर पर खुला और निफ्टी भी अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 20,000 के पार 20,702 पर पहुंच गया।

अगर शेयर बाजार के रिकॉर्ड पर नजर डाला जाए तो इसके पहले सेंसेक्स 4 दिसंबर, 2023 को 68 हजार का आंकड़ा पार करते हुए 68865.12 पर बंद हुआ। इससे पहले 19 जुलाई, 2023 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 67,097.44 के स्तर पर बंद हुआ। इसके पहले सेंसेक्स 14 जुलाई, 2023 को 66 हजार का आंकड़ा पार करते हुए 66060.90 पर बंद हुआ। इसके पहले सेंसेक्स 3 जुलाई, 2023 को 65 हजार का आंकड़ा पार करते हुए 65, 205.05 पर बंद हुआ था और 30 जून, 2023 को 64 हजार के पार पहुंच 64,718.56 के लेवल पर बंद हुआ। भारतीय शेयर बाजार के इतिहास पर नजर डालें तो सेंसेक्स पहली बार 30 नवंबर, 2022 को 63000 के पार बंद हुआ। यह 24 नवंबर,2022 को 62000 के आंकड़े के पार जाकर बंद हुआ है। बंबई स्टॉक एक्सचेंज के सेंसेक्स ने 01 नवंबर, 2022 को नया रिकॉर्ड कायम करते हुए 61 हजार के ऊपर बंद हुआ। इसके पहले 24 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 60,000 के पार, 16 सितंबर, 2021 को सेंसेक्स 59,000 के पार, 03 सितंबर, 2021 को 58,000 और 31 अगस्त, 2021 को 57,000 के पार गया था।

इसके पहले सेंसेक्स ने 18 अगस्त 2021 को 56,000 और 13 अगस्त, 2021 को 55,000 अंक के स्तर के पार किया। सेंसेक्स इसी महीने 4 अगस्त को पहली बार 54000 के आंकड़े को पार किया। यह 22 जून को 53,000 के लेवल को पार कर नए शिखर पर पहुंचा था। इसके पहले 15 फरवरी, 2021 को शेयर बाजार के बीएसई सेंसेक्स ने 52,000 के लेवल को पार कर रिकॉर्ड बनाया था। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ ही सेंसेक्स ने जून 2014 में पहली बार 25 हजार के स्तर को छुआ था। मोदी राज में पिछले 6 साल में 25 हजार से 50 हजार तक के सफर तय कर सेंसेक्स दो गुना हो गया है। पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अप्रैल 2014 में सेंसेक्स करीब 22 हजार के आस-पास रहता था।

रोज रिकॉर्ड तोड़ता शेयर बाजार इस बात का सबूत है कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में जिस तरह देश आगे बढ़ रहा है, उससे तमाम क्षेत्रों की कंपनियों में विश्वास जगा है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे आर्थिक सुधारों के कदम उठाने के बाद कोरोना काल में भी आर्थिक जगत में मोदी सरकार की साख मजबूत हुई है, और कंपनियां, शेयर बाजार, आम लोग सभी सरकार की नीतियों पर भरोसा कर रहे हैं। जाहिर है यह भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के भरोसे को दिखाता है।

हांगकांग को पछाड़ भारत बना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बाजार
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत हर मोर्चे पर नए-नए रिकार्ड बना रहा है। 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन भारतीय शेयर बाजार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर बााजार बन गया। भारत ने यह स्थान हांगकांग के स्टॉक मार्केट को पछाड़कर प्राप्त किया है। 22 जनवरी को बाजार बंद होने पर हांगकांग के स्टॉक मार्केट का कुल मार्केट कैप 4.29 ट्रिलियन डॉलर था। जबकि भारतीय स्टॉक एक्सचेंज का मार्केट कैप 4.33 ट्रिलियन डॉलर था। इसी के साथ भारतीय शेयर बाजार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा इक्विटी बाजार बन गया। इसके पहले 29 नवंबर 2023 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज- BSE पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर के पार निकला था। भारत मई 2021 में तीन ट्रिलियन डॉलर के क्लब में शामिल हुआ था। मई 2007 में बीएसई-लिस्टेड कंपनियों ने 1 ट्रिलियन डॉलर मार्केट कैप की उपलब्धि हासिल की थी। इसे दोगुना होने में 10 साल का समय लग गया और जुलाई 2017 में मार्केट कैप 2 ट्रिलियन डॉलर पहुंचा। मई 2021 में मार्केट कैप 3 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया था। 

