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भारत में बाघों की संख्या बढ़ने पर खुश हुआ संयुक्त राष्ट्र, कहा- अच्छा संकेत

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भारत में बाघों की संख्या बढ़ने पर संयुक्त राष्ट्र ने खुशी जाहिर की है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस के उप प्रवक्ता फरहान हक ने कहा है कि भारत में बाघों की आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि एक अच्छा संकेत है। यह सभी प्रजातियों, विशेष रूप से विलुप्तप्राय जीवों के संरक्षण को प्रोत्साहित करने वाले संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य को पूरा करता है। फरहान हक ने कहा, ‘हमारा सतत विकास का लक्ष्य है जो जैव विविधता और सभी प्रजातियों, विशेष रूप से विलुप्तप्राय जीवों के संरक्षण को प्रोत्साहित करता है। इसलिए, अगर विलुप्तप्राय प्रजातियों को वास्तव में संरक्षित किया जा रहा है, तो यह एक अच्छा संकेत है।’

बाघों के लिए भारत सुरक्षित जगह- प्रधानमंत्री मोदी
इसके पहले अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर 29 जुलाई को ऑल इंडिया टाइगर एस्टिीमेशन 2018 जारी करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत में बाघों की आबादी 2006 में 1,411 थी, जो बढ़कर 2019 में 2,967 हो गई है। उन्होंने कहा कि बाघों की सुरक्षा के संबंध में हम अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि बाघों के लिए भारत एक सुरक्षित जगह है। उन्होंने कहा, ‘मुझे याद है कि 14-15 साल पहले जब ये आंकड़े सामने आए थे कि देश में सिर्फ 1400 टाइगर रह गए हैं, तो ये बड़े डिबेट का विषय बन गया था, चिंता का कारण बन गया था। टाइगर प्रोजेक्‍ट से जुड़े हर व्‍यक्ति के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती थी। टाइगर के लिए उपयुक्‍त माहौल से लेकर इंसानी आबादी के साथ संतुलन बिठाने का एक बहुत मुश्किल काम सामने था, लेकिन जिस प्रकार संवेदशनशीलता के साथ, आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए इस मुहिम को आगे बढ़ाया गया, वह अपने-आप में बहुत ही प्रशंसनीय है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत करीब 3 हजार टाइगर्स के साथ दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सुरक्षित हैबिटैट में से एक है। दुनियाभर में टाइगर की करीब तीन-चौथाई आबादी का बसेरा हमारे हिन्‍दुस्‍तान में है। यहां उपस्थित आप में से कई लोग ये भी भली-भांति जानते हैं कि वाइल्ड लाइफ इको सिस्टम को समृद्ध करने का ये अभियान सिर्फ टाइगर तक ही सीमित नहीं है। गुजरात के गिर के जंगलों में पाए जाने वाले एशियाई शेर और स्नो लेपर्ड के संरक्षण की योजना पर भी तेजी से काम हो रहा है। बल्कि गिर में तो जो काम पहले से चल रहा है, उसके सुखद परिणाम आज साफ-साफ नजर आ रहे हैं। वहां के शेरों की संख्‍या 27 प्रतिशत तक बढ़ी है। मुझे खुशी है कि भारत की बेस्ट प्रैक्टिस का लाभ टाइगर रेंज के दूसरे मित्र देशों को भी मिल रहा है।’

उन्होंने कहा कि 9 साल पहले सेंट पीटर्सबर्ग में यह निर्णय लिया गया था कि बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य होगा और यह 2022 तक होगा। हमने इस लक्ष्य को 4 साल पहले पूरा कर लिया है।

बाघों की गणना के संबंध में आंकड़े जारी करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में बाघों की संख्‍या 2,226 थी जो 2018 में बढ़कर 2,967 हो गई।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मैं इस क्षेत्र से जुड़े लोगों से यही कहूंगा कि जो कहानी ‘एक था टाइगर’ के साथ शुरू होकर ‘टाइगर जिंदा है’ तक पहुंची है, वो वहीं न रुके। केवल टाइगर जिंदा है, से काम नहीं चलेगा। बाघ संरक्षण से जुड़े जो प्रयास हैं उनका और विस्तार होना चाहिए, उनकी गति और तेज की जानी चाहिए।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘2014 में भारत में संरक्षित क्षेत्र की संख्या 692 थी जो 2019 में बढ़कर अब 860 से ज्यादा हो गई है। साथ ही कम्युनिटी रिजर्व की संख्या भी साल 2014 के 43 से बढ़कर अब सौ से ज्यादा हो गई है। बीते पांच वर्षों में जहां देश में नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए तेजी से कार्य हुआ है, वहीं भारत में फारेस्ट कवर भी बढ़ रहा है।’

दुनियाभर में बाघों की तेजी से घटती संख्या के प्रति संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने को लेकर हर साल 29 जुलाई को ‘वर्ल्ड टाइगर डे’ मनाया जाता है। 

भारत प्रत्‍येक चार वर्ष में अखिल भारतीय बाघ आकलन करता है। आकलन के चार चक्र 2006, 2010, 2014 और 2018 में पूरे हो चुके हैं।

देखिए वीडियो-

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