प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व और दूरदर्शी विजन के चलते भारत में सड़क, सुरंग, ब्रिज, मेट्रो और एयरपोर्ट से लेकर कई इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास बेहद तेजी से हो रहा है। इस साल जबकि पीएम मोदी के तीसरे टर्म का चुनाव होगा, तब यह सुखद संयोग है कि कई सिग्नेचर प्रोजेक्ट इसी साल पूरे होने जा रहे हैं, जो आर्थिक प्रगति, सामरिक शक्ति और वैश्विक स्तर के विकास को नई ऊर्जा देंगे। इस साल नवी मुंबई और नोएडा स्थित जेवर समेत 12 एयरपोर्ट मिलेंगे। यही नहीं, दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज चिनाब से इस साल ट्रेन गुजरने लगेगी। यह ब्रिज देश को श्रीनगर से हर मौसम में जोड़े रखेगा। इससे घाटी में इकोनॉमिक और टूरिज्म गतिविधियों में तेजी आएगी। घाटी में सप्लाई और सैन्य पहुंच भी निर्बाध रूप से हो सकेगी। क्षेत्र में फ्यूल की खपत 60% कम होने का अनुमान है। 359 मीटर ऊंचा यह ब्रिज एफिल टॉवर व स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को भी ऊंचाई के मामले में पछाड़ देगा।बेहतर इंफ्रा, इकोनॉमी और कनेक्टिविटी से 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बनेगा
इसी साल में ही बहुप्रतीक्षित दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे, रेलवे का डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जैसी कई इंफ्रा परियोजनाओं का शुभारंभ होगा। कुल मिलाकर देश के इन बड़े प्रोजेक्ट के निर्माण पर करीब 13 लाख करोड़ रुपए लगे हैं। इनके अलावा, 12,500 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग और अन्य 12 हजार किमी हाइवे पर इस साल काम शुरू होगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुताबिक नीतिगत बदलाव और इंफ्रा प्रोजेक्ट के बूते भारत 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए पूंजीगत खर्च 30% बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। लक्ष्य बेहतर इंफ्रा और कनेक्टिविटी के बूते 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है।
आइये जानते हैं भारत के टॉप-5 वो सिग्नेटर प्रोजेक्ट जो इस साल विकास की तेज रफ्तार से देश की दशा और दिशा को बदलकर रख देंगे…
1. सबसे लंबा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे: इससे सालाना 32 करोड़ लीटर फ्यूल बचेगा
भारत के इतिहास में दिल्ली-मुंबई के बीच सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे मोदी सरकार में बनाया जा रहा है। देश का ये सबसे लंबा एक्सप्रेसवे, नोएडा एयरपोर्ट से भी जुड़ेगा। 1,352 किमी लंबा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे 6 राज्यों दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात को जोड़ेगा। दिल्ली से मुंबई 12 घंटे में पहुंच सकेंगे, जबकि अभी 25 घंटे लगते हैं। लैंडलॉक स्टेट दिल्ली, हरियाणा, एमपी, राजस्थान बंदरगाहों से सीधे जुड़ेंगे। 12 शहरों में एक्सपोर्ट व मैन्युफैक्चरिंग हब बनेंगे। लॉजिस्टिक लागत 8% घटेगी। छोटे शहरों के डेयरी उत्पाद, फल-सब्जियों को भी दिल्ली-मुंबई के बाजार मिलेंगे। हर 50 किमी पर एंट्री व एग्जिट गेट्स होंगे। 40 से अधिक इंटरचेंजिंग पॉइंट्स के साथ जयपुर, कोटा, वडोदरा, सूरत, इंदौर, भोपाल सहित प्रमुख शहरों को जोड़ता है। इस हाइवे पर 55 एयरस्ट्रिप हैं, जहां फाइटर प्लेन भी उतर सकेंगे। इस एक्सप्रेस-वे से सालाना 32 करोड़ लीटर फ्यूल बचेगा। 86 करोड़ किलो कार्बन उत्सर्जन घटेगा। चार करोड़ पेड़ ही इतना प्रदूषण घटा सकते हैं।
2. सबसे बड़ा जेवर एयरपोर्ट: एक लाख एयर ट्रैफिक मूवमेंट और 1.2 करोड़ यात्री क्षमता
दिल्ली एयरपोर्ट से 70 किमी दूर 1334 हेक्टेयर में नोएडा एयरपोर्ट का काम चल रहा है। पहले चरण में रनवे पर बन रहे एप्रन में 28 एयरक्राफ्ट पार्क हो सकेंगे। सालाना एक लाख एयर ट्रैफिक मूवमेंट हो सकेंगे और यात्री क्षमता 1.2 करोड़ होगी। पहले चरण का 75% काम हो चुका है। 2 रनवे व 38 मी. ऊंची एटीसी बिल्डिंग तैयार है। एक लाख वर्ग फीट में टर्मिनल बिल्डिंग आकार ले चुकी है। चार चरण पूरे होने के बाद यह 6 रनवे के साथ दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। यात्री हैंडलिंग क्षमता 22 करोड़ से अधिक होगी। यह 100% एफडीआई प्रोजेक्ट है। साल के आखिरी में 65 फ्लाइट के साथ एयरपोर्ट का संचालन शुरू होगा। एयरपोर्ट को यूनिक इंटरनेशनल कोड डीएक्सएन मिला है। पहला चरण रिकॉर्ड 3 साल में पूरा हो रहा है। आगामी वर्षों में यहां एमआरओ भी स्थापित होगा। इससे मरम्मत के लिए बड़े प्लेन विदेश नहीं भेजने पड़ेंगे। देश के सबसे बड़े इस एयरपोर्ट का बजट 15754 करोड़ रुपये है।
