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PM Modi के ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ के मंत्र से दुनिया का ‘डिफेंस पावर हाउस’ बनेगा भारत, एक दशक में डिफेंस इंपोर्टर से एक्सपोर्टर बना देश, डिफेंस शेयरों ने भी भरी उड़ान

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन और दूरगामी नीतियों के चलते ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत देश का रक्षा सामर्थ्य लगातार पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है। आकाश में गर्जना करते तेजस लड़ाकू विमान ‘मेक इन इंडिया’ के सामर्थ्य का प्रमाण हैं। हिन्द महासागर में मुस्तैद एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत ‘मेक इन इंडिया’ के विस्तार का जीवंत गवाह है। ये भारत के डिफेंस सेक्टर का परचम दुनियाभर में बुलंद करने के साथ ही बाकी देशों के लिए भी नया विकल्प और बेहतर अवसर बन रहा है। मोदी सरकार भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना चाहती है। यही वजह है कि पीएम मोदी ने अगले 5 साल में देश के रक्षा निर्यात को बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। डिफेंस शेयरों में 20% तक की तूफानी तेजी बता रही है कि मोदी सरकार की मजबूत विकास संभावनाओं, स्वदेशीकरण पर फोकस के कारण निवेशक इन शेयरों में खूब दांव लगा रहे हैं। गुजरात के वडोदरा में C-295 की मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी या फिर तुमकुरू में HAL की हेलीकॉप्टर यूनिट, ये सभी भारत की बढ़ती डिफेंस ताकत का नया अध्याय लिख रहे हैं। मोदी सरकार को भरोसा है कि देश में रक्षा क्षेत्र को मजबूती देने का सिलसिला आगे और भी तेज गति से बढ़ेगा, तो भारत रक्षा क्षेत्र में जल्द ही और दुनिया का डिफेंस पावर हाउस बनकर उभरेगा।

रक्षा मंत्रालय के करोड़ों को करार, डिफेंस स्टॉक्स से भी निवेशक मालामाल
भारत की बेहतर रक्षा नीतियों के चलते डिफेंस शेयर निवेशकों को मालामाल कर रहे हैं। बीते एक साल में ही कोचीन शिपयार्ड 688 प्रतिशत, मझगांव डॉक 242 प्रतिशत, एचएएल 184 प्रतिशत, बीईएमएल 198 प्रतिशत, गार्डन रीच 207 प्रतिशत, भारत डायनेमिक्स 171 प्रतिशत, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स 155 प्रतिशत, एस्ट्रा माइक्रोवेब 188 प्रतिशत, डेटा पैटर्न्स 60 प्रतिशत और पारस डिफेंस 126 प्रतिशत चढ़ा है। मंगलवार को ही 20 प्रतिशत तक डिफेंस स्टॉक्स चढ़े हैं। इनमें सबसे ज्यादा इजाफा गार्डन रीच और कोचीन शिपयार्ड में हुआ है। दूसरी ओर भारत के रक्षा मंत्रालय के हाल के ही ऑर्डर पर एक नजर डालें तो 39125 करोड़ के पांच सौदे, 92000 करोड़ के सौदे घरेलू डिफेंस कंपनियों को और 45000 करोड़ रूपये का ऑर्डर 156 प्रंचड हेलिकॉप्टर के लिए, करीब 800 करोड़ रूपये की डील मिलिट्री उपकरण के लिए की है। मझगांव डॉक को 1070 करोड़ रुपये का ऑर्डर कोस्ट गार्ड के लिए और पेट्रोल बेसल्स के लिए मिला है।

भारत बन रहा नया विकल्प, 7 साल में रक्षा निर्यात करीब 13 गुना बढ़ा
पहली बार मोदी सरकार आने के बाद एक दशक में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत ने अपने रक्षा क्षेत्र का कायाकल्प कर दिया है। वह भी तब, जबकि रक्षा क्षेत्र की तकनीक, बाजार और बिजनेस को सबसे ज्यादा जटिल माना जाता है। 21वीं सदी में हमारा देश डिफेंस सेक्टर में बिल्कुल नई राह पर चल रहा है। 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य के साथ रक्षा क्षेत्र की तस्वीर भी बदलने में लगी है। सुधार के रास्ते हर क्षेत्र में आमूल-चूल बदलाव लाया जा रहा है। भारत दशकों से दुनिया का सबसे बड़ा डिफेंस इंपोर्टर रहा है, लेकिन मोदी सरकार आने के बाद अब हालात एकदम बदल चुके हैं। भारत आज दुनिया के 75 देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है। रक्षा निर्यात की बात करें तो 2016-17 में यह 1522 करोड़ रूपये था, जो 2023-24 में बढ़कर 21,083 करोड़ रूपये हो गया है। यानी पिछले 7 साल में देश का रक्षा निर्यात करीब 13 गुना बढ़ा है, जो डिफेंस सेक्टर में भारत के मजबूत कदमों की ओर साफ संकेत करता है।

