दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में उतरने के समय कहा था कि वे भ्रष्टाचार को बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेंगे और जब उनकी सरकार बन गई तो उन्होंने अपना मोटो बना लिया कि भ्रष्टाचार के सिवा कुछ नहीं करेंगे। केजरीवाल की सरकार ने सत्ता में आते ही तमाम भ्रष्टाचार किए। हाल के दिनों में शराब घोटाला चर्चा में है। इस मामले में दिल्ली के डिप्टी सीम रहे मनीष सिसोदिया इन दिनों जेल में हैं। उन्हें अदालत से जमानत नहीं मिल रही है। इसका मतलब है कि जांच एजेंसियों के पास उनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। सिसोदिया को जमानत नहीं मिल रही, और संजय सिंह का नाम चार्जशीट में आ गया है। यानी अब संजय सिंह के जेल जाने की बारी है। उधर संजय सिंह का नाम आया और इधर जांच की लपटें केजरीवाल के गिरेबान तक पहुंच गई। सीबीआई ने उन्हें 16 अप्रैल 2023 को पूछताछ के लिए बुलाया है। ठग सुकेश चंद्रशेखर ने कहा था कि शराब घोटाले के सूत्रधार केजरीवाल हैं, यानी उनकी सहमति से ही सबकुछ हुआ। ऐसे में लग रहा है उनके भी जेल जाने के दिन आ गए हैं। कहावत भी है जैसी करनी वैसी भरनी।
अगर केजरीवाल केवल एक घंटे के लिए अपने बंगले को जनता और मीडिया के लिए खोल दें, तो केजरीवाल की ईमानदारी के झूठ के चीथड़े उड़ जाएँगे
केजरीवाल इस वक्त कैसा भ्रष्ट जीवन जी रहें है जनता और AAP के कार्यकर्ता इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते
खुली चुनौती , अगर केजरीवाल ईमानदार है तो… pic.twitter.com/PspOeuIXQn
— Kapil Mishra (@KapilMishra_IND) April 15, 2023
शराब घोटाले में दिनेश अरोड़ा के बयान से फंसे संजय सिंह
शराब घोटाले में दिल्ली सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया इस समय जेल में हैं। अब आम आदमी पार्टी के एक और कद्दावर नेता संजय सिंह पर भी इसकी गाज गिर सकती है। ईडी ने इस मामले में अदालत में पेश अपनी चार्जशीट में संजय सिंह को भी आरोपी बना लिया है। संजय सिंह को आरोपी बनाने के लिए दिनेश अरोड़ा के बयान को आधार बनाया गया है।
केजरीवाल ने मुख्य आरोपी समीर महेंद्रू से फेसटाइम पर की थी बात
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब नीति केस में सीबीआई ने पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया है। एजेंसी ने उन्हें 16 अप्रैल 2023 को CBI दफ्तर बुलाया है। जांच एजेंसी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के खिलाफ सबूत होने का दावा किया है। सीबीआई का कहना है कि सबूत के आधार पर ही समन जारी किया गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की तरफ से हाल ही में दायर चार्जशीट के अनुसार, अरविंद केजरीवाल ने शराब कारोबारी और आबकारी नीति घोटाले के मुख्य आरोपी समीर महेंद्रू से फेसटाइम पर बात की थी। इस बातचीत में उन्होंने पार्टी के संचार प्रभारी विजय नायर पर भरोसा करने को कहा। ईडी का कहना है कि 12 नवंबर और 15 नवंबर 2022 को पूछताछ के दौरान समीर महेंद्रू ने अधिकारियों को बताया था कि विजय नायर ने अरविंद केजरीवाल के साथ उनकी मुलाकात तय की थी, लेकिन बात नहीं बनी।
सुकेश का लेटर बम AK से अरविंद केजरीवाल और SJ से सतेंद्र जैन!