3. सबसे बड़ा मालवाहक मार्ग: ये कॉरिडोर देश की लॉजिस्टिक लागत घटाकर आधी कर देगा
पीएम मोदी के विजन के चलते देश में पहली बार मालगाड़ियों के लिए स्वतंत्र कॉरिडोर बन रहा है। मालगाड़ी की मौजूदा औसत स्पीड 40 किमी/घंटा है, जो 150 किमी/घंटा हो जाएगी। 1,506 किमी लंबे वेस्टर्न कॉरिडोर का 80% काम पूरा हो चुका है। लोकसभा चुनाव के बाद इसके चालू होने की संभावना है। 1,337 किमी लंबा ईस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर शुरू हो चुका है। फ्रेट कॉरिडोर से हर किमी औसतन 72 ट्रक घट जाएंगे। 2030 तक 3 हजार मीट्रिक टन लोडिंग क्षमता होगी। देश की जीडीपी में लॉजिस्टिक कॉस्ट 15% है, जो घटकर 8% रह जाएगी। देश की 70% मालगाड़ियां यात्री ट्रैक से कॉरिडोर में शिफ्ट होंगी। इससे यात्री ट्रेनों की स्पीड बढ़ेगी। ट्रेन देरी से नहीं चलेंगी। स्पीड बढ़ने से ट्रेनें अधिक माल ढो सकेंगी। राजमार्गों पर ट्रक कम होंगे, जो देश का 63% माल ढोते हैं। इससे सड़कें भी पहले से अधिक सुरक्षित होंगी। सालाना 24 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त लॉजिस्टिक कॉस्ट बचेगी। प्रदूषण घटने से 17 हजार करोड़ रुपये का लाभ होगा।
4. सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज : इस ब्रिज ने एफिल टॉवर व स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को भी पछाड़ा
भारत के लिए यह गौरव की बात है कि दुनिया का सबसे ऊंचा चिनाब रेलवे ब्रिज यहां बनकर लगभग तैयार है। इस साल से 1.3 किमी लंबे ब्रिज से ट्रेन चलेगी। ये ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक का हिस्सा है। देश अब घाटी से हर मौसम में जुड़ा रहेगा। इकोनॉमिक और टूरिज्म गतिविधियों में तेजी आएगी। घाटी में सप्लाई निर्बाध रूप से हो सकेगी। सैन्य पहुंच भी आसान होगी। क्षेत्र में फ्यूल की खपत 60% कम होने का अनुमान है। 359 मीटर ऊंचा यह ब्रिज एफिल टॉवर व स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को भी पछाड़ता है। एफिलदुर्गम क्षेत्र में इसका निर्माण चुनौतीपूर्ण था। नॉर्वे की फोर्स टेक्नोलॉजी फर्म ने यहां कई विंड टनल टेस्ट किए। यह ब्रिज 260 किमी प्रति घंटे के तूफान का सामना कर सकता है। माइनस 20 डिग्री की सर्दी झेल सकता है। इसकी लाइफ 120 साल से भी ज्यादा है। ब्रिज ब्लास्ट प्रूफ स्टील से बना है। 40 किमी टीएनटी ब्लास्ट का असर तक नहीं होगा।5. सबसे बड़ी वर्कफोर्स हमारी: चीन में कामकाजी आबादी घट रही, हमारी बढ़ रही
भारत पिछले साल ही चीन का पछाड़कर आबादी के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा देश बन गया है। सबसे अहम बात यह है कि हमारी 15 से 64 वर्ष की वर्कफोर्स बढ़ रही है और दूसरे नंबर पर आए चीन की घट रही है। चीन में इस आयु वर्ग के लोगों की संख्या 0.7 प्रतिशत की दर से घट रही है। वहीं हमारे देश में इस उम्र की वर्क फोर्स की आबादी 0.72 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। 2012 से 2022 तक हमारी जनसंख्या वृद्धि औसतन 1.1 प्रतिशत रही। 1988 से 1998 के दशक में चीन में इतनी ही वृद्धि देखी गई थी। बीते सालों में भारत का टोटल प्रोडक्टिविटी फैक्टर भी चीन से अधिक रहा है। यानी कि हमें बढ़ती कामकाजी आबादी का लाभ मिलेगा। इसके अलावा देश के कालेजों में अब पुरुषों से अधिक महिलाएं हैं। खासकर स्टेम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंग्लिश और मैथ्स) में 43 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो दुनिया में सर्वाधिक हैं। 32 प्रतिशत के साथ अमेरिका इसमें दूसरे नंबर पर है। यह ट्रेंड भी बताता है कि अगले दशक में महिलाओं का वर्क फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 55 प्रतिशत तक होने की संभावना है।