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मोदी सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों और योजनाओं का बड़ा असर, पिछले 5 साल में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से निकले बाहर, ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से गरीबी हुई कम

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कांग्रेस सरकार में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ का नारा दिया था। लेकिन यह सिर्फ नारा बनकर रह गया था। ‘गरीबी हटाओ’ के नाम पर नेहरू-गांधी परिवार और कांग्रेस के नेता अमीर होते गए, जबकि गरीबों की जिंदगी में कोई सुधार नहीं हुआ। कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार और घोटालों की वजह से सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों को नहीं मिलता था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर संभालने के साथ ही गरीबों के कल्याण के लिए काम करना शुरू कर दिया। सरकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ सीधे गरीबों तक पहुंचाया। उनकी कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं ने गरीबों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। इसका प्रमाण नीति आयोग द्वारा जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक की रिपोर्ट से मिलता है। इस सूचचांक के मुताबिक पिछले पांच सालों में करीब 13.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। 

देश में गरीब लोगों का प्रतिशत 24.85 से घटकर हुआ 14.96 प्रतिशत

सोमवार (17 जुलाई, 2023) को नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने “राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांकः एक प्रगति संबंधी समीक्षा 2023” की रिपोर्ट जारी की। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के कार्यकाल में दो नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे हुए। इससे पता चलता है कि बहुआयामी गरीबी को कम करने में मोदी सरकार को बड़ी सफलता मिली है। 2015-16 और 2019-20 के बीच देश में गरीबों की संख्या करीब 24.85 प्रतिशत थी, जो अब गिरकर करीब 14.96 प्रतिशत तक पहुंच गई है। यानि कुल 9.89 प्रतिशत की शानदार गिरावट सामने आई है। 

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी के प्रतिशत में तेज गिरावट

शहरी और ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों में गरीबी के प्रतिशत में गिरावट आई है।  2015-16 और 2019-20 के दौरान शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65 प्रतिशत से गिरकर 5.27 प्रतिशत हो गई, इसके मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों की गरीबी काफी तेजी से 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत हो गई है । यूपी, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। उत्तर प्रदेश में 3.43 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से मुक्त हुए जो कि गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट है। 36 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों और 707 प्रशासनिक जिलों के लिए बहुआयामी गरीबी संबंधी अनुमान प्रदान करने वाली रिपोर्ट से पता चलता है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तीव्र कमी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान राज्यों में हुई है। 

India records a dramatic decline in #poverty headcount ratio from 24.85% to 14.96% in past 5️⃣ years.

UP, Bihar, and MP have recorded steepest decline in number of #MPI poor. #Amritkaal #ViksitBharat #DeshBadalRahaHai
#PovertyDecline #MPI pic.twitter.com/mKYHqeHVWr

— NITI Aayog (@NITIAayog) July 17, 2023

2030 से काफी पहले एसडीजी लक्ष्य हासिल करेगा भारत

मोदी सरकार गरीबी उन्मूलन की दिशा में तेजी से काम कर रही है। इसका असर भी दिखाई दे रहा है। एमपीआई मूल्य 0.117 से लगभग आधा होकर 0.066 हो गया है। वर्ष 2015-16 से 2019-21 के बीच गरीबी की तीव्रता 47 प्रतिशत से घटकर 44 प्रतिशत हो गई है, जिसके फलस्वरूप भारत 2030 की निर्धारित समय सीमा से काफी पहले एसडीजी लक्ष्य 1.2 (बहुआयामी गरीबी को कम से कम आधा कम करने का लक्ष्य) को हासिल करने के पथ पर अग्रसर है। इससे सतत और सबका विकास सुनिश्चित करने और वर्ष 2030 तक गरीबी उन्मूलन पर सरकार का रणनीतिक फोकस और एसडीजी के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