दिल्ली की जेल में बंद 200 करोड़ की ठगी के मास्टरमाइंड सुकेश चंद्रशेखर ने एक और ‘लेटर-बम’ फोड़ दिया है। इस खत में अब सुकेश चंद्रशेखर ने उन कूट शब्दों (कोड वर्ड्स) का भांडा फोड़ा है, जो उसकी दिल्ली सरकार के नेताओं-मंत्रियों से अवैध लेनदेन की कथित बातचीत के दौरान इस्तेमाल किए गए। इन तमाम नेताओं-मंत्रियों और अन्य संबंधित राजनीतिक लोगों के नाम के कोड वर्ड्स का भी खुलासा किया है। इन कोडवर्ड्स को सुकेश चंद्रशेखर के साथ बातचीत में इस्तेमाल किया जाता था। सुकेश चंद्रशेखर के ही इस लैटर बम के मुताबिक, AK मतलब अरविंद केजरीवाल, SJ BRO यानी सतेंद्र जैन, Manish यानी मनीष सिसौदिया, अरुण मतलब अरुण पिल्लई। JH मतलब के. कविता का वह Jublie Hills House गेस्ट हाउस जो कथित रूप से अवैध लेनदेन का अड्डा था। Office कोड वर्ड TRS पार्टी हेडक्वार्टर के लिए था. इसी तरह से Package कोड वर्ड का मतलब था 15 करोड़ कैश।
उठो, केजरीवल
CBI ने घी का हिसाब लेकर बुलाया है 😄 pic.twitter.com/oXFv8kLTnq— Social Tamasha (@SocialTamasha) April 15, 2023
15 किलो घी मतलब 15 करोड़ रुपए
इस लेटर बम के मुताबिक, सुकेश चंद्रशेखर और दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जो खुद भी महीनों से तिहाड़ जेल में बंद है, के बीच बातचीत में कोड वर्ड Bro SJ था। इसी तरह से 15 kg Ghee का मतलब 15 करोड़ और 25g Ghee मतलब 25 करोड़ रुपए। इसी तरह चैट में इस्तेमाल होने वाले कोडवर्ड Hyd का मतलब Hyderabad और Sister कोड वर्ड के. कविता (K Kavita) के लिए फिक्स था। चैट में कुछ स्थानों पर AK Bhai का भी इस्तेमाल देखने को मिलता है। जिसका मतलब अरविंद केजरीवाल था।
दिल्ली शराब घोटाला किस तरह अंजाम दिया गया और इससे सरकार को कितना नुकसान हुआ, इस पर एक नजर –
ED अदालत में तीन हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की
पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शराब घोटाला मामले में दिल्ली की अदालत में तीन हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की और कहा कि जांच अभी जारी है। ED ने कोर्ट को बताया कि हम अभी सिर्फ समीर महेंद्रू के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर रहे हैं, जल्द ही दूसरे आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाएगी। अब जैसे-जैसे ED अपनी जांच पूरी कर रही है दिल्ली के शराब घोटाले से एक-एक कर पर्दा उठता जा रहा है। दिल्ली की नई शराब पॉलिसी को बनाने के पीछे इनके बदनीयत इरादे और आकांक्षाएं साफ होती नजर आ रही हैं।
दिल्ली सरकार को 2873 करोड़ रुपये का नुकसान
यह बात भी सामने आई है कि शराब की पॉलिसी मेकिंग में ऐसे लोगों को शामिल किया गया जो अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के करीबी थे। इससे यह बात साफ हो जाती है कि इस घोटाले की जानकारी केजरीवाल और सिसोदिया दोनों को थी। दिल्ली शराब घोटाले के मुख्य किरदार मनीष सिसोदिया के करीबी विजय नायर थे जिसने शराब माफिया से करोड़ों रुपये वसूले और 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन का 6 प्रतिशत हिस्सा अवैध रूप से AAP को वापस किया। इस तरह दिल्ली सरकार को 2873 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
नई शराब नीति में कमीशन ढाई फीसदी से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया
