दुनिया की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी सऊदी आर्मको भारत में 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। कंपनी ने अधिकारिक तौर पर भारत में अपना कार्यालय शुरू कर दिया। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट करते हुए कहा कि भारत, सऊदी अरब के लिए तेल और एलपीजी का सबसे बड़ा बाजार है। हाइड्रोकार्बन के क्षेत्र में यह कदम द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती प्रदान करेगा।
.@Saudi_Aramco is the largest supplier of Crude to India & is planning to expand operation in India by introducing more services functions. pic.twitter.com/EWECFYlkVZ
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) October 8, 2017
Saudi Aramco’s Office in India will help in turning the existing buyer-supplier relationship to a strategic partnership in the HC sector. pic.twitter.com/rhzc4sMtI3
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) October 8, 2017
They are also considering to establish an R&D Centre in India to leverage the highly educated and talented workforce available in India. pic.twitter.com/uRxwVJxCOI
— Dharmendra Pradhan (@dpradhanbjp) October 8, 2017
अमर उजाला की खबर के अनुसार आर्मको इंडियन ऑयल के कंशोर्शियम के साथ मिलकर के महाराष्ट्र में जल्द ही नई रिफाइनरी बनाने जा रही है। भारत में 19 प्रतिशत कच्चा तेल और 29 प्रतिशत एलपीजी सऊदी अरब से आयात होता है। वर्ष 2016-17 के दौरान भारत ने सऊदी अरब से 3.95 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार 9 अक्तूबर को ब्रिटेन की बीपी, रूस की रोसनेफ्ट, सऊदी आर्मको और ओएनजीसी, आईओसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज समेत शीर्ष वैश्विक तथा भारतीय कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों के साथ आज बैठक की। इस बैठक का मकसद तेल एवं गैस खोज एवं उत्पादन क्षेत्र में निवेश को गति देना है।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने मेक इन इंडिया की ओर एक और कदम बढ़ा दिया है।
एफडीआई में भारत सर्वोच्च
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में भारत अपना सर्वोच्च स्थान बनाए हुए हैं। मोदी सरकार के कार्यकाल में देश दुनिया में सबसे ज्यादा एफडीआई आकर्षित करने वाला देश बना है। वर्ष 2016 में देश में 809 परियोजनाओं में 62.3 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया। मेक इन इंडिया के इक्विटी प्रवाह में जबरदस्त बढ़ोतरी है। मोदी सरकार ने देश के सभी बड़े क्षेत्रों को एफडीआई के लिए खोल दिया। ढांचागत विकास के लिए मोदी सरकार ने कई क्षेत्रों में 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दे दी गई है। इससे मेक इन इंडिया को सीधे बढ़ावा मिलेगा।
नीतिगत पहल और निवेश
रक्षा उत्पादों का स्वदेश में निर्माण के लिए सरकार ने 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी हुई है। इसमें से 49 प्रतिशत तक की FDI को सीधे मंजूरी का प्रावधान है, जबकि 49 प्रतिशत से अधिक के FDI के लिए सरकार से अलग से मंजूरी लेनी पड़ती है।
स्वदेशी मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस
मेक इन इंडिया के जरिये रक्षा क्षेत्र में विदेशी निर्भरता खत्म करने की कोशिश की जा रही है। पिछले कुछ सालों में इसका बहुत ही अधिक लाभ भी मिल रहा है। रक्षा मंत्रालय ने भारत में निर्मित कई उत्पादों का अनावरण किया है, जैसे HAL का तेजस (Light Combat Aircraft), composites Sonar dome, Portable Telemedicine System (PDF),Penetration-cum-Blast (PCB), विशेष रूप से अर्जुन टैंक के लिए Thermobaric (TB) ammunition, 95% भारतीय पार्ट्स से निर्मित वरुणास्त्र (heavyweight torpedo) और medium range surface to air missiles (MSRAM)।
मेक इन इंडिया के दो युद्धपोत
अभी तक सरकारी शिपयार्डों में ही युद्धपोतों के स्वदेशीकरण का काम चल रहा था, लेकिन देश में पहली बार नेवी के लिए प्राइवेट सेक्टर के शिपयार्ड में बने दो युद्धपोत पानी में उतारे गए हैं। रिलायंस डिफेंस एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड ने 25 जुलाई, 2017 को गुजरात के पीपावाव में नेवी के लिए दो ऑफशोर पैट्रोल वेसेल (OPV) लॉन्च किए, जिनके नाम शचि और श्रुति हैं।
