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केरल मॉडल की पोल खुलते ही पक्षकारों ने साधी चुप्पी, देश के 52 प्रतिशत से भी ज्यादा नए केस सिर्फ इस मॉडल स्टेट से

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कोरोना को लेकर केरल मॉडल की पोल खुलते ही कांग्रेस और लेफ्ट के करीबी पक्षकारों ने चुप्पी साध ली है। केरल में कोरोना के मामलों पर ये पक्षकार कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं। देश में जहां कोरोना के मामले कम हो रहे हैं, वहीं केरल में स्थिति संभल नहीं रही है। एक छोटा सा राज्य केरल कोरोना हब बना हुआ है। इसके लिए मुस्लिम तुष्टिकरण भी जिम्मेवार है। कोरोना मामले में आगे होने के बाद भी केरल की वामपंथी सरकार ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए बकरीद पर प्रतिबंधों में छूट दे दी थी। इससे राज्य में एक बार फिर कोरोना विस्फोट हो गया है। केरल सरकार की लापरवाही के कारण यहां कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।

कोरोना प्रोटोकाल का पालन नहीं होने से बिगड़े हालात
केरल में कोरोना प्रोटोकाल का पालन नहीं करने से महामारी बेकाबू हुई है। दैनिक जागरण की खबर के अनुसार केंद्र की ओर से भेजी गई छह सदस्यीय टीम ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। केंद्रीय टीम की रिपोर्ट के अनुसार केरल में न तो कांट्रैक्ट ट्रेसिंग हो रही है और न ही संक्रमित व्यक्तियों पर निगरानी की कोई प्रणाली है। केरल के मलप्पुरम जिले, जहां कोरोना के सबसे अधिक मामले आ रहे हैं, में एक संक्रमित व्यक्ति पर औसतन केवल 1.5 व्यक्तियों की कोरोना की जांच की जा रही है। जबकि, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की गाइडलाइंस में एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले कम से कम 20 व्यक्तियों की पहचान कर कोरोना की जांच सुनिश्चित करने को कहा गया है।

पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना के 42,982 नए मामले सामने आए हैं इसमें से सबसे अधिक 52 प्रतिशत से भी ज्यादा 22,414 नए मामले सिर्फ केरल से आए हैं। राज्य में 24 घंटों के दौरान कोरोना से 108 लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही केरल में सक्रिय मामलों की संख्‍या बढ़कर 1,76,48 हो गई है।

इन आंकड़ों से साफ है कि प्रोपगेंडा और लेफ्ट मीडिया के बल पर दुनिया भर में केरल मॉडल का बखान करने वाली केरल सरकार की पोल खुल गई है। बकरीद पर प्रतिबंधों में छूट को लेकर इसी महीने 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ये डरावना है कि ऐसे हालात होने को बावजूद पाबंदियों में इस तरह छूट दी गई। कोरोना के इस हालात में रियायत देना सॉरी स्टेट ऑफ अफेयर है। कोर्ट ने कहा कि केरल सरकार द्वारा दिया हलफनामा चिंताजनक है। यह वास्तविक तरीके से भारत के सभी नागरिकों को जीने के अधिकार की गारंटी नहीं देता है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी भी तरह की अप्रिय घटना होने पर उसे हमारे संज्ञान में लाया जा सकता है और उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

इस सबके बावजूद केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन कोरोना को लेकर कितने गंभीर हैं, इसका नजारा पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी के साथ छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में देखने को मिला।

सीएम पी विजयन बैठक के दौरान चाय पीते और कुछ खाते दिखाई दिए। ऐसा लग रहा था कि वे सिर्फ बैठक में शामिल होने की औपचारिकता निभा रहे थे। उनकी हरकत से साफ लग रहा था कि बैठक में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। देखिए वीडियो-

इतना सब होने के बाद भी लेफ्ट के करीबी पक्षकार केरल के सीएम का पक्ष ले रहे हैं और केरल मॉडल की प्रशंसा करने में जुटे हुए हैं। इसे क्या कहिएगा

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