गरीबी सूचकांक के सभी 12 मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार

गरीबी उन्मूलन की दिशा में यह सफलता स्वच्छता, पोषण, रसोई गैस, वित्तीय समावेशन, पेयजल और बिजली तक गरीबों की बढ़ती पहुंच से मिली है। मोदी सरकार ने इस दिशा में काफी काम किया है। इसका परिणाम है कि बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) के सभी 12 मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। पोषण अभियान और एनीमिया मुक्त भारत जैसे प्रमुख कार्यक्रमों ने स्वास्थ्य में अभावों को कम करने में योगदान दिया है, जबकि स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) और जल जीवन मिशन (जेजेएम) जैसी पहलों ने देशभर में स्वच्छता संबंधी सुधार किया है। स्वच्छता अभावों में इन प्रयासों के प्रभाव के परिणामस्वरूप तेजी से और स्पष्ट रूप से 21.8 प्रतिशत अंकों का सुधार हुआ है।

मोदी सरकार की योजनाओं ने बदली महिलाओं और गरीबों की जिंदगी

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के माध्यम से सब्सिडी वाले रसोई गैस ने महिलाओं के जीवन को सकारात्मक रूप से बदल दिया है, और रसोई गैस की कमी में 14.6% अंकों का सुधार हुआ है। सौभाग्य, प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई), प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) और समग्र शिक्षा जैसी पहलों ने भी बहुआयामी गरीबी को कम करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। विशेष रूप से बिजली के लिए अत्यन्त कम अभाव दर, बैंक खातों तक पहुंच तथा पेयजल सुविधा के माध्यम से उल्लेखनीय प्रगति प्राप्त करना नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने और सभी के लिए एक उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

आइए देखते हैं हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) की नवीनतम रिपोर्ट में किस तरह भारत में गरीबी दूर करने में सफलता मिली है… 

यूएन ने की मनमोहन और मोदी सरकार में गरीबों पर तुलनात्मक स्टडी
इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और फिर मनमोहन सरकार तक गरीबी हटाओ के नारे के साथ सिर्फ चुनाव ही जीतती रही हैं। गरीबी के उत्थान और उनके कल्याण के लिए कांग्रेस सरकारों ने कभी गंभीरता के साथ कोई कार्यक्रम नहीं चलाए। यही वजह है कि कांग्रेस सरकारों के दौरान देश के करोड़ों लोग गरीबी और महंगाई के कुचक्र में फंसे रहे। संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) की नवीनतम रिपोर्ट में भारत का जिक्र करते हुए बताया गया कि कांग्रेस की मनमोहन सरकार के दौरान साल 2005-2006 में जहां 55% लोग गरीबी रेखा से नीचे थे, वहीं साल मोदी सरकार के कार्यकाल में 2021 तक ही गरीबी के आंकड़े घटकर 16% ही रह गए। पीएम मोदी के शत-प्रतिशत सैचुरेशन और हर योजना को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के विजन के चलते ही गरीबी सूचकांक में भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है।पीएम मोदी के विजन से पहले कार्यकाल में ही घट गए करोड़ों गरीब
संयुक्त राष्ट्र ने 11 जुलाई को दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत की गरीबी को खत्म करने में उल्लेखनीय उपलब्धियों की मुक्त कंठ से सराहना की। इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (ओपीएचआई) ने संयुक्त रूप से जारी वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) की नवीनतम रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे भारत में पिछले एक दशक में गरीबों के आंकड़ों में आशातीत कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में मनमोहन सरकार के दौरान देश में 64.45 करोड़ गरीब थे। मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेन्द्र मोदी गरीब कल्याण के प्रति निरंतर समर्पित रहे। गरीबों के वास्तविक उत्थान की उनकी सोच का ही सुपरिणाम है कि 2016 में भारत में गरीबों की संख्या घटकर 37 करोड़ ही रह गई।सबसे गरीब राज्यों और वंचित जाति समूहों में गरीबी में गिरावट सबसे तेज
इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में सभी संकेतकों में उल्लेखनीय गिरावट आई है। इसमें भी सबसे गरीब राज्यों और वंचित जाति समूहों में गरीबी में गिरावट सबसे तेज दर्ज की गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गरीबी के विभिन्न दरों वाले देशों ने अपने वैश्विक एमपीआई मूल्य को आधा कर दिया है। जबकि ऐसा करने वाले 17 देशों में पहली अवधि में 25 प्रतिशत से कम गरीबी दर थी, वहीं भारत और कांगो में तो शुरुआती दर 50 प्रतिशत से ऊपर थी। इस ” तरह भारत उन 19 देशों में शामिल था, जिन्होंने एक अवधि के दौरान अपने वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक के (एमपीआई) मूल्य को आधा कर दिया था। रिपोर्ट में कोरोना काल के कारण अध्ययन की मुश्किलों का भी जिक्र है।

