Home नरेंद्र मोदी विशेष शानदार व्यक्तित्व और दमदार प्रतिनिधित्व के मालिक हैं प्रधानमंत्री मोदी

शानदार व्यक्तित्व और दमदार प्रतिनिधित्व के मालिक हैं प्रधानमंत्री मोदी

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किसी देश का नेतृत्व ऐसे हाथ में हो जिनकी सोच रचनाशील और दृष्टि विकासशील हो तो वह राष्ट्र आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और सामरिक स्तर पर एकीकृत रूप में तेज गति से विकास करता है। सौभाग्य से भारत के पास वर्तमान में ऐसा ही नेतृत्व मौजूद है जिनकी अगुवाई में देश समग्र विकास के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है।

अर्थव्यवस्था हो या विदेश नीति, शिक्षा हो या सामाजिक क्षेत्र, महंगाई हो या बेरोजगारी, भ्रष्टाचार हो या फिर सीमा पार की चुनौतियां… सभी क्षेत्रों में मोदी सरकार ने बीते 46 महीनों में प्रतिबद्धता के साथ बेहतरीन कार्य किए हैं।

18 अप्रैल, 2018 को जब लंदन में वे ‘भारत की बात, सबके साथ’ कार्यक्रम में सवालों का जवाब दे रहे थे तो देश-दुनिया उनके विजन से एक बार फिर रूबरू हुआ।

देश में लगातार बनाए जा रहे नकारात्मक वातावरण के बीच उन्होंने जिस सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण का अपना दृष्टिकोण सबके सामने रखा वह प्रशंसनीय है। वस्तुत: हम यह कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के इस एक कार्यक्रम ने न सिर्फ देश के लोगों में सकारात्मकता का संचार किया, बल्कि देश का मिजाज बदलकर रख दिया है।

मंच देशी हो या विदेशी, प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा अपने आचरण और वक्तव्यों से भारत के लोकतंत्र की ताकत को नया आयाम दिया है। वे जब कहते हैं, ”लोकतंत्र में जनता जनार्दन ईश्वर का रूप है, वो फैसला कर ले तो एक चाय बेचने वाला भी उनका प्रतिनिधि बनकर रॉयल पैलेस में हाजिरी लगा सकता है।” …  तो देश के लोकतंत्र की ताकत को सहज शब्दों में ही बयां कर जाते हैं।

लंदन के रॉयल पैलेस में बैठकर भी खुद को चायवाला कहने में वे जरा सा भी हिचक महसूस नहीं करते और यह भी कहने में गुरेज नहीं करते कि ”मुझे किताब पढ़कर गरीबी सीखनी नहीं पड़ी है। मैंने उस जिंदगी को जिया है।” जाहिर है यह कोई जमीन से जुड़ा नेता ही कर सकता है।

वे जब कहते हैं, ”फकीरी को इंजेक्ट नहीं किया जा सकता है, यह इनबिल्ट होती है। मैं अभाव में पैदा हुआ इसलिए मुझ पर किसी भी चीज का प्रभाव नहीं होता है।”  तो वे देश के करोड़ों दबे-कुचलों, शोषितों और वंचितों की आवाज बुलंद कर जाते हैं।

लंदन के फाइव स्टार वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हॉल में जब वे टॉयलेट बनाने, घर-घर बिजली पहुंचाने और देश की महिलाओं को धुएं से मुक्त करने की बात करते हैं, वे देश के समग्र विकास की चिंता करते हुए दिखते हैं। वे ‘अंत्योदय की अवधारणा के अग्रदूत’ जैसे लगते हैं। 

वे ऐसे राजनेता के तौर पर दिखते हैं जिन्हें समाज के हर वर्ग की चिंता है। वे जब ये कहते हैं, ”मैं गरीबों का सशक्तीकरण कर उनकी एक फौज तैयार करना चाहता हूं, जो गरीबी से लड़े। तभी गरीबी मिटेगी। गरीबी हटाओ के नारे से गरीबी नहीं हटेगी।” तो एक दृढ़ संकल्पित, दृढ़ निश्चयी राजनेता दिखते हैं।