रक्षा निर्यात बढ़ाने के लिए प्राइवेट सेक्टर को मिल रहा निरंतर प्रोत्साहन
इतना ही नहीं मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के इस पहले वित्तीय वर्ष में ही रक्षा निर्यात को डेढ़ बिलियन से बढ़ाकर 5 बिलियन डॉलर तक लेने जाने के लक्ष्य पर आगे बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में भारत, दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस मैन्युफैक्चरर देशों में शामिल होने के लिए तेजी से कदम उठाएगा। इस दिशा में निजी क्षेत्र और निजी निवेशकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। पीएम मोदी भी देश के प्राइवेट सेक्टर को भारत के रक्षा क्षेत्र में बढ़-चढ़कर निवेश करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। इसी दिशा में भारत में रक्षा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) को मंजूरी देने के नियमों को आसान बनाया गया है। अब कई सेक्टर में एफडीआई को ऑटोमैटिक रूट से मंजूरी मिली है। उद्योगों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए उसकी वैलिडिटी बढ़ाई गई है। मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को मिलने वाले टैक्स बेनिफिट को भी बढ़ाया गया है, जिसका लाभ रक्षा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को भी होने वाला है।

‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ है पीएम मोदी का नजरिया
रक्षा में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए विश्व स्तरीय घरेलू रक्षा उद्योग बनाने के प्रयासों पर सरकार फोकस कर रही है। आने वाले समय में मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र के बल पर ही भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में एक बनेगा। रक्षा क्षेत्र खासकर एरोस्पेस में भारत सरकार ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ का नजरिया लेकर आगे बढ़ रही है। इससे देश के समग्र विकास में तो मदद मिलेगी। इसके तहत स्वदेशी उपकरणों और प्रौद्योगिकियों का विकास किया जा रहा है, जिससे रक्षा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी और बढ़ेगी। भारत के पास अब अगली पीढ़ी के सुपरसोनिक लड़ाकू विमान, हिंदुस्तान लीड इन फाइटर ट्रेनर (HLFT-42), एलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, वायर कंट्रोल प्रणाली से इंफ्रारेड सर्च एंड ट्रैक विद फ्लाई जैसी आधुनिक एविएशन सुविधाएं मौजूद हैं। साथ ही आधुनिक हल्के प्रचंड युद्धक हेलिकॉप्टर और हल्के यूटिलिटी हेलीकॉप्टर भी हैं।

आत्मनिर्भर भारत पर फोकस और स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा
सरकार स्वदेशी रक्षा निर्माण को बढ़ावा देने का लगातार प्रयास कर रही है। भारतीय रक्षा क्षेत्र अब बदलाव के मुहाने पर है। सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के लिए फोकस क्षेत्र के रूप में रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र की पहचान की है। इसके तहत जरूरी अनुसंधान और डेवलपेंट इकोसिस्टम के जरिए मजबूत स्वदेशी विनिर्माण बुनियादी ढांचा बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। भारत का विजन है कि 2025 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 5 अरब डॉलर के निर्यात समेत 25 अरब डॉलर का कारोबार हासिल हो। सैन्य खर्च के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर है। हमारा रक्षा बजट जीडीपी के 2 फीसदी से ज्यादा है। अगले 5 वर्षों में भारत सभी सशस्त्र सेवाओं में बेड़े के आधुनिकीकरण के लिए 130 अरब डॉलर खर्च करने की योजना बना रहा है। आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप, रक्षा मंत्रालय ने तीन ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों’ को अधिसूचित किया है, जिसमें स्थानीय स्तर पर बनने वाले 310 रक्षा उपकरणों को शामिल किया गया है। इसके अलावा निर्यात को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को उदार बनाने के लिए रक्षा क्षेत्र में एफडीआई को ऑटोमैटिक रूट से 74% और सरकारी रूट से 100% तक बढ़ाया गया है। रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता को गति प्रदान करने के लिए एक मजबूत ईको-सिस्टम और सहायक सरकारी नीतियों को विकसित किया गया है।

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