भारत इसी साल चीन को पीछे छोड़कर बना सबसे अधिक आबादी वाला देश
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2023 में भारत 142.86 करोड़ लोगों की आबादी के साथ चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया। रिपोर्ट में कहा गया, ‘भारत में विशेष रूप से गरीबी में उल्लेखनीय कमी दिखी। यहां डेढ़ दशक की अवधि के भीतर 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। रिपोर्ट बताती है कि गरीबी से निपटा जा सकता है। भारत में 2005-2006 से 2019-2021 के दौरान 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। 2005-2006 में जहां गरीबों की आबादी 55.1 प्रतिशत थी, वह 2021 में घटकर 16.4 प्रतिशत हो गई।सभी संकेतकों में कमी, पोषण और बाल मृत्यु दर के आंकड़े भी हुए बेहतर
यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान में भारत में लगभग 64.5 करोड़ लोग गरीबी की सूची में शामिल थे, यह संख्या 2015-2016 में घटकर लगभग 37 करोड़ और 2019-2021 में कम होकर 23 करोड़ हो गई। रिपोर्ट के अनुसार भारत में सभी संकेतकों के अनुसार गरीबी में गिरावट आई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में पोषण संकेतक के तहत बहुआयामी रूप से गरीब और वंचित लोग 2005-2006 में 44.3 प्रतिशत थे जो 2019-2021 में कम होकर 11.8 प्रतिशत हो गए। इस दौरान और बाल मृत्यु दर 4.5 प्रतिशत से घटकर 1.5 प्रतिशत हो गई।

गरीबों में खाना पकाने के ईंधन की उपलब्धता बढ़ी
यह मोदी सरकार की पीएम उज्ज्वला योजना का ही असर है, जो रिपोर्ट में साफ नजर आता है। रिपोर्ट के अनुसार जो खाना पकाने के ईंधन से वंचित गरीबों की संख्या भारत में 52.9 प्रतिशत से गिरकर 13.9 प्रतिशत हो गई है। वहीं स्वच्छता से वंचित लोग जहां 2005-2006 में 50.4 प्रतिशत थे उनकी संख्या 2019-2021 में कम होकर 11.3 प्रतिशत रह गई है। पेयजल के पैमाने की बात करें तो उक्त अवधि के दौरान बहुआयामी रूप से गरीब और वंचित लोगों का प्रतिशत 16.4 से घटकर 2.7 हो गया। बिना बिजली के रह रहे लोगों की संख्या 29 प्रतिशत से 2.1 प्रतिशत और बिना आवास के गरीबों की संख्या 44.9 प्रतिशत से गिरकर 13.6 प्रतिशत रह गई है।भारत ने गरीबी सूचकांक मूल्य को आधा करने में हासिल की सफलता
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के अलावे कई अन्य देशों ने भी अपने यहां गरीबों की संख्या में कमी की है। गरीबी कम करने में सफलता हासिल करने वाले देशों की सूची में 17 देश ऐसे हैं जहां उक्त अवधि की शुरुआत में 25 प्रतिशत से कम लोग गरीब थे। वहीं भारत और कांगो में उक्त अवधि की शुरुआत में 50 प्रतिशत से अधिक लोग गरीब थे। रिपोर्ट के अनुसार भारत उन 19 देशों की लिस्ट में शामिल है जिसके जिन्होंने आलोच्य अवधि के दौरान अपने वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) मूल्य को आधा करने में सफलता हासिल की।आइए देखते हैं कि मोदी सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं से कितनों गरीबों को लाभ मिल रहा है और यह कैसे गरीबों का सहारा बन रही है और उनमें समृद्धि ला रही है….

