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PM MODI ने जिस हीरे को तराशा वो देश का ‘HERO’ बना, जानिए देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत की सबसे बड़ी 7 उपलब्धियां और सुर्खियों में रहे बयान

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हीरे की बेहतर परख जोहरी को ही होती है। देश को तराशने के काम में पूरी तल्लीनता, जोश व जूनून के जुटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से देश की तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को और बेहतर बनाने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी CDS का नया पद बनाने का ऐलान किया था। उन्होंने सेना नियमों में संशोधन कराकर सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत को देश का पहला सीडीएस बनाया। इसी हीरे ने नापाक हरकतें करने वाले पाकिस्तान के दांत खट्टे किए। यही वो फौजी है जिसने मां भारती का भाल गर्व के ऊंचा किया। आम तौर पर जब युद्धकाल होता है तो फौजी लोग देश के हीरो बनते ही हैं, लेकिन शांतिकाल में रावत वो पहले फौज़ी हैं, जिन्हें करोड़ों देशवासियों ने आँसू बहाकर श्रद्धांजलि दी है।पाकिस्तान को ‘सर्जिकल व एयर स्ट्राइक’ दो-दो बार दी उसके किए की सजा
आज तक इतिहास है जब भी चीन ने किसी देश की ज़मीन पर पांव रखा हो तो वो वहां से वापस नहीं गया, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति और सीडीएस बिपिन रावत के शौर्य के चलते गलवान घाटी से उसे वापस लौटना पड़ा। पाकिस्तान को दो-दो बार उसके किए की सजा सर्जिकल व एयर स्ट्राइक करके दी। कश्मीर से धारा 370 को हटाने पर पूरे देश में आग लगाने की धमकियां मिली थीं. लेकिन आज ढाई बरस बीत गए कश्मीर अपने इतिहास के सबसे शांतिपूर्ण दौर में है।

रावत परिवार की पांच पीढ़ियों ने दी भारतीय सेना में अपनी सेवाएं
उत्तराखंड के पौड़ी ज़िले के छोटे से गांव सैंज में 16 मार्च 1958 को जन्मे बिपिन रावत देश में सेना के सर्वोच्च शिखर पर बहुत की शानदार अंदाज में पहुंचे। उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी भारतीय सेना में लेफ़्टिनेंट जनरल रह चुके हैं। रावत फ़ैमिली पांच पीढ़ियों से भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रही है। बिपिन रावत ने देहरादून के ‘कैम्ब्रियन हॉल स्कूल’ और शिमला के ‘सेंट एडवर्ड स्कूल’ से पढ़ाई की थी। इसके बाद उन्होंने खडकवासला स्थित ‘नेशनल डिफ़ेंस अकेडमी’ और फिर देहरादून स्थित ‘इंडियन मिलेट्री अकेडमी’ में प्रवेश लिया। इस दौरान उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर’ से भी सम्मानित किया गया था।

दस साल तक कई ‘आतंकवाद विरोधी अभियानों’ को सफलतापूर्वक लीड किया
यहां से पास आउट होने के बाद बिपिन को 16 दिसंबर 1978 को भारतीय सेना की ’11 गोरखा राइफल्स’ की ‘5वीं बटालियन’ में सेकंड लेफ्टिनेंट के तौर पर नियुक्त किया गया था, जो उनके पिता की यूनिट भी थी। बिपिन रावत को High-Altitude Warfare में महारत हासिल थी। अपने सैन्य कार्यकाल के दौरान उन्होंने 10 सालों तक कई ‘आतंकवाद विरोधी अभियानों’ को भी सफलतापूर्वक अंजाम दिया था। आइये सीडीएस बिपिन रावत की उन उपलब्धियों के बारे में जानते हैं, जो उन्हें सच्चा देशभक्त और राष्ट्र सेवा में प्राणोत्सर्ग करने वाला मां भारती का वीर सपूत बनाती है….