F-16 का मेनटेनेंस हब बनेगा भारत
अमरीकी एयरोस्पेस कंपनी लॉकहीड मार्टिन को अगर भारत में एफ-16 विमान बनाने की अनुमति मिल गई तो भारत एफ-16 विमानों के रखरखाव का ग्लोबल हब बन सकता है। ऐसी उम्मीद है कि लॉकहीड मार्टिन टाटा के साथ मिलकर भारत में एफ-16 के ब्लॉक 70 का निर्माण करेगी। दरअसल इस वक्त दुनिया में करीब 3000 एफ-16 विमान हैं। भारत इनकी सर्विसिंग का केंद्र बन सकता है।
भारत में बनाओ, भारत में बना खरीदो
इस नीति के तहत रक्षा मंत्रालय ने 82 हजार करोड़ की डील को मंजूरी दी है। इसके अतर्गत Light Combat Aircraft (LCA), T-90 टैंक, Mini-Unmanned Aerial Vehicles (UAV) और light combat helicopters की खरीद भी शामिल है। इस क्षेत्र में MSME को प्रोत्साहित करने के लिए कई सुविधाएं दी गई हैं।
बुलेट ट्रेन से मेक इन इंडिया को मिलेगा बढ़ावा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुलेट ट्रेन परियोजना से देश विकसित राष्ट्रों के समकक्ष आकर खड़ा हो जाएगा। बुलेट ट्रेन से देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और साथ ही देश के पर्यटन, प्रौद्योगिकी, प्रतिभा और व्यापार को भी सीधे लाभ पहुंचेगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से मेक इन इंडिया परियोजना को बढ़ावा मिलेगा। निकट भविष्य में बुलेट ट्रेन के कल-पूर्जों का निर्माण देश में ही होने की उम्मीद है। परियोजना से न केवल देश के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा बल्कि देश में नई प्रौद्योगिकी का भी विकास होगा।
मैन्युफैक्चरिंग में 14 प्रतिशत की वृद्धि
मेक इन इंडिया की सफलता विनिर्माण क्षेत्र की देन है। बीती तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र 14 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहा है। इस तरह विनिर्माण क्षेत्र अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है। अप्रैल 2012 से सितंबर 2014 के 35.52 बिलियन डॉलर के मुकाबले अक्तूबर 2014 से मार्च 2017 के दौरान यह बढ़कर 40.47 बिलियन डॉलर हो गया।
95 मोबाइल कंपनियों ने लगाया यूनिट
भारत तेजी से इलेक्ट्रॉनिक एंड मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग का हब बनता जा रहा है। निवेशकों के बढ़े भरोसे का अंदाजा इस बात से भी लगता है कि बीते तीन सालों में 95 मोबाइल कंपनियों ने भारत में अपना यूनिट लगाया है। मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों में से 32 ने तो केवल नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फैक्ट्रियां लगाई हैं।
NRI रोज खोल रहे 3 से 4 स्टार्टअप्स
अमेरिका में जॉब कर रहे भारतीय आईआईटीयन अब नौकरी छोड़कर देश में आकर औसतन 3 से 4 स्टार्ट अप रोज शुरू कर रहे हैं। वहीं देश के यंग आंत्रप्रेन्योर अपना कारोबार तेजी से बढ़ा रहे हैं और इन्वेस्टर से अरबों रुपए का निवेश पा रहे हैं। अमेरिका में सिलिकॉन वैली में नई खोज में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी आईटी बेस्ड इनोवेशन की होती है और इसमें से 14 प्रतिशत का क्रेडिट भारतीयों को जाता है।
टेक्नोलॉजी एंड टैलेंट में भारत आगे
बीते कुछ वर्षों में भारत ने साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। ISRO द्वारा एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च के करने के बाद भारत की धाक बढ़ी है। भारत ने पूरे विश्व में अपने इंजीनियर और साइंटिस्ट के लिए बड़ी मांग पैदा की है। दुनिया में अब भारत से टॉप स्तर के टेक्नोलॉजी और साइंटिफिक ब्रेन को अपने यहां खींचने की होड़ लग गई है।
विदेशी निवेश में चीन को पछाड़ा
2015 में पहली बार भारत ने चीन को विदेशी निवेश के मामले में पीछे छोड़ दिया था। जहां भारत को 63 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मिला था वहीं चीन को महज 56 बिलियन और अमेरिका को महज 59 बिलियन डॉलर मिला था।
74,650 नई कंपनियों का पंजीकरण
मोदी सरकार के उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के कारण देश में इस वर्ष अभी तक के 8 महीनों में 74,650 नई कंपनियों का पंजीकरण हो चुका है। कारपोरेट कार्य मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार जनवरी-अगस्त 2017 की अवधि के दौरान 74,650 नई कंपनियां स्थापित की गईं हैं। अकेले अगस्त महीने में 9, 413 कंपनियां पंजीकृत हुईं जबकि मार्च में सर्वाधिक 11,293 कंपनियों का पंजीकरण किया गया।