वैश्विक बाजारों में भारतीय शेयर बाजार मार्केट के लिहाज से अब अमेरिका, चीन और जापान के बाद चौथे स्थान पर है। अब भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। लगभग 50.86 ट्रिलियन डॉलर के मार्केट कैप के साथ अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा इक्विटी बाजार है। इसके बाद 8.44 ट्रिलियन डॉलर के साथ चीन दूसरे और 6.36 ट्रिलियन डॉलर के साथ जापान तीसरे स्थान पर है।

जीएसटी कलेक्शन फरवरी में 12.5 प्रतिशत बढ़कर 1.68 लाख करोड़ रुपये के पार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर इस महीने भी अच्छी खबर है। वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी कलेक्शन फरवरी, 2024 में 12.5 प्रतिशत बढ़ गया है। फरवरी में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1.68 लाख करोड़ रुपये के पार रहा है। वित्त मंत्रालय के अनुसार फरवरी, 2024 में सकल जीएसटी राजस्व 1,68,337 करोड़ रुपये रहा है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों में कुल जीएसटी कलेक्शन 18.40 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। यह पिछले वित्त वर्ष 2022-23 की समान अवधि के टैक्स कलेक्शन से 11.7 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2023-24 में औसत सकल मासिक जीएसटी संग्रह अब 1.67 लाख करोड़ रुपये है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में एकत्रित 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

प्रत्यक्ष कर संग्रह 20 प्रतिशत बढ़कर 15.60 लाख करोड़ रुपये
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आर्थिक मोर्चे पर लगातार अच्छी खबर आ रही है। अब टैक्सपेयर ने सरकार का खजाना भर दिया है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण प्रत्यक्ष कर संग्रह रिफंड के बाद मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में 10 फरवरी तक 20.25 प्रतिशत बढ़कर 15.60 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इस दौरान शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 18.38 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की समान अवधि के कर संग्रह से 17.30 प्रतिशत अधिक है। प्रत्यक्ष कर संग्रह के सकल राजस्व संग्रह में कॉरपोरेट आयकर (सीआईटी) 9.16 प्रतिशत और व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) में वृद्धि दर 25.67 प्रतिशत रही। रिफंड के समायोजन के बाद सीआईटी संग्रह में शुद्ध वृद्धि 13.57 प्रतिशत और पीआईटी संग्रह में 26.91 प्रतिशत रही। इस दौरान 2.77 लाख करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए हैं। 15.60 लाख करोड़ रुपये के साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष में अभी तक 80.23 प्रतिशत बजट लक्ष्य हासिल कर लिया गया है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन को दर्शाता है। इससे वित्तीय वर्ष के अंत तक बजटीय प्रत्यक्ष कर संग्रह के लक्ष्य को प्राप्त करने की उम्मीद बढ़ गई है।

प्रत्यक्ष कर संग्रह में उछाल मजबूत आर्थिक विकास का संकेत 
भारत के प्रत्यक्ष कर संग्रह में लगातार वृद्धि देश के बढ़ते आधार और बेहतर अनुपालन उपायों को दर्शाता है। इसके साथ ही प्रत्यक्ष कर संग्रह में यह उछाल कॉर्पोरेट आय में वृद्धि, रोजगार और आय के बढ़ते स्तर को रेखांकित करता है। कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत आयकर संग्रह दोनों में मजबूत वृद्धि बताता है कि भारत का आर्थिक सुधार महत्वपूर्ण गति प्राप्त कर रहा है। भारत की आर्थिक मजबूती विकास को भी गति देने में कारगर साबित होगी। आखिरकार इसका लाभ टैक्सपेयर को ही मिलेगा।

दिसंबर में सर्विस सेक्टर पीएमआई तीन महीने के उच्चतम स्तर पर
सर्विस पीएमआई दिसंबर 2023 में तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। एचएसबीसी इंडिया सर्विसेज पीएमआई कारोबारी गतिविधि सूचकांक दिसंबर में 59 पर पहुंच गया। इसके पिछले नवंबर 2023 में यह 56.9 पर था। ‘परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स’ (पीएमआई) का 50 से अधिक रहना गतिविधियों में विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा सुस्ती का संकेत है। एचएसबीसी की चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी के अनुसार भारत का सेवा क्षेत्र साल के अंत में उच्च स्तर पर रहा। व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ने और तीन महीने में सर्वाधिक ऑर्डर मिलने से यह संभव हो पाया है।