1. बिपिन रावत, भारतीय सेना में सबसे वरिष्ठ अधिकारी थे। वह देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) थे। इस पद को केंद्र सरकार ने 2019 में बनाया था। CDS के रूप में, रावत चार स्टार पाने वाले जनरल बन गए थे। वह रक्षा मंत्रालय के सलाहकार थे और तीनों सशस्त्र बलों में समन्वय लाने और उनकी लड़ाकू क्षमताओं के एककीकरण के कार्य देख रहे थे।
2. जनरल बिपिन रावत इस समय सशस्त्र बलों के बीच तालमेल लाने और उनकी लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक महत्वाकांक्षी त्रि-सेवा योजना पर काम कर रहे थे। इस एकीकृत त्रि-सेवा कमान का उद्देश्य देश की वायु सुरक्षा के लिए एक कमान के तहत भारत की तीनों सेनाओं के संसाधनों को एकजुट करना है। एकीकृत की स्थापना थल सेना, वायु सेना और नौसेना को वायु सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए होगी।
3. रावत को पाकिस्तान के खिलाफ कुछ सबसे कड़े कदम उठाने और पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है। भारतीय वायुसेना ने जब बालाकोट में हमले किए थे, तब जनरल रावत की अगुआई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर मजबूत सुरक्षा कवच प्रदान किया था।
4. प्रधानमंत्री मोदी से हरी झंडी मिलने के बाद उरी बेस कैंप पर 2016 में आतंकवादी हमला होने के बाद उनकी अगुआई में सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाई गई थी। भारतीय सेना की एक टुकड़ी ने एलओसी पार करके आतंकवादियों के ठिकाने पर हमले किए थे। जनरल रावत उस समय नई दिल्ली में साउथ ब्लॉक से इस घटना की निगरानी कर रहे थे।
5. उनकी अगुआई में भारतीय सेना ने डोकलाम में करीब दो महीने तक चले लंबे गतिरोध के बाद चीन को पीछे ढकेलने पर मजबूर किया था। चीन से सीमा विवाद के बाद उन्होंने सैन्य मोर्चा संभाला था। उनके सैन्य कौशल के चलते चीन को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था। उन्होंने उत्तरी और पूर्वी कमांड सहित कुछ बेहद कठिन इलाकों में सेवा दी है।
6. जनरल बिपिन रावत को भारतीय सेना में दी गई उनकी विशिष्ट सेना के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और सेना मेडल से सम्मानित किया गया था।
7. जनरल बिपिन रावत भारतीय सेना के सबसे डेडिकेटेड ऑफ़ीसरों में से एक रहे हैं। उन्हें नेतृत्व क्षमता के साथ ही ‘युद्ध कौशल’ में महारत हासिल थी। सन 1987 में बिपिन रावत की बटालियन ने ‘Chu Valley’ के Sumdorong इलाक़े में चीनी सेना को मुहतोड़ जवाब दिया था। इसके बाद रावत ने कांगो में ‘संयुक्त राष्ट्र मिशन’ में भी अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद साल 2015 में हुये ‘Myanmar Strikes’ की कमान भी बिपिन रावत ने ही संभाली थी।

उनकी अगुवाई में भारतीय सेना ने कई ऑपरेशन को अंजाम दिया
सीडीएस जनरल बिपिन रावत को ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र और आतंकवाद रोधी अभियानों की कमान संभालने का खासा अनुभव था। उनकी अगुवाई में भारतीय सेना ने कई ऑपरेशन को अंजाम दिया था। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का हेलिकॉप्टर तमिलनाडु के कुन्नूर में हादसे का शिकार हो गया। हादसे में 13 लोगों की मृत्यु हो गई। उनके निधन से देश में शोक की लहर है। जनरल रावत के सेना में अपनी उपलब्धियां के साथ-साथ अपने सटीक बयानों के लिए भी सुर्खियों में रहते थे। उनके कुछ चर्चित बयानों पर नजर डालते हैं….
• 2017 में जनरल बिपिन रावत ने कश्मीर में पत्थरबाजी करने वालों पर एक बयान दिया था। बिपिन रावत ने पत्थरबाजों को लेकर कहा था कि काश ये लोग पत्थर फेंकने की बजाय हम पर हथियार चलाते। तब मुझे खुशी होती, तब मैं वह कर सकता था जो मैं करना चाहता था।
• 2017 में बिपिन रावत ने कश्मीर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में निरंतर प्रयास करने के लिए मेजर लितुल गोगोई को सेनाध्यक्ष के प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया था। बता दें कि कश्मीर में तैनाती के दौरान मेजर लितुल गोगोई पर एक शख्स को जीप के आगे बांधकर घुमाने के लिए सुर्खियों में रहे थे। दरअसल, लितुल गोगोई ने पत्थरबाजों से अपने काफिले को निशाना बनाने से बचाने के लिए ऐसा किया था।
• दिसंबर, 2018 में भारतीय सेना के जवानों को मिलने वाली दिव्यांगता पेंशन को लेकर दी गई बिपिन रावत की एक राय सुर्खियों में आई थी। उन्होंने उन सैनिकों को चेतावनी दी थी, जो खुद को गलत तरीके से खुद को दिव्यांग दिखाकर पेंशन के जरिये अतिरिक्त पैसा कमाने की लालसा रखते हैं।
• दिसंबर, 2019 में बिपिन रावत का एक बयान, जो नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ किए जा रहे देशव्यापी प्रदर्शनों के विरोध में था, में हिंसक विरोधों की सार्वजनिक रूप से निंदा करने के मामले में था. उन्होंने कहा था कि कई विश्वविद्यालय और कॉलेज के छात्र हज़ारों की संख्या में भीड़ का नेतृत्व कर रहे हैं जो हमारे शहरों में हिंसा और आगजनी कर रहे हैं. ये नेतृत्व नहीं है।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत के लिए साक़िब लखनवी का यह शेर मौजूं है…
बड़े शौक से सुन रहा था जमाना,
तुम्हीं सो गए दास्तां कहते-कहते

 

 

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