उन्होंने जब कहा, ”बच्चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई, बुजुर्गों को दवाई, इन तीनों पर ही हमने विशेष ध्यान दिया।” इसके साथ ही जब वे यह कहते हैं कि ”मेरा विश्वास है कि लाखों समस्याएं हैं, तो सवा सौ करोड़ समाधान भी हैं। देश के लोगों की शक्ति पर मुझे भरोसा है।” तो वह एक महामानव की तरह दिखते हैं जो हर समस्या को समाधान जानते हैं।

विदेशी धरती पर बैठकर देश के दुश्मनों को सख्त संदेश देने का का साहस बीते वर्षों में शायद ही किसी प्रधानमंत्री ने दिखाई हो। लेकिन जब प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं, ”भारत आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा। आतंक का निर्यात करने वालों को मोदी उसी की भाषा में जवाब देना जानता है। भारत आंख झुकाकर या आंख उठाकर नहीं बल्कि आंख मिलाकर बात करने में विश्वास करता है।” तो यह देश की विदेश नीति की स्पष्टता को साफ-साफ बता जाता है।

व्यक्तित्व, वक्तव्य और प्रतिनिधित्व के सर्वाधिक धनी शख्सियत हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। आज पूरी दुनिया उनके प्रतिनिधित्व का कायल है। घरेलू राजनीति में वे जितने लोकप्रिय हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी उतनी ही पूछ है। अब तो विश्व के कई राजनेताओं ने भी पीएम मोदी को ग्लोबल लीडर माना है।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की बात कार्यक्रम में जब कहा, ”जब आप सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के संकल्प से चलते हैं तो निराश होने का कोई कारण नहीं होता है।”  वह दुनिया की चिंता करते हुए एक वर्ल्ड लीडर की भांति नजर आ रहे थे।

पेरिस डील पर अमेरिका के मुकरने के बाद जिस तरह से दुनिया ने भारत की ओर आशा भरी नजरों से देखा और प्रधानमंत्री मोदी ने जिस अंदाज में इंटरनेशनल सोलर अलायंस का गठन किया, वह कोई ‘वर्ल्ड लीडर’ ही कर सकता है। उन्होंने जब कहा, ”अगर नीति स्पष्ट हो, नीयत साफ हो, इरादे नेक हों और सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का इरादा हो तो इसी व्यवस्था से आप इच्छित परिणाम ले सकते हैं।” तो यह ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भारत की भावना को ऊंचा मंच प्रदान करने वाला बयान था।

वे जब कहते हैं कि ”मैं गलतियां कर सकता हूं, लेकिन गलत इरादों से कुछ नहीं करूंगा। मैंने देश को वादा किया है।” तो उनके विशाल व्यक्तित्व का दर्शन करता है। इसके साथ ही जब वे कहते हैं, ”जो लोग मुझ पर पत्थर फेंकते हैं, मैं उन पत्थरों से ही पथ बना लेता हूं और उसी पर चढ़कर आगे बढ़ता हूं।”  तो उनका दृढ़ निश्चय जाहिर करता है।

वे जब कहते हैं, ”गांधी जी ने आजादी को आंदोलन बना दिया था, मैं विकास को जन आंदोलन बना देना चाहता हूं।” तो उनकी नजरों में 2022 का न्यू इंडिया का विजन स्पष्ट दिखने लगता है।

दरअसल पीएम मोदी पर देश के आम लोगों का भरोसा और उम्मीद कायम है। वे सवा सौ करोड़ लोगों की आशा-आकांक्षा की उम्मीद बन गए हैं।

लगता है कि ईश्वर ने मुझे किसी अच्छे काम के लिए चुना है। मुझे अपने लिए जीने का अधिकार नहीं है। ईश्वर ने हर किसी को किसी निर्धारित काम के लिए चुना है। मान लीजिए अगर मैं एक ड्राइवर हूं तो मेरा फर्ज है कि अपने यात्रियों को सुरक्षित सफर कराऊं।– नरेन्द्र मोदी

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