1. जन धन योजना
जन धन योजना के तहत 48.70 करोड़ लोग खाते खुलवा चुके

बैंकिंग सुविधा को देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 15 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरुआत की गई थी। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत अकाउंटहोल्डर को सरकार द्वारा कई सारी सुविधाएं दी जाती हैं। प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) की वेबसाइट के मुताबिक, इस योजना में 5 अप्रैल 2023 तक कुल 48.70 करोड़ लोग खाते खुलवा चुके हैं और 32.96 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड जारी किए जा चुके हैं। खास बात यह है कि इसमें 32.48 करोड़ खाते ग्रामीण और अर्धशहरी इलाकों में खोले गए हैं। भारत में डिजिटल क्रांति लाने में जन धन खातों की प्रमुख भूमिका रही है।

जन धन खातों में 10 हजार की ओवरड्राफ्ट सुविधा

प्रधानमंत्री जन धन योजना में अकाउंट होल्डर को सरकार की ओर से 10000 रुपये तक की ओवरड्राफ्ट की सुविधा दी जाती है। इसका मतलब है कि खाते में रुपये न होने पर भी आप 10000 रुपये तक की निकासी कर सकते हैं। अगर आप जनधन योजना के तहत मिलने वाली ओवरड्राफ्ट की सुविधा का लाभ उठाना चाहते हैं तो इसके लिए बैंक में इस योजना के तहत खाता खोलना होगा।

जन धन खातों से उठा सकते हैं कई अन्य योजना का लाभ

जन धन योजना के तहत खाता खोलने पर अकाउंटहोल्डर को न्यूनतम बैलेंस रखने की कोई अनिवार्यता नहीं होती है। इसके तहत दिए जाने वाले रुपे डेबिट कार्ड पर दो लाख रुपये तक का एक्सीडेंटल इंश्योरेंस कवर होता है। इसमें जमा रकम पर बैंकों की ओर से सेविंग अकाउंट के लिए निर्धिारित की गई ब्याज दर दी जाती है। इसके साथ सरकार की ओर से चलाई जाने वाली अन्य सरकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY), अटल पेंशन योजना (APY), मुद्रा (Mudra) योजना का लाभ लेने के लिए भी इस खाते का प्रयोग कर सकते हैं।

2. अटल पेंशन योजना
अटल पेंशन योजना सदस्यों की संख्या हुई 5.25 करोड़ पार

मोदी सरकार की अटल पेंशन योजना (APY) के तहत अब तक इसके 5.25 करोड़ से अधिक खाते हो गए हैं। यानी अटल पेंशन योजना के तहत कुल नामांकन ने 5.25 करोड़ के आंकड़े को पार कर लिया है। एपीवाई के शुभारंभ से ही इसमें नामांकन निरंतर बढ़ता जा रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में वित्त वर्ष 2022-23 में नए नामांकन में 20 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 में नए नामांकन में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। अब तक एपीवाई में प्रबंधन के तहत कुल परिसंपत्ति (AUM) 28,434 करोड़ रुपये से भी अधिक आंकी गई है और इस योजना ने अपने शुभारंभ से लेकर अब तक 8.92 प्रतिशत का निवेश रिटर्न अर्जित किया है।

अटल पेंशन योजना से गरीबों, वंचितों, श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा

