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यूपी के पंचायत चुनावों में लहराया बीजेपी का परचम, जिला पंचायत अध्यक्ष की 75 में से 67 सीटों पर बीजेपी और सहयोगी दलों की जीत, सपा का 63 सीटों का रिकॉर्ड टूटा

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उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और मुख्यमंत्री योगी के जनहित में किए गए कार्यों का नतीजा है कि बीजेपी ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में अपना परचम लहरा दिया है। बीजेपी ने रिकॉर्ड जीत हासिल करते हुए 75 में से 67 सीटें हासिल की हैं। इसके साथ ही बीजेपी ने समाजवादी पार्टी के 63 सीटों के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया है। बीजेपी के उम्मीदवारों ने समाजवादी पार्टी को उनके गढ़ मैनपुरी, रामपुर, बदायूं व आजमगढ़ के साथ ही कांग्रेस के किले रायबरेली में भी शिकस्त दी है।

बीजेपी के खाते में 65 सीटें और सहयोगी दलों को 2 सीटें मिली हैं। अगर बात मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की करें तो उसे 6 सीटों से संतोष करना पड़ा है। विधानसभा चुनाव से पहले पंचायत चुनावों में जीत पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक! भाजपा+ ने उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में 75 में से 67 सीटों पर विजय प्राप्त की है। इस अभूतपूर्व परिणाम के लिए मैं प्रदेश की जनता एवं भाजपा के परिश्रमी कार्यकर्ताओं का हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूं।

प्रदेश के 75 जिलों में जिन 22 जिलों में निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए हैं, उनमें 21 बीजेपी के जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। इटावा में समाजवादी पार्टी ने अपना गढ़ बचाने में सफलता प्राप्त की है। 29 जून को नाम वापसी की अवधि गुजरते ही सभी के चुने जाने की घोषणा कर दी गई। इस जीत से बीजेपी काफी गदद है, क्योंकि कई जगहों पर अप्रत्याशित जीत मिली है। देवरिया में आजादी के बाद पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बीजेपी को जीत मिली है। यहां से गिरीश चंद्र तिवारी विजयी हुए हैं।

इस जीत से मुख्यमंत्री योगी को काफी मजबूती मिली है, क्योंंकि समाजवादी पार्टी के नेता करीब करीब अपने बयानों में इस बात का जिक्र किया करते थे कि जिला पंचायत चुनाव एक तरह से योगी सरकार के लिए रिफ्रेंडम की तरह है। जिस तरह से बीजेपी के पक्ष में नतीजे आए, उससे बीजेपी के नेताओं का हौसला काफी बढ़ गया है। यह जीत विधानसभा चुनाव की तैयारियों को औऱ धार दे सकती है। 

जानकारों के मुताबिक जिला पंचायत चुनावों का मुद्दा विपक्ष ने ही बनाया था। लिहाजा इस चुनाव से बड़ा टेस्ट तो उनका ही होना था। अगर विपक्ष को कायदे की सीटें मिल जातीं तो उसके नेता साफ तौर पर कहते कि बड़े चुनाव से पहले ही जनता ने योगी सरकार को नकार दिया है। लेकिन इन नतीजों से यह संकेत मिलता है कि बीजेपी अब और अधिक ऊर्जा के साथ अपने चुनावी कारवां को आगे बढ़ाएगी।

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