नवंबर में कोर सेक्टर के उत्पादन में 7.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी
नवंबर 2023 में आठ कोर सेक्टर का उत्पादन 7.8 प्रतिशत बढ़ा है। आठ कोर सेक्टर में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्‍पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल है। औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी) में आठों कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 40.27 प्रतिशत है। सरकारी आंकड़े के अनुसार इस साल नवंबर में पिछले साल की तुलना में कोयला का उत्पादन में 10.9 प्रतिशत, बिजली उत्पादन में 5.6 प्रतिशत, सीमेंट उत्पादन में 3.6 प्रतिशत, इस्पात में 9.1 प्रतिशत, रिफाइनरी उत्पाद में 12.4 प्रतिशत,फर्टिलाइजर उत्पादन में 3.4 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस उत्पादन में 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

अक्टूबर,23 में 21 महीने के हाई पर FDI
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से देश में कारोबारी माहौल अच्छा हुआ है और पूंजी बाजार में देश के ही नहीं, विदेश के निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है। मोदी राज में भारत विदेशी निवेशकों का पसंदीदा निवेश गंतव्य बन गया है। अक्टूबर 2023 में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 21 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर के 1.55 अरब डॉलर के मुकाबले अक्टूबर में देश में 5.9 अरब डालर का शुद्ध एफडीआई आया। यह लगातार तीसरा महीना है जब शुद्ध एफडीआई में वृद्धि देखी गई है। एफडीआई का एक बड़ा हिस्सा मैन्यूफैक्चरिंग, रिटेल, एनर्जी और फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर में निवेश किया गया। संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में मंदी के बीच भारत लगातार दूसरे 2023 में भी सबसे अधिक एफडीआई पाने वाला देश बना हुआ है।

भारत में निवेश करना चाहते हैं दुनिया भर को अरबपति
हमास- इजरायल, रूस-यूक्रेन संकट और कोरोना महामारी के कारण जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था डांवाडोल हाल में है, वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों ने अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है, जिससे विदेशी निवेशकों की भारत के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। दुनिया भर के अरबपतियों के लिए भारत एक प्रमुख इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। हाल ही में आई यूबीएस बिलियनेर एंबिशंस रिपोर्ट के अनुसार भारत जल्द ही निवेश का एक गढ़ बन सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर के अरबपति लोग अपना ज्यादा से ज्यादा पैसा भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में लगाना चाहते हैं क्योंकि यहां की अर्थव्यवास्था मजबूत होने के साथ उनके अनुकूल है। स्विस बैंक की यह रिपोर्ट 75 बाजारों में 2,500 से अधिक अरबपतियों के सर्वेक्षण पर आधारित है। इसमें 58 प्रतिशत अरबपतियों ने निवेश के लिए अपने चुने हुए बाजारों के रूप में भारत और दक्षिण पूर्व एशिया को चुना।

निर्यात 6.3 प्रतिशत बढ़कर 33.57 अरब डॉलर पर
मोदी राज में निर्यात के मोर्चे पर ही इस साल की सबसे बड़ी तेजी देखने को मिली है। देश के वस्तुओं का निर्यात इस साल अक्टूबर में 6.21 प्रतिशत बढ़कर 33.57 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। बुधवार 15 नवंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार औषधि और फार्मास्यूटिकल्स, इंजीनियरिंग सामान, इलेक्ट्रॉनिक सामान, कॉटन यार्न, फैब्स मेड-अप्स, हैंडलूम उत्पाद, लौह अयस्क, सिरेमिक उत्पाद, कांच के बर्तन, मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद के निर्यात में वृद्धि हुई। गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात अक्टूबर 2023 में 24.57 अरब डॉलर रहा जो पिछले साल अक्टूबर 2022 के 21.99 बिलियन डॉलर की तुलना में 11.74 प्रतिशत ज्यादा है। वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर 2023 में औषधि और फार्मा निर्यात 29.31 प्रतिशत बढ़कर 2.42 बिलियन डॉलर हो गया, जो अक्टूबर 2022 में 1.87 बिलियन डॉलर था। इंजीनियरिंग सामान के निर्यात में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो अक्टूबर 2022 में 7.55 बिलियन डॉलर से बढ़कर अक्टूबर 2023 में 8.09 बिलियन डॉलर हो गयाष। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात अक्टूबर 2023 के दौरान 28.23 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 2.38 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि अक्टूबर 2022 में यह 1.85 बिलियन डॉलर था।