अटल पेंशन योजना सभी भारतीयों, खासकर गरीबों, वंचितों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है। यह असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार की एक पहल है। यह योजना 18 से 40 वर्ष आयु वर्ग के सभी बैंक खाताधारकों के लिए खुली है। अटल पेंशन योजना में निवेश करने वाले व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसकी पत्नी और पत्नी की भी मृत्यु होने की स्थिति में बच्चों को पेंशन मिलने का प्रावधान है। रिटायर होने के बाद जीवनभर पेंशन पाने के लिए आपको अटल पेंशन योजना में कुछ सालों तक ही निवेश करना होता है।

वर्ष 2015 में शुरू हुई थी अटल पेंशन योजना

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 9 मई 2015 को असंगठित क्षेत्र में मजदूरों को वृद्धावस्था आय सुरक्षा देने और 60 वर्ष की आयु के बाद न्यूनतम पेंशन की गारंटी प्रदान करने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की थी। यह पेंशन योजना लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई है। भारत सरकार द्वारा देश के नागरिकों के लिए घोषित की गई गारंटीड पेंशन वाली इस स्‍कीम अर्थात अटल पेंशन योजना के तहत असंगठित क्षेत्र के उन कामगारों पर फोकस किया जाता है, जिनकी हिस्‍सेदारी कुल श्रम बल में 85 प्रतिशत से भी अधिक है। अटल पेंशन योजना के तहत 60 साल की उम्र पूरी होने पर प्रति माह 1000, 2000, 3000, 4000 या 5000 रुपये की गारंटीड न्‍यूनतम पेंशन मिलेगी जो सदस्‍यों द्वारा किए जाने वाले अंशदान पर निर्भर करेगी।

3. उज्जवला योजना
उज्जवला योजना से जुड़ी 9.59 करोड़ महिलाएं

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से 1 मार्च 2023 तक 9.59 करोड़ लाभार्थी जुड़े हुए हैं। व‍ित्तीय वर्ष 2022-23 में मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थी पर‍िवारों को साल के 12 स‍िलेंडरों पर 2400 रुपये की सब्स‍िडी यानी एक स‍िलेंडर की खरीद पर 200 रुपये की सब्स‍िडी देने का फैसला ल‍ि‍या। मोदी सरकार के इस फैसले से 9.59 करोड़ परिवार को फायदा मिलेगा। प्रति सिलेंडर 200 रुपये की यह सब्सिडी उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को साल में 14.2 किलो के 12 एलपीजी सिलेंडर के लिए दी जाएगी। 200 रुपये की यह सब्सिडी सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में जमा की जाती है। सरकारी कंपनी इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम 22 मई, 2022 से यह सब्सिडी दे रही हैं, जिसे एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया है। सरकार को इसपर 2022-23 में 6,100 करोड़ रुपये और 2023-24 में 7,680 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। मोदी सरकार की कोशिश है कि देश की ज्यादा से ज्यादा महिलाएं पूरी तरह से खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करें। उज्ज्वला योजना उपभोक्ताओं की 2019-20 में औसत एलपीजी खपत 3.01 रिफिल थी जो 2021-22 में बढ़कर 3.68 रिफिल हो गई।