नई शराब नीति में कमीशन ढाई फीसदी से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया जिससे 6 प्रतिशत कमीशन आम आदमी पार्टी को मिल सके। ये सच सामने आने के बाद भी अरविंद केजरीवाल कहते रहे कि कोई घोटाला नहीं हुआ। ये सभी कट्टर ईमानदार हैं। लेकिन यहां सवाल उठता है कि अगर घोटाला नहीं हुआ तो केजरीवाल सरकार ने नई पालिसी को छोड़कर पुरानी पालिसी पर जाने का फैसला क्यों किया। अगर घोटाला नहीं हुआ तो आरोपी नंबर एक मनीष सिसोदिया आबकारी से संबंधित फाइलें क्यों मंगवा रहे थे। अगर घोटाला नहीं हुआ तो सिसोदिया और उनके करीबी डिजिटल साक्ष्य जैसे मोबाइल आदि नष्ट क्यों कर रहे थे। अगर घोटाला नहीं हुआ तो केजरीवाल को बताना चाहिए कि कमीशन ढाई फीसदी से बढ़ाकर 12 प्रतिशत क्यों किया गया।
लाभ मार्जिन का 6 प्रतिशत हिस्सा अवैध रूप से AAP को दिया गया
दिल्ली में हुए शराब घोटाले में केजरीवाल और सिसोदिया के करीबियों ने शराब माफिया से करोड़ों रुपये वसूले और 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन का 6 प्रतिशत हिस्सा अवैध रूप से AAP को वापस दिया। इसके लिए पालिसी में ढाई प्रतिशत मार्जिन को बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया। इस काम के लिए दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत के सरकारी बंगले का दुरूपयोग से लेकर रेस्टोरेंट और बार मालिकों से इलेक्शन फण्ड के नाम पर वसूली करना भी शामिल है।
घोटाले से जुड़े डिजिटल एविडेंस के साथ ही फ़ोन नष्ट किए
एक्साइज पॉलिसी में जानबूझकर कुछ न कुछ कमी छोड़ना और फिर उसे ठीक करने के बहाने फंडिंग इकट्ठी करना ही आप का एकमात्र मकसद था। विजय नायर ने पूरी भूमिका निभाई जिससे इस घोटाले को अंजाम दे सके। इस घोटाले की केजरीवाल और सिसोदिया को जानकारी थी। यही वजह है कि घोटाले को अंजाम देने में इस्तेमाल किए गए सभी डिजिटल एविडेंस के साथ ही फ़ोन नष्ट कर दिए गए, जिससे यह साबित न हो कि किसकी जवाबदेही थी।
केजरीवाल करते हैं भ्रष्टाचारियों का महिमामंडन
अरविंद केजरीवाल ने सरकार में आते ही ना सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया, बल्कि भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने और उनका महिमामंडन करने में भी सारी हदें पार कर दी हैं। दरअसल केजरीवाल यह जानते हैं कि जब उनके करीबी पर फंदा कसेगा तो लपटें उन तक भी पहुंचेगी इसीलिए वे अपने मंत्रियों और नेताओं के बचाव में उतर आते हैं। एक तरफ केजरीवाल दिल्ली शराब घोटाले में फंसे उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया को ‘भारत रत्न’ देकर सम्मानित करने की मांग कर डाली तो इससे पहले मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसे दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री रहे सत्येंद्र जैन को ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित करने की मांग की थी।
शराब ठेकेदारों की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कराए
आबकारी नीति 2021-22 को तैयार करने और इसके क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार पर अपनी प्राथमिकी में सीबीआई ने कहा है कि इंडोस्पिरिट्स के एमडी समीर महेंद्रू ने नई दिल्ली के राजेंद्र प्लेस में स्थित यूको बैंक की शाखा में राधा इंडस्ट्रीज के खाते में 1 करोड़ रुपये की रकम भेजी थी। राधा इंडस्ट्रीज का प्रबंधन दिनेश अरोड़ा कर रहे हैं, जो दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया के करीबी सहयोगी हैं। इसके अलावा मुख्य सचिव नरेश कुमार की एलजी को सौंपी गोपनीय रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने कोरोना की आड़ में शराब ठेकेदारों की 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस ही माफ कर दी।
