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CM Gehlot पर दोतरफा हमला: पायलट आर-पार की लड़ाई को तैयार, बगावत के दोषी नेताओं और राजस्थान पर जल्द फैसला ले हाईकमान, उधर बीजेपी ने भी गहलोत को बताया सिर्फ ‘घोषणाजीवी’

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राजस्थान में सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत का मामला ठंडा पड़ता नजर नहीं आ रहा है। इसी साल के आखिरी में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत अभी से तेज हो गई है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने गहलोत खेमे की बगावत पर अब तक कार्रवाई न होने को लेकर नाराजगी जताई है। पायलट ने विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं होने वाले सीएम अशोक गहलोत समर्थक विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठा दी है। उन्होंने सीधे-सीधे आरोप जड़ा है कि हाईकमान दोषी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में अत्यधिक देरी कर रहा है। पार्टी को जल्द फैसला करना ही होगा। दूसरी ओर बीजेपी ने भी विधानसभा में सीएम गहलोत को घेरते हुए उन्हें घोषणाजीवी की संज्ञा दी है। बीजेपी ने कहा है कि गहलोत ने बजट में कभी पूरी न होने वाली घोषणाएं की हैं।

गहलोत वर्सेज पायलट की लड़ाई में अब सचिन खेमे के पास आखिरी मौका
दरअसल, गहलोत वर्सेज पायलट की लड़ाई में अब सचिन खेमे के पास आखिरी मौका ही बचा है। राहुल गांधी की यात्रा निकलने के बाद हाईकमान ने गहलोत के बजट पेश करने तक पायलट गुट को सब्र करने के संकेत दिए थे। गहलोत ने न सिर्फ 10 फरवरी को बजट पेश कर दिया है, बल्कि 16 फरवरी को विधानसभा में बजट भाषण पर जवाब भी दे चुके हैं। हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा 26 जनवरी से शुरू हो चुकी है। ऐसे में अब विधानसभा चुनाव तक ऐसा कोई बड़ा कारण या मुद्दा नहीं है, जो हाईकमान को राजस्थान पर फैसला करने से रोके। यही वजह है कि पायलट गुट ने हाईकमान पर अपने पक्ष में फैसला लेने के लिए दबाव की राजनीति को तेज करने की रणनीति पर अमल कर रहा है। पहले गहलोत समर्थित नेता और विधायक ही बयानबाजी कर रहे थे, अब खुद सचिन पायलट ही मैदान में उतर आए हैं।सोनिया के आदेश की खुली अवहेलना करने के दोषी नेताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं
कांग्रेस हाईकमान को सीधा संदेश देने के लिए सचिन पायलट ने दिल्ली में ही मीडिया से राजस्थान के बारे में दो-टूक बातचीत की। पायलट ने साफ कहा कि गहलोत खेमे के उन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में पार्टी कोताही बरत रही है, जिन्होंने 25 सितंबर को हाईकमान के खिलाफ खुली बगावत की थी। हाईकमान के जिन दो आब्जर्वर के खिलाफ अनुशासनहीनता की गई, उनमें से एक मल्लिकार्जुन खरगे थे, जो कि अब कांग्रेस अध्यक्ष हैं। ऐसे में दोषी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आने के बजाए देरी ही हो रही है। पायलट ने साफ कहा कि पार्टी को अब जल्द से जल्द फैसला करना होगा, वरना….!! पायलट ने कहा कि अनुशासन और पार्टी के रुख का अनुपालन सभी के लिए समान है, व्यक्ति बड़ा हो या छोटा। साथ ही उन्होंने कहा, अनुशासनात्मक समिति ही तत्कालीन पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के खिलाफ खुली अवहेलना के संबंध में निर्णय में विलंब का सबसे अच्छा जवाब दे सकती है। गौरतलब है कि इस मामले में सीएम गहलोत को दिल्ली जाकर सोनिया गांधी ने माफी मांगनी पड़ी थी।विधायक दल की बैठक के समानांतर बैठक बुलाना गहलोत गुट की अनुशासनहीनता
सचिन पायलट ने कहा कि पिछले साल 25 सितंबर को जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायक दल की बैठक बुलाई थी, वह बैठक नहीं हुई। केंद्रीय पर्यवेक्षक अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे थे। बैठक में जो कुछ भी होता, वह एक अलग मुद्दा है। सहमति या असहमति, लेकिन बैठक नहीं होने दी गई। बल्कि इसके समानांतर बैठक कर ली गई और ज्यादातर विधायक न सिर्फ उसमें पहुंचे, बल्कि दबाव बनाने के लिए इस्तीफे भी विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को दे दिए। पायलट ने कहा, मुझे मीडिया के जरिए जानकारी मिली कि गहलोत के समर्थकों ने नोटिस पर जवाब दे दिया, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।जांच कमेटी ने जिनको अनुशासन तोड़ने का दोषी पाया, उन्हें बचाया जा रहा
विधायक दल की बैठक नहीं होने के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने जांच के लिए कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने कई नेताओं को अनुशासन तोड़ने का दोषी पाया था। हालांकि, इसको लेकर कोई एक्शन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि एक्शन क्यों नहीं हुआ, इसका सही जवाब अनुशासनात्मक कमेटी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ही दे सकेंगे। दरअसल, बीते साल कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के समय राजस्थान कांग्रेस की कलह एक बार फिर खुलकर सामने आ गई थी। अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर सियासत गरमा गई थी। नेतृत्व परिवर्तन को लेकर जयपुर में विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी, जिसके लिए कांग्रेस आलाकमान ने अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे को जयपुर भेजा था।गहलोत समर्थक विधायक सचिन को नहीं बनाना चाहते थे मुख्यमंत्री
इसी बीच गहलोत समर्थक विधायकों ने बगावत कर दी थी। गहलोत समर्थक विधायक मुख्यमंत्री के तौर पर सचिन पायलट के नाम पर राजी नहीं थे। इस बगावत के बाद ये बैठक नहीं हो पाई थी। कांग्रेस ने इस घटनाक्रम को लेकर प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक एवं पीएचईडी मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर को उस समय नोटिस जारी किए थे। इस घटनाक्रम के बाद अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बयानबाजी भी हुई थी। अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को गद्दार करार देते हुए कहा था, उन्होंने पार्टी के साथ गद्दारी की थी। इसलिए उन्हें कभी मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता। इस पर सचिन पायलट ने भी पलटवार करते हुए अशोक गहलोत को इस तरह के बचकाने बयान न देने की नसीहत दी थी।घोषणावादी मुख्यमंत्री के वादे धरातल पर कहीं दिखाई नहीं देते- बीजेपी
दूसरी ओर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां समेत बीजेपी ने मुख्यमंत्री पर हमला बोला है। पूनियां ने कहा कि गैंगरेप और गैंगवार की लगातार घटनाएं प्रदेश पर कलंक हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पिछली घोषणाएं और वादे को पूरा करने के बजाय बजट में सिर्फ घोषणाएं करने में ही व्यस्त हैं और अपनी कुर्सी बचाने के जुगाड़ में लगे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ‘घोषणाजीवी’ हैं। वह पिछले चार वर्षों से केवल घोषणाएं कर रहे हैं, लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी गहलोत सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा जनता भुगत रही है। अपराध का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है और अपराधियों में कोई खौफ नहीं है। उन्होंने दावा किया कि राजस्थान महिलाओं के खिलाफ अपराध में पहले स्थान पर पहुंच गया है।”

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