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गांधी परिवार की चीन से नजदीकी का राज क्या है? राजीव गांधी फाउंडेशन को मिले फंड का कर्ज चुका रहे हैं राहुल गांधी!

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी लंदन यात्रा के दौरान कम्युनिस्ट राष्ट्र चीन की तारीफ़ करते हुए कहा कि चीन शांति का पक्षकार है। चीन की तारीफ करने से पूर्व अगर तारीखों पर नजर डालेंगे पाएंगे कि सिर्फ़ राहुल गांधी ही नहीं बल्कि पूरा गांधी परिवार चीन की कम्युनिस्ट विचारधारा की गिरफ़्त में रहा है। जब देश में डोकलाम विवाद चल रहा था, उस समय राहुल गांधी ने चीन के अधिकारियों से साथ मुलाकात कर रहे थे। गांधी परिवार को चीनी राजदूत के साथ डिनर पर देखा जा सकता है। सवाल यह है कि गांधी परिवार किस हैसियत से चीनी राजदूतों के साथ यह मेलज़ोल कर रहा था? गांधी परिवार और कम्युनिस्ट राष्ट्र चीन की जुगलबंदी का राज क्या है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सकारात्मक छवि भारत में बनाने पर गांधी परिवार क्यों काम कर रहा था, यह समझ से परे है। आज देश की 140 करोड़ जनता यह जानना चाहती है कि राहुल गांधी और उनके परिवार के सदस्यों ने मिलकर चीनी सरकार से कौन सा गुप्त समझौता किया है।

राहुल गांधी और चीनी राजदूत की बैठक क्या कहती है?

राहुल गांधी की चीनी अधिकारियों से पहली मीटिंग साल 2017 में हुई थी। तब उन्होंने चीनी राजदूत लुओ झाओहुई के साथ उस समय बैठक की थी। ये तब की बात हैं जब भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद छिड़ा था। इस बैठक के संबंध में पहले तो कॉन्ग्रेस ने साफ इंकार कर दिया था, लेकिन बाद में चीनी राजदूत ने स्वयं इसका खुलासा किया था। 2017 में डोकलाम विवाद के दौरान जब भारत और चीनी सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। सिक्किम के पास डोकलाम में चीन और भूटान के बीच सीमा को लेकर विवाद चल रहा था।

गांधी परिवार चीनी अधिकारियों के साथ डिनर

सोशल मीडिया पर राहुल गांधी एवं गांधी परिवार हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह सवाल करते देखे जाते हैं कि वे चीन पर बोलते नहीं हैं, जबकि इस बीच गांधी परिवार चीनी अधिकारियों के साथ डिनर कर रहा होता है।

चीन ने पीएम, राष्ट्रपति की जगह सोनिया को दिया था न्योता

ऐसा ही एक उदाहरण है साल 2008 का है, जब बीजिंग ओलंपिक के दौरान कम्युनिस्ट राष्ट्र चीन ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल की जगह कांग्रेस पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को न्योता भेजा था।

शी जिनपिंग और सोनिया गांधी के बीच 7 अगस्त 2008 को हुई थी बैठक

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ सोनिया गांधी की यह तस्वीर 7 अगस्त 2008 की है, जब चीन बीजिंग ओलंपिक का आयोजन कर रहा था। इसमें हैरान करने वाली बात यह थी कि भारत के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति की जगह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष को ठीक 7 अगस्त, 2008 के दिन ही सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच एक समझौता हुआ था। 2008 में CCP और कॉन्ग्रेस के बीच यह MoU तब हुआ जब भारत में वामपंथी दलों ने कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली UPA-1 सरकार में विश्वास की कमी प्रकट की थी।

चीनी राजदूत से राहुल 2020 में भी मिले

12 फ़रवरी 2020 के दिन राहुल गांधी एक बार फिर चीनी राजदूत सुन वेदांग (Sun Weidong ) से मुलाक़ात करते हैं। चीनी राजदूत की वेबसाइट के अनुसार, चीनी अधिकारी के साथ राहुल गांधी ने यह मुलाक़ात कोविड महामारी की समीक्षा के लिए की थी।

