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मुख्यमंत्री बनते ही कमलनाथ ने उगला ज़हर, यूपी बिहार वालों के लिए एमपी में नौकरी के रास्ते बंद

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बड़े-बड़े वादे कर सत्ता में आई कांग्रेस ने सत्ता हासिल करने के बाद ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश के नए नवेले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शपथ लेते ही ये इरादा जता दिया है कि वो ऐसी नीति बनाएंगे जिससे यूपी-बिहार के लोग एमपी में नौकरी ना पा सकें।

कमलनाथ दरअसल कांग्रेस की उस पुरानी नीति पर ही चल रहे हैं जिसमें लोगों को जाति, संप्रदाय, राज्यों और क्षेत्रवाद के नाम पर बांट दिया जाता है। लेकिन हैरत की बात ये है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पालकी ढो रहे यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव और मायावती तथा बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इसके खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा है।

कमलनाथ ने मध्यप्रदेश की उद्योग संवर्धन नीति 2018 और MSME विकास नीति-2017 को बदलने का फैसला किया है। इस बदलाव के बाद एमपी सरकार से वित्तीय एवं अन्य सुविधाएं लेने वाली औद्योगिक इकाइयों को 70 प्रतिशत रोज़गार मध्यप्रदेश के स्थायी निवासियों को ही देना पड़ेगा।

कमलनाथ का भड़काऊ बयान  
”उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से लोग मध्य प्रदेश आते हैं। लेकिन स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिल पाती है। हमारी छूट देने वाली नीति उन उद्योगों के लिए होगी, जहां 70 फ़ीसदी रोज़गार मध्य प्रदेश के युवाओं को दिया जाएगा।”

कांग्रेस की ‘बांटो और राज करो’ नीति 

राज्यों को लड़ाया
कांग्रेस राज में महाराष्ट्र-गुजरात, आंध्र प्रदेश-तेलंगाना, कर्नाटक-तमिलनाडु, केरल-तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश-कर्नाटक, असम-नॉर्थ ईस्ट प्रदेशों के बीच विवाद हुए।

भाषा पर लड़ाया
कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल में हिंदी से बैर रखने वालों को बढ़ावा दिया। हिंदी पर स्थानीय भाषाओं-बोलियों को तरजीह देने का अभियान चलाया।

संप्रदाय के आधार पर बांटा
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा दिया। 1984 में सिखों के खिलाफ पूरे देश में हिंसा का माहौल बनाया।

जातियों को लड़ाया
गुजरात में पटेल-गैर पटेल, राजस्थान में जाट-गुर्जर-राजपूत, महाराष्ट्र में मराठा-गैर मराठा।

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