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सीडीएस बिपिन रावत ने की थी सेना को मजबूत, त्वरित और मारक बनाने की पहल, पीएम मोदी के सपने को कर रहे थे साकार

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देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत अब इस दुनिया में नहीं है। उनके असमय निधन से देश को बड़ा झटका लगा है। लेकिन देश के सामने उत्पन्न मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए उनके द्वारा दिए गए योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेना को आधुनिक हथियारों से लैस करने, त्वरित कार्रवाई में सक्षम बनाने और उसकी मारक क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया है। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाया और उन्हें तीनों सेनाओं में सुधार का अहम जिम्मा सौंपा। चाहे तीनों सेनाओं को मिलाकर थियेटर कमान बनाना हो, या फिर चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए एकीकृत युद्धक समूहों (आईबीजी) का गठन हो, जनरल बिपिन रावत इस दिशा में तेजी से काम कर रहे थे।

चार थियेटर कमान बनाने का काम शुरू किया

सीडीएस के करीब दो वर्ष के कार्यकाल में बिपिन रावत ने सेना को गतिशील और घातक बनाने के लिए कई पहल की। एक तरफ तीनों सेनाओं को मिलाकर चार थियेटर कमान बनाने का कार्य शुरू किया। जिसमें दो जमीनी एक समुद्री तथा एक एयर डिफेंस कमान शामिल है। इनके लिए तमाम अध्ययन पूरे किये जा चुके हैं तथा एकीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत भी हो चुकी है। बिपिन रावत ने कहा था कि थिएटर कमांड्स बनने से युद्ध के दौरान दुश्मन की हालत खस्ता करने के लिए रणनीति बनाने में आसानी होगी। युद्ध के मौके पर तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बनाए रखने के लिए ये कमांड बेहद उपयोगी होते हैं। यहां से बनी रणनीतियों के अनुसार दुश्मन पर अचूक वार करना आसान हो जाता है। यही कारण है कि सेना, वायुसेना और नौसेना को एकसाथ लाकर इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड बनाया जा रहा है।

एकीकृत युद्धक समूहों (आईबीजी) के गठन की पहल

जनरल बिपिन रावत के निर्देशन में भारतीय सेना ने युद्ध में बेहतर प्रदर्शन और दुश्मन पर त्वरित आक्रमण करने की अपनी क्षमता में वृद्धि करने के लिए ‘एकीकृत युद्ध समूह’ (आईबीजी) को अपनाने का निर्णय लिया। भारतीय सेना ने 12 स्वतंत्र अध्ययनों के आधार अपनी युद्ध क्षमता को बढ़ाने की दिशा में काम शुरू किया। सेना की रणनीति में पिछले 15 साल में यह सबसे बड़ा बदलाव है। आईबीजी में युद्ध के लिए आवश्यक सभी तत्वों को एक स्थान पर एकीकृत किया जा रहा है। ताकि भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए 12 से 48 घंटे के भीतर कार्रवाई कर सकें। देश में इस प्रकार के 11 से 13 समूह बनाने की योजना है। इसके बारे में जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि ये युद्ध समूह सेक्टर-आधारित होंगे, इसलिए सभी अलग-अलग किस्म के होंगे। 

छोटे-छोटे युद्धक समूहों की चीन सीमा पर तैनाती

चीन सीमा से लगातार मिल रही चुनौती से निपटने के लिए रावत ने वहां तैनात सेना को छोटे-छोटे युद्धक समूहों में तब्दील करने का कार्य भी शुरू कर दिया था। पूर्वोत्तर में चीन सीमा पर ऐसे समूहों की तैनाती भी शुरू की गई। छोटे समूहों को कुछ ही घंटों में युद्ध के लिए तैयार किया जा सकता है। जबकि मौजूदा बटालियनों को तैयार करने में कई घंटे लग जाते हैं। मकसद सेना को त्वरित कार्रवाई में सक्षम बनाना और उसकी मारक क्षमता में इजाफा करना है।