सिसोदिया के करीबी शराब लाइसेंसधारियों से एकत्रित करते थे अनुचित लाभ
सीबीआई की जांच में यह बात सामने आ चुका है कि मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायर, पर्नोड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल तथा इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू सक्रिय रूप से आबकारी नीति का निर्धारण और क्रियान्वयन संबंधी अनियमितताओं में शामिल थे। एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुरुग्राम में बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे, सिसोदिया के ‘करीबी सहयोगी’ हैं और आरोपी लोक सेवकों के लिए ‘शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभ के प्रबंधन और स्थानांतरण करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।
नई एक्साइज पॉलिसी में 100 प्रतिशत दुकानें निजी हाथों में सौंप दीं
दरअसल, दिल्ली सरकार के शराब घोटाले का खेल कोरोना काल में ही शुरू हो गया था। सरकार ने 17 नवंबर 2021 को दिल्ली में नई एक्साइज पॉलिसी लागू की। इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए। हर जोन में 27 दुकानें खुलनी थीं। इस तरह कुल मिलाकर 849 दुकानें खोलने की नीति थी। नई नीति लागू होने से पहले तक दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं, लेकिन नई नीति लागू होने के बाद 100 प्रतिशत दुकानें निजी हाथों को सौंप दी गई। आरोप लगे तो दिल्ली सरकार ने खोखला तर्क गढ़ा कि इससे रेवेन्यू 3,500 करोड़ रुपये बढ़ने की उम्मीद है। नई शराब नीति पर ऊंगलियां उठने लगी तो 1 सितंबर 2022 से फिर से पुरानी एक्साइज पॉलिसी लागू कर दी गई। अब शराब की दुकानें सरकारी एजेंसियां ही चलाती हैं।
लाइसेंस शुल्क में छूट, बिना मंजूरी के एल-1 लाइसेंस के विस्तार
सीबीआई की जांच में यह सामने आया है कि आबकारी नीति में संशोधन, लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने, लाइसेंस शुल्क में छूट/कमी, बिना मंजूरी के एल-1 लाइसेंस के विस्तार में अनियमितताएं की गईं। यह भी आरोप लगाया गया था कि इन कृत्यों से अवैध लाभ को निजी पक्षों द्वारा संबंधित लोक सेवकों को उनके खातों की पुस्तकों में गलत प्रविष्टियां देकर बदल दिया गया था। प्राथमिकी में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 के रूप में नामित किया गया है।
मुख्य सचिव की गोपनीय रिपोर्ट पर एलजी ने की सीबीआई जांच की सिफारिश
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और अन्य के खिलाफ ये पूरी कार्रवाई मुख्य सचिव नरेश कुमार की उस रिपोर्ट पर हो रही है, जिसमें एक्साइज पॉलिसी में गड़बड़ी होने का आरोप लगाया गया। ये रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी गई थी। मुख्य सचिव कुमार की रिपोर्ट पर एलजी ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इस रिपोर्ट में GNCTD एक्ट 1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के नियमों का उल्लंघन पाया गया था।
सिसोदिया ने टेंडर देने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया
जनमानस की यह जानने में दिलचस्पी जरूर होगी कि आखिर शातिर खिलाड़ी केजरीवाल और सिसोदिया इस सारे खेल में कैसे घिर गए। दरअसल, मुख्य सचिव की रिपोर्ट बताती है कि एक्साइज डिपार्टमेंट के प्रभारी होने के नाते मनीष सिसोदिया ने जानबूझकर ऐसे फैसले लिए। इसके आधार पर एलजी ने पाया कि आबकारी नीति को लागू करने में किस प्रकार की वित्तीय गड़बड़ियां हुईं। सिसोदिया पर एक्साइज पॉलिसी के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप है। मुख्य सचिव की रिपोर्ट में कहा गया था कि सिसोदिया ने कथित तौर पर टेंडर दिए जाने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। इसी रिपोर्ट में बताया गया कि शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए सिसोदिया के आदेश पर एक्साइज पॉलिसी के जरिए कोरोना के बहाने शराब ठेकेदारों के 144.36 करोड़ रुपये माफ किए गए।
शराब घोटाले में चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार की जांच में मिलीं ये 7 ‘खामियां’
1. मनीष सिसोदिया के निर्देश पर एक्साइज विभाग ने एयरपोर्ट जोन के एल-1 बिडर को 30 करोड़ रुपये रिफंड करने का निर्णय लिया। बिडर एयरपोर्ट अथॉरिटीज से जरूरी एनओसी नहीं ले पाया था। ऐसे में उसके द्वारा जमा कराया गया सिक्योरिटी डिपॉजिट सरकारी खाते में जमा हो जाना चाहिए था, लेकिन बिडर को वह पैसा लौटा दिया गया।
2. सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना एक्साइज विभाग ने 8 नवंबर 2021 को एक आदेश जारी करके विदेशी शराब के रेट कैलकुलेशन का फॉर्मूला बदल दिया और बियर के प्रत्येक केस पर लगने वाली 50 रुपए की इंपोर्ट पास फीस को हटाकर लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया, जिससे सरकार को रेवेन्यू का भारी नुकसान हुआ।
3. टेंडर दस्तावेजों के प्रावधानों को हल्का करके L7Z (रिटेल) लाइसेंसियों को वित्तीय फायदा पहुंचाया गया, जबकि लाइसेंस फी, ब्याज और पेनाल्टी न चुकाने पर ऐक्शन होना चाहिए था।
4. सरकार ने दिल्ली के अन्य व्यवसायियों के हितों को दरकिनार करते हुए केवल शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए कोविड काल में हुए नुकसान की भरपाई के नाम पर उनकी 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी, जबकि टेंडर दस्तावेजों में ऐसे किसी आधार पर शराब विक्रेताओं को लाइसेंस फीस में इस तरह की छूट या मुआवजा देने का कहीं कोई प्रावधान नहीं था।
5. सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के और किसी के साथ चर्चा किए बिना नई पॉलिसी के तहत हर वॉर्ड में शराब की कम से कम दो दुकानें खोलने की शर्त टेंडर में रख दी। बाद में एक्साइज विभाग ने सक्षम अथॉरिटीज से मंजूरी लिए बिना नॉन कन्फर्मिंग वॉर्डों के बजाय कन्फर्मिंग वॉर्डों में लाइसेंसधारकों को अतिरिक्त दुकानें खोलने की इजाजत दे दी।
6. सोशल मीडिया, बैनरों और होर्डिंग्स के जरिए शराब को बढ़ावा दे रहे लाइसेंसियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह दिल्ली एक्साइज नियमों, 2010 के नियम 26 और 27 का उल्लंघन है।
7. लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी किए बिना लाइसेंसधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए उनका ऑपरेशनल पीरियड पहले 1 अप्रैल 2022 से बढ़ाकर 31 मई 2022 तक किया गया और फिर इसे 1 जून 2022 से बढ़ाकर 31 जुलाई 2022 तक कर दिया गया। इसके लिए सक्षम अथॉरिटी यानी कैबिनेट और एलजी से भी कोई मंजूरी नहीं ली गई। बाद में आनन फानन में 14 जुलाई को कैबिनेट की बैठक बुलाकर ऐसे कई गैरकानूनी फैसलों को कानूनी जामा पहनाने का काम किया गया। शराब की बिक्री में बढ़ोतरी होने के बावजूद रेवेन्यू में बढ़ोतरी होने के बजाय 37.51 पर्सेंट कमी आई।