गरीब महिलाओं को चूल्हे के धुएं से आजादी दिला रही उज्ज्वला योजना

भारत में आजादी के बाद से महिलाओं के कल्याण को लेकर सैकड़ों स्कीमें बनीं, लेकिन इसके बावजूद देश के हजारों गांवों में करोड़ों महिलाओं को दिन के तीनों पहर चूल्हे के सामने बैठकर खाना पकाना पड़ता था। प्रधानमंत्री मोदी ने गरीब महिलाओं को चूल्हे के धुएं से आजादी दिलाने और उनके बेहतर स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) शुरू की थी। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत 1 मई, 2016 को की गई। इस योजना ने जहां महिलाओं को चूल्हे के धुएं से ​मुक्ति प्रदान की वही उज्ज्वला स्कीम मोदी सरकार की लोकप्रिय योजनाओं में शुमार की गई। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के माध्यम से देश की 18 वर्ष से अधिक उम्र की एपीएल, बीपीएल तथा राशन कार्ड धारक महिलाओं को रसोई गैस उपलब्ध करवाई जाती है। इसके तहत महिलाओं को रसोई गैस सिलेंडर के साथ फ्री गैस चूल्हा दिया जाता है जिसके अंतर्गत लाभार्थियों को रिफिल एवं हॉट प्लेट, एलपीजी गैस कनेक्शन के साथ निशुल्क प्रदान की जाती है। लाभार्थियों को गैस स्टोव खरीदने के लिए ब्याज मुक्त लोन भी मुहैया करवाया जाता है। आज बड़ी संख्या में महिलाएं इस योजना का लाभ उठा रही हैं।

4. आयुष्मान भारत योजना
आयुष्मान भारत के 23.30 करोड़ से अधिक कार्ड जारी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने देशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ (पीएम-जेवाई) की शुरुआत की थी। अब यह योजना गरीब-वंचितों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत 23 अप्रैल, 2023 तक 23.30 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड मुहैया कराए गए हैं। देश में अब तक 4.81 करोड़ से अधिक लोग इस योजना का लाभ उठा चुके हैं।

प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ़्त इलाज

‘आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना’ के चार साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने 23 सितंबर, 2018 को झारखंड की राजधानी रांची में इस योजना की शुरुआत की थी। इस योजना का उद्देश्य प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज 10.74 करोड़ से भी अधिक गरीब और वंचित परिवारों (या लगभग 50 करोड़ लाभार्थियों को) मुहैया कराना जो भारतीय आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं। मोदी सरकार इस जन आरोग्य योजना को और सुगम और सरल बनाने की कोशिश में जुटी है, ताकि अधिक-से-अधिक गरीब परिवार इसका लाभ उठा सकें। इसके लिए एक वेबसाइट mera.pmjay.gov.in और टोल फ्री नंबर 14555 और टोल फ्री नंबर 1800-111-565 जारी किया जा चुका है। इसकी मदद से कोई भी जान सकता है कि उसका परिवार लाभार्थियों में शामिल है या नहीं।

5. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना
देश के 80 करोड़ गरीबों को मिल रहा मुफ्त राशन

देश के 80 करोड़ गरीबों को कोविड महामारी से बचाने के लिए भारत सरकार ने एक ‘भगीरथ प्रयास’ किया। केन्द्र सरकार ने अप्रैल 2020 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की। तब से लगातार चल रही इस योजना के तहत देश के गरीबों को मुफ्त राशन मिल रहा है। इस तरह भारत अपनी एक बड़ी आबादी को भुखमरी से बचाकर सुपर पॉवर की तरह उभरा है। केंद्र ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अप्रैल 2020 से अब तक 3.9 लाख करोड़ रुपये का मुफ्त खाद्यान्न पात्र लोगों को उपलब्ध कराया है। योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से हर महीने 80 करोड़ गरीबों को पांच किलो गेहूं और चावल मुफ्त दिया जाता है। यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत आपूर्ति की किए जाने वाले खाद्यान्न से अलग मात्रा है।

गरीबों के कल्याण के लिए अब तक 3.90 लाख करोड़ रुपये खर्च

पीएमजीकेएवाई के तहत अब तक 3.90 लाख करोड़ रुपये से अधिक के खर्च के साथ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 1,118 लाख टन खाद्यान्न आवंटित किया गया है। वहीं सरकार ने वर्ष 2021-22 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 2.75 लाख करोड़ रुपये की फसलों की रिकॉर्ड खरीद की है।