सेना में तकनीक के इस्तेमाल पर जोर 

बिपन रावत सेना की गतिशीलता बढ़ाने और नई चुनौतियों के देखते हुए आधुनिक तकनीक से लैस कराना चाहते थे और सेनाओं को पुराने स्वरूप में संचालन से बाहर निकालना चाहते थे। इसलिए युद्धक टुकड़ियों में वह परंपरागत सपोर्ट और सप्लाई में लगे सैनिकों को भी वे गैरजरूरी मानते थे। इसलिए उन्हें कम करने की तैयारी चल रही थी। रावत के अनुसार यदि 120 सैनिकों की एक टुकड़ी में सपोर्ट और सप्लाई में लगे सैनिकों की संख्या कम कर दी जाए और टुकड़ी को तकनीक से लैस कर दिया जाए तो 80 की संख्या में भी वह पहले से ज्यादा घातक हो सकती है। 

नई जरूरतों के मुताबिक सैन्य रखरखाव में बदलाव 

बिपिन रावत ने सैन्य रखरखाव के लिए भी नए तरीके से सोचना शुरू किया। पहले सेना सारी तैयारियां अपनी करती है लेकिन अब यह कोशिश की जा रही थी कि सेनाओं में इस कार्य को यथासंभव आउटसोर्स किया जाना चाहिए। सेना को अपने लिए पेट्रोल, डीजल, जनरेटर जैसे सामानों को एकत्र करने की जरूरत नहीं। क्योंकि अब यह समान देश में हर जगह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इसी प्रकार बेस वर्कशाप के बेहतर संचालन के लिए उन्हें सैन्य नियंत्रण में निजी क्षेत्र द्वारा संचालित करने, सैनिक फार्मों को बंद करने जैसे सुधार शामिल हैं।

सेना को ढाई मोर्चे के युद्ध के लिए तैयार किया

जरनल बिपिन रावत बड़े सैन्य रणनीतिकार थे। उन्होंने देश के सामने उत्पन्न चुनौतियों की पूरी जानकारी थी। 2017 में आर्मी चीफ रहते हुए जब उन्हों देश के ढाई मोर्चे के युद्ध के लिए तैयार होने की बात कही थी तो हर कोई हैरान था कि यह आधा मोर्चा क्या है। दरअसल उन्होंने एक मोर्चा पाकिस्तान को माना तो दूसरा चीन को और आधा मोर्चे की बात उन्होंने देश में आंतरिक संघर्ष, आतंकवाद और देशद्रोहियों को माना था। इस लिए उन्होंने सेना को इस ढाई मोर्चे के युद्ध के लिए तैयार और प्रशिक्षित करने पर जोर दिया। ताक सेना हर चुनौती से आसानी निपट सके।

रैडिकलाइजेशन से मुकाबले के लिए सैना को तैयार किया

रायसीना डायलॉग में बोलते हुए जनरल बिपिन रावत ने कश्मीर में आतंकवाद का जिक्र करते हुए कहा था कि छोटे बच्चों को रैडिकलाइज किया जा रहा है। उन्होंने कहा था, ‘मैं नहीं मानता कि रैडिकलाइजेशन से मुकाबला नहीं किया जा सकता। जो भी चीज शुरू होती है, उसका अंत भी तय है। रैडिकलाइजेशन से निपटा जा सकता है। इसके लिए आपको वहां नजर रखनी होगी, जहां यह हो रहा है। कौन लोग इस काम को अंजाम दे रहे हैं? यह काम स्कूलों, यूनिवर्सिटी, धार्मिक स्थानों में हो रहा है। कुछ लोगों का समूह है, जो इस कट्टरता को फैला रहा है।’ रैडिकलाइजेशन लड़ने के लिए सेना पिछले कई सालों से समाज के उत्थान के लिए कई प्रकार के कार्य कर रही है। युवाओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण दे रही है।

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