शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की स्थिति ‘माया मिली न राम’ वाली हो गई है। महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे खुद के बिछाए जाल में फंस गए हैं। भाजपा के साथ मिलकर शिवसेना ने विधानसभा का चुनाव लड़ा लेकिन सरकार बनाने की बात आई तो उद्धव ठाकरे सीएम बनने के लिए विपक्ष के साथ जा मिले। अब देवेंद्र फडणविस और अजीत पवार ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो उद्धव ठाकरे के पेट में दर्द होने लगा। महाराष्ट्र और देश की जनता उद्धव ठाकरे की घटिया राजनीति को बखूबी समझ रही है।
उद्धव ठाकरे जिम्मेदार
सवाल ये है कि आखिर महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के लिए कौन जिम्मेदार है। निश्चित तौर से इस संकट के लिए शिवसेना जिम्मेदार है। शिवसेना ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन नतीजे के बाद जनादेश का अपमान कर उद्धव ठाकरे विपक्षी पार्टियों से जा मिले। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिवेसना महायुति को जनादेश मिला। महाराष्ट्र की जनता ने महायुति के पक्ष में अपना फैसला सुनाया लेकिन उद्धव ठाकरे ने जनादेश कर अपमान किया और सीएम पद की लालच में विपक्ष के साथ सौदेबाजी करने लगे।
भाजपा सबसे बड़ी पार्टी
महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। चुनाव में बीजेपी को जहां 105 सीटें मिली वहीं शिवसेना को महज 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को सिर्फ 44 सीटें मिली है। चुनाव मेंं भाजपा-शिवसेना का गठबंधन था और इस लिहाज से देखें तो महाराष्ट्र की जनता ने महायुति के पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन उद्धव ठाकरे ने जनता जनार्दन के आदेश का अपमान किया।
चोर दरवाजे से सत्ता लेने की कोशिश
नैतिकता की दुहाई देने वाली कांग्रेस का दोहरा चेहरा उजागर हो गया है। कांग्रेस और एनसीपी के नेता पहले बा-बार कह रहे थे कि उन्हें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है। लेकिन मौका मिलते ही वो जोड़-तोड़ की राजनीति में शामिल हो गए और शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए खेल खेलने लगे। सूत्र बताते हैैं कि इस खेल में कांग्रेस के आलाकमान और एनसीपी मुखिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पुत्र मोह में फंस गए ठाकरे
मीडिया में ये भी खबरें आई कि उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य ठाकरे को गद्दी पर बैठाना चाहते हैं और इसलिए उन्होंंने भाजपा के विश्वासघात किया। चुनाव में बीजेपी (अन्य सहयोगियों के साथ) 150 सीटें और शिवसेाना ने 124 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन बीजेपी को 105 और शिवसेना को महज 56 सीटेें ही मिलीं लेकिन इसके बावजूद उद्धव ठाकरे पुत्रमोह में सीएम के कार्यकाल को ढाई-ढाई साल करने की जिद्द करने लगे लेकिन चुनाव प्रचार दौरान ये साफ था कि महाराष्ट्र की जनता ने देवेंद्र फडणवीस के नाम पर वोट दिए हैं।
मोदी है तो मुमकिन है
सुबह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद दोपहर में मुंबई में भाजपा पार्टी कार्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने साफ कहा कि मोदी है तो मुमकिन है। साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र को स्थिर सरकार देने का भी वादा किया।
पीएम मोदी ने दी बधाई
देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के शपथ लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर दोनों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि दोनोंं महाराष्ट्र के विकास के लिए काम करेंगे। इससे कुछ दिन पहले एनसीपी के नेता शरद पवार ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी, हालांकि बैठक के बाद शरद पवार ने इस बात से साफ इंकार किया कि उनकी प्रधानमंत्री से महाराष्ट्र की राजनीति पर कोई बात हुई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से किसानों की समस्याओं को लेकर बात हुई।
Congratulations to @Dev_Fadnavis Ji and @AjitPawarSpeaks Ji on taking oath as the CM and Deputy CM of Maharashtra respectively. I am confident they will work diligently for the bright future of Maharashtra.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 23, 2019
145 है मैजिक फिगर
महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए बहुमत का मैजिक फिगर 145 का है। विधानसभा चुनाव के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी को105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं। बीजेपी और शिवसेना चुनाव से पहले साथ थीं और ऐसे में दोनों के पास बहुमत का आंकड़ा था। हालांकि, शिवसेना ने गठबंधन तोड़ दिया और बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 40 सीटों की जरूरत हो गई।