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कतर के पर कतरने की तैयारी, नेवी ऑफिसर्स को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है मोदी सरकार

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खाड़ी देश कतर का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है। कई बुनियादी जरूरतों के लिए भारत पर निर्भर यह छोटा देश आज आतंकी संगठनों का संरक्षक बनकर मुस्लिम आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। कतर ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को जासूसी के झूठे मामले में मौत की सजा सुनाकर भारत को चुनौती दी है। अब मोदी सरकार ने भी कतर के इस दुस्साहस को गंभीरता से लिया और इसका जवाब देने के लिए कानूनी और कूटनीतिक कोशिशें शुरू कर दी हैं। मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस मुश्किल समय में भारतीय नागरिकों को बेसहारा नहीं छोड़ा जाएगा। उन्हें बचाने के लिए हर कानूनी और कूटनीतिक विकल्प पर विचार किया जा रहा है। कतर की कैद में भारतीयों को राजनयिक परामर्श देना जारी रखा जाएगा। 

इस मामले को बहुत ही गंभीरता से ले रहे हैं- भारत सरकार

भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से गुरुवार(26 अक्टूबर, 2023) को कहा गया कि कतर की अदालत में पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाने के फैसले से हैरान है। परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम से संपर्क किया जा रहा है। सभी कानूनी विकल्पों को देखा जा रहा है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि भारतीयों को हर संभव राजनयिक परामर्श दिया जाएगा। भारत सरकार ने कहा है कि हम इस मामले को बहुत ही गंभीरता से ले रहे हैं। हम कतर की अदालत के इस फैसले को वहां के अधिकारियों के सामने उठाएंगे। मामले की गंभीरता और जरूरी गोपनीयता को देखते हुए इस समय इस पर कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। 

नौसेना के पूर्व अधिकारियों के अपराध के बारे में भ्रम

पूर्व सैनिकों को अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था। हैरानी की बात यह है कि जिन लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है, उन्हें भी नहीं पता है कि उनका दोष क्या है। उनके परिवार वालों को भी पता नहीं है कि उन्हें किस अपराध में सजा दी गई है। दोहा में भारतीय राजदूत ने भी इस साल एक अक्टूबर को इन पूर्व अधिकारियों से मुलाकात की थी। भारतीय राजदूत को भी पता नहीं है कि इन अधिकारियों का अपराध क्या है? कहा जा रहा है कि ये सभी अफसर किसी सबमरीन प्रोजेक्ट से जुड़े थे और इसका सीक्रेट इजरायल से शेयर कर रहे थे। 

भारतीयों को फांसी की सजा दे पाना कतर के लिए होगा मुश्किल

भारत ने इस मामले को जिस तरह गंभीरता से लिया है, उससे पता चलता है कि पूर्व नौसेना अधिकारियों को फांसी की सजा दे पाना कतर के लिए उतना आसान नहीं होगा, जितनी आसानी से सजा सुना दी गई है। भारत के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपील करने का विकल्प मौजूद है। इस विकल्प का इस्तेमाल भारत ने पाकिस्तान की कैद में मौजूद पूर्व नेवी अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले में किया था। इसके अलावा भारत कतर के अमीर तमीम बिन अहमद अल थानी से माफी की अपील कर सकता है। इसके अलावा भारत और कतर के बीच 2015 में हुआ एक समझौता वरदान साबित हो सकता है। इस समझौते के तहत अगर भारत के किसी नागरिक को कतर में अथवा कतर के किसी नागरिक को भारत में सजा सुनाई जाती है तो ऐसे व्यक्तियों को उनके मुल्क प्रत्यर्पित किया जा सकता है। जहां वे बाकी सजा पूरी कर सकें। लेकिन इस विकल्प को अपनाने से भारत की छवि पर असर पड़ने का खतरा है।

कतर को भी आतंकी देश घोषित करने की हो सकती है मांग 

दुनिया भर में मुस्लिम आतंकवाद को फंडिंग करने वाले कतर आज वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है। यह हमास, अलकायदा, इस्लामिक स्टेट, हिजबुल्लाह, मुस्लिम ब्रदरहुड, अल नुसरा फ्रंट को फंड देता है। ऐसे में पाकिस्तान की तरह कतर को भी आतंकी देश घोषित करने की मांग उठ सकती है। कतर और भारत व्यापारिक तौर पर एक दूसरे पर निर्भर है। अगर भारत को कतर की तरफ से गैस सप्लाई होती है तो वहीं दूसरी तरफ भारत भी भारी मात्रा में कतर को अनाज भेजता है। अगर भारत सख्त कदम उठाता है तो कतर से गैस लेना बंद कर सकता है। भारत किसी दूसरे अरब देश से गैस का आयात कर सकता है। इसका नुकसान कतर को उठाना पड़ सकता है। 

भारत के सख्त कदम से कतर की अर्थव्यवस्था को हो सकता है नुकसान

कतर में आठ लाख भारतीय रहते हैं और यह उस देश का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। इसके अलावा कतर को भारत की जरूरत ज्यादा है। कतर की जो अर्थव्यवस्था है, उसमें भारतीयों का एक बड़ा योगदान है। कतर के इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में भारतीय कामगारों का अहम योगदान है। ऐसे में अगर रिश्ते खराब होते हैं तो भारत अपने नागरिकों को वापस बुला सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि मोदी सरकार देश और भारतीयों के हित में कूटनीतिक फैसले लेने में हिचकती नहीं है। कनाडा इसका ताजा उदाहरण है। मोदी सरकार हालात की गंभीरता को देखते हुए सख्त कदम उठा सकता है।

कतर के लगातार दुस्साहस का मिलेगा करारा जवाब

कतर लगातार भारत के खिलाफ काम कर रहा है। नूपुर शर्मा मामले में भी कतर ने मुखर होकर भारत का विरोध किया था। कतर ने भारत के तत्कालीन उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के डिनर को रद्द कर दिया था। जो उस समय कतर के मेहमान थे। कतर ने भारत के भगोड़े जाकिर नाइक को अपने देश में सम्मान दिया। फीफा वर्ल्डकप -2022 में जाकिर नाइक की एंट्री पर विवाद हुआ था। जाकिर नाइक के आने पर भारत ने कतर के सामने नाराजगी जाहिर की थी। कतर ने बताया कि जाकिर नाइक को आमंत्रित नहीं किया गया था। हिन्दू देवी- देवताओं पर विवादित पेंटिंग बनाने वाले मशहूर चित्रकार एमएफ हुसैन को कतर के शाही परिवार ने 2010 में अपने देश की नागरिकता देकर सम्मानित किया था।

कतर की कैद में प्रवासी भारतीय पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति भी शामिल 

गौरतलब है कि नौसेना के पूर्व अधिकारियों को 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया गया था। तभी से ये लोग कतर की कैद में हैं। इनके खिलाफ मुकदमे की शुरुआत इस साल 29 मार्च को शुरू हुई थी। ये लोग कतर में अल दहरा सिक्योरिटी कंपनी में काम कर रहे थे। यह कंपनी कतर के अधिकारियों के साथ मिलकर कतर के नौसनिकों को ट्रेनिंग भी दे रही थी। जिन आठ लोगों को कतर ने अपनी कैद में रखा है, उनमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ , कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश शामिल है। इनमें पूर्णन्दु तिवारी को 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रवासी भारतीय पुरस्कार से सम्मानित किया था। 

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