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जानिए कांग्रेस पार्टी के देश को लूटने वाले तरीकों के बारे में

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आजादी के बाद से देश में ज्यादातर समय कांग्रेस की सरकारें सत्ता में रहीं, लेकिन गरीबी खत्म नहीं हुआ। कांग्रेस गरीबी हटाओ का नारा देकर सरकारें बनाती रही है, लेकिन आज भी देश के लोग गरीबी से लड़ रहे हैं। कांग्रेस की सरकारों की नाकामी के पीछे वो कांग्रेसी संस्कृति है, जिसमें भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद और सब चलता है की प्रवृत्ति पोषित और पल्लवित होती है। कांग्रेसी राज में दिल्ली से चलने वाले एक रुपये में से 15 पैसा ही जरूतमंदों के पास पहुंच पाता था बाकी का 85 पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता था। इस तरह से देश में आजादी के बाद से सरकारी खजाने का 85 प्रतिशत कांग्रेस की सरकारों में लूटा जाता था।

कांग्रेसी सरकारों के दौरान खजाने की लूट के लिए कई तरीके ईजाद किए गये थे। आज, आपको कांग्रेस के भ्रष्टाचार के तरीकों के बारे में बताते हैं-

ट्रस्ट- फाउंडेशन को दान
हाल ही में राजीव गांधी फाउंडेशन को लेकर एक और खुलासा हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए 21 जून 1991 को सोनिया गांधी ने इसकी शुरुआत की थी। सोनिया गांधी राजीव गांधी फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं। इस फाउंडेशन में सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी, बेटी प्रियंका वाड्रा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा पी. चिदंबरम ट्रस्टी हैं। कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF) का गलत इस्तेमाल किया। प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा दान किया गया। कई सरकारी उपक्रमों ने भी राजीव गांधी फाउंडेशन में दान किया था। इनमें गृह मंत्रालय समेत 7 मंत्रालय और 11 बड़े सार्वजानिक उपक्रम भी शामिल थे। यह सब दान तब किए गए जब देश में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए की सरकार थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उस समय यूपीए की चेयरपर्सन थीं। राजीव गांधी फाउंडेशन कोभारत स्थित चीनी दूतावास, चीन सरकार, जाकिर हुसैन के साथ-साथ करोंड़ों रुपये के घोटाले में फरार मेहुल चोकसी ने भी दान दिया था।

गरीबों को मिलने वाली सब्सिडी को हजम करना
देश में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों के भोजन, मकान, रोजगार इतयदि को उपल्बध कराने की जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार अपने इस संवैधानिक कर्तव्य को पूरा करने के लिए आम बजट से लाखों करोड़ रुपये विभिन्न मंत्रालयों को आवंटित करती है। लेकिन कांग्रेसी सरकारों के दौरान गरीबों के लिए विभिन्न मंत्रालयों को दिए गए लाखों करोड़ रुपये किसे दिए गए और कैसे दिए गए इसका कोई प्रमाणिक आधार नहीं होता था। सरकारी अधिकारी या किसी कांग्रेसी नेता के प्रमाण को आधार बनाकर ये लाखों करोड़ रुपये बांट दिए जाते थे। इसका सबसे ताजा उदाहरण है 2008 में कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार द्वारा किसानों के 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ करना। इसमें 40 प्रतिशत ऋण ऐसे किसानों का माफ किया गया जो किसान थे ही नहीं, जिन्होंने खेती के अलावा मोटरसाइकिल, घर के सामान इत्यादि के लिए ऋण ले रखा था। दशकों तक ऐसे ही कांग्रेस की सरकारों ने गरीबों के नाम पर सब्सिडी या ऋण के धन को लुटाया और गरीबी हटाओ के नारे से देश की जनता को बेवकूफ बनाया।

रक्षा सौदों में दलाली करना
कांग्रेस की सरकारों के दौरान देश को सुरक्षित रखने के लिए जितने भी रक्षा सौदे हुए उनमें कंपनियों से शस्त्रों को खरीदने के लिए जमकर दलाली खाई जाती थी। बोफोर्स एक ऐसा घोटाला था जो राजनीतिक दलों के विरोध कारण जनता के सामने आया। यह ऐसा घोटाला था, जिसमें कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा। इससे पहले जितने भी रक्षा सौदे होते रहे थे, उनकी दलाली के बारे में जनता को पता नहीं चलता था। बोफोर्स के बाद स्कॉर्पियन पनडुब्बी का घोटाला भी जनता के सामने आया।

सरकारी नीलामी में कमीशनखोरी     
कांग्रेस की सरकारों ने देश की भूसंपदा को सार्वजनिक उपयोग के नाम पर अपने इकोसिस्टम के लोगों को अनाप-शनाप तरीके से बांटा। इस नीलामी में पहले आओ, पहले पाओ के नियम बनाए गए और सूचनाओं को उन्हीं लोगों को दिया जाता था, जो कांग्रेस के इकोसिस्टम के चहेते थे। 2जी घोटाला, आदर्श घोटाला, कोयला घोटला, जमीन आवंटन का घोटाला इत्यादि ऐसे घोटाले थे, जो राजनीतिक दलों के मुखर होने के कारण जनता के सामने आ सके। कांग्रेस इन भूसंपदाओं की नीलामी के एवज में पार्टी फंड चंदा लिया करती थी।

फर्जी कंपनियों से हवाला करना
रक्षा दलाली, गरीबों की सब्सिडी के पैसे, भूसंपदाओं की नीलामी में कमीशन से मिले पैसे को ठिकाने लगाने के लिए कांग्रेस के नेताओं और इसके इकोसिस्टम ने फर्जी कंपनियों का एक जाल बुन रखा था। इन फर्जी कंपनियों का देश को पता भी नहीं चलता यदि देश में प्रधानमंत्री मोदी ने 08 नवंबर 2016 को नोटबंदी न की होती। इस नोटबंदी के कारण देश में करीब तीन लाख फर्जी कंपनियों का पता चला। ये फर्जी कंपनियां सिर्फ कागजों पर थीं, जिनका उपयोग देश में भ्रष्टाचार से पैदा किए गये काले धन को विदेशों में पहुंचाने के लिए किया जाता था, जिसे हवाला व्यापार कहा जाता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इन सभी कंपनियों को बंद करके, इनके निदेशकों को ब्लैकलिस्ट कर दिया।

ये कांग्रेस के वे तरीके थे जिसने उसे अपने दशकों की सरकारों के दौरान बनाये थे। कांग्रेस को सत्ता में जनता के लिए बिना काम किए बने रहने के ये अचूक फार्मूले थे, जिसमें जनता को सब्सिडी और ऋण माफी का एक तरफ लालीपॉप दिया जाता तो दूसरी तरफ इससे सरकारी खजाने को लूटने का तरीका बना दिया जाता। इसमें जनता भी खुश रहती थी और कांग्रेस को भी बेतहाशा धन मिलता।

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