एक देश, एक राशन कार्ड का मिला फायदा

एक देश एक राशन कार्डयोजना से देशभर के गरीबों को काफी राहत मिली है। एक देश एक राशन कार्ड (ONORC) सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू किया गया है, जिसमें लगभग 80 करोड़ एनएफएसए लाभार्थी शामिल हैं। अगस्त 2019 में ओएनओआरसी योजना शुरू होने के बाद से 93 करोड़ से अधिक पोर्टेबिलिटी लेनदेन पंजीकृत किए गए हैं, जिसमें 177 लाख टन से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया है। वर्ष 2022 के दौरान, 11 महीनों में 39 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेनदेन किए गए, जिसमें 80 लाख टन से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया है।

6. पीएम किसान सम्मान निधि योजना
पीएम-किसान योजना से 8 करोड़ किसानों को लाभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम-किसान योजना के तहत डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से 27 फरवरी 2023 को लगभग 8 करोड़ किसानों को इस योजना की 13वीं किस्त के रूप में 16,800 करोड़ रुपये वितरित किए थे। पीएम-किसान योजना की 11वीं और 12वीं किस्त क्रमशः 2022 के मई और अक्टूबर महीने में जारी की गई थी। किस्त के रूप में किसानों को 2 हजार रुपये का लाभ मिला। इससे पहले 17 अक्तूबर 2022 को 12वीं किस्त जारी हुई थी। इससे छोटे किसानों को खाद और बीज खरीदने में सहूलियत होती है और उन्हें कर्ज लेने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ रहा है।

लाभार्थी किसानों सालाना मिलते हैं 6,000 रुपये

पीएम किसान सम्मान निधि योजना मोदी सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक है। इसके देशभर में करोड़ों लाभार्थी हैं। इस योजना को केंद्र सरकार द्वारा साल 2019 में शुरू किया गया था। इस स्कीम के जरिए सरकार हर लाभार्थी किसान के खाते में 6,000 रुपये सालाना ट्रांसफर करती है। इन पैसों को कुल 2-2 हजार रुपये की तीन किस्तों में ट्रांसफर किया जाता है। अगर आप भी इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो पीएम किसान स्कीम की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।

7. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 17 करोड़ किसानों का बीमा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अभी तक देश भर में 17 करोड़ से भी अधिक किसानों ने बीमा कराया है। अब तक, योजना के तहत 1.3 लाख करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया जा चुका है। आधार सीडिंग ने किसान के खातों में सीधे दावा निपटान में तेजी लाने में मदद की है। यानी यह सब बिना किसी भ्रष्टाचार या कमीशन के सीधा किसानों के खाते में पहुंचा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार किसानों के कल्याण के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। किसानों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के आठ साल से ज्यादा हो गए हैं।

फसल बीमा योजना किसानों के लिए सुरक्षा कवच

मोदी सरकार ने इस योजना को 13 जनवरी, 2016 को लागू किया था। देश के किसानों को हर साल बाढ़, आंधी, तेज बारिश के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ता है। फसल बीमा योजना के तहत किसानों को किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण फसल में हुई हानि पर बीमा कवर देने का प्रावधान किया गया है, यानि किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब होने पर प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक हुई हानि कम कराएगी। प्रीमियम राशि को प्रत्येक किसान की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए काफी कम रखा गया है। खरीफ पर 5 प्रतिशत और रबी पर मात्र 1.5 प्रतिशत प्रीमियम राशि है। फसल बीमा योजना किसानों के लिए सुरक्षा कवच के समान है। किसान के हिस्से के अतिरिक्‍त प्रीमियम का खर्च राज्य और केंद्र सरकार द्वारा समान रूप से सहायता के रूप में दिया जाता है। पूर्वोत्तर राज्यों में केंद्र सरकार ने 90 प्रतिशत प्रीमियम राशि प्रदान करती है।

