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कोरोना संकट : महामारी से निपटने के लिए मोदी सरकार ने तैयार की तीन स्तरीय व्यवस्था

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देशभर में लॉकडाउन का आज से दूसरा चरण शुरू हो चुका है। इसी बीच देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। मोदी सरकार इस महामारी से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। नई चुनौतियों के मुताबिक अपनी रणनीति में भी बदलाव कर रही है। अब सरकार ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तीन स्तरीय व्यवस्था तैयार की है। इसके लिए अस्पतालों को केयर सेंटर, ऑक्सीजन बेड और वेंटीलेटर बेड में विभाजित किया गया है। इन्हें एम्बुलेंस के जरिए आपस में जोड़ा गया है। मरीजों की गंभीरता के हिसाब से उन्हें उपचार उपलब्ध कराया जाएगा।

अबतक कोरोना संक्रमण के जो मामले सामने आए हैं, उसके मुताबिक कोरोना से पीड़ित सभी मरीज गंभीर नहीं होते। इसके 80 प्रतिशत मरीजों में सामान्य लक्षण पाए जाते हैं। वहीं 15 प्रतिशत को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है जबकि 5 प्रतिशत को वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है। देश भर में 656 अस्पताल ऐसे हैं जो सिर्फ कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित हैं। इनमें एक लाख से अधिक बेड है।

वहीं, देश में दो लाख से अधिक लोगों को क्वारंटाइन करने की सुविधा हो चुकी है। देश में कुल 48000 वेंटीलेटर ही उपलब्ध थे। अब नई जरूरतों को देखते हुए वेंटीलेटर की संख्या बढ़ायी जा रही है। यहां तक कि रेलवे कोच में भी वेंटीलेटर की व्यवस्था की जा रही है। सरकार के पास 3.26 करोड़ क्लोरोक्वीन की टेबलेट भी उपलब्ध हैं। आईसीएमआर और एम्स ने मिलकर उपचार के प्रोटोकाल भी तैयार किए हैं।

केंद्र सरकार के औषध विभाग को संक्रमण के मद्देनजर कई दवाओं की कमी को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। इसको लेकर विभाग ने उच्च स्तर पर समीक्षा बैठक की। विभाग ने ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (एआईओसीडी) को कहा कि वे सुनिश्चित करें कि जिन दवाओं की बिक्री डॉक्टर की पर्ची के आधार पर होती है, उन्हें बिना पर्ची नहीं बेचा जाए। क्लोरोक्वीन आदि दवाओं के मामले में इस प्रकार की शिकायतें आ रही थीं। औषध विभाग के सचिव डॉ. पीडी. वाघेला की अध्यक्षता में सोमवार को उद्योग जगत के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक हुई।

कोरोना वायरस से लड़ने में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन को कारगर माना जा रहा है। भारत में हर साल बड़ी संख्या में लोग मलेरिया की चपेट में आते हैं, इसलिए भारतीय दवा कंपनियां बड़े स्तर पर इस दवा का उत्पादन करती है। भारत में हर महीने करीब 40 टन एचसीक्यू का उत्पादन होता, यानि 200 एमजी के 20 करोड़ टैबलेट, लेकिन दवा कंपनियां अपनी क्षमता बढ़ा रही है और इसे अगले महीने बढ़कर 70 टन तक किया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि भारत को हर साल एचसीक्यू के करीब 2.5 करोड़ टैबलेट की ही जरूरत होती है,यानि इसका उत्पादन देश की अपनी जरूरतों से कई गुना ज्यादा निर्यात के लिए होता है। अब इसमें अगर कोरोना से निपटने और उपचार में इस्तेमाल को भी जोड़ दिया जाए तो भी भारत के पास उत्पादन क्षमता बहुत ज्यादा है।

पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 1076 नए मामले सामने आए हैं, और 38 लोगों की मौत हो चुकी है। अब देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल केस 11, 439 हो चुका है। इनमें से 1306 इलाज के बाद ठीक हो चुके हैं, जबकि 377 की मौत हो चुकी है।

 

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