Home चुनावी हलचल पंजाब चुनाव में सिद्धू और चन्नी के घर में ही पड़ गई...

पंजाब चुनाव में सिद्धू और चन्नी के घर में ही पड़ गई फूट, सिद्धू को बहन ने संपत्ति का लालची बताया तो सीएम चन्नी के भाई कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ ही मैदान में उतरे

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पंजाब कांग्रेस को इन दिनों कोई श्राप सा लगा हुआ है। पार्टी पहले बागियों की बगावत के चलते ही अपनों से जूझ रही थी, अब कांग्रेस बड़े नेताओं को खुद से परिवार में फूट से दो-चार होना पड़ रहा है। पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू की बहन सुमन तूर ने उनपर संपत्ति की खातिर मां को मरने के लिए लावारिस हालत में छोड़ देने का आरोप लगाया था। अब पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भाई ही कांग्रेस के खिलाफ बागी बन गए हैं। चन्नी की मान-मनोव्वल का उन पर कोई असर नहीं हुआ और विधानसभा क्षेत्र बस्सी पठाना से कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय नामांकन भर दिया। पार्टी में चर्चा है कि जो सीएम अपने भाई को बागी होने से नहीं रोक सके, वे कांग्रेस से दूसरे रूठे नेताओं को कैसे मनाएंगे ?

भाई मुख्यमंत्री बना तो मनोहर भी डॉक्टरी से इस्तीफा देकर चुनाव मैदान में उतरे
पंजाब में सीएम चरणजीत चन्नी के भाई डॉ. मनोहर सिंह ने बगावत कर दी है। डॉ. मनोहर सिंह सेहत विभाग में कार्यरत थे। उनकी तैनाती खरड़ में सीनियर मेडिकल अफसर के पद पर थी। भाई के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन पर भी नेतागिरी का जुनून सवार हो गया। अपने पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने के लिए वह भी राजनीति के मैदान में कूद पड़े। ऐलान कर दिया कि वह बस्सी पठाना से चुनाव लड़ेंगे और वहां जाकर राजनीतिक कार्यक्रम करने लगे। तब सीएम चन्नी ने कहा था कि वह भाई को समझा लेंगे, लेकिन वह नहीं मना सके।

कांग्रेस विधायक ने ही करवा दिया था चन्नी के भाई का ट्रांसफर
डॉ. मनोहर बस्सी पठाना सीट से कांग्रेस की टिकट पर दावेदारी जता रहे थे। हालांकि कांग्रेस ने मौजूदा विधायक गुरप्रीत जीपी को ही टिकट दे दी। जीपी को पंजाब कांग्रेस चीफ नवजोत सिद्धू का समर्थन मिला। जिसके बाद डॉ. मनोहर का पत्ता कट गया। इससे नाराज होकर डॉ मनोहर ने बस्सी पठाना सीट से निर्दलीय नामांकन भर दिया। सीएम चन्नी के भाई के चुनाव लड़ने के पीछे की वजह भी दिलचस्प है। कोरोना काल में डॉ. मनोहर की तैनाती बस्सी पठाना में थी। तब वह लोगों से मिल रहे थे। इसके बाद उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा भी जागने लगी। इसका पता बस्सी पठाना से कांग्रेस के विधायक गुरप्रीत जीपी को मिली तो उन्होंने डॉ. मनोहर का ट्रांसफर करा दिया। उस वक्त कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री थे।सीएम के लिए वन फैमिली-वन टिकट पॉलिसी, औरों के लिए नहीं
अब चन्नी सीएम बने तो भाई चुनाव मैदान में उतर गए। खुद सीएम चन्नी ने भी यह बात कही कि विधायक गुरप्रीत जीपी ने उनका ट्रांसफर कराया था, इसी नाराजगी की वजह से वह मनोहर चुनाव लड़ना चाहते हैं। कांग्रेस ने पंजाब में टिकट के लिए वन फैमिली-वन टिकट की पॉलिसी लागू की है, जिसके बाद सीएम चन्नी भाई को टिकट नहीं दिला सके। हालांकि इसके उलट पूर्व सीएम राजिंदर कौर भट्‌ठल के दामाद बिक्रम बाजवा, नवजोत सिद्धू के भतीजे स्मित सिंह, सांसद चौधरी संतोख सिंह के बेटे विक्रम चौधरी, सांसद अमर सिंह के बेटे कामिल अमर सिंह को टिकट दी गई। जिसके बाद आम आदमी पार्टी ने भी निशाना साधा कि कांग्रेस ने सीएम चन्नी के साथ धक्केशाही की।

महिलाओं को टिकट न मिलने से पंजाब महिला कांग्रेस अध्यक्ष हुई ‘बागी’
दूसरी ओर पंजाब कांग्रेस में टिकट न मिलने से नाराज नेताओं ने बागी तेवर अपना लिए है और कई जगहों पर तो पार्टी के उम्‍ममीदवारों के खिलाफ मैदान में उतर आए हैं। अब इसमें पंजाब महिला कांग्रेस भी शामिल होती दिख रही है। महिला कांग्रेस की नेताओं ने भी अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्च खोलने का ऐलान कर दिया है। पंजाब महिला कांग्रेस की अध्‍यक्ष बलवीर रानी सोढ़ी ने तो सीधे – सीधे बगावत की धमकी दे डाली है। उन्‍होंने कहा कि महिलाओं को कांग्रेस की बची आठ सीटों पर टिकट नहीं दिया गया तो वह इसके खिलााफ संघर्ष करेंगी। पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अब तक 99 सीटों पर उम्‍मीदवारों की घोषणा की है और अब आठ सीटों के लिए प्रत्‍ याशियों की घोषणा होनी है।

धी पंजाब दी अपना हक लैणा जानदी ए…नारा यूपी की तरह सार्थक क्यों नहीं हुआ
पंजाब महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बलवीर रानी सोढी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की तरह पंजाब में कांग्रेस का नारा ‘लड़की हूं-लड़ सकती हूं’ और धी पंजाब अपना हक लैणा जानदी ए..(पंजाब की बेटी अपना हक लेना जानती है। ) सार्थक नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की दोनों प्रत्याशियों की सूची में महिलायों को कोई तवज्जो नहीं दी गई है। यूपी और पंजाब के लिए कांग्रेस में महिलाओं के लिए अलग-अलग नियम क्यों हैं। अगर बाकी आठ बची सीटों में महिलाओं को टिकट न दी गई तो अगली संघर्ष की रणनीति तैयार की जाएगी। महिलाएं राज्य में कांग्रेस की ओर से नाममात्र महिलाओं को प्रत्याशी बनाए जाने से खासी गुस्से में हैं।

 

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