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की अच्छी छवि बनाने पर काम कर रहा था गांधी परिवार

गांधी परिवार के चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से मेलज़ोल का विवरण चीन की आधिकारिक वेबसाइट पर मिलता है। IDCPC चीन का अंतरराष्ट्रीय संपर्क विभाग है जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और विदेशी राजनीतिक दलों के बीच संबंध बनाए रखता है। IDCPC को कम्युनिस्ट राष्ट्र चीन के पक्ष में वैश्विक सहमति बनाने में योगदान करने के उद्देश्य से बनाया गया था। वर्तमान में यह विदेशी राजनीतिक दलों के साथ नए गठबंधन बनाकर CCP को विदेशों में स्थापित करने के अवसर बनाने पर काम कर रहा है। IDCPC का एक मुख्य उद्देश्य विदेशों में कम्युनिस्ट पार्टी की सकारात्मक छवि बनाना है।

राजीव गांधी फाउंडेशन को क्यों फंड कर रहा था चीन

राजीव गांधी फाउंडेशन गांधी परिवार से जुड़ा एक NGO है। राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन से फंडिंग हासिल की थी। केंद्र सरकार ने राजीव गांधी फाउंडेशन का एफसीआरए लाइसेंस वर्ष 2020 में रद्द कर दिया था। गृह मंत्रालय ने फाउंडेशन का फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेटिंग एक्ट (FCRA) लाइसेंस रद्द कर दिया। फाउंडेशन पर विदेशी फंडिंग कानून का उल्लंघन करने का आरोप है। सवाल उठता है कि जो चीन हमारे देश की भूमि पर बुरी नजर रखता है आखिर उससे राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग लेने की मजबूरी क्या थी। चीन ने फंडिंग क्यों की होगी यह भी बड़ा सवाल है। इसकी तह में जाएं तो पता चलता है कि चीन ने फंडिंग इसलिए की थी ताकि भारत सरकार चीन के रास्ते में बिछे कांटे हटा दे और चीन के लिए भारत में अपना धंधा चमकाना आसान हो जाए।

राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग कर चीन ने कौन से जहरीले इरादे कामयाब किए

राजीव गांधी फाउंडेशन को की गई फंडिंग से यह सवाल भी उठता है कि चीन ने अपने कौन से जहरीले इरादे कामयाब किये और उसके लिए उसने कब कितनी रिश्वत किसको खिलाई, ये सब बातें जांच का विषय है। अभी न जाने ऐसे कितने और गड़े मुर्दे उखड़ने बाकी हैं। देश की जनता ये जानना चाहती है कि देश को इतने सस्ते में क्यों बेचा जा रहा था?

राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन से लिए 1.35 करोड़ चंदा

चीन से 2005-2006 और 2006-2007 के बीच राजीव गांधी फाउंडेशन ने एक करोड़ 35 लाख रुपए चंदा लिए। फाउंडेशन का कहना है कि वह सामाजिक और रिसर्च वर्क के लिए पैसे देते थे, लेकिन इन पैसों का इस्तेमाल भारत-चीन संबंधों को मजबूत करने में किया गया, अगर कोई रिसर्च हुआ होता तो उसके रिपोर्ट दी गई होती। जबकि जांच में यह पाया गया कि गलत तरीके से चीन के पैसे का मिसयूज किया गया। जाकिर नाइक के इस्लामिक संगठन से भी राजीव गांधी फाउंडेशन ने चंदा लिया। राजीव गांधी फाउंडेशन को विदेशी फंडिंग रद्द करने की यही वजह थी।

राजीव गांधी फाउंडेशन का एफसीआरए लाइसेंस रद्द

केंद्र सरकार ने राजीव गांधी फाउंडेशन का लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह कार्रवाई फोरेन कन्ट्रीब्यूशन ‘रेगुलेशन‘ एक्ट के तहत की है। संगठन पर विदेशी फंडिंग कानून के कथित उल्लंघन का आरोप है। गृह मंत्रालय ने जुलाई 2020 में एक जांच कमेटी बनाई थी। उसकी रिपोर्ट के आधार पर ये फैसला लिया गया। इस जांच कमेटी में ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स के अधिकारी शामिल थे। एफसीआरए लाइसेंस कैंसिल करने का नोटिस राजीव गांधी फाउंडेशन के ऑफिस बियरर को भेज दिया गया था। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी आरजीएफ की अध्यक्ष हैं।

