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यूपी में किसानों का हमदर्द बनने की नौटंकी कर रहे Chhattisgarh के CM भूपेश बघेल, खुद के राज्य में डेढ़ माह से आंदोलित किसानों की अनदेखी, किसान सुसाइड को भी मजबूर

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल देशभर में किसानों के हमदर्द बनने का नाटक कर रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। छत्तीसगढ़ में न सिर्फ किसानों की आत्महत्या करने के मामलों में वृद्धि हो रही है, बल्कि लगातर अनदेखी के कारण किसान आंदोलित हो रहे हैं। राज्य के किसान कांग्रेस सरका से नाराज चल रहे हैं। नया रायपुर से प्रभावित 27 गांवों के किसान डेढ़ महीने से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इतना ही नहीं किसानों का खैरख्वाह बनने की आए दिन नौटंकी करने वाले किसान नेता राकेश टिकैत को भी छत्तीसगढ़ के किसानों का दर्द सुनाई नहीं दे रहा है, क्योंकि वहां कांग्रेस की सरकार है।छत्तीसगढ़ में दो साल में आत्महत्या तक चुके हैं ढाई सौ किसान
छत्तीसगढ़ सरकार सिर्फ किसानों और आदिवासियों का हमदर्द होने का दावा ही करती है, हकीकत में उसे इससे कोई सरोकार नहीं है। राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ में खुलासा हुआ है कि बघेल सरकार की अनदेखी के चलते राज्य के किसान लगातार सुसाइड कर रहे हैं। राज्य के कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2020 से जनवरी-22 तक दो साल में राज्य में करीब 250 किसानों ने आत्महत्या की है। इनमें 100 से ज्यादा तो किसान आदिवासी हैं और 42 अनुसूचित जाति वर्ग के थे। राज्य में कृषि आय में बढ़ोतरी न होने और कर्ज के बोझ तले दबे होने के कारण किसान और खेतिहर मजदूर आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। राज्य की बघेल सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।

सत्ता मिलने पर किसानों की मांगों को भूल गए मुख्यमंत्री बघेल
दूसरी ओर नई राजधानी से 27 के ज्यादा गांवों के किसान प्रभावित हैं। किसानों ने अपनी पीड़ा सरकार के समक्ष रखी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब किसान कल्याण समिति के माध्यम से पिछले 45 दिनों से आंदोलन किया जा रहा है, लेकिन किसानों के इस आंदोलन से बघेल सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। समिति के अध्यक्ष रूपन चंद्राकर ने कहा कि बघेल जब विपक्ष में थे, तब हमारा समर्थन करते हुए साथ खड़े होकर आंदोलन की अगवानी करते थे। कहते थे कि सरकार बनाने में सहयोग व समर्थन दें, सत्ता मिलने पर नवा रायपुर के साथ न्याय करेंगे। चंद्राकर ने कहा कि सरकार बने तीन साल से अधिक समय हो गया। किसानों की तरफ से बार-बार ज्ञापन, अनुनय-विनय पत्र प्रेषित किया गया, लेकिन भूपेश बघेल चुप्पी साधे बैठे हैं।यूपी में अपनी सरकार का गुणगान, यहां पर किसानों कर कर रहे अपमान
किसान नेताओं ने कहा कि किसान 45 दिनों से लगातार आंदोलनरत हैं। इस दौरान राज्य सरकार ने चर्चा के नाम पर केवल बात की है, कार्यवाही कुछ नहीं हुई है। किसान नेताओं ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री बघेल उत्तर प्रदेश समेत सभी चुनावी राज्यों में जाकर अपनी सरकार का गुणगान कर रहे हैं। बता रहे हैं कि उनकी सरकार किसानों के हित में काम कर रही है। चंद्राकर ने कहा कि उनके इस झूठ का राजफाश करने के लिए किसानों की एक टीम इसी महीने दिल्ली जाएगी।कांग्रेस आलाकमान को किसान बताएंगे नौ सूत्रीय मांगों की अनदेखी कर रही सरकार
किसान नेताओं ने कहा कि कांग्रेस के आलाकमान से मुलाकात कर छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री बघेल की तानाशाही, शोषणकारी व छलावा वाली नीति की जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि किसान जमीन की खरीदी-बिक्री पर लगी रोक हटाने की मांग कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि उनके क्षेत्र को ग्राम पंचायत में ही रखा जाए। नगर निगम बनाने के आदेश को निरस्त किया जाए। प्रभावित किसान परिवारों को सालाना 15 हजार रुपये दिया जा रहा था, जो तीन साल से नहीं मिला है। इस राशि का भुगतान तुरंत किया जाए। प्रभावित परिवारों को 1,200 वर्गफीट जमीन देने, आत्महत्याओं को रोकने सहित नौ सूत्री मांगें हैं।

बघेल सरकार का किसानों का हमदर्द बनना, छलावा और दिखावा मात्र : बीजेपी
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ बीजेपी की ओर से नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने राज्य सरकार पर नाकामियों के आरोप लगाए हैं। कौशिक ने प्रदेश में  किसानों के मौत का आकड़ा पेश कर सरकार को किसानों का शोषण करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि सुसाइड करने वाले किसानों में  अनुसूचित जनजाति के और आदिवासी किसान भी हैं। बात प्रतिशत की करें  तो 60 फीसदी एसटी और एसटी वर्ग के किसानों ने आत्महत्या की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और बघेल सरकार पर किसानों की हमदर्द बनती है, यह छलावा और दिखावा मात्र है। आंकड़े बता रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में किसानों का इतना शोषण और अनदेखी हो रही है कि किसान आंदोलन करने को मजबूर है।

एनसीआरबी के मुताबिक कांग्रेस राज में किसानों की आत्महत्या दर बढ़ी
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के छत्तीसगढ़ में किसानों की आत्महत्या के आंकड़े और अधिक हैं। एनसीआरबी को राज्य सरकार ही आंकड़े उपलब्ध कराती है। 2020 के आंकड़ों के अनुसार आत्महत्या की दर यानी प्रति लाख आबादी के हिसाब से आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ पूरे देश में तीसरे नंबर पर है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में आत्महत्या की दर 26.4 है। पिछले तीन सालों के आंकड़े देखें तो 2018 में आत्महत्या की दर के मामले में छत्तीसगढ़ काफी पीछे था, लेकिन 2019 में कांग्रेस सरकार के राज में छत्तीसगढ़ राज्य 26.4 की आत्महत्या दर के साथ देश में चौंथे नंबर पर और 2020 में तीसरे नंबर पर पहुंच गया।

छत्तीसगढ़ में 537 किसानों और खेतिहर मजदूरों ने सुसाइड किया
एनसीआरबी की रिपोर्ट बताती है कि 2020 में छत्तीसगढ़ में अपनी ज़मीन पर खेती करने वाले 209 पुरुष और 9 महिलाओं यानी कुल 218 किसानों ने आत्महत्या की। इसी तरह किसी और की ज़मीन ले कर खेती करने वाले 9 पुरुषों ने आत्महत्या की। कृषि क्षेत्र के मज़दूरों की बात करें तो 2020 में 281 पुरुषों और 29 महिलाओं, यानी कुल 310 लोगों ने आत्महत्या की। इस तरह अकेले 2020 में कृषि क्षेत्र के 537 लोगों ने आत्महत्या की है।

 

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