8. प्रधानमंत्री आवास योजना
तीन करोड़ से ज्यादा पक्के घरों का निर्माण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने हर परिवार को छत मुहैया कराने के मामले में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अपने घर का हसरत पाले बैठे लोगों के सपनों में मोदी सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना ने एक नई जान डाल ही है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मोदी सरकार तीन करोड़ से ज्यादा पक्के घरों का निर्माण कर चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 में कहा था कि देश के हर निर्धन को पक्का घर देने के लिए सरकार महत्त्वपूर्ण कदम उठा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत तीन करोड़ से अधिक मकान बनाए जा चुके हैं। सभी घर मूलभूत सुविधाओं से युक्त हैं और ये घर महिला सशक्तिकरण के प्रतीक बन गए हैं।

प्रधानमंत्री मोदी कर रहे आम लोगों के घर का सपना पूरा

प्रधानमंत्री मोदी ने जब साल 2014 में पहली बार देश की बागडोर संभाली तो उस समय करोड़ों लोगों के पास अपना घर नहीं था। प्रधानमंत्री मोदी ने इन लोगों की पीड़ा को समझ देश के हर परिवार को घर देने का वादा किया। इसी के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने 25 जून, 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) की शुरूआत की और 20 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का शुभारंभ किया।

सस्ते मकान क्षेत्र में जबरदस्त तेजी

प्रधानमंत्री आवास योजना पीपीपी मोड के आधार पर चल रही है। पीएमएवाई के तहत बनने वाले प्रत्येक पक्के घर में शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली आपूर्ति, पेयजल आपूर्ति आदि सुविधाओं से ग्रामीण भारत की तस्वीर बहुत तेजी से बदल रही है। ऐसा अनुमान है कि इस कारण सस्ते आवासीय क्षेत्र में जबरदस्त तेजी आने वाली है। कई हाउसिंग कंपनियों के अनुसार ग्राहकों का जबरदस्त आकर्षण दिख रहा है। पीएमएवाई के तहत केंद्र सरकार ने मध्यम आयवर्ग के लोगों के लिए दो नई योजनाएं शुरू की। इन योजनाओं के तहत 9 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर ब्याज में 4 फीसदी और 12 लाख रुपये के आवास ऋण पर ब्याज में 3 फीसदी छूट दी गई है।

9. पीएम स्वामित्व योजना

गांव के लोगों को अपने घर की जमीन का मालिकाना हक

मोदी सरकार द्वारा गांव के लोगों को भी शहर जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने के मकसद से ग्रामीण क्षेत्रों में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन्हीं योजनाओं में से एक पीएम स्वामित्व योजना भी है। इस योजना के तहत गांव के उन लोगों को अपने घर की जमीन का मालिकाना हक दिया जाता है, जो किसी भी सरकारी आंकड़े में दर्ज नहीं है। दरअसल, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी ऐसे लोग हैं, जिनकी घर की जमीन किसी भी सरकारी आंकड़ों में दर्ज नहीं है, जिससे उनकी जमीन पर किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा कब्जा होने का खतरा हमेशा बना रहता है। इसके अलावा, इस जमीन पर लोन भी नहीं मिल पाता है। इसी समस्या को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना की शुरुआत की।

पीएम मोदी ने 2020 में शुरू की पीएम स्वामित्व योजना

पीएम स्वामित्व योजना एक केंद्रीय योजना है, जिसे 24 अप्रैल 2020 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने शुरू किया था। स्वामित्व योजना का उद्देश्य गांव में बसे हुए ग्रामीण परिवारों के मालिकों को “अधिकारों के रिकॉर्ड”/संपत्ति कार्ड प्रदान करना है। इस योजना में विविध पहलुओं को शामिल किया गया है। इनमें संपत्तियों के मुद्रीकरण को सुगम बनाना और बैंक ऋणों को सक्षम बनाना; संपत्ति संबंधी विवादों को कम करना; व्यापक ग्राम स्तरीय योजना शामिल हैं। यह पंचायतों के सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल को और बढ़ाएगा, जिससे वे आत्मनिर्भर बनेंगे। इस योजना में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, विकलांग, अल्पसंख्यक, महिला और अन्य कमजोर समूहों सहित समाज के प्रत्येक वर्ग को शामिल किया गया है।

 

 

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