साल 2020 में हुआ था विदेशी फंडिंग में उल्लंघन का खुलासा

फाउंडेशन को यूपीए सरकार के दौरान भारत स्थित चीनी दूतावास, चीन सरकार, जाकिर हुसैन, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष (PMNRF), मंत्रालय, सार्वजनिक उपक्रमों के साथ-साथ मेहुल चोकसी ने भी चंदा दिया था। चीन सरकार की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की वित्त पोषित चाइना एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनल फ्रेंडली कॉन्टैक्ट (CAIFC) ने भी फाउंडेशन को फंड दिया था। जाकिर नाइक ने भी इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के जरिए 2011 में फाउंडेशन को 50 लाख रुपए दिए थे। हालांकि, कांग्रेस ने बाद में रकम लौटा दी थी।

कांग्रेस ने चीन से फंड लेकर देश की संप्रभुता को गिरवी रख दिया

फाउंडेशन ने धन के लिए ही चीन से भी मेलजोल बढ़ाया, जो फाउंडेशन तक ही सीमित नहीं था। वह मेलजोल भारत की आर्थिक नीति को प्रभावित करने लगा। काफी हद तक किया भी। मौजूदा समय में चीन का जो पैर भारत में पसरा, वह राजीव गांधी फाउंडेशन की ही देन है। जैसा खबरों में आ चुका है कि 2005, 2006, 2007 और 2008 में फाउंडेशन को चीन से पैसा मिला। चीन के पैसे का फाउंडेशन ऐसा आदी बन गया कि उसने देश की संप्रभुता को गिरवी रखने का मन बना लिया। यदि इसमें किसी को संदेह हो तो उसे फाउंडेशन के उस अध्ययन पर गौर करना चाहिए, जो चीन और भारत के बीच व्यापार को बढ़ाने के लिए हुआ था। उससे जाहिर होता है कि फाउंडेशन किस एजेंडे पर काम कर रहा था।

एक्शन ऐड भी रहा फाउंडेशन का साझीदार, एक्शन ऐड के हर्ष मंदर ने किया था मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार

पैसे के इस खेल में फाउंडेशन ने एक्शन ऐड इंडिया को साझीदार बनाया। हर्ष मंदर कभी इसके मुखिया हुआ करते थे। तब एक्शन ऐड के साथ मिलकर हर्ष मंदर ने गुजरात में अपना खूब चलाया था। वे प्रशासनिक सेवा में थे। 2002 के दंगे में इनको राजनीति करने का मौका मिल गया। नौकरी छोड़ दी और मोदी सरकार के खिलाफ अभियान चलाने लगे। हर घटना को सांप्रदायिक चश्मे से देखने और दिखाने लगे। गुजरात दंगों की बात न भी करें तो इशरत जहां वाला मामला भूला नहीं जा सकता। इसे लेकर जिस तरह अभियान चलाया गया, जाहिर तौर पर वह गांधी परिवार की सह पर रहा होगा। हर्ष और उनकी संस्था आलाकमान के करीब थी ही। चुनी हुई सरकार को पलटने के लिए अभियान चलने लगा। उसमें एक्शन ऐड से जुड़े लोग थे और हर्ष तो सबके अगुवा थे। उन्होंने तो नरेन्द्र मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार करने का ठेका ही ले लिया था।