11 करोड़ अधिक हुई डीमैट खातों की संख्या
देश में डीमैट खातों की संख्या 11. 82 करोड़ के पार पहुंच गई है। शेयर बाजार में तेजी और और म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने वालों की संख्या में इजाफा होने के साथ ही डीमैट अकाउंट की संख्या भी तेजी से बढ़ रहे हैं। ट्रेडिंग और शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखने के लिए ये खाते जरूरी होते हैं। डिपॉजिटरी फर्म एनएसडीएल और सीडीएसएल के आंकड़ों के मुताबिक मई, 2023 में 20 लाख 10 हजार नए डीमैट खाता खोले गए, जो इस साल का सबसे अधिक है। इसके साथ ही देश में कुल डीमैट खातों की संख्या 11.82 करोड़ पहुंच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें खुदरा यानी छोटे निवेशकों का योगदान सबसे अधिक है। इसी का परिणाम है कि देश में खुदरा निवेशकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ने विदेशी निवेशकों पर निर्भरता घटेगी और तेज उतार-चढ़ाव को रोकने में मदद करेगी।

विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर
मोदी सरकार की नीतियों के कारण विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत बना हुआ है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 10 सितंबर, 2021 में 642.45 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था। विदेशी मुद्रा भंडार ने 5 जून, 2020 को खत्म हुए हफ्ते में पहली बार 500 अरब डॉलर के स्तर को पार किया था। इसके पहले यह आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था।

आधार के जरिए ई-केवाईसी लेनदेन 18.53 प्रतिशत बढ़कर 84.8 करोड़ पर
मोदी सरकार की नीतियों के कारण आधार समर्थित ई-केवाईसी अपनाने में लगातार प्रगति देखी जा रही है। आधार के जरिए ई-केवाईसी लेनदेन अक्टूबर से दिसंबर 2022 के बीच तीसरी तिमाही में 18.53 प्रतिशत बढ़कर 84.8 करोड़ हो गया। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार दिसंबर 2022 में 32.49 करोड़ ई-केवाईसी के आधार पर लेनदेन किए गए थे, जो नवम्‍बर 2022 की 28.75 करोड़ तुलना में 13 प्रतिशत अधिक थे। अक्टूबर में आधार ई-केवाईसी लेनदेन की संख्या 23.56 करोड़ थी। दिसंबर में वृद्धि अर्थव्यवस्था में इसके बढ़ते इस्तेमाल और उपयोगिता को दर्शाता है।

दिसंबर 2022 के अंत तक, आधार के जरिए ई-केवाईसी लेनदेन की कुल संख्या 1,382 करोड़ से अधिक पहुंच गई है। इसके साथ ही लोगों के बीच आधार प्रमाणीकरण लेनदेन भी लोकप्रिय होता जा रहा है और ज्‍यादा से ज्‍यादा लोग इसका उपयोग कर रहे हैं। अकेले दिसंबर महीने में 208.47 करोड़ आधार प्रमाणीकरण लेनदेन किए गए, जो पिछले महीने की तुलना में लगभग 6.7 प्रतिशत अधिक है। आधार के जरिए ई-केवाईसी सेवा तेजी से बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। 105 बैंकों सहित 169 संस्थाएं ई-केवाईसी के जरिए लाइव जुड़ी हुई हैं।

विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना
ब्रिटेन को पीछे छोड़कर भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 854.7 अरब डॉलर, जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 816 अरब डॉलर की थी। एक दशक पहले भारत सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 11वें स्थान पर था, जबकि ब्रिटेन 5वें स्थान पर था। लेकिन सितंबर 2022 में भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ दिया। मौजूदा आर्थिक विकास दर के हिसाब से भारत 2027 में जर्मनी को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वहीं 2029 में जापान को पीछे छोड़ दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा।

दुनिया पर मंडरा रही मंदी की आशंका, लेकिन भारत को खतरा नहीं- ब्लूमबर्ग
ब्लूमबर्ग के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए ताजा सर्वे के अनुसार अगले एक साल में दुनिया के कई देशों के सामने मंदी का संकट मंडरा रहा है। सर्वे की माने तो एशियाई देशों के साथ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर मंदी का खतरा बढ़ता जा रहा है। कोरोना लॉकडाउन और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों के साथ अमेरिका, जापान और चीन जैसे देशों में मंदी का खतरा कहीं ज्‍यादा है। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारत को मंदी के खतरे से पूरी तरह बाहर बताया गया है। ब्लूमबर्ग सर्वे के अनुसार भारत ही ऐसा देश है जहां, मंदी की संभावना शून्य यानी नहीं के बराबर है। ब्लूमबर्ग सर्वे में एशिया के मंदी में जाने की संभावना 20-25 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका के लिए यह 40 और यूरोप के लिए 50-55 प्रतिशत तक है। रिपोर्ट के अनुसार श्रीलंका के अगले वर्ष मंदी की चपेट में जाने की 85 प्रतिशत संभावना है।

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