देश विरोधी तत्वों व विनाश की पटकथा लिखने वालों से फंड क्यों

राजीव गांधी फाउंडेशन में विनाश की पटकथा लिखने वालों के साथ ही उन लोगों से धन लिया जा रहा है जो भारत के बैरी हैं। उन लोगों से भी पैसे लिए जाते रहे जो दुनिया भर में उपद्रव फैलाने के लिए पहचाने जाते हैं। इसमें जाकिर नाईक भी शामिल है। वही नाईक जो अपने भाषण से देश में नफरत और हिंसा की खेती कर रहा है और कांग्रेस उसकी पैरोकार बनी है। क्यों बनी है? यह रहस्य भी खुल गया है। सबको पता चल चुका है कि जाकिर नाईक पैसे देता था। इस वजह से कांग्रेसी उसके पक्ष में खड़े हैं। यही वजह है कि जाकिर के नाम पर कांग्रेस में उबाल आ जाता है। रहमान साहब जाकिर के लिए पत्र लिख देते हैं। हालांकि जाकिर नाईक अकेला शख्स नहीं, जो नफरत की खेती भारत में करता है और फाउंडेशन उससे फंड लेता है। यह संस्था इस तरह के कई और संस्थान और सरकार से पैसा लेती है।

लोकतंत्र की हत्या करने वाली संस्थाओं से फाउंडेशन को क्यों मिलता था फंड

ओपन सोसाइटी ऐसी ही एक संस्था है। जार्ज सोरोस उसके कर्ताधर्ता हैं। जार्ज वैसे तो उद्योगपति हैं, लेकिन इस संस्था के जरिए वे दुनिया भर के विभिन्न देशों में अपना दखल रखते हैं। वह दखल राजनीतिक होता है। उसमें सत्ता परिवर्तन के लिए षडयंत्र रचा जाता है ताकि पिठ्ठू सरकार बैठाई जा सके। पूर्वी यूरोप और अफ्रीकी देशों में यह संस्था ऐसा खेल कर चुकी है। ओपन सोसाइटी लोकतंत्र की हत्या के लिए काम करती है। ऐसी संस्था के साथ राजीव गांधी फाउंडेशन काम करता है। उससे पैसे लेता है। पैसा तो यह संस्थान मेलिंडा एंड बिल गेट्स फाउंडेशन से भी लेता है। इसका भी बहुत स्याह इतिहास है। इनके मालिक पर ‘द नेशन’ ने एक लंबी रिपोर्ट लिखी है। वह रिपोर्ट काले कारनामों की कहानी है। कोरोना में इनकी भूमिका जगजाहिर है। डब्लूएचओ के साथ मिलकर कैसे दुनिया को नचाया यह किसी से छुपा नहीं है। इनका फाउंडेशन तो अफ्रीका को दवाओं के ट्रायल की प्रयोगशाला बनाने के लिए जाना जाता हैं। उससे राजीव गांधी फाउंडेशन ने पैसे लिए। दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के रायबरेली और बाराबंकी के पुस्तकालयों में किताबें मुहैया कराने और दूसरी सुविधाएं बढ़ाने के लिए मेलिंडा फाउंडेशन से 2013 में राजीव गांधी फाउंडेशन को एक लाख डॉलर (63 लाख रुपये) मिले थे। लेकिन इस फंड में हेराफेरी की गई। रिपोर्ट के अनुसार बाराबंकी के पुस्तकालय को कोई फंड नहीं मिला है। वहीं रायबरेली स्थित पुस्तकालय को महज एक लाख रुपये मिले।

फोर्ड फाउंडेशन से भी रहा है राजीव गांधी फाउंडेशन का संबंध

फोर्ड फाउंडेशन अमेरिकी हितों एवं पश्चिमी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए काम करता है। जिसे अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने खड़ा किया है। फोर्ड फाउंडेशन सांस्कृतिक साम्राज्यवाद को फैलाने का काम करता है। एक्शन इंडिया जैसे संगठन उस मुहिम का हिस्सा है। इनसे, राजीव गांधी फाउंडेशन का संबंध है। कहने का मतलब यह है कि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से फाउंडेशन अमेरिकी संस्कृति को भारत में फैला रहा है। जो उसमें बाधा बन रहा है, उसे सांप्रदायिक बता दिया जाता है। इस तरह का खेल फोर्ड ने खूब किया भी है। तीस्ता सीतलवाड के सबरंग ट्रस्ट को फोर्ड ने गुजरात में उपद्रव फैलाने के लिए बहुत फंड किया था। तीस्सा सीतलवाड़ ने अपने एनजीओ के जरिए अराजकता फैलाई भी थी। यह बात किसी से छुपी नहीं है। उनकी संस्था पर जो आरोप लगे हैं, उसका जवाब वे दे नहीं पाई हैं, सिवाय इसके कि हमें पीड़ित किया जा रहा है। कांग्रेस उनकी पैरोकार बनी है।

देश विरोधी ताकतों और घोटालेबाजों से मिले राजीव गांधी फाउंडेशन को दान, जानिए अब तक कहां-कहां से गांधी परिवार ने लिए पैसे

कांग्रेस पार्टी और गांधी खानदान का घोटालेबाजों और देशविरोधी ताकतों के साथ काफी गहरा रिश्ता है। जहां कांग्रेस उन्हें संरक्षण देती है, वहीं कांग्रेस के उपकार के बदले में दान के रूप में राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसे मिलते हैं। राजीव गांधी फाउंडेशन की आड़ में गांधी परिवार अवैध तरीके से कालाधन हासिल कर उसका अपने हित में इस्तेमाल करता है। कांग्रेस ने सत्ता का दुरुपयोग कर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा दिलवाया। इसके साथ ही कई सरकारी कंपनियों पर भी पैसा देने के लिए दवाब बनाया गया। इतना ही नहीं राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से फंडिंग मिलती थी। इस फाउंडेशन को गोपनीय तरीके से दान देने वालों की फेहरिस्त काफी लंबी है। आइए आपको बताते हैं अब तक कांग्रेस ने किन-किन लोगों और कहां-कहां से दान लिए हैं-

भगोड़े जाकिर नाइक से मिले 50 करोड़ रुपये

इतना ही नहीं देशद्रोह के आरोपी जाकिर नाइक की इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF), मैसर्स हारमोनी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड से भी राजीव गांधी ट्रस्ट को पैसा दिया गया। मैसर्स हारमोनी मीडिया प्राइवेट लिमिटेड की ओर से 2012 से 2016 के बीच लगभग 50 करोड़ रुपये राजीव गांधी फाउंडेशन के नाम पर दिए गए। वहीं, आइआरएफ ने साल 2003-04 में 64.86 करोड़ रुपये और 2016-17 के बीच 75 करोड़ रुपये दिए गए। इसकी पीएमएलए (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत जांच हो रही है। इससे कांग्रेस को पैसा दिया गया।

घोटालेबाज मेहुल चोकसी से मिले 10 लाख रुपये

पंजाब नेशनल बैंक को करोड़ों का चूना लगाने वाला मेहुल चोकसी ने भी राजीव गांधी ट्रस्ट को दान दिए थे। चौकसी के नाम पर गीतांजलि ग्रुप है। इसके अंतर्गत एक और कंपनी आती है मैसर्स नवीराज एस्टेट्स। इस कंपनी ने 29 अगस्त, 2014 को राजीव गांधी फाउंडेशन को चेक नंबर 676400 के माध्यम से 10 लाख रुपये दान किए थे।

घोटालेबाज राणा कपूर ने दिया 9.45 लाख रुपये का डोनेशन

आपको बता दें कि यस बैंक स्कैम का आरोपी राणा कपूर ने भी 14 सितंबर 2016 को 9.45 लाख रुपये का फंड यस बैंक के फंड से राजीव गांधी फाउंडेशन को ट्रांसफर किया था। ये किसी का पर्सनल फंड नहीं था, बैंक का पैसा था, जो कांग्रेस को दे दिया गया।

NSEL घोटाले के आरोपी जिग्‍नेश शाह ने दिए 50 लाख रुपये

NSEL घोटाले के आरोपी जिग्‍नेश शाह ने 27 अक्‍टूबर 2011 को राजीव गांधी फाउंडेशन को 50 लाख रुपये का दान दिया। जिग्‍नेश शाह और Financial Technologies India Ltd (FTIL) पर 5,600 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शाह को मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत गिरफ्तार किया था। इस घोटाले में 18000 इन्वेस्टरों का 5,600 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं।

घोटालेबाज जीवीके ग्रुप ने कांग्रेस को दिए दान

सूत्रों के मुताबिक जीवीके एयरपोर्ट फाउंडेशन ने 2010-11 से 2016-17 के दौरान राजीव गांधी फाउंडेशन को कीमती 47 मोटर चालित वाहन दान के रूप में दिए। जीवीके ग्रुप पर 2012 से 2018 के बीच मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के डेवलपमेंट में 700 करोड़ रुपए की हेराफेरी का आरोप है। इस घोटाले में सीबीआई ने जीवीके समूह के अध्यक्ष जी वेंकट कृष्णा रेड्डी, उनके बेटे संजय रेड्डी और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

शेयर बाजार घोटाले के आरोपी हर्षद मेहता से मिले 16 करोड़ रुपये

2 दिसंबर, 1992 को टाइम्स आफ इंडिया ने खुलासा किया कि 31 अक्तूबर, 1992 तक फाउंडेशन को चंदा देने वालों की सूची में शेयर बाजार घोटाले के आरोपी हर्षद मेहता, उसकी कंपनी ग्रोमोर और चीन के नेता ली पेंग का नाम था। फाउंडेशन को इनसे मिले चंदे की राशि 16 करोड़ रुपये से भी अधिक थी। ली पेंग को ‘बूचर आफ बीजिंग’ के नाम से भी जाना जाता है, जिसके नाम तियान्मेन चौक नरसंहार दर्ज है। 1993 में फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में देश-विदेश से आए भागीदारों का पूरा खर्च एयर इंडिया और आईटीडीसी के खाते में डाल दिया गया।

चीन की सरकार और भारत स्थित दूतावास से मिले दान

राजीव गांधी फाउंडेशन की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2005-06 में राजीव गांधी फाउंडेशन को पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार और चीनी दूतावास से दो अलग-अलग दानकर्ताओं के रूप में 3 लाख अमेरिकी डॉलर का दान मिला। चीनी दूतावास को सामान्य दाताओं की सूची में रखा गया है।

टाइम्स नाउ के अनुसार भारत स्थित चीनी दूतावास राजीव गांधी फाउंडेशन को फंडिंग करता रहा है। खबर के अनुसार चीन की सरकार वर्ष 2005, 2006, 2007 और 2008 में राजीव गांधी फाउंडेशन में डोनेशन करती है और इसके बाद वर्ष 2010 में एक अध्ययन जारी कर बताया जाता है कि भारत और चीन के बीच व्यापार समझौतों को बढ़ावे की जरूरत है।

राजीव गांधी फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट 2005-06 में भी कहा गया है कि राजीव गांधी फाउंडेशन को पीपुल रिपब्लिक ऑफ चाइना के दूतावास से फंडिंग हुई है।

चीनी दूतावास से मिले थे 10 लाख रुपए दान

चीनी दूतावास के अनुसार, भारत में तत्कालीन चीनी राजदूत सुन युक्सी ने 10 लाख रुपए दान दिए थे। इस फंडिंग का नतीजा ये रहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने भारत और चीन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बारे में कई स्टडी की और इसे जरूरी बताया।

लक्जमबर्ग जैसे टैक्स हैवन देश से भी मिला दान

लक्जमबर्ग जैसे टैक्स हैवन देश ने भी 2006 से 2009 के बीच हर साल दान किया। ऐसे एनजीओ और कंपनियों ने भी फाउंडेशन को दान दिए, जिनके गहरे हित थे। बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने सवाल किया कि आखिर सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन सरकार, दूतावास से क्यों पैसे लिए? क्या पैसों के लिए राष्ट्रीय हितों को कुबार्न करना शर्मनाक नहीं है?

कॉर्पोरेट को दिए ठेके के बादले RJF को मिला दान

राजीव गांधी फाउंडेशन ने कई कॉर्पोरेट से भारी पैसा लिया। बदले में सरकार ने कई ठेके दिए। बीजेपी अध्यक्ष ने कहा है कि यूपीए शासन में कई केंद्रीय मंत्रालयों के साथ सेल, गेल, एसबीआई आदि पर राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा देने के लिए दबाव बनाया गया।

पीएम राहत कोष से फंड ट्रांसफर

यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2005-2008 के बीच पीएम राहत कोष से राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा ट्रासंफर किया गया। यह पैसा उस समय दान किया गया, जब सोनिया गांधी पीएमएनआरएफ के बोर्ड में भी थीं और आरजीएफ की अध्यक्ष भी थीं। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, ‘भारत के लोगों ने जरूरतमंदों की मदद करने के लिए अपनी मेहनत की कमाई को पीएमएनआरएफ को दान कर दिया। इस सार्वजनिक धन को परिवार चलाने की बुनियाद में इस्तेमाल करना न केवल एक संगीन धोखाधड़ी है, बल्कि भारत के लोगों के लिए एक बड़ा धोखा भी है।’

लाइब्रेरी के लिए दान में मिले लाखों रुपए का बंदरबाट!

उत्तर प्रदेश के रायबरेली और बाराबंकी के पुस्तकालयों में किताबें मुहैया कराने और दूसरी सुविधाएं बढ़ाने के लिए अमेरिका के मेलिंडा गेट्स ट्रस्ट ने 2013 में राजीव गांधी फाउंडेशन को एक लाख डॉलर रुपए यानि करीब 63 लाख रुपये दान में दिए थे, लेकिन इस फंड में हेराफेरी की गई है। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार बाराबंकी के लाइब्रेरियन का कहना है कि उन्हें कोई फंड नहीं मिला है, जबकि रायबरेली स्थित लाइब्रेरियन का कहना है कि उसे सिर्फ एक लाख रुपए प्राप्त हुए हैं।

आरजेएफ को दान देने वालों की सूची बहुत लंबी

राजीव गांधी फाउंडेशन को दान देने वालों की सूची बहुत लंबी है। इसमें चीन सरकार, चीनी दूतावास, लक्जमबर्ग दूतावास, भारत सरकार का गृह मंत्रालय, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष, जेआरडी टाटा ट्रस्ट, दायचे बैंक, फोर्ड फाउंडेशन, जर्मन टेक्निकल कॉरपोरेशन के अलावा भारतीय कॉरपोरेट जगत की बेशुमार कंपनियां शामिल हैं। इनमें से कई आज भी रकम का खुलासा किए बगैर दान दे रही हैं। फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार सरकारी क्षेत्र की कंपनियां भी दान देने में पीछे नहीं रही हैं, इनमें हुडको, आयल इंडिया लिमिटेड, ओएनजीसी, सेल, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक आफ महाराष्ट्र, आईसीआईसीआई और आईडीबीआई शामिल हैं। कंपनियों में कुछ प्रमुख नाम हैं- अल्काटेल साउथ एशिया, अम्बुजा सीमेंट, एपीजे प्राइवेट लिमिटेड, भारत फोर्ज, भारती फाउंडेशन, डीसीएम श्रीराम, जेनपैक्ट, गोदरेज, जीटीएल, जीवीके, महिंद्रा एंड महिंद्रा, ओमैक्स, रैनबक्सी, एसआरएफ, टाटा स्टील, टीवीएस मोटर, उषा मार्टिन, वर्सिला आदि।

अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस से फंडिंग

2020 में, अमेरिकी अरबपति जार्ज सोरोस ने कहा कि वह मोदी को हटा देंगे। राजीव गांधी फाउंडेशन ने जर्मन एनजीओ फ्रेडरिक नौमन फाउंडेशन (Friedrich Nauman Foundation) से धन प्राप्त किया जो कि सोरोस द्वारा वित्त पोषित किया गया। क्लिंटन फाउंडेशन ने भी राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को समर्थन दिया था और क्लिंटन फाउंडेशन को सोरोस फंड करता है। राजीव गांधी फाउंडेशन 2007-08 में ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क से जुड़ा था। सोरोस पर आरोप है कि वह कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन, शहरी नक्सलियों को समर्थन, रोहिंग्याओं को समर्थन, देशद्रोह विरोधी कानून का समर्थन करने के लिए